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यूपी के इस जिले में दिखा दुर्लभ सांप, पहली बार में आप भी खा जाएंगे धोखा, कितना है जहरीला?

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यूपी के इस जिले में दिखा दुर्लभ सांप, पहली बार में आप भी खा जाएंगे धोखा, कितना है जहरीला?

यूपी में एक दुर्लभ सांप देखा गया है। इस सांप की बनावट ऐसी है कि पहली बार में देखने पर कोई भी धोखा खा सकता है। इससे पहले ये सांप बिहार में देखा गया था। दरअसल खीरी जिले के दुधवा में दुर्लभ सांप अहेतुल्ला लॉगिरोस्ट्रिस की खोज की गई है। दुधवा में इस दुर्लभ सांप का देखा जाना पहली बार दर्ज किया गया है। यह खोज दुधवा के पलिया डिवीजन में गैंडे को छोड़ने के अभियान के दौरान की गई है।

दुधवा में इन दिनों गैंडों की शिफ्टिंग का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य के दौरान वन कर्मियों को एक दुर्लभ सांप दिखाई दिया। फील्ड टीम ने सांप होने की जानकारी अधिकारियों को दी। जिसके बाद फील्ड बायोलॉजिस्ट विपिन कपूर सैनी आगे आए और बड़ी सावधानी से सांप को सुरक्षित किया। सांप का पतला शरीर, लम्बी थूथन और आकर्षक हरा रंग देखकर उसे दुर्लभ माना गया। बायोलॉजिस्ट विपिन, रोहित रवि, सोहम पाटेकर और अथर्व केरूर ने तस्वीरों के आधार पर गहन जांच की जिसके बाद पुष्टि हुई कि यह सांप अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस है। जो उत्तर प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।

सांप की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए विपिन कपूर सैनी ने सावधानी से सांप को संभाला और अपूर्व गुप्ता, रोहित रवि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया में वरिष्ठ परियोजना अधिकारी और सुशांत सिंह के साथ मिलकर उसे पास के दीमक के टीले में वापस रख दिया, जिससे उसे एक सुरक्षित और परिचित वातावरण मिल सके। दुधवा के फील्ड डायरेक्टर डा. एच राजा मोहन ने इस खोज पर अपनी खुशी व्यक्त की है। दुधवा टाइगर रिजर्व के डीडी डा. रेंगाराजू टी ने बताया कि सांप की इस प्रजाति को पहले केवल बिहार में देखा गया था। ये सांप दीमक के टीले में रहते हैं।

दुधवा में मिले सांप की खासियत

विशेषज्ञों के अनुसार अहेतुल्ला लॉगिरोस्ट्रिस नाम का ये दुर्लभ सांप हल्का जहरीला बताया जाता है। इस सांप को उसकी लंबी नाक (रोस्ट्रल) और दोहरे रंग के शरीर के कारण पहचाना जाता है। यह सांप हरे या भूरे रंग का हो सकता है, जबकि इसका पेट नारंगी-भूरा होता है। इस सांप के शरीर पर विशेष प्रकार की मोटी कीलदार स्केल्स होती हैं, जो इसे अन्य प्रजातियों से अलग करती हैं। यह सांप मुख्य रूप से पेड़ों पर रहने वाला है। दुधवा से पहले इस सांप को वैज्ञानिकों की एक टीम ने सितंबर 2024 में बिहार के पश्चिमी चंपारण में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगलों में खोज निकाला था।

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