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NCERT | Science | Objective | Class-IX | सामान्य विज्ञान

विज्ञान

1. हमारे आस-पास के पदार्थ

1. सामान्यतः पदार्थ/द्रव्य की तीन अवस्थाएँ ठोस, द्रव तथा गैस होती हैं। पदार्थ की इन अवस्थाओं के अभिलाक्षणिक गुणों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. ठोसों एवं द्रवों की तुलना में गैसों की संपीड्यता (Compression) काफी कम होती है।
2. द्रव में ठोस, द्रव और गैस तीनों का विसरण संभव है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (b)
व्याख्या: पदार्थ की विभिन्न अवस्थाओं के गुणों के संदर्भ में उपर्युक्त कथनों में से कथन 1 गलत है, क्योंकि ठोसों एवं द्रवों की तुलना में गैसों की संपीड्यता काफी अधिक होती है। घरों में खाना बनाने के लिये उपयोग में लाई जाने वाली द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस ( LPG ), अस्पतालों में प्रयुक्त ऑक्सीजन सिलेंडर तथा वाहनों में ईंधन के रूप में उपयोग किये जाने वाले सी. एन. जी. (Compressed Natural Gas) सिलेंडर, सभी में संपीडित गैसें ही होती हैं। ठोस पदार्थ की संपीड्यता सबसे कम होती है।
• दो या दो से अधिक पदार्थों का स्वतः एक-दूसरे से मिलकर समांग (Homogeneous) मिश्रण बनाने की क्रिया को विसरण कहते हैं। द्रव में ठोस, द्रव और गैस तीनों का विसरण संभव है। ठोसों की अपेक्षा द्रवों में विसरण दर अधिक होती है।
• ठोस के कणों में आकर्षण बल सबसे अधिक, गैस के कणों में सबसे कम और द्रव के कणों में इन दोनों के मध्यवर्ती होता है, जबकि ठोस के कणों में गतिज ऊर्जा न्यूनतम, गैस के कणों में सबसे अधिक तथा द्रव के कणों में मध्यवर्ती होती है।
2. बर्फ और उस पर तापमान परिवर्तन के प्रभाव के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. बर्फ का गलनांक (Melting Point) 373K होता है।
2. बर्फ को गर्म करने पर संपूर्ण बर्फ के पिघल जाने तक उसका तापमान एकसमान रहता है।
3. बर्फ के कणों की ऊर्जा समान तापमान पर जल के कणों की ऊर्जा से अधिक होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (b)
व्याख्या : जिस तापमान पर ठोस पिघलकर द्रव बन जाता है, वह उसका गलनांक कहलाता है। बर्फ का गलनांक 273.16K होता है, अतः कथन 1 गलत है। जिस तापमान पर द्रव उबलने लगता है, वह उसका क्वथनांक (Boiling Point) कहलाता है। जल का क्वथनांक 373K (100°C) होता है।
• बर्फ अथवा किसी ठोस को गर्म करने पर भी उसके पूर्णतः गलने तक की प्रक्रिया के दौरान उसका तापमान एकसमान रहता है। बर्फ अथवा ठोस के द्वारा इस दी गई ऊष्मा का उपयोग ठोस से द्रव में बदलने की प्रक्रिया में इसके कणों के बीच के आकर्षण बल को घटाने (Overcome) में किया जाता है। चूँकि तापमान में बिना किसी तरह की वृद्धि हुए ही इस ऊष्मीय ऊर्जा को बर्फ अवशोषित कर लेती है इसलिये यह माना जाता है कि यह गलने के बाद प्राप्त जल अथवा द्रव में छुपी रहती है जो उस पदार्थ की संगलन गुप्त (छुपी हुई ) ऊष्मा कहलाती है। अतः कथन 2 सही है।
• संगलन की गुप्त ऊष्मा के कारण ही जल के कणों की ऊर्जा उसी तापमान पर बर्फ के कणों की ऊर्जा से अधिक होती है, अतः कथन 3 गलत है। ठीक इसी प्रकार वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा के कारण वाष्प के कणों में उसी तापमान पर पानी के कणों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा होती है।
3. निम्नलिखित में से तापमान का S.I. मात्रक कौन – सा है ?
(a) फारेनहाइट
(b) केल्विन
(c) पास्कल
(d) सेल्सियस
उत्तर : (b)
व्याख्या : फारेनहाइट (F), केल्विन (K) तथा डिग्री सेल्सियस (°C) तीनों तापमान के मात्रक हैं। इनमें से केल्विन तापमान का S.I. मात्रक है।
• 0°C = 273.16 K होता है जिसे सुविधा के लिये 273 K ही माना जाता है। तापमान की माप केल्विन से सेल्सियस में बदलने के लिये दिये हुए तापमान से 273 घटाते हैं, जबकि सेल्सियस से केल्विन में बदलने के लिये दिये हुए तापमान में 273 जोड़ देते हैं।
• पास्कल दाब का S.I. मात्रक है। वायुमंडल में वायु का दाब वायुमंडलीय दाब कहलाता है। समुद्र की सतह पर वायुमंडलीय दाब एक एटमॉस्फीयर ( atm) होता है जिसे सामान्य दाब कहा जाता है। एटमॉस्फीयर ( atm) गैसीय दाब के मापन का मात्रक है।
4. किसी ठोस पदार्थ के द्रव में परिवर्तित हुए बिना सीधे गैसीय अवस्था में परिवर्तित हो जाने की प्रक्रिया निम्नलिखित में से क्या कहलाती है?
(a) वाष्पीकरण (Evaporation)
(b) विसरण (Diffusion)
(c) ऊर्ध्वपातन (Sublimation)
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (c)
व्याख्या: किसी ठोस पदार्थ के द्रव में परिवर्तित हुए बिना ही सीधे गैसीय अवस्था परिवर्तित होने अथवा किसी पदार्थ का गैसीय अवस्था से सीधे ठोस में बदल जाने की प्रक्रिया ऊर्ध्वपातन कहलाती है।
• कपूर एवं अमोनियम क्लोराइड ऊर्ध्वपातन की प्रक्रिया दर्शाने वाले सबसे सामान्य उदाहरण हैं।
5. निम्नलिखित में से किसको शुष्क बर्फ कहते हैं?
(a) ठोस कार्बन डाइऑक्साइड
(b) द्रवित कार्बन डाइऑक्साइड
(c) ठोस कार्बन मोनोऑक्साइड
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (a)
व्याख्या : एक एटमॉस्फीयर ( atm) दाब पर ठोस कार्बन डाइऑक्साइड द्रव अवस्था में आए बिना सीधे गैस में परिवर्तित हो जाती है। यही कारण है कि ठोस कार्बन डाइऑक्साइड को शुष्क बर्फ (Dry Ice) कहते हैं।
6. वैज्ञानिकों ने पदार्थ की चौथी और पाँचवीं अवस्था के रूप में क्रमश: ‘प्लाज़्मा’ (Plasma) और ‘बोस-आइंस्टाइन कंडनसेट’ (Bose-Einstein Condensate) को प्राप्त किया है। पदार्थ की इन दोनों अवस्थाओं के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा / से सही है/हैं?
1. फ्लोरोसेंट ट्यूब और नियॉन बल्ब में प्लाज़्मा होता है।
2. सूर्य और तारों की चमक पदार्थ की पाँचवीं अवस्था बोस-आइंस्टाइन कंडनसेट के कारण होती है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (a)
व्याख्या : प्लाज़्मा पदार्थ की चौथी अवस्था है। इस अवस्था में ये कण अत्यधिक ऊर्जा वाले और अधिक उत्तेजित होते हैं। ये कण आयनीकृत गैस के रूप में होते हैं। फ्लोरोसेंट ट्यूब और नियॉन बल्ब में प्लाज़्मा होता है। अतः कथन 1 सही है। नियॉन बल्ब में नियॉन गैस और फ्लोरोसेंट ट्यूब के अंदर हीलियम या कोई अन्य गैस होती है । विद्युत ऊर्जा प्रवाहित होने पर यह गैस आयनीकृत (आवेशित ) हो जाती है जिससे ट्यूब या बल्ब के अन्दर चमकीला प्लाज़्मा तैयार हो जाता है।
• गैस के स्वभाव के अनुसार इस प्लाज़्मा में एक विशेष रंग की चमक होती है। प्लाज़्मा के कारण ही सूर्य और तारों में भी चमक होती है। उच्च तापमान के कारण ही तारों में प्लाज़्मा बनता है। इसलिये कथन 2 गलत है।
• भारतीय भौतिक वैज्ञानिक सत्येंद्रनाथ बोस ने 1920 में पदार्थ की पाँचवीं अवस्था के लिये कुछ गणनाएँ कीं जिनके आधार पर अल्बर्ट आइंस्टाइन ने पदार्थ की एक नई अवस्था की भविष्यवाणी की, जिसे ‘बोस-आइंस्टाइन कंडनसेट’ (BEC) कहा गया। अमेरिका के एरिक ए. कॉर्नेल, उल्फगैन केटरले और कार्ल ई. वेमैन को BEC की अवस्था प्राप्त करने के लिये सन् 2001 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार सम्मानित किया गया।
7. क्वथनांक से कम तापमान पर द्रव के वाष्प में परिवर्तित होने की प्रक्रिया वाष्पीकरण कहलाती है। वाष्पीकरण के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. यह एक सतही परिघटना है।
2. इसकी दर तापमान, आर्द्रता और वायु की गति पर निर्भर करती है।
3. इससे ठंडक उत्पन्न होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त तीनों कथन सही हैं।
• वाष्पीकरण एक सतही परिघटना है अर्थात् यह सतह पर ही संपन्न होती है।
• वाष्पीकरण की दर निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है-सतही क्षेत्रफल जो कि वायुमंडल की ओर खुला (Exposed) होता है, तापमान, आर्द्रता और वायु की गति ।
• वाष्पीकरण के दौरान कम हुई ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने के लिये द्रव के कण अपने आस-पास से ऊर्जा अवशोषित कर लेते हैं। इस तरह आस-पास से ऊर्जा के अवशोषण के कारण शीतलता हो जाती है। गर्मियों में शरीर से जब पसीना वाष्पीकृत होता है तो वाष्पीकरण के लिये द्रव की सतह के कण हमारे शरीर या आस-पास से ऊर्जा प्राप्त करते हैं। ऐसे में वाष्पीकरण की गुप्त / प्रसुप्त ऊष्मा ( Latent Heat) के बराबर ऊष्मीय ऊर्जा हमारे शरीर से अवशोषित हो जाती है जिससे शरीर शीतल हो जाता है।

2. क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं?

1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. टिंक्चर आयोडीन, आयोडीन और एल्कोहल का विलयन होता है।
2. वातयुक्त (Aerated) पेय में कार्बन डाइऑक्साइड घुली होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• आयोडीन और एल्कोहल के विलयन को टिंक्चर आयोडीन कहते हैं। इस विलियन का उपयोग रोगाणुरोधक (Antiseptic) के रूप में संक्रमण से बचाव के लिये चोट या कटे पर किया जाता है।
• वातयुक्त पेय, जैसे- सोडा, जल, कोक इत्यादि तरल विलयनों में गैस के रूप में कार्बन डाइऑक्साइड घुली होती है।
2. कोलाइडल (Colloidal ) विलयन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. यह विलयन समांगी (Homogeneous) होता है ।
2. कोलाइडल कण प्रकाश की किरणों को फैला देते हैं।
3. यह विलयन टिन्डल प्रभाव (Tyndall Effect ) दर्शाता है।
4. दूध तथा पानी का मिश्रण कोलाइडल विलयन का उदाहरण है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर : (b)
व्याख्या : कोलाइडल विलयन, विलयन (Solution) तथा निलंबन | (Suspension) से भिन्न है । विलयन एक समांगी (Homogeneous) मिश्रण है जिसके कण आकार में बहुत छोटे होते हैं। ये कण प्रकाश को फैला नहीं पाते हैं। निलंबन एक विषमांगी (Heterogeneous) मिश्रण है। इसके कण अपेक्षाकृत बड़े होते हैं जो आँखों से देखे जा सकते हैं। ये निलंबित कण प्रकाश को फैलाने में सक्षम हैं जिससे प्रकाश का मार्ग दिखाई देता है । • कोलाइड अथवा कोलाइडल विलयन के कण विलयन समान रूप से फैले रहते हैं। निलंबन की अपेक्षा कणों का आकार छोटा होने के कारण यह विलयन समांगी प्रतीत होता है, लेकिन वास्तविकता में यह विलयन विषमांगी मिश्रण है। अतः कथन 1 गलत है।
• कोलाइडल कण प्रकाश की किरण को आसानी से फैला देते हैं। प्रकाश की किरण को इन कणों द्वारा फैलाना टिन्डल प्रभाव कहलाता है। टिन्डल नामक वैज्ञानिक ने इसकी खोज की थी। अतः कथन 2 और 3 सही हैं।
• दूध तथा पानी का मिश्रण कोलाइडल विलयन का उदाहरण है जो कि टिन्डल प्रभाव दर्शाता है, इसलिये कथन 4 सही है।
3. जब कमरे में किसी छोटे छिद्र से प्रकाश की किरण आती है तो कमरे की धूल और कार्बन कणों द्वारा फैला दी जाती है जिससे किरण का मार्ग दिखाई देता है। यह घटना निम्नलिखित में से किसका उदाहरण है?
(a) टिन्डल प्रभाव
(b) प्रकाश – विद्युत प्रभाव
(c) प्रकाश का विकिरण
(d) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर : (a)
व्याख्या : यह घटना टिन्डल प्रभाव का उदाहरण है। टिन्डल प्रभाव का एक अन्य उदाहरण हम जगलों में भी देखते हैं। जब घने जंगल के आच्छादन क्षेत्र (Canopy) से सूर्य की किरण गुज़रती है तो जंगल के कोहरे में उपस्थित छोटे-छोटे जल के कण कोलाइड कणों के समान व्यवहार करते हैं।
4. निम्नलिखित में से कौन-सा/से कोलाइड / कोलाइड्स का / के उदाहरण है/हैं?
1. वाहनों से निकलने वाला धुआँ
2. शेविंग क्रीम
3. पनीर
4. बादल
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर : (d)
5. निम्नलिखित प्रक्रियाओं पर विचार कीजिये-
1. जाँच प्रयोगशाला में रक्त और मूत्र की जाँच ।
2. डेयरी या घर में क्रीम से मक्खन निकालना।
3. कपड़े धोने की मशीन में भीगे कपड़ों को सुखाना ।
उपर्युक्त प्रक्रियाओं में से कौन-सी प्रक्रिया / प्रक्रियाएँ अपकेंद्रण (Centrifugation) विधि के माध्यम से सम्पन्न होती है / हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त तीनों प्रक्रियाएँ अपकेंद्रण विधि के माध्यम से सम्पन्न होती हैं।
• अपकेंद्रण विधि में वस्तुओं को तीव्र गति से घुमाया जाता है जिससे भारी कण नीचे बैठ जाते हैं और हल्के कण ऊपर आ जाते हैं।
• इस विधि से ही दूध से क्रीम को भी पृथक् किया जाता है।
6. निम्नलिखित प्रक्रियाओं में से कौन-सी क्रोमैटोग्राफी (Chromatography) से संबंधित हैं?
1. डाई (Dye) में से रंगों को पृथक् करना ।
2. प्राकृतिक रंगों से पिगमेंट (Pigment) को पृथक् करना।
3. रक्त से नशीले पदार्थों (Drugs) को पृथक् करना।
4. धातु शोधन के दौरान लोहे को पृथक् करना।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1, 2 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) केवल 2, 3 और 4
उत्तर : (a)
व्याख्या : उपर्युक्त प्रक्रियाओं में से 1, 2 और 3 क्रोमैटोग्राफी से संबंधित हैं।
• क्रोमैटोग्राफी किसी मिश्रण से घटकों को पृथक् करने की विधि है । इस विधि को रंगों को पृथक् करने के लिये प्रयोग में लाया जाता है। यह एक ऐसी विधि है जिसका प्रयोग उन विलेय पदार्थों को पृथक् करने में होता है जो एक ही प्रकार के विलायक में घुले होते हैं।
• प्रक्रिया 4 क्रोमैटोग्राफी से संबंधित नहीं है। धातुशोधन के दौरान लोहे को पृथक् • करने के लिये पृथक्करण कीप (Separating Funnel) की विधि प्रयोग में लाई जाती है। इस विधि के सिद्धांत के अनुसार, आपस में नहीं मिलने वाले द्रव घनत्व के अनुसार विभिन्न परतों में पृथक् हो जाते हैं।
7. निम्नलिखित प्रक्रियाओं में से कौन-से क्रिस्टलीकरण (Crystallisation) विधि के अनुप्रयोग हैं?
1. समुद्री जल द्वारा प्राप्त नमक को शुद्ध करना।
2. नमक से कपूर को पृथक् करना।
3. अशुद्ध नमूने से फिटकरी को पृथक् करना ।
4. वायु से विभिन्न गैसों को पृथक् करना।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर का चयन चुनिये-
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) केवल 2, 3 और 4
उत्तर : (b)
व्याख्या: क्रिस्टलीकरण विधि का प्रयोग ठोस पदार्थों को शुद्ध करने में किया जाता है। इस विधि से क्रिस्टल के रूप में शुद्ध ठोस को विलयन से पृथक् किया जाता है।
• प्रक्रिया 1 और 3 क्रिस्टलीकरण के अनुप्रयोग हैं जबकि प्रक्रिया 2 ऊर्ध्वपातन का अनुप्रयोग है।
• प्रक्रिया 4 प्रभाजी आसवन (Fractional Distillation ) विधि का अनुप्रयोग है। इस विधि का प्रयोग वायु से गैसों को पृथक् करने तथा पेट्रोलियम उत्पादों से उनके विभिन्न घटकों को पृथक् करने में किया जाता है।
8. मोमबत्ती के जलने की प्रक्रिया में कौन-सा / से परिवर्तन होता / होते है/हैं?
(a) भौतिक परिवर्तन
(b) रासायनिक परिवर्तन
(c) (a) तथा (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर : (c)
व्याख्या : मोमबत्ती के जलने की प्रक्रिया में भौतिक एवं रासायनिक दोनों परिवर्तन होते हैं। मोमबत्ती का पिघलना भौतिक परिवर्तन है जबकि मोम का जलना रासायनिक परिवर्तन है।

3. परमाणु एवं अणु

1. द्रव्यमान संरक्षण तथा स्थिर अनुपात के नियम के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. एंटोनी एल. लवाइजिए (Antonie L. Lavoisier) तथा जोजफ एल. प्राउस्ट (Joseph L. Proust) का संबंध रासायनिक संयोजन के इन नियमों से है।
2. द्रव्यमान संरक्षण के नियम के अनुसार किसी रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान का न तो सृजन किया जा सकता है। और न ही विनाश।
3. स्थिर अनुपात के नियम अनुसार किसी भी यौगिक में तत्त्व सदैव एक निश्चित द्रव्यमानों के अनुपात में विद्यमान होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त तीनों कथन सही हैं।
• एंटोनी एल. लवाइजिए एवं जोजफ एल. प्राउस्ट दोनों ही रासायनिक संयोजन के इन नियमों से संबंधित हैं। बहुत से प्रायोगिक कार्यों के पश्चात् इन्होंने दो नियम प्रतिपादित किये-
1. द्रव्यमान संरक्षण का नियम, 2. स्थिर अनुपात का नियम
• द्रव्यमान संरक्षण के नियम के संदर्भ में लवाइजिए ने बताया कि द्रव्यमान का न तो सृजन किया जा सकता है और न ही विनाश ।
• स्थिर अनुपात के नियम के संदर्भ में प्राउस्ट ने बताया कि किसी भी यौगिक में तत्त्व सदैव एक निश्चित द्रव्यमानों के अनुपात में विद्यमान होते हैं। इस नियम को निश्चित अनुपात का नियम भी कहते हैं।
2. निम्नलिखित में से किसे परमाणु सिद्धांत के प्रस्तुतकर्त्ता के रूप में जाना जाता है?
(a) महर्षि कणाद
(b) जॉन डाल्टन
(c) डेमोक्रिटस
(d) लिथुसीपस
उत्तर : (b)
व्याख्या: सन् 1808 में जॉन डाल्टन ने परमाणु सिद्धान्त को प्रस्तुत किया था। इस सिद्धांत के अनुसार परमाणु अविभाज्य होता है। लगभग पूरी 19वीं शताब्दी तक यही माना जाता रहा, परंतु 19वीं शताब्दी के आखिरी दशक में वैज्ञानिकों ने यह प्रमाणित किया कि परमाणु भी विभाज्य है तथा इसकी एक निश्चित आंतरिक संरचना होती है।

4. परमाणु की संरचना

1. परमाणु संरचना के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. परमाणुओं की संरचना से संबंधित पहला मॉडल जे. जे. टॉमसन द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
2. नील्स बोर ने रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की त्रुटियों को दूर किया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• जे. जे. टॉमसन पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने परमाणुओं की संरचना से संबंधित पहला मॉडल प्रस्तुत किया।
• रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की त्रुटियों को दूर करने तथा हाइड्रोजन परमाणु के स्पेक्ट्रम को समझने के लिये नील्स बोर ने मैक्स प्लांक (Max Planck) के क्वांटम सिद्धांत का सहारा लेकर एक सिद्धान्त का प्रतिपादन किया जिसे बोर का परमाणु सिद्धांत कहते हैं ।
• 1922 में नील्स बोर को परमाणु की संरचना पर अपने योगदान के लिये नोबेल पुरस्कार मिला।
2. निम्नलिखित में से किसमें न्यूट्रॉन अनुपस्थित होता है ?
(a) हीलियम
(b) हाइड्रोजन
(c) ऑक्सीजन
(d) बेरिलियम
उत्तर : (b)
व्याख्या : हाइड्रोजन में एक इलेक्ट्रॉन तथा एक प्रोटॉन होता है, परंतु न्यूट्रॉन अनुपस्थित होता है।
3. परमाणु के संदर्भ में निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये –
1. संयोजकता : संयोजन शक्ति
2. परमाणु क्रमांक : प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की कुल संख्या का योग
3. परमाणु द्रव्यमान: प्रोटॉनों की संख्या
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा / से सही सुमेलित है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (a)
व्याख्या: किसी परमाणु की संयोजन शक्ति उस परमाणु की संयोजकता होती है। अतः युग्म 1 सही है।
• किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की कुल संख्या को परमाणु संख्या कहते हैं। जबकि किसी परमाणु का द्रव्यमान नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के द्रव्यमान के योग के द्वारा प्रकट किया जाता है। अतः युग्म 2 और 3 सही सुमेलित नहीं हैं।
4. दो परमाणुओं को समस्थानिक ( Isotope ) कहा जाता है, यदि-
(a) उनकी परमाणु संख्या समान परंतु द्रव्यमान संख्या भिन्न हो ।
(b) उनमें न्यूट्रॉनों की संख्या समान परंतु प्रोटॉनों की संख्या भिन्न हो ।
(c) उनकी परमाणु संख्या भिन्न परंतु द्रव्यमान संख्या समान हो ।
(d) उनमें न्यूट्रॉनों की संख्या भिन्न परंतु द्रव्यमान संख्या समान हो ।
उत्तर : (a)
व्याख्या : एक ही तत्त्व के परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान लेकिन द्रव्यमान संख्या भिन्न होती है, समस्थानिक कहलाते हैं। किसी तत्त्व का प्रत्येक समस्थानिक एक शुद्ध पदार्थ होता है । समस्थानिकों के रासायनिक गुण समान लेकिन भौतिक गुण अलग-अलग होते हैं।
• किसी प्राकृतिक तत्त्व के एक परमाणु का द्रव्यमान उस तत्त्व में विद्यमान सभी प्राकृतिक रूप ( समस्थानिक) से पाए जाने वाले परमाणुओं के औसत द्रव्यमान के बराबर होता है। अगर किसी एक तत्त्व का कोई समस्थानिक नहीं है तो परमाणु का द्रव्यमान उसमें उपस्थित प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों के द्रव्यमान का योग होता है ।
• अलग-अलग परमाणु संख्या वाले तत्त्वों को जिनकी द्रव्यमान संख्या समान होती है, उन्हें समभारिक ( Isobar) कहते हैं।
5. निम्नलिखित में से कौन-से हाइड्रोजन के समस्थानिक हैं?
1. प्रोटियम
2. रेडियम
3. ड्यूटीरियम
4. ट्राइटियम
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1, 2 और 4
(d) केवल 1, 3 और 4
उत्तर : (d)
व्याख्या : हाइड्रोजन परमाणु के तीन समस्थानिक प्रोटियम, ड्यूटीरियम (D) और ट्राइटियम (T) होते हैं। इसी प्रकार प्रकृति में क्लोरीन भी दो समस्थानिक रूपों में पाया जाता है।
6. समस्थानिकों के अनुप्रयोग के संदर्भ में निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये-
1. यूरेनियम का समस्थानिक : परमाणु भट्टी (Atomic Reactor) में ईंधन
2. कोबाल्ट का समस्थानिक : कैंसर का उपचार
3. आयोडीन का समस्थानिक : घेंघा रोग का उपचार
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त तीनों युग्म सही सुमेलित हैं।
• यूरेनियम के एक समस्थानिक का उपयोग परमाणु भट्टी में ईंधन के रूप में होता है।
• कैंसर के उपचार में कोबाल्ट के समस्थानिक का उपयोग होता है।
• घेंघा रोग के इलाज में आयोडीन के समस्थानिक का उपयोग होता है।

5. जीवन की मौलिक इकाई

1. निम्नलिखित जीवों पर विचार कीजिये-
1. अमीबा
2. कवक (फंजाई)
3. बैक्टीरिया
4. पैरामीशियम
उपर्युक्त जीवों में से कौन-सा / से बहुकोशिक (Multicellular) जीव है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 4
(d) केवल 1 3 और 4
उत्तर : (b)
व्याख्या: ऐसे जीव जिनमें केवल एक ही कोशिका पाई जाती है, उन्हें एककोशिक (Unicellular) जीव कहते हैं। अमीबा, क्लैमिडोमोनास, पैरामीशियम तथा बैक्टीरिया एककोशिक जीव के उदाहरण हैं।
• ऐसे जीव जिनमें अनेक कोशिकाएँ समाहित होकर विभिन्न कार्यों को सम्पन्न करने हेतु विभिन्न अंगों का निर्माण करती हैं, उन्हें बहुकोशिक जीव कहते हैं। कवक (फंजाई), पादप तथा जंतु बहुकोशिक जीव के उदाहरण हैं।
• प्रत्येक बहुकोशिक जीव एक कोशिका से ही विकसित हुआ है। इस प्रक्रिया में कोशिकाएँ विभाजित होकर अपनी ही जैसी कोशिकाएँ बनाती हैं। इस प्रकार सभी कोशिकाएँ अपनी पूर्ववर्ती कोशिकाओं से उत्पन्न होती हैं।
2. कोशिका के अध्ययन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. जे.ई. पुरीकज ने कोशिका में स्थित तरल जैविक पदार्थ को जीवद्रव्य (Protoplasm) नाम दिया।
2. एम. प्लीडन तथा टी. स्वान का संबंध कोशिका सिद्धांत से है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/है?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो । और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या: उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• जे.ई. पुरीकंज मे 1839 में कोशिका में स्थित तरल जैविक पदार्थ को जीवद्रव्य का नाम दिया था, परंतु जीवद्रव्य की खोज ‘डुजार्डिन’ द्वारा की गई थी।
• दो जीव वैज्ञानिक- एम. स्लीडन तथा टी. स्वान ने कोशिका सिद्धांत के विषय में बताया। इस सिद्धांत के अनुसार सभी पौधे तथा जंतु कोशिकाओं से बने हैं जो जीवन की मूलभूत इकाई हैं ‘विरचो’ ने कोशिका सिद्धांत को और आगे बढ़ाया। उन्होंने बताया कि सभी कोशिकाएँ पूर्ववर्ती कोशिकाओं से बनती हैं।
3. कोशिका में उपस्थित प्लाज़्मा झिल्ली (Plasma Membrane or Cell Membrane) निम्नलिखित में से किससे / किनसे निर्मित होती है?
(a) प्रोटीन
(b) वसा
(c) लिपिड
(d) (a) और (c) दोनों
उत्तर : (d)
व्याख्या: प्लाज्मा झिल्ली लचीली होती है और लिपिड तथा प्रोटीन जैसे कार्बनिक अणुओं की बनी होती है।
4. कोशिका के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. कोशिका में उपस्थित प्लाज़्मा झिल्ली वरणात्मक पारगम्य (Selectively Permeable) होती है।
2 कोशिका में जल और गैसों का आवागमन विसरण तथा परासरण के माध्यम से होता है।
3. परासरण द्वारा जलग्रहण की प्रक्रिया जीवित एवं मृत दोनों कोशिकाओं में सम्पन्न होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (a)
व्याख्या: प्लाज्मा झिल्ली कुछ पदार्थों को अंदर अथवा बाहर आने-जाने देती है। यह अन्य पदार्थों की गति को रोकती भी है। इसलिये इसे वरणात्मक (चयनात्मक) पारगम्य झिल्ली कहा जाता है। अतः कथन 1 सही है।
• कोशिका में गैसों तथा जल के आदान-प्रदान, पोषण ग्रहण करना तथा कोशिका से विभिन्न अणुओं का अन्दर-बाहर गमन, सब विसरण के माध्यम से होता है। जल भी विसरण के नियमों के अनूकूल ही व्यवहार करता है। इस प्रकार से जल के अणुओं की झिल्ली के आर-पार आवागमन परासरण कहलाता है। परासरण विसरण की एक विशिष्ट विधि है। एक कोशिकीय अलवणीय जलीय जीव तथा अधिकांश पादप कोशिकाएँ परासरण द्वारा जलग्रहण करते हैं। पौधों के मूल द्वारा जल का अवशोषण परासरण का एक उदाहरण है। अतः कथन 2 भी सही है।
• केवल जीवित कोशिकाओं में ही परासरण द्वारा जल अवशोषण की क्षमता होती है न कि मृत कोशिकाओं में। अतः कथन 3 गलत है।
5. पादप में उपस्थित कोशिका भित्ति (Cell Wall) निम्नलिखित में से किससे / किनसे निर्मित होती है?
(a) प्रोटीन
(b) कार्बोहाइड्रेट
(c) सेल्यूलोज
(d) (b) और (c) दोनों
उत्तर : (c)
व्याख्या: कोशिका भित्ति पादप कोशिका में उपस्थित होती है। ये भित्ति मुख्यत: सेल्यूलोज की बनी होती है। सेल्यूलोज एक बहुत जटिल पदार्थ है और यह पौधों को संरचनात्मक दृढ़ता प्रदान करता है।
• कोशिका भित्ति पौधों, कवक तथा बैक्टीरिया की कोशिकाओं को अपेक्षाकृत कम तनु विलयन (अल्पपरासरण दाबी विलयन) में बिना फटे बनाए ( बचाए रखती है।
• कोशिका भित्ति के कारण पादप कोशिकाएँ परिवर्तनीय माध्यम को जंतु कोशिका की अपेक्षा आसानी से सहन कर सकती हैं।
6. एन्डोसाइटोसिस (Endocytosis) का संबंध निम्नलिखित में से किससे है?
(a) यह किसी कोशिका के बाह्य पर्यावरण से अपना भोजन तथा अन्य पदार्थ ग्रहण करने की प्रक्रिया है।
(b) यह किसी कोशिका द्वारा अपशिष्ट उत्सर्जन की प्रक्रिया है।
(c) यह पादप कोशिकाओं में होने वाला एक रोग है।
(d) इनमें से किसी से नहीं ।
उत्तर : (a)
व्याख्या : कोशिका में उपस्थित प्लाज्मा झिल्ली लचीली होती है। इसका लचीलापन किसी कोशिका के बाह्य पर्यावरण से अपना भोजन तथा अन्य पदार्थ ग्रहण करने में सहायता करता है। ऐसी प्रक्रिया को एन्डोसाइटोसिस कहते हैं। अमीबा अपना भोजन इसी प्रक्रिया द्वारा प्राप्त करता है।
7. प्रोकैरियोटी (Prokaryotic) और यूकैरियोटी (Eukaryotic) कोशिकाओं में अंतर के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. सामान्यतः प्रोकैरियोटी कोशिका आकार में बड़ी, जबकि यूकैरियोटी कोशिका आकार में छोटी होती है।
2. प्रोकैरियोटी कोशिकाओं में केंद्रक झिल्ली अनुपस्थित होती है, जबकि यूकैरियोटी कोशिकाओं में केंद्रक झिल्ली उपस्थित होती है।
3. प्रोकैरियोटी कोशिकाओं में एक क्रोमोसोम होता है, जबकि यूकैरियोटी कोशिकाओं में एक से अधिक क्रोमोसोम होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (c)
8. निम्नलिखित पर विचार कीजिये-
1. अंतर्द्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum)
2. गॉल्जी उपकरण
3. लाइसोसोम तथा माइटोकॉण्ड्रिया
4. प्लास्टिड
5. रसधानी (Vacuoles)
उपर्युक्त में से कौन-से कोशिका अंगक (Cell Organelles) हैं?
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 3, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5
उत्तर : (d)
व्याख्या : यूकैरियोटी कोशिकाओं को बहुत सारी उपापचयी क्रियाओं (Chemical Activities) की आवश्यकता होती है, जिससे कि वे कोशिका की जटिल संरचना तथा उसके कार्य को सहारा दे सकें। इन विभिन्न प्रकार की उपापचयी क्रियाओं को अलग-अलग रखने के लिये, ये कोशिकाएँ झिल्लीयुक्त छोटी-छोटी संरचनाओं (अंगक) का उपयोग करती हैं।
• अंतर्द्रव्यी जालिका, गॉल्जी उपकरण, लाइसोसोम, माइटोकॉण्ड्रिया, प्लास्टिड तथा रसधानी कोशिका अंगकों के महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं।
9. निम्नलिखित में से कौन प्रोटीन संश्लेषण से संबंधित है ?
(a) राइबोसोम
(b) लाइसोसोम
(c) गॉल्जी उपकरण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (a)
व्याख्या : राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण की साइट है अर्थात् इन्हीं पर प्रोटीन का संश्लेषण होता है।
10. अंतर्द्रव्यी जालिका (ER) दो प्रकार की होती है : खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका (Rough Endoplasmic Reticulum – RER) तथा चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका ( Smooth Endoplasmic Reticulum – SER) इसके संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये –
1. ये कोशिकाद्रव्य विभिन्न क्षेत्रों के मध्य अथवा कोशिकाद्रव्य के विभिन्न क्षेत्रों तथा केंद्रक के मध्य पदार्थों के परिवहन के लिये उत्तरदायी होती है।
2. कशेरुकी जन्तुओं के यकृत की कोशिकाओं में SER विष तथा दवा के निराविषीकरण (Detoxification) में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• अंतर्द्रव्यी जालिका झिल्लीयुक्त नलिकाओं तथा शीट का एक बहुत बड़ा तंत्र है जो रचना में प्लाज्मा झिल्ली के समरूप है। ये दो प्रकार की होती है: खुरदरी तथा चिकनी ।
• RER खुरदरी दिखाई देती है क्योंकि इस पर राइबोसोम लगे होते हैं जो प्रोटीन संश्लेषण की साइट है। RER यहाँ तैयार प्रोटीन को अंतर्द्रव्यी जालिका (ER) के द्वारा कोशिका के अन्य भागों में भेज देती है।
• SER वसा अथवा लिपिड अणुओं के बनने में सहायता करती है।
• ER सदैव जालिका तंत्र का निर्माण करती है। इसका एक कार्य कोशिकाद्रव्य के विभिन्न क्षेत्रों के मध्य अथवा कोशिकाद्रव्य के विभिन्न क्षेत्रों तथा केंद्रक के मध्य पदार्थों (मुख्यत: प्रोटीन) के परिवहन के लिये नलिका के रूप में कार्य करना है।
• कशेरुकी जन्तुओं में SER विष तथा दवा के निराविषीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
11. लाइसोसोम के बनने के लिये निम्नलिखित में से कौन उत्तरदायी है ?
(a) अंतर्द्रव्यी जालिका
(b) गॉल्जी उपकरण
(c) माइटोकॉण्ड्रिया
(d) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर : (b)
व्याख्या: लाइसोसोम गॉल्जी उपकरण द्वारा बनाया जाता है। गॉल्जी उपकरण एक कोशिका अंगक हैं जिसमें अंतर्द्रव्यी जालिका में संश्लेषित पदार्थ पैक किये जाते हैं और कोशिका के बाहर तथा अंदर विभिन्न क्षेत्रों में भेजे जाते हैं। कुछ परिस्थितियों में गॉल्जी उपकरण में सामान्य शक्कर से जटिल शक्कर बनती है।
12. लाइसोसोम के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये –
1. यह कोशिका का अपशिष्ट निपटान तंत्र है।
2. इसमें बहुत शक्तिशाली पाचन एन्जाइम होते हैं।
3. इसे कोशिका की आत्मघाती थैली कहते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या: उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
• लाइसोसोम कोशिका का अपशिष्ट निपटाने वाला तंत्र है। ये बाहरी पदार्थ के कोशिका अंगकों के टूटे-फूटे भागों को पाचित करके कोशिका को साफ करते हैं।
• इनमें बहुत शक्तिशाली पाचनकारी एंजाइम होते हैं जो सभी कार्बनिक पदार्थों को तोड़ सकने में सक्षम होते हैं।
• कोशिकीय चयापचय (Metabolism) में व्यवधान के कारण जब कोशिका क्षतिग्रस्त या मृत हो जाती है, तो लाइसोसोम फट जाते हैं और एंजाइम अपनी ही कोशिकाओं को पाचित कर देते हैं इसलिये लाइसोसोम को कोशिका की ‘आत्मघाती थैली’ भी कहते हैं।
• संरचना की दृष्टि से लाइसोसोम झिल्ली से घिरे हुए होते हैं, जिनमें पाचक एंजाइम होते हैं। इन एंजाइमों का निर्माण RER द्वारा किया जाता है।
13. प्लास्टिड दो प्रकार के होते हैं- क्रोमोप्लास्ट तथा ल्यूकोप्लास्ट । इसके संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये –
1. प्लास्टिड केवल पादप कोशिकाओं में स्थित होते हैं।
2. प्लास्टिड में अपना राइबोसोम होता है, परंतु डी. एन. ए. अनुपस्थित होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा /से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (a)
व्याख्या : प्लास्टिड दो प्रकार के होते हैं: क्रोमोप्लास्ट (रंगीन प्लास्टिड) तथा ल्यूकोप्लास्ट (श्वेत तथा रंगहीन प्लास्टिड)। प्लास्टिड केवल पादप कोशिकाओं में ही उपस्थित होते हैं। अतः कथन 1 सही है।
• जिस प्लास्टिड में क्लोरोफिल वर्णक होता है, उसे क्लोरोप्लास्ट कहते हैं जो कि पौधों में प्रकाश संश्लेषण के लिये बहुत आवश्यक है। क्लोरोप्लास्ट में क्लोरोफिल के अतिरिक्त विभिन्न पीले अथवा नारंगी रंग के वर्णक भी होते हैं।
• ल्यूकोप्लास्ट प्राथमिक रूप से एक अंगक है, जिसमें स्टार्च, तेल तथा प्रोटीन जैसे पदार्थ संचित होते हैं।
• प्लास्टिड बाह्य रचना में माइटोकॉण्ड्रिया की तरह होते हैं। माइटोकॉण्ि ड्रया की तरह प्लास्टिड में भी अपना DNA तथा राइबोसोम होते हैं।
14. रसधानियों (Vacuoles) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?
(a) जंतु कोशिकाओं में ये छोटी, जबकि पादप कोशिकाओं में बहुत बड़ी होती हैं।
(b) ये केवल पादप कोशिकाओं में उपस्थित होती हैं।
(c) ये एककोशिक जीवों में अनुपस्थित होती हैं।
(d) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर : (a)
व्याख्या : रसधानियाँ ठोस अथवा तरल पदार्थों की संग्राहक थैलियाँ होती हैं। ये जंतु कोशिकाओं में छोटी होती हैं, जबकि पादप कोशिकाओं में | बहुत बड़ी होती हैं।
• पादप कोशिकाओं की रसधानियों में कोशिकाद्रव्य भरा रहता है और ये कोशिकाओं को स्फीति तथा कठोरता प्रदान करती हैं। इसमें अमीनो अम्ल, शर्करा, विभिन्न कार्बनिक अम्ल तथा कुछ प्रोटीन जैसे पादपों के लिये आवश्यक पदार्थ स्थित होते हैं।
• एककोशिक जीवों जैसे अमीबा की खाद्य रसधानी में उनके द्वारा उपभोग में लाए गए खाद्य पदार्थ होते हैं। कुछ एककोशिक जीवों में विशिष्ट रसधानियाँ अतिरिक्त जल तथा कुछ अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाती हैं।

6. ऊतक

1. निम्नलिखित पर विचार कीजिये –
1. रक्त
2. पेशी
3. फ्लोएम
उपर्युक्त में से कौन-सा / से ऊतक का उदाहरण है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : ऊतकों का निर्माण कोशिकाओं के समूह द्वारा होता है। मनुष्यों में रक्त तथा पेशी एवं पौधों में फ्लोएम ऊतकों के उदाहरण हैं।
2. कोशिका के कार्यों के सदंर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. एककोशिक जीवों में सभी मौलिक कार्य एक ही कोशिका द्वारा किये जाते हैं।
2. बहुकोशिक जीवों में कोशिकाएँ श्रम विभाजन के सिद्धांत पर कार्य करती हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या: उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• एककोशिक जीवों में, सभी मौलिक कार्य एक ही कोशिका द्वारा किये जाते हैं। उदाहरण के लिये, अमीबा में एक ही कोशिका द्वारा गति, भोजन लेने की क्रिया, श्वसन क्रिया और उत्सर्जन क्रिया संपन्न की जाती है।
• बहुकोशिक जीवों में लाखों कोशिकाएँ होती हैं, जो श्रम विभाजन के सिद्धांत पर कार्य करती हैं। इनमें अधिकतर कोशिकाएँ कुछ ही प्रकार के कार्य को करने में सक्षम होती हैं। प्रत्येक विशेष कार्य कोशिकाओं के विभिन्न समूहों द्वारा किया जाता है। मनुष्यों में रक्त और पेशी तथा पौधों में फ्लोएम विशेष कार्यों को करने वाले ऊतक के उदाहरण हैं।
3. विभिन्न पादप उतकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. वृद्धि अथवा विभज्योतक ऊतक की कोशिकाओं में वृहद् रसधानियाँ उपस्थित होती हैं।
2. विभज्योतक ऊतकों के विभाजन की शक्ति खो जाने पर वे स्थायी ऊतकों में परिवर्तित हो जाते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (b)
व्याख्या: पादप ऊतकों की विभाजन क्षमता के आधार पर ही पौधों के ऊतकों (पादप ऊतकों) का वर्गीकरण किया जाता है- वृद्धि अथवा विभज्योतक तथा स्थायी ऊतक ।
• वृद्धि की क्षमता वाले ऊतक विभज्योतक कहलाते हैं। इनकी उपस्थिति वाले क्षेत्रों के आधार पर इन्हें शीर्षस्थ, पाश्र्वीय (कॅबियम) तथा अंतर्विष्ट भागों में वर्गीकृत किया जाता है।
• इन ऊतकों की कोशिकाएँ अत्यधिक क्रियाशील होती हैं, उनके पास बहुत अधिक कोशिकाद्रव्य, पतली कोशिका भित्ति और स्पष्ट केंद्रक होते हैं। उनके पास रसधानी नहीं होती है। अतः कथन (1) गलत है।
• विभज्योतक की वृद्धि और परिपक्वता के साथ इसके गुणों में परिवर्तन . होता है। धीरे-धीरे ये अपनी विभाजित होने की शक्ति खो देती हैं जिसके फलस्वरूप स्थायी ऊतक का निर्माण करती हैं। स्थायी ऊतक दो प्रकार के होते हैं-सरल स्थायी ऊतक तथा जटिल स्थायी ऊतक ।
4. पौधों के तनों की परिधि में वृद्धि निम्नलिखित में से किसके कारण होती है?
(a) शीर्षस्थ विभज्योतक (Apical meristem)
(b) पार्श्व विभज्योतक (lateral meristem) अथवा कबियम
(c) अंतर्विष्ट विभज्योतक (Intercalary meristem)
(d) इनमें से किसी के कारण नहीं।
उत्तर : (b)
व्याख्या: प्ररोह (Stems) के शीर्षस्थ विभज्योतक जड़ों एवं तनों की वृद्धि वाले भाग में विद्यमान रहता है तथा वह इनकी लम्बाई में वृद्धि करता है।
• तने की परिधि या मूल में वृद्धि पार्श्व विभज्योतक (कैबियम) के कारण होती है।
• अंतर्विष्ट विभज्योतक पत्तियों के आधार में या टहनी के पर्व (Internodes) के दोनों ओर उपस्थित होते हैं।
5. पादपों के स्थायी ऊतकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. सरल स्थायी ऊतक एक ही प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं।
2. जटिल स्थायी ऊतकों का निर्माण एक से अधिक प्रकार की कोशिकाओं के मिलने से होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या: उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• पादपों के ऐसे स्थायी ऊतक जिनका निर्माण एक ही प्रकार की कोशिकाओं के मिलने होता है, सरल स्थायी ऊतक (Simple Permanent Tissues) कहलाते हैं। ये एक ही तरह दिखते हैं।
• जटिल स्थायी ऊतक (Complex Permanent Tissues) एक से अधिक प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं और ये सभी एक साथ मिलकर एक इकाई की तरह कार्य करते हैं।
6. निम्नलिखित पर विचार कीजिये-
1. ज़ाइलम
2. पैरेन्काइमा
3. कॉलेन्काइमा
4. स्क्लेरेन्काइमा
5. एपीडर्मिस
उपर्युक्त में से कौन-से पादपों के सरल स्थायी ऊतक के प्रकार हैं?
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1, 2, 3 और 4
(c) केवल 2, 3, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5
उत्तर : (c)
व्याख्या: पैरेन्काइमा, कॉलेन्काइमा, स्क्लेरेन्काइमा तथा एपीडर्मिस पादप के सरल स्थायी ऊतक के प्रकार हैं। जाइलम तथा फ्लोएम पादप के जटिल स्थायी ऊतक के प्रकार हैं।
7. पैरेन्काइमा के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. पैरेन्काइमा ऊतक भोजन का भंडारण करते हैं।
2. क्लोरेन्काइमा ऊतक पौधों को तैरने के लिये उत्प्लावन बल प्रदान करते हैं।
3. ऐरेन्काइमा ऊतक प्रकाश संश्लेषण के लिये उत्तरदायी ऊतक हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा / से सही नहीं है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (c)
व्याख्या: पादपों में उपस्थित सरल स्थायी ऊतकों के अंतर्गत आने वाले पैरेन्काइमा ऊतक पादपों की आधारीय पैकिंग को निर्मित करते हैं। ये ऊतक कोशिका की कुछ परतों के रूप में होते हैं। ये कोशिकाएँ जीवित होती हैं। पैरेन्काइमा (मुख्यतः तनों और जड़ों के) पोषण करने वाले पदार्थों, जल तथा भोजन का संग्रहण करते हैं।
• कुछ पैरेन्काइमा ऊतकों में क्लोरोफिल पाया जाता है, जिसके कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया संपन्न होती है। ऐसे पैरेन्काइमा को क्लोरेन्काइमा (हरित ऊतक) कहा जाता है। अतः कथन (2) गलत है।
• ऐरेन्काइमा की कोशिकाओं के मध्य हवा की बड़ी गुहिकाएँ होती हैं, जो पौधों को तैरने के लिये उत्प्लावन बल प्रदान करती हैं। अतः कथन (3) भी गलत है।
8. पौधों में सरल स्थायी ऊतक के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये –
1. पौधों में लचीलापन स्क्लेरेन्काइमा के कारण होता है।
2. कॉलेन्काइमा पौधों की कठोरता के लिये उत्तरादायी ऊतक है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/है?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन गलत हैं।
• पौधों में लचीलेपन का गुण एक सरल स्थायी ऊतक ‘कॉलेन्काइमा ‘ के कारण होता है। यह पौधों के विभिन्न भागों में (पत्ती, तना) में बिना टूटे हुए लचीलापन लाता है। यह पौधों को यांत्रिक सहायता भी प्रदान करता है।
• स्क्लेरेन्काइमा ऊतक पौधों को कठोर और मज़बूत बनाता है। नारियल के छिलके इन्हीं ऊतकों से बने होते हैं। इस ऊतक की कोशिकाएँ मृत होती हैं। लंबी और पतली होती हैं। इस ऊतक की भित्ति लिग्निन (लिग्निन कोशिकाओं को दृढ़ बनाने के लिये सीमेंट का कार्य करने वाला एक रासायनिक पदार्थ है) के कारण मोटी होती है, क्योंकि एपीडर्मल कोशिकाओं का उत्तरदायित्व रक्षा करने का है, अतः इसकी कोशिकाएँ बिना किसी अंतर्कोशिकीय स्थान के अछिन्न परत बनाती हैं।
9. स्टोमेटा के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. ये रक्षी कोशिकाओं से घिरे होते हैं।
2. ये वायुमंडल से गैसों का आदान-प्रदान करते हैं, परंतु वाष्पोत्सर्जन की क्रिया में भाग नहीं लेते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (a)
व्याख्या : स्टोमेटा सामान्यतः पौधों की एपीडर्मिस में उपस्थित होते हैं। इन्हें दो वृक्क (Kidney) के आकार की कोशिकाएँ घेरे रहती हैं, जिन्हें रक्षी कोशिकाएँ कहते हैं। अतः कथन ( 1 ) सही है।
• ये कोशिकाएँ वायुमंडल से गैसों का आदान-प्रदान करने के लिये आवश्यक हैं। वाष्पोत्सर्जन की क्रिया भी स्टोमेटा के द्वारा होती है। अतः कथन (2) गलत है।
10. निम्नलिखित विशेषताओं पर विचार कीजिये-
1. यह पौधों की बाह्य सतह पर प्रायः एक मोम जैसी जल प्रतिरोधी परत बनाती है।
2. यह पौधों की सबसे बाहरी परत है।
3. यह पौधों के सभी भागों की रक्षा करती है।
उपर्युक्त विशेषताएँ निम्नलिखित में से किस कोशिका समूह की हैं?
(a) स्क्लेरेन्काइमा
(b) एपीडर्मिस
(c) पैरेन्काइमा
(d) इनमें से किसी की नहीं
उत्तर : (b)
व्याख्या: एपीडर्मिस पौधों की सबसे बाहरी परत है, जिससे पौधे की पूरी सतह ढँकी होती है।
• यह पौधों के सभी भागों की रक्षा करती है। मरुस्थलीय या शुष्क स्थानों पर मिलने वाले पौधों में यह मोटी हो सकती है।
• यह कोशिका पौधों के बाह्य स्तर पर प्रायः एक मोम जैसी जल प्रतिरोधी परत बनाती है। यह मोम जैसी परत क्यूटिन ( एक जल अवरोधक रासायनिक पदार्थ) का लेप होता है। यह जलहानि, यांत्रिक आघात तथा परजीवी कवक के प्रवेश से पौधों की रक्षा करती है।
11. पौधों और वृक्षों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. जड़ों की एपीडर्मल कोशिकाएँ पानी को सोखने का कार्य करती हैं।
2. वृक्षों की छाल हवा एवं पानी के लिये अभेद्य ( Impervious ) होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो । और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• जड़ों की एपीडर्मल कोशिकाएँ पानी को सोखने का कार्य करती हैं। साधारणतः उनमें बाल जैसे प्रवर्ध होते हैं, जिससे जड़ों की कुल अवशोषक सतह बढ़ जाती है तथा उनकी पानी सोखने की क्षमता में वृद्धि होती है।
• जैसे-जैसे वृक्ष की आयु बढ़ती है, उसके बाह्य सुरक्षात्मक ऊतकों में कुछ परिवर्तन होता है। एक दूसरे विभज्योतक की पट्टी तने के एपीडर्मिस का स्थान ले लेती है। बाहरी सतह की कोशिकाएँ इस सतह से अलग हो जाती हैं। ये पौधों पर बहुत परतों वाली मोटी छाल का निर्माण करती हैं। इन छालों की कोशिकाएँ मृत होती हैं, ये बिना अंतः कोशिकीय स्थानों के व्यस्थित होती हैं। इनकी भित्ति पर सुबेरिन (Suberin) नामक रसायन होता है जो इन छालों को हवा एवं पानी के लिये अभेद्य बनाता है।
12. जाइलम और फ्लोएम के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. जाइलम पानी और खनिज लवण का संवहन करते हैं।
2. फ्लोएम पत्तियों से भोजन को पौधों के विभिन्न भागों तक पहुँचाता है।
3. जाइलम, फ्लोएम के विपरीत पदार्थों को कोशिकाओं में दोनों दिशाओं में गति करा सकते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा / से सही नहीं है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) केवल 1 और 3
उत्तर : (c)
व्याख्या : जाइलम तथा फ्लोएम जटिल स्थायी ऊतक हैं। ये मिलकर संवहन बंडल (Vascular Bundle) का निर्माण करते हैं।
• जाइलम ट्रैकीड् (Tracheids), वाहिका (Vessels), जाइलम पैरेन्काइमा और जाइलम फाइबर (रेशे) से मिलकर बना होता है। इन कोशिकाओं की भित्ति मोटी तथा अधिकतर कोशिकाएँ मृत होती हैं। जाइलम में ट्रैक और वाहिकाओं के कारण पानी और खनिज लवण का उर्ध्वाधर संवहन होता है। पैरेन्काइमा भोजन संग्रहण करता है और यह किनारे की ओर पानी के पाश्र्वय संवहन में मदद करता है। फाइबर मुख्यतः सहारा देने का कार्य करते हैं। अतः कथन (1) सही है।
• फ्लोएम चार प्रकार के अवयवों- चालनी नालिका (Sieve tubes), साथी कोशिकाएँ (Companion Cells), फ्लोएम पैरेन्काइमा तथा फ्लोएम फाइबर से मिलकर बना होता है। फ्लोएम पत्तियों से भोजन को पौधे विभिन्न भागों तक पहुँचाता है। फ्लोएम फाइबर को छोड़कर, फ्लोएम कोशिकाएँ जीवित कोशिकाएँ हैं। अतः कथन (2) भी सही है।
• फ्लोएम, जाइलम के विपरीत, पदार्थों को कोशिकाओं में दोनों दिशाओं में गति करा सकते हैं। अतः कथन (3) गलत है।
13. निम्नलिखित पर विचार कीजिये-
1. एपिथीलियमी ऊतक
2. पेशीय ऊतक
3. संयोजी ऊतक
4. तंत्रिका ऊतक
उपर्युक्त ऊतकों में से कौन-से जंतु ऊतकों के प्रकार हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त सभी जंतु ऊतकों के प्रकार हैं।
14. विभिन्न जंतु ऊतकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. एपिथीलियमी ऊतक जंतु के शरीर को ढँकने या बाह्य रक्षा प्रदान करने का कार्य करते हैं।
2. संयोजी ऊतक की कोशिकाएँ आपस में जुड़ी रहती हैं।
3. पेशीय ऊतक लम्बी कोशिकाओं का बना होता है।
4. तंत्रिका ऊतक न्यूरॉन का बना होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से कथन सही हैं?
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
• जंतु के शरीर को ढँकने या बाह्य रक्षा प्रदान करने वाले ऊतक एपिथीलियमी ऊतक कहलाते हैं। आकृति और कार्य के आधार पर एपिथीलियमी ऊतक को शल्की, घनाकार, स्तम्भाकार, रोमीय तथा ग्रंथिल श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है।
• संयोजी ऊतक की कोशिकाएँ आपस में जुड़ी रहती हैं और अंतरकोशिकीय आधात्री (Matrix ) में धँसी होती हैं। हमारे शरीर में विद्यमान संयोजी ऊतकों के विभिन्न प्रकार हैं- एरिओलर ऊतक, एडीपोज ( वसामय) ऊतक, अस्थि, कंडरा, स्नायु, उपास्थि तथा रक्त ।
• पेशीय ऊतक लंबी कोशिकाओं का बना होता है। पेशियों में गति उनमें पाए जाने वाले विशेष प्रकार की प्रोटीन (सिकुड़ने वाली प्रोटीन – Contractile Protein) के कारण होती है। पेशीय ऊतक के तीन प्रकार होते हैं- रेखित, अरेखित और कार्डियक (हृदय पेशी ) ।
• तंत्रिका ऊतक न्यूरॉन का बना होता है जो संवेदना को प्राप्त और संचालित करता है। मस्तिष्क, मेरुरज्जु तथा तंत्रिकाएँ (Nerves) सभी तंत्रिका ऊतकों की बनी होती हैं।
• तंत्रिका तथा पेशीय ऊतकों का कार्यात्मक संयोजन प्रायः सभी जीवों में मौलिक है। साथ ही, यह संयोजन उत्तेजना के अनुसार जंतुओं को तेज़ गति प्रदान करता है।
15. रक्त के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. रक्त एक संयोजी ऊतक है।
2. लाल रुधिर कोशिकाएँ, श्वेत रक्त कोशिकाएँ तथा प्लेटलेट्स को संयुक्त रूप से प्लाज़्मा कहा जाता है।
3. प्लाज़्मा में प्रोटीन, नमक तथा हार्मोन उपस्थित होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है / हैं ?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (b)
व्याख्या: कथन (1) सही है। रक्त एक संयोजी ऊतक है।
• रक्त के तरल आधात्री (Matrix ) भाग को प्लाज़्मा कहते हैं। जिसमें लाल रक्त कोशिकाएँ, श्वेत रक्त कोशिकाएँ तथा प्लेटलेट्स निलंबित (Suspended) होते हैं। अतः कथन (2) गलत है।
• प्लाज़्मा में प्रोटीन, नमक तथा हॉर्मोन भी होते हैं। अतः कथन (3) सही है।

7. जीवों में विविधता

1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. केंद्रकयुक्त कोशिकाओं में बहुकोशिक जीव के निर्माण की क्षमता होती है।
2. ऐसी कोशिकाएँ श्रम विभाजन सिद्धांत के विपरीत कार्य करती हैं, जो एक साथ समूह बनाकर किसी जीव का निर्माण करती हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (a)
व्याख्या: केंद्रकयुक्त कोशिकाओं में बहुकोशिक जीव के निर्माण की क्षमता होती है, क्योंकि वे किन्हीं खास कार्यों के लिये विशिष्टीकृत हो | सकते हैं। अतः कथन (1) सही है।
• जो कोशिकाएँ एक साथ समूह बनाकर किसी जीव का निर्माण करती हैं, उनमें श्रम विभाजन पाया जाता है तथा वे उसी के अनुरूप कार्य करती हैं। शारीरिक रचना में ये सभी कोशिकाएँ एक समान नहीं होती हैं, बल्कि कोशिकाओं के समूह कुछ खास कार्यों के लिये विशिष्टीकृत हो जाते हैं। अतः कथन (2) गलत है।
2. पृथ्वी पर कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच के क्षेत्र में एक गर्मी और नमी वाला भाग है। निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा इस भाग की सबसे सही व्याख्या है?
(a) यहाँ पौधों और जंतुओं में अत्यधिक विविधता पाई जाती है।
(b) यहाँ मरुस्थलीय जलवायु पाई जाती है।
(c) यह वर्षा और चक्रवात रहित क्षेत्र है।
(d) यह क्षेत्र सदाबहार वनों के लिये प्रतिकूल है।
उत्तर : (a)
व्याख्या: पृथ्वी पर कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच के क्षेत्र में जो गर्मी और नमी वाला भाग है, वहाँ पौधों और जंतुओं में काफी विविधता पाई जाती है। अतः यह क्षेत्र मेगाडाइवर्सिटी क्षेत्र कहलाता है।
• पृथ्वी पर जैव विविधता का आधे से अधिक भाग कुछ एक देशों, जैसे- ब्राज़ील, कोलंबिया, इक्वाडोर, पेरू, मेक्सिको, जायरे, मेडागास्कर, ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया और मलेशिया में केंद्रित है।
3. निम्नलिखित में से कौन जैव विकास की अवधारणा से संबंधित है ?
(a) अर्न्सट हेकेल
(b) चार्ल्स डार्विन
(c) राबर्ट व्हिटेकर
(d) कार्ल वोस
उत्तर : (b)
व्याख्या : चार्ल्स डार्विन ने 1859 में अपनी पुस्तक ‘दि ओरिजिन ऑफ स्पीशीज’ में जैव विकास की अवधारणा को प्रस्तुत किया था।
• अर्न्सट हेकेल, राबर्ट व्हिटेकर और कार्ल वोस ने सारे सजीवों को जगत (Kingdom) नामक बड़े वर्गों में विभाजित करने का प्रयास किया था।
4. जीवों को पाँच जगत (Kingdom) में वर्गीकृत किया गया है। निम्नलिखित में से कौन इसमें सम्मिलित हैं?
1. मोनेरा
2. प्रोटिस्टा
3. कवक
4. प्लांटी
5. ऐनिमेलिया
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 3, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5
उत्तर : (d)
व्याख्या : जीवों का वर्गीकरण उनके विकास से संबंधित है | व्हिटेकर द्वारा प्रस्तावित वर्गीकरण में जीवों के पाँच जगत हैं- मोनेरा, प्रोटिस्टा, फंजाई (कवक), प्लांटी और ऐनिमेलिया । ये समूह निम्नलिखित विशेषताओं को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं-
♦ कोशिकीय संरचनाः प्रोकैरियोटी अथवा यूकैरियोटी |
♦ जीव का शरीर एककोशिक अथवा बहुकोशिक है। इसमें बहुकोशिक जीवों की संरचना जटिल होती है।
♦ कोशिका भित्ति की उपस्थिति तथा स्वपोषण की क्षमता |
• कार्ल वोस ने अपने वर्गीकरण में मोनेरा जगत को आर्कीबैक्टीरिया और यूबैक्टीरिया में बाँट दिया।
• पुनः विभिन्न स्तरों पर जीवों को उपसमूहों में वर्गीकृत किया गया है, जैसे-
♦ जगत ( किंगडम) – फाइलम (जंतु) / डिवीज़न (पादप)
♦ वर्ग (क्लास)
♦ गण (ऑर्डर)
♦ कुल (फैमिली)
♦ वंश (जीनस)
♦ जाति (स्पीशीज़)
• इस प्रकार वर्गीकरण की आधारभूत इकाई जाति (स्पीशीज़) है।
5. मोनेरा जगत (Kingdom) के जीवों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. इस जगत के सभी जीवों में कोशिका भित्ति उपस्थित होती है।
2. नील – हरित शैवाल इस जगत का उदाहरण है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (b)
व्याख्या : मोनेरा जगत के जीवों में से कुछ में कोशिका भित्ति पाई जाती है तथा कुछ में नहीं। कोशिका भित्ति के न होने के कारण मोनेरा वर्ग के जीवों की शारीरिक संरचना में आए परिवर्तन तुलनात्मक रूप से बहुकोशिक जीवों में कोशिका भित्ति के होने या न होने के कारण आए परिवर्तनों से भिन्न होते हैं। अतः कथन (1) गलत है।
• इन जीवों में न संगठित केंद्रक और कोशिकांग होते हैं और न ही उनके शरीर बहुकोशिक होते हैं।
• पोषण के स्तर पर ये स्वपोषी अथवा विषमपोषी दोनों हो सकते हैं।
• जीवाणु, नील हरित शैवाल अथवा साइनोबैक्टीरिया तथा माइकोप्लाज्मा इस जगत के जीवों के कुछ उदाहरण हैं। अतः कथन (2) सही है।
6. अमीबा और प्रोटोजोआ निम्नलिखित में से किस जगत के अंतर्गत आते हैं?
(a) प्रोटिस्टा
(b) मोनेरा
(c) प्लांटी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (a)
व्याख्या : एककोशिक शैवाल, डायटम और प्रोटोजोआ इत्यादि प्रोटिस्टा जगत के जीवों के कुछ उदाहरण हैं।
• अमीबा, पैरामिशयम और युग्लीना इत्यादि प्रोटिस्टा जगत के अंतर्गत आने वाले प्रोटोजोआ वर्ग के प्रमुख जीव हैं।
• प्रोटिस्टा जगत में एककोशिक, यूकैरियोटी जीव आते हैं। इस वर्ग के कुछ जीवों में गमन के लिये सीलिया, फ्लैजेला नामक संरचनाएँ पाई जाती हैं। ये स्वपोषी और विषमपोषी दोनों हो सकते हैं।
7. फंजाई (कवक) जगत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. इस जगत के जीव मृतजीवी होते हैं।
2. इस जगत की कुछ प्रजातियाँ साइनोबैक्टीरिया के साथ सहजीवी संबंध दर्शाती हैं।
3. फंजाई में उपस्थित कोशिका भित्ति काइटिन की बनी होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
• फंजाई विषमपोषी (Heterotrophic) यूकैरियोटी जीव हैं। ये पोषण के लिये सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों पर निर्भर रहते हैं, इसलिये इन्हें मृतजीवी कहा जाता है। इनमें कई अपने जीवन की विशेष अवस्था में बहुकोशिक क्षमता प्राप्त कर लेते हैं।
• कवकों की कुछ प्रजातियाँ नील हरित शैवाल (साइनोबैक्टीरिया) के साथ स्थायी अंतसंबंध बनाती हैं, जिसे सहजीविता कहते हैं। ऐसे सहजीवी जीवों को लाइकेन कहा जाता है। ये लाइकेन अक्सर पेड़ों की छालों पर रंगीन धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं।
• फंजाई में काइटिन नामक जटिल शर्करा की बनी हुई कोशिका भित्ति पाई जाती है।
• यीस्ट, मशरूम, एस्पर्जिलस, पेनिसिलियम तथा एगेरिकस फंजाई जगत के कुछ उदाहरण हैं।
8. प्लांटी और ऐनिमेलिया जगत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. प्लांटी वर्ग में ऐसे बहुकोशिक यूकैरियोटी जीव आते हैं, जिनमें कोशिका भित्ति अनुपस्थित होती है।
2. ऐनिमेलिया वर्ग में ऐसे बहुकोशिक यूकैरियोटी जीव आते हैं, जो विषमपोषी होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (b)
9. प्लांटी जगत को शारीरिक जटिलता के आधार पर पाँच वर्गों में बाँटा गया है। निम्नलिखित में से कौन-से इस वर्ग में सम्मिलित नहीं हैं?
1. थैलोफाइटा
2. जिम्नोस्पर्म
3. मोलस्का
4. पोरीफेरा
5. निमेटोडा
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये ।
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 3, 4 और 5
(d) केवल 1, 2 और 5
उत्तर : (c)
व्याख्या : प्लांटी और ऐनिमेलिया को उनकी क्रमिक शारीरिक जटिलता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।
• पौधों को पाँच वर्गों में बाँटा गया है- थैलोफाइटा शैवाल, ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइटा, जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म |
• जंतुओं (ऐनिमेलिया) को 10 फ़ाइलम में बाँटा गया है- पोरीफेरा, सीलेंटरेटा, प्लेटीहेल्मिन्थीज, निमेटोडा, एनीलिडा, आर्थ्रोपोडा, मोलस्का. इकाइनोडर्मेटा, प्रोटोकॉर्डेटा और वर्टीब्रेटा ।
10. प्लांटी जगत के विभिन्न वर्गों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. थैलोफाइटा वर्ग के पौधे मुख्यतः जल में पाए जाते हैं।
2. ब्रायोफाइटा वर्ग के पौधों को पादप वर्ग का उभयचर कहा जाता है।
3. टेरिडोफाइटा में संवहन ऊतक उपस्थित होते हैं।
4. थैलोफाइटा, ब्रायोफाइटा तथा टेरिडोफाइटा तीनों में बीज उत्पन्न करने की क्षमता नहीं होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं ?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
• थैलोफाइटा वर्ग के पौधों की शारीरिक संरचना में विभेदीकरण नहीं पाया जाता है। इस वर्ग के पौधों को सामान्यतः शैवाल कहा जाता है। ये मुख्य रूप से जल में पाए जाते हैं। यूलोथिक्स, स्पाइरोगाइरा, अल्वा, क्लैडोफोरा तथा कारा इस वर्ग के पादपों के उदाहरण हैं ।
• ब्रायोफाइटा वर्ग के पादप वर्ग को उभयचर कहा जाता है। यह पादप, तना और पत्तों जैसी संरचना में विभाजित होता है। इसमें संवहन ऊतक नहीं होते हैं। मॉस (फ्यूनेरिया), मार्केशिया तथा रिक्सिया इस वर्ग के पादपों के कुछ उदाहरण हैं।
• टेरिडोफाइटा वर्ग के पौधों का शरीर जड़, तना तथा पत्ती में विभाजित होता है। इसमें जल तथा अन्य पदार्थों के संवहन के लिये संवहन ऊतक उपस्थित होते हैं। मार्सीलिया, फर्न और हॉर्स-टेल इस वर्ग के पादपों के उदाहरण हैं।
• थैलोफाइटा, ब्रायोफाइटा और टेरिडोफाइटा में नग्न भ्रूण (Embryos) पाए जाते हैं, जिन्हें बीजाणु (Spore) कहते हैं। इन तीनों समूहों के पादपों में जननांग (Reproductive Organs) अप्रत्यक्ष होते हैं। अतः ये क्रिप्टोगैम कहलाते हैं।
11. फैनरोगैम पौधों को जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म दो वर्गों में विभाजित किया जाता है। इन वर्गों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. जिम्नोस्पर्म फल के अन्दर (बंद) बीज उत्पन्न करने वाले पौधों का वर्ग है।
2. एंजियोस्पर्म वर्ग के सभी पौधों में पुष्प लगते हैं।
3. जिम्नोस्पर्म वर्ग के पौधे एकबीजपत्री (Monocots), जबकि एंजियोस्पर्म वर्ग के पौधे द्विबीजपत्री (Dicots) होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही नहीं है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (c)
व्याख्या: क्रिप्टोगैम के विपरीत वे पौधे जिनमें जनन ऊतक पूर्ण विकसित एवं विभेदित होते हैं तथा जनन प्रक्रिया के पश्चात् बीज उत्पन्न करते हैं, फैनरोगैम कहलाते हैं।
• इनमें बीज के अंदर भ्रूण के साथ खाद्य पदार्थ (भोजन) संचित होता है, जिसका उपयोग भ्रूण के प्रारंभिक विकास एवं अंकुरण के समय होता है। बीज की अवस्था के आधार पर फैनरोगैम को जिम्नोस्पर्म (अनावृतबीजी) तथा एजियोस्पर्म (आवृतबीजी) वर्गों में विभाजित किया जाता है।
• जिम्नोस्पर्म नग्न ( खुले) बीज उत्पन्न करने वाले पौधे हैं। अतः इन्हें नग्नबीजी पौधे भी कहा जाता है। ये बहुवर्षी सदाबहार तथा काष्ठीय होते हैं, उदाहरणार्थ- पाइनस तथा साइकस । अतः कथन (1) गलत है।
• एजियोस्पर्म फल के अंदर (बंद) बीज उत्पन्न करने वाले पौधों का वर्ग है। इनके बीजों का विकास अंडाशय के अंदर होता है, जो बाद में फल बन जाता है। इस उपवर्ग के पौधों के सभी सदस्यों में पुष्प लगते हैं, इसलिये इन्हें पुष्पी पादप भी कहा जाता है। अतः कथन (2) सही है।
• एंजियोस्पर्म में पौधों के अंकुरण के समय निकलने वाले बीजपत्रों के आधार पर इन्हें दो वर्गों- एकबीजपत्री तथा द्विबीजपत्री में बाँटा गया है । एकबीजपत्री में एक बीजपत्र तथा द्विबीजपत्री में दो बीजपत्र होते हैं। अतः कथन ( 3 ) गलत है।
12. प्रोटोकॉर्डेटा तथा वर्टीब्रेटा फाइलम के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. नोटोकॉर्ड प्रोटोकॉर्डेटा वर्ग के जंतुओं का एक लक्षण है।
2. वास्तविक मेरुदंड की उपस्थित वर्टीब्रेटा जंतुओं का एक लक्षण है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
13. निम्नलिखित में से कौन-से वर्टीब्रेटा (कशेरुकी) फ़ाइलम के हिस्से हैं?
1. मत्स्य (Pisces)
2. जल-स्थलचर (Amphibia)
3. सरीसृप ( Reptilia )
4. पक्षी (Aves)
5. स्तनपायी (Mammalia)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 3, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5
उत्तर : (d)
व्याख्या: वर्टीब्रेटा (कशेरुकी) वर्ग को पुन 5 वर्गों में विभाजित किया गया है। इसमें मत्स्य, जल-स्थलचर, सरीसृप, पक्षी तथा स्तनपायी सम्मिलित हैं।
14. निम्नलिखित पर विचार कीजिये –
1. ये अंडे देने वाले जंतु हैं।
2. ये असमतापी (Cold-blooded) होते हैं।
3. इनका हृदय त्रिकक्षीय (Chambered ) होता है ।
उपर्युक्त विशेषताओं में से कौन-सी विशेषता/विशेषताएँ मत्स्य, जल-स्थलचर (उभयचर ) तथा सरीसृप वर्गों में समान रूप से नहीं पाई जाती है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (c)
व्याख्या : मत्स्य, उभयचर तथा सरीसृप तीनों वर्टीब्रेटा के वर्गीकरण का हिस्सा हैं।
• मत्स्य वर्ग में मछलियाँ आती हैं। ये असमतापी होती हैं, अंडे देती हैं तथा इनमें कंकाल उपस्थित होता है। कुछ मछलियों, जैसे- शार्क का कंकाल केवल उपास्थि का बना होता है, परंतु अन्य प्रकार की मछलियों में कंकाल अस्थि का बना होता है। इनका हृदय द्विकक्षीय होता है।
• जल-स्थलचर (उभयचर) में मछलियों के विपरीत शल्क नहीं पाए जाते। इनकी त्वचा में श्लेष्म ग्रंथियाँ पाई जाती हैं। ये अंडे देते हैं तथा असमतापी होते हैं। इनमें बाह्य कंकाल नहीं होता। ये जल तथा स्थल दोनों पर रह सकते हैं। इनमें श्वसन के लिये क्लोम और फेफड़े होते हैं। इनमें वृक्क भी पाया जाता है। इनका हृदय त्रिकक्षीय होता है।
• सरीसृपों का शरीर शल्कों द्वारा ढका होता है। ये असमतापी हैं अंडे देते हैं। इनमें श्वसन फेफड़ों द्वारा होता है। इनका हृदय सामान्यतः त्रिकोणीय होता है, लेकिन मगरमच्छ का हृदय चारकक्षीय होता है।
15. पक्षी और स्तनपायी जंतुओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये –
1. ये दोनों समतापी (Warm-blooded) जीव हैं।
2. इनमें चारकक्षीय हृदय पाया जाता है।
3. इनमें श्वसन के लिये फेफड़े होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या: उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
• पक्षी और स्तनपायी दोनों वर्टीब्रेटा वर्ग के अंतर्गत आते हैं।
• पक्षी समतापी हैं। इनका हृदय चार कक्षीय होता है। इनके दो जोड़ी पैर होते हैं। इनमें आगे वाले दो पैर उड़ने के लिये पंखों में परिवर्तित हो जाते हैं। शरीर परों से ढका होता है। श्वसन फेफड़ों से होता है। इस वर्ग में सभी पक्षियों को रखा गया है।
• स्तनपायी भी समतापी प्राणी हैं। इनका हृदय चारकक्षीय होता है। इस वर्ग के सभी जंतुओं में नवजात के पोषण के लिये दुग्ध ग्रंथियाँ पाई जाती हैं। इनकी त्वचा पर बाल, स्वेद और तेल ग्रंथियाँ होती हैं। ये शिशुओं को जन्म देते हैं, हालाँकि इकिड्ना और प्लेटिपस (डक बिल्ड प्लेटिपस) जैसे कुछ जंतु अपवाद स्वरूप अंडे भी देते हैं। कंगारू जैसे कुछ स्तनपायी में अविकसित बच्चे मार्सपियम नामक थैली में तब तक लटके रहते हैं जब तक कि उनका पूर्ण विकास नहीं हो जाता है। चमगादड़, बिल्ली और चूहा भी इसी वर्ग में आते हैं।
16. जीवों के वैज्ञानिक नाम पद्धति के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. इस वैज्ञानिक नाम पद्धति को सबसे पहले केरोलस लीनियस द्वारा शुरू किया गया था।
2. इसके अंतर्गत नाम देने के लिये केवल जीनस एवं स्पीशीज (प्रजाति) को ही ध्यान रखा जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
17. निम्नलिखित में से कौन-सा उभयचर नहीं है?
(a) मेंढक
(b) टोड
(c) सैलामेंडर
(d) समुद्र घोड़ा ( हिप्पोकैम्पस)
उत्तर : (d)
व्याख्या : मेंढक, टोड, सैलामेंडर, हाइला ( वृक्ष मेंढक ) उभयचर के उदाहरण हैं, जबकि समुद्री घोड़ा ( हिप्पोकैम्पस) मत्स्य वर्ग का जंतु है ।
18. निम्नलिखित में से कौन-सा सरीसृप वर्ग का जंतु नहीं है?
(a) कछुआ
(b) ऑस्ट्रिच
(c) उड़न छिपकली
(d) किंग कोबरा
उत्तर : (b)
व्याख्या: कछुआ, उड़न छिपकली, घरेलू छिपकली, किंग कोबरा (सर्प) तथा कैमेलियॉन सरीसृप हैं, जबकि ऑस्ट्रिच, सफेद स्टोर्क तथा नर गुच्छेदार बत्तख पक्षी वर्ग के अंतर्गत आते हैं।
19. निम्नलिखित में से कौन-सा जंतु स्तनपायी नहीं है?
(a) सील
(b) हवेल
(c) मगरमच्छ
(d) डॉल्फिन
उत्तर : (c)
व्याख्या : सील, हवेल तथा डॉल्फिन स्तनपायी वर्ग के हैं, जबकि मगरमच्छ सरीसृप वर्ग में आता है।

8. गति

1. किसी निश्चित बिंदु के सापेक्ष वस्तु की स्थिति में परिवर्तन एक गति है। इस परिवर्तन की व्याख्या निम्नलिखित में से किस/किन रूप/रूपों में की जा सकती है?
(a) तय की गई दूरी
(b) विस्थापन
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर : (c)
व्याख्या : स्थिति में परिवर्तन एक गति है, इसकी व्याख्या तय की गई दूरी या विस्थापन के रूप में की जा सकती है। एक वस्तु की गति का समान या असमान होना उस वस्तु के वेग पर निर्भर करता है जो कि नियत है या बदल रहा है।
• किसी वस्तु की प्रारंभिक व अंतिम स्थिति के बीच की न्यूनतम दूरी को वस्तु का विस्थापन कहते हैं।
2. चाल और वेग के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. प्रति इकाई समय में वस्तु के द्वारा तय की गई दूरी उसकी चाल है और प्रति इकाई समय में हुआ विस्थापन उसका वेग है।
2. वेग वस्तु की चाल के साथ-साथ उसकी दिशा को भी व्यक्त करता है।
3. चाल और वेग दोनों का मात्रक मीटर प्रति वर्ग सेकंड (ms-2) होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (a)
व्याख्या: प्रति इकाई समय में वस्तु के द्वारा तय की गई दूरी उसकी चाल है और प्रति इकाई समय में हुआ विस्थापन उसका वेग है। अतः कथन (1) सही है।
• वेग वस्तु की चाल के साथ-साथ उसकी दिशा को भी व्यक्त करता है। अतः कथन (2) भी सही है।
• चाल और वेग दोनों का मात्रक मीटर प्रति सेकेंड (ms -1 ) होता है। अतः कथन (3) गलत है।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. किसी वस्तु के वेग में प्रति इकाई समय में होने वाला परिवर्तन उसका त्वरण होता है।
2. वृत्तीय पथ पर एक समान चाल से गतिमान किसी वस्तु की गति उसकी एकसमान वृत्तीय गति होती है ।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• किसी वस्तु का त्वरण प्रति इकाई समय में उसके वेग में होने वाला परिवर्तन है।
• अगर कोई वस्तु वृत्तीय पथ पर एकसमान चाल से चलती है, उसकी गति को एकसमान वृत्तीय गति कहा जाता है।
4. निम्नलिखित में से कौन एक त्वरण का मात्रक है?
(a) ms
(b) ms-1
(c) ms2
(d) ms-2
उत्तर : (d)
व्याख्या : त्वरण का मात्रक मीटर प्रति वर्ग सेकंड होता है। इसे ms-2 अथवा m/s2 के रूप में दर्शाते हैं।
5. स्वतंत्र रूप से गिर रही एक वस्तु की गति निम्नलिखित में से किसका उदाहरण है?
(a) एकसमान त्वरित गति
(b) एकसमान वेग
(c) एकसमान चाल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (a)
व्याख्या : यदि एक वस्तु सरल रेखा में चलती है और इसका वेग समान समयांतराल में समान रूप से घटता या बढ़ता है, तो वस्तु के त्वरण को एकसमान त्वरण कहा जाता है। स्वतंत्र रूप से गिर रही एक वस्तु की गति एकसमान त्वरित गति का उदाहरण है।
6. निम्नलिखित में से कौन-सा / से एकसमान वृत्तीय गति का/के उदाहरण है/हैं?
1. चंद्रमा एवं पृथ्वी की गति
2. पृथ्वी के चारों ओर वृत्तीय कक्षा में घूर्णन करता उपग्रह
3. वृत्तीय पथ पर नियत चाल से चलता हुआ साइकिल सवार
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये ।
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त सभी एकसमान वृत्तीय गति के उदाहरण हैं।

9. बल तथा गति के नियम

1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. वस्तुओं द्वारा अपनी गति की अवस्था में परिवर्तन का प्रतिरोध करने की प्रवृत्ति को घर्षण कहते हैं।
2. घर्षण बल सदैव वस्तु की गति का प्रतिरोध करता है।
3. सभी वस्तुओं का जड़त्व समान होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (b)
व्याख्या: कथन (1) गलत है, क्योंकि वस्तुओं द्वारा अपनी गति की अवस्था में परिवर्तन का प्रतिरोध करने की प्रवृत्ति को जड़त्व कहते हैं।
• घर्षण बल सदैव वस्तु की गति का प्रतिरोध करता है। अतः कथन (2) सही है।
• कथन (3) गलत है, क्योंकि भारी वस्तुओं का जड़त्व अधिक होता है। मात्रात्मक रूप से किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप है। इसका SI मात्रक किलोग्राम (kg) है।
2. न्यूटन के गति के तीनों नियमों के संदर्भ में निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये –
1. गति का प्रथम नियमः वस्तु अपनी विरामावस्था अथवा सरल रेखा पर एकसमान गति की अवस्था में तब तक बनी रहती है, जब तक उस पर कोई असंतुलित बल कार्य न करे।
2. गति का द्वितीय नियमः किसी वस्तु के संवेग परिवर्तन की दर वस्तु पर आरोपित असंतुलित बल के समानुपाती एवं बल की दिशा में होती है।
3. गति का तृतीय नियमः प्रत्येक क्रिया के समान एवं विपरीत प्रतिक्रिया होती है। ये दो विभिन्न वस्तुओं पर कार्य करती हैं।
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा / से सही सुमेलित है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त तीनों युग्म सही सुमेलित हैं।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. वस्तु का संवेग, उसके द्रव्यमान एवं वेग का गुणनफल होता है तथा इसकी दिशा वही होती है जो वस्तु के वेग की होती है।
2. दो वस्तुओं का कुल संवेग टकराने की प्रक्रिया में अपरिवर्तनीय या संरक्षित रहता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 दोनों
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या: उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• वस्तु का संवेग, उसके द्रव्यमान एवं वेग का गुणनफल होता है तथा इसकी दिशा वही होती है जो वस्तु के वेग की होती है।
• दो वस्तुओं के संवेग का योग टकराने के पहले और टकराने के बाद बराबर रहता है, जबकि उन पर कोई असंतुलित बल कार्य न कर रहा हो। इसे संवेग संरक्षण का नियम कहते हैं।
4. निम्नलिखित में से कौन-सा/से न्यूटन के द्वितीय नियम का / के उदाहरण है/हैं?
1. किसी मोटर गाड़ी में यात्रा करते समय ब्रेक लगाने पर शरीर का आगे की ओर चले जाना।
2. किसी तीव्र गति की कैरम की गोटी (या स्ट्राइकर) से टकराकर ढेरी के सबसे नीचे वाली गोटी का ही ढेरी से बाहर निकलना।
3. क्रिकेट के खेल में कैच लपकने के लिये क्षेत्ररक्षक का गेंद के साथ अपने हाथों को धीरे-धीरे पीछे की ओर खींचना ।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (c)
व्याख्या: कथन (1) और में (2) न्यूटन के प्रथम नियम का पालन होता है जिसे जड़त्व का नियम भी कहते हैं । अतः कथन ( 1 ) और (2) गलत हैं।
• कथन ( 3 ) में न्यूटन के द्वितीय नियम का पालन होता है। क्रिकेट के खेल में क्षेत्ररक्षक तेज़ गति से आ रही गेंद को लपकते समय हाथ को पीछे की ओर खींचता है जिससे गेंद के वेग को शून्य करने में अधिक समय लगता है। इस प्रकार गेंद में संवेग परिवर्तन की दर कम हो जाती है जिससे तेज़ गति से आ रही गेंद का प्रभाव हाथ पर कम पड़ता है।
5. निम्नलिखित में से किन पुस्तकों का संबंध गैलीलियो गैलिली से है?
1. द लिटिल बैलेंस
2. स्टारी मैसेंजर
3. डिस्कोर्स ऑन फ्लोटिंग बॉडीज
4. लेटर्स ऑन दि सनस्पॉट
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त सभी पुस्तकें गैलीलियो गैलिली द्वारा लिखित पुस्तकें हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने ‘डी मौट्’ नाम से निबंध श्रेणी भी लिखी थी। • गैलीलियो इटली के एक खगोलशास्त्री, दार्शनिक, गणितज्ञ के साथ-साथ कुशल शिल्पकार भी थे। उन्होंने विभिन्न दूरदर्शकों की श्रेणी (Series of Telescopes) विकसित करने के साथ-साथ प्रथम लोलक घड़ी की संरचना की थी।

10. गुरुत्वाकर्षण

1. पृथ्वी पर गिरती कोई वस्तु पृथ्वी की ओर आकर्षित होती है। गति के तीसरे नियम के अनुसार वस्तु भी पृथ्वी को आकर्षित करती है। परंतु हम पृथ्वी को वस्तु की ओर गति करते नहीं देख पाते। इस बात की व्याख्या निम्नलिखित में किससे की जा सकती है?
(a) गति का प्रथम नियम
(b) गति का द्वितीय नियम
(c) गति का तृतीय नियम
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (b)
व्याख्या : गति के तीसरे नियम के अनुसार वस्तु भी पृथ्वी को आकर्षित करती है लेकिन गति के दूसरे नियम के अनुसार किसी दिये हुए बल के लिये त्वरण वस्तु के द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात् द्रव्यमान जितना अधिक होगा बल उतना अधिक लगेगा। और पृथ्वी की अपेक्षा वस्तु का द्रव्यमान नगण्य है। इसलिये हम पृथ्वी को वस्तु की ओर गति करते नहीं देखते।
2. गुरुत्वाकर्षण बल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. यह नियम सभी पिंडों पर लागू होता है चाहे वे विश्व में कहीं भी हों।
2. गुरुत्वाकर्षण बल एक क्षीण बल है।
3. पृथ्वी द्वारा लगाया जाने वाला गुरुत्वाकर्षण बल गुरुत्व बल कहलाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा /से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
• गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार किन्हीं दो पिंडों के बीच आकर्षण बल उन दोनों के द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह नियम खगोलीय या पार्थिव, बड़ी या छोटी सभी वस्तुओं पर लागू होता है। इसलिये इसे सार्वत्रिक नियम कहते हैं।
• गुरुत्वाकर्षण बल एक क्षीण बल है जब तक कि बहुत अधिक द्रव्यमान वाले पिंड संबद्ध न हों।
• पृथ्वी द्वारा लगाए जाने वाले गुरुत्वाकर्षण बल को गुरुत्व बल कहते हैं।
3. कागज़ की एक शीट तथा एक पत्थर को एक साथ समान ऊँचाई से (पृथ्वी पर छोड़ने पर निम्नलिखित में से क्या होगा ?
(a) कागज़ के कम द्रव्यमान के कारण वह पत्थर के बाद ज़मीन पर पहुँचेगा।
(b) कागज़ पर लगने वाले घर्षण के कारण वह पत्थर के बाद ज़मीन पर पहुँचेगा।
(c) दोनों एक साथ ज़मीन पर पहुँचेंगे।
(d) पत्थर पर लगने वाले अधिक गुरुत्व के कारण वह कागज़ से पहले नीचे पहुँचेगा।
उत्तर : (b)
व्याख्या: पृथ्वी पर कागज़ की एक शीट तथा पत्थर को समान ऊँचाई से एक साथ छोड़ने पर कागज़ पत्थर के बाद ज़मीन पर पहुँचेगा। ऐसा वायु के प्रतिरोध के कारण होता है। गिरती हुई गतिशील वस्तुओं पर घर्षण के कारण वायु प्रतिरोध लगाती है। कागज़ पर लगने वाला वायु का प्रतिरोध पत्थर पर लगने वाले प्रतिरोध से अधिक होता है।
• मुक्त पतन में कोई वस्तु त्वरण का अनुभव करती है। किंतु वस्तु द्वारा अनुभव किया जाने वाला त्वरण (g) उसके द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है। अतः सभी वस्तुएँ खोखली या ठोस बड़ी या छोटी एक ही दर से नीचे गिरनी चाहिये । परंतु पृथ्वी पर वायु की उपस्थिति के कारण ऐसा संभव नहीं है।
4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. गुरुत्वीय बल पृथ्वी के केंद्र से दूरी बढ़ने पर बढ़ता है परंतु ध्रुवों से विषुवत् वृत्त की ओर घटता है।
2. किसी वस्तु का द्रव्यमान पृथ्वी पर या अन्य ग्रह पर भी उतना ही रहता है परंतु भार स्थान के साथ परिवर्तित हो सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (b)
व्याख्या: कथन (1) गलत है क्योंकि गुरुत्वीय बल पृथ्वी केंद्र से दूरी बढ़ने पर कम हो जाता है। यह पृथ्वी तल के विभिन्न स्थानों पर भी परिवर्तित होता है और इसका मान ध्रुवों से विषुवत् वृत्त की ओर घटता जाता है।
• किसी वस्तु का द्रव्यमान प्रत्येक स्थान पर चाहे पृथ्वी पर या किसी अन्य ग्रह पर उतना ही रहता है जबकि वस्तु का भार इसके स्थान पर निर्भर करता है जो परिवर्तित हो सकता है।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति अपकेंद्रीय बल के कारण होती है।
2. चंद्रमा का द्रव्यमान पृथ्वी की अपेक्षा कम है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (b)
6. चंद्रमा पर किसी वस्तु का भार पृथ्वी पर भार की तुलना में होगा –
(a) 6 गुना अधिक
(b) 1/6 वाँ भाग
(c) 1/66 वाँ भाग
(d) 66 गुना अधिक
उत्तर : (b)
व्याख्या : चंद्रमा का द्रव्यमान पृथ्वी की अपेक्षा कम होता है, इस कारण चंद्रमा वस्तुओं पर कम आकर्षण बल लगाता है। चंद्रमा पर वस्तु का भार पृथ्वी के भार का 1/6 वाँ भाग ही होता है।
7. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. हमें पृथ्वी से बांधे रखने वाला बल।
2. पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति ।
3. सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति ।
4. चंद्रमा तथा सूर्य के कारण ज्वार-भाटा।
उपर्युक्त में से किन घटनाओं की व्याख्या गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम से की जा सकती है?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त चारों घटनाओं के पीछे का कारण गुरुत्वाकर्षण बल है। इन चारों ही घटनाओं की व्याख्या गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम द्वारा की जा सकती है।
8. रेत में खड़े होने पर किसी व्यक्ति के पैर रेत में धँस जाते हैं लेकिन लेटने पर उसका शरीर अपेक्षाकृत कम धँसता है क्योंकि –
(a) बल योग्य पृष्ठ का क्षेत्रफल और व्यक्ति का भार दोनों घट जाते हैं।
(b) व्यक्ति का भार बढ़ जाता है।
(c) बल योग्य पृष्ठ का क्षेत्रफल और व्यक्ति का भार दोनों घट जाते हैं।
(d) बल योग्य पृष्ठ का क्षेत्रफल बढ़ता है परंतु व्यक्ति के भार में कमी हो जाती है।
उत्तर : (a)
व्याख्या : रेत में खड़े होने पर किसी व्यक्ति के पैर रेत में धँस जाते हैं लेकिन लेटने पर उसका शरीर अपेक्षाकृत कम धँसता है। ऐसा इसलिये होता है, क्योंकि लेटने पर बल योग्य पृष्ठ का क्षेत्रफल बढ़ जाता है। जब बल छोटे क्षेत्रफल पर लगता है तो अधिक दाब तथा बड़े क्षेत्रफल पर लगता है तो कम दाब लगाता है।
• ऊँट का रेत पर आसानी से चल पाना, सेना के टैंक का रेत पर भी आसानी से चलना, कीलों के सिरे का नुकीला होना, चाकू की धार तेज़ होना तथा भवनों की नींव का चौड़ा होना भी इसी कारण से होता है।
9. द्रवों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. किसी तरल (द्रव) में डुबोए जाने पर सभी वस्तुओं पर उत्प्लावन बल लगता है।
2. द्रव के घनत्व अधिक घनत्व की वस्तुएँ द्रव पर तैरती हैं।
3. द्रवों के घनत्व को मापने के लिये हाइड्रोमीटर का प्रयोग किया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (c)
व्याख्या: कथन ( 1 ) सही है। सभी वस्तुएँ किसी तरल में डूबने पर उत्प्लावन बल का अनुभव करती हैं। इस उत्प्लावन बल का परिणाम कितना होगा यह आर्किमिडीज के सिद्धांत से पता लगाया जा सकता है। इस सिद्धांत के अनुसार जब किसी वस्तु को किसी तरल में पूर्ण या आंशिक रूप से डुबोया जाता है तो वह ऊपर की दिशा में एक बल का अनुभव करती है जो वस्तु द्वारा हटाए गए तरल के भार के बराबर होता है।
• उत्प्लावन बल का परिणाम तरल के घनत्व पर निर्भर करता है । द्रव के घनत्व से कम घनत्व की वस्तुएँ द्रव पर तैरती हैं। द्रव के घनत्व से अधिक घनत्व की वस्तुएँ द्रव में डूब जाती हैं। अतः कथन (2) गलत है।
• कथन ( 3 ) सही है । द्रव का घनत्व मापने के लिये हाइड्रोमीटर का प्रयोग किया जाता है।
10. निम्नलिखित पर विचार कीजिये –
1. उन्होंने गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम की खोज की।
2. उन्होंने गणित की एक नई शाखा कलन (Calculus ) की खोज की।
3. उन्होंने गति के नियमों का प्रतिपादन किया।
उपर्युक्त सभी विशेषताएँ निम्नलिखित में से किसकी हैं?
(a) कॉपरनिकस
(b) गैलीलियो
(c) केप्लर
(d) न्यूटन
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त सभी विशेषताएँ न्यूटन की हैं। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम की खोज और गणित की एक नई शाखा कलन (Calculus) की खोज की। उन्होंने गति के नियमों का प्रतिपादन भी किया।

11. कार्य तथा ऊर्जा

1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. किसी पिंड का विस्थापन शून्य है तो बल द्वारा उस पिंड पर किया गया कार्य भी शून्य होगा ।
2. ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है न ही इसका विनाश किया जा सकता है परंतु इसका एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरण किया जा सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या: उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• कार्य करने के लिये दो दशाओं का होना आवश्यक है-
♦ वस्तु पर कोई बल लगाना चाहिये।
♦ वस्तु विस्थापित होनी चाहिये (और इस विस्थापन का मान्य शून्य न हो अन्यथा किये गए कार्य का मान भी शून्य होगा ) ।
• कार्य में केवल परिमाण (Magnitude) होता है तथा कोई दिशा नहीं होती है।
• ऊर्जा संरक्षण का नियम है कि ऊर्जा केवल एक रूप दूसरे रूप में रूपांतरित हो सकती है न तो इसकी उत्पत्ति की जा सकती है और न ही विनाश। रूपांतरण के पहले व रूपांतरण के बाद कुल ऊर्जा सदैव अचर रहती है। ऊर्जा संरक्षण का नियम प्रत्येक स्थिति तथा सभी प्रकार के रूपांतरणों में मान्य है। जेम्स प्रेसकॉट जूल ने ऊर्जा संरक्षण को प्रयोगात्मक रूप में सत्यापित किया तथा ऊष्मा के यांत्रिक तुल्यांक (Mechanical Equivalent) के मान की खोज की।
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. कार्य का मात्रक जूल है।
2. शक्ति का मात्रक वाट है।
3. ऊर्जा का मात्रक न्यूटन है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा / से सही नहीं है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) केवल 1 और 3
उत्तर : (c)
व्याख्या: कार्य का मात्रक जूल है। ऊर्जा का मात्रक वही होता है जो कार्य का होता है अर्थात् जूल । शक्ति का मात्रक वाट होता है। अतः | कथन ( 3 ) गलत तथा (1) और (2) सही हैं।
3. किसी तीर के एक सिरे को धनुष की तनित डोरी पर रखकर खींचने से उसमें ऊर्जा संचित हो जाती है। यह ऊर्जा है-
(a) गतिज ऊर्जा
(b) स्थितिज ऊर्जा
(c) यांत्रिक ऊर्जा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (b)
व्याख्या: किसी वस्तु में स्थानांतरित की गई ऊर्जा इसमें स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित रहती है यदि यह वस्तु की चाल या वेग में परिवर्तन करने के लिये या अन्य कार्य में उपयोग में नहीं आती है।
• धनुष की तनित डोरी को खींचने पर ऊर्जा उसमें स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाती है और यही ऊर्जा डोरी छोड़ने पर तीर को गतिज ऊर्जा प्रदान करती है।
• किसी वस्तु की गतिज तथा स्थितिज ऊर्जाओं के योग को उसकी कुल यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं।

12. ध्वनि

1. ध्वनि के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. ध्वनि तरंगें अनुप्रस्थ तरंगें हैं।
2. किसी माध्यम में ध्वनि का संचरण (Propagation) माध्यम के कणों (Particles) के संचरण के कारण होता है ।
3. ध्वनि तरंगें निर्वात में भी संचरित हो सकती हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या: उपर्युक्त तीनों कथन गलत हैं।
• ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें हैं।
• ध्वनि संचरण में, माध्यम के कण आगे नहीं बढ़ते, केवल विक्षोभ (Disturbance) ही संचरित होता है। अतः ध्वनि वस्तुओं के कंपन (Vibration) के कारण उत्पन्न होती है, परन्तु किसी माध्यम में ध्वनि का संचरण माध्यम के कणों के विक्षोभ के संचरण के कारण होता है।
• ध्वनि तरंगें यांत्रिक तरंगें हैं। ये निर्वात में संचरित नहीं हो सकतीं। इन्हें संचरण के लिये माध्यम की आवश्यकता होती है।
2. प्रकाश-विद्युत प्रभाव की खोज निम्नलिखित में से किसने की थी?
(a) हैनरिच रुडोल्फ हर्ट्ज
(b) अल्बर्ट आइन्सटाइन
(c) जे.सी. मैक्सवेल
(d) इनमें से किसी ने नहीं
उत्तर : (a)
व्याख्या : हैनरिच रुडोल्फ हर्ट्ज ने प्रकाश – विद्युत प्रभाव की भी खोज की, जिसकी बाद में अल्बर्ट आइन्सटाइन ने व्याख्या की।
• आवृत्ति के S. I मात्रक का नाम इन्हीं के सम्मान में ‘हर्ट्ज’ रखा गया है।
• इन्होंने ही जे.सी. मैक्सवेल के विद्युत चुंबकीय सिद्धांत की प्रयोगों द्वारा पुष्टि की।
3. ध्वनि की तीव्रता और प्रबलता के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. तीव्रता ध्वनि का वह लक्षण है, जिसके अनुसार उसका मोटा या पतला होना निर्धारित होता है।
2. प्रबलता ध्वनि के लिये कानों की संवेदनशीलता की माप है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा /से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (b)
व्याख्या: कथन 1 गलत है, क्योंकि ध्वनि का वह लक्षण, जिससे उसके मोटे या पतले होने का निर्धारण होता है, तारत्व कहलाता है। दूसरे शब्दों में किसी उत्सर्जित ध्वनि की आवृत्ति को मस्तिष्क जिस प्रकार अनुभव करता है उसे तारत्व कहते हैं। यदि आवृत्ति उच्च है तो तारत्व भी उच्च होता है तथा आवृत्ति निम्न है तो तारत्व निम्न होता है।
• किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकंड में गुज़रने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं जबकि प्रबलता ध्वनि की तीव्रता के लिये कानों की शारीरिक अनुक्रिया अथवा संवेदनशीलता है। यद्यपि दो ध्वनियाँ समान तीव्रता की हो सकती हैं, फिर भी हम एक को दूसरे की अपेक्षा अधिक प्रबल ध्वनि के रूप में सुन सकते हैं, क्योंकि हमारे कान इसके लिये अधिक संवेदनशील हैं।
4. ध्वनि की चाल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. ध्वनि की चाल प्रकाश की चाल से कम होती है।
2. ठोस से गैसीय अवस्था की ओर जाने पर ध्वनि की चाल बढ़ती जाती है।
3. माध्यम का ताप बढ़ने पर ध्वनि की चाल भी बढ़ जाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा /से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (c)
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. ध्वनि बूम (Sonic Boom) पराध्वनिक गति के कारण उत्पन्न प्रघाती तरंगों (shock waves) से संबद्ध वायुदाब में परिवर्तन (variation) से उत्पन्न बहुत तेज़ और प्रबल ध्वनि है।
2. किसी ध्वनि की स्पष्ट प्रतिध्वनि (Echo) सुनने के लिये मूल ध्वनि तथा परावर्तित ध्वनि के बीच कम से कम 0.1 सेकेंड ICT समयांतराल आवश्यक है।
3. अनुरणन (Reverberation) बारम्बार परावर्तन से ध्वनि में स्थायित्व की एक स्थिति है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या: उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
• किसी वस्तु की पराध्वनि गति के कारण वायु में प्रघाती तरंगें उत्पन्न होती हैं। इन तरंगों में बहुत अधिक ऊर्जा होती है। इन्हीं तरंगों से संबद्ध वायुदाब में परिवर्तन से एक बहुत तेज़ और प्रबल ध्वनि उत्पन्न होती है, जिसे ध्वनि बूम कहते हैं। पराध्वनिक वायुयान से उत्पन्न ध्वनि बूम में इतनी मात्रा में ऊर्जा होती है कि यह खिड़कियों के शीशों को तोड़ सकती है और भवनों को भी क्षति पहुँचा सकती है।
• हमारे मस्तिष्क में ध्वनि की संवेदना लगभग 0.1 सेकेंड तक बनी रहती है। इसी कारण किसी ध्वनि की स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिये मूल ध्वनि तथा परावर्तित ध्वनि के बीच कम-से-कम 0.1 सेकेंड का समयांतराल आवश्यक है।
• बारम्बार परावर्तन के कारण ध्वनि में स्थायित्व का होना अनुरणन (Reverberation) कहलाता है। इस स्थिति में ध्वनि बारम्बार परावर्तन के कारण तब तक बनी रहती है, जब तक कि यह इतनी कम न हो जाए कि सुनाई ही न पड़े।
6. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. स्टेथोस्कोप से चिकित्सक रोगी के हृदय की धड़कन सुन सकता है।
2. सिनेमा हाल की छत वक्राकार बनाई जाती है, जिससे ध्वनि का बारम्बार परावर्तन न हो और ध्वनि स्पष्ट सुनी जा सके ।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (a)
व्याख्या : स्टेथोस्कोप एक चिकित्सा यंत्र है, जो शरीर के अंदर मुख्यतः हृदय तथा फेफड़ों में उत्पन्न होने वाली ध्वनि सुनने में काम आता है। स्टेथोस्कोप में रोगी के हृदय की धड़कन की ध्वनि बार-बार परावर्तन के कारण चिकित्सक के कानों तक पहुँचती है। अत कथन: (1) सही है। • कथन (2) गलत है, क्योंकि सिनेमा हाल, कंसर्ट हाल तथा सम्मेलन कक्षों की छतें वक्राकार बनाई जाती हैं, जिससे कि परावर्तन के पश्चात् ध्वनि हाल के सभी भागों में पहुँच जाए। इसका ध्वनि के बार – बार परावर्तन से कोई संबंध नहीं है। लाउडस्पीकर के आकार भी इसी सिद्धांत पर आधारित होते हैं।
7. ध्वनि की श्रव्यता परिसर (Range of Hearing) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चे पराश्रव्य ध्वनियों को सुन सकते हैं।
2. वेल तथा हाथी अवश्रव्य जबकि डॉलफिन और चमगादड़ पराश्रव्य ध्वनियाँ उत्पन्न करने में सक्षम हैं।
3. सामान्य मनुष्य के लिये ध्वनि की श्रव्यता का परिसर ( Range) लगभग 2011 से 20,000 Hz तक होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
• सामान्य मनुष्य में ध्वनि की श्रव्यता का परिसर लगभग 20 Hz से 20,000 Hz तक होता है।
• 20 Hz से कम आवृत्ति की ध्वनियों को अवश्रव्य ( Infrasonic) तथा 20 kHz से अधिक की ध्वनियों को पराश्रव्य (Ultrasonic) ध्वनि या पराध्वनि कहते हैं।
• पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चे तथा कुछ जंतु जैसे कुत्ते 25KHz. तक की ध्वनि सुन सकते हैं परन्तु जैसे-जैसे व्यक्तियों की आयु बढ़ती है, उनके कान उच्च आवृत्तियों के लिये कम सुग्राही होते जाते हैं।
• राइनोसिरस (गैंडा ) 5 Hz तक की आवृत्ति की अवश्रव्य ध्वनि का उपयोग करके संपर्क स्थापित कर सकता है। हवेल तथा हाथी अवश्रव्य ध्वनि परिसर की ध्वनियाँ उत्पन्न करते हैं।
• भूकंप आने से पूर्व कुछ जंतु परेशान हो जाते हैं। भूकंप मुख्य प्रघाती तरंगों से पहले निम्न आवृत्ति की अवश्रव्य ध्वनि उत्पन्न करते हैं, जो सम्भवतः इन जंतुओं को सावधान कर देती हैं।
• डॉलफिन, चमगादड़, पॉरपॉइज तथा चूहे पराध्वनि उत्पन्न करने में सक्षम हैं।
8. निम्नलिखित पर विचार कीजिये-
1. ऐसे भागों की सफाई, जहाँ तक पहुँचना कठिन है।
2. धातु के ब्लॉक पिंडों में दोषों की जाँच |
3. गुर्दे की पथरी को बारीक कणों में तोड़ना ।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा / से पराश्रव्य ध्वनियों या पराध्वनियों का/के अनुप्रयोग है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या: पराश्रव्य ध्वनियाँ अवरोध की उपस्थिति में भी एक निश्चित पथ पर गमन कर सकती हैं। अतः उद्योग व चिकित्सा में इनके बहुत से अनुप्रयोग हैं।
• वस्तु के ऐसे भाग, जहाँ पहुँचना कठिन है, जैसे- सर्पिलाकार नली, विषम आकार के पुर्जे, इलेक्ट्रॉनिक अवयव आदि को साफ करने वाले मार्जन विलयन में रखकर इसमें पराध्वनि तरंगें भेजते हैं। उच्च आवृत्ति कारण धूल, चिकनाई तथा गंदगी के कण अलग होकर नीचे गिर जाते हैं और वस्तु पूर्णतया साफ हो जाती है।
• धातु के ब्लॉकों में दोषों का पता लगाने के लिये इनसे पराध्वनिक तरंगों को गुजारा जाता है। यदि थोड़ा-सा भी दोष ( दरार, आदि) होता है तो पराध्वनि तरंगें परावर्तित हो जाती हैं, जो दोष की उपस्थिति को दर्शाती हैं। वहीं साधारण ध्वनि की तरंगदैर्ध्य अधिक होने के कारण वे दोषयुक्त स्थान के कोणों से मुड़कर पार निकल जाती हैं (परावर्तित होकर लौटती नहीं है)। इसलिये इस कार्य में इनका उपयोग नहीं किया जा सकता ।
• पराध्वनि का उपयोग गुर्दे की छोटी पथरी को बारीक कणों में तोड़ने के लिये भी किया जा सकता है। ये कण बाद में मूत्र के साथ बाहर निकल जाते हैं।
9. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. सोनार एक ऐसी युक्ति है, जिसमें वायु में स्थित पिंडों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिये पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है।
2. चमगादड़ गहन अंधकार में भोजन की खोज के लिये पराध्वनि तरंगें उत्सर्जित करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो । और न ही 2
उत्तर : (b)
व्याख्या: कथन | गलत है, क्योंकि सोनार (Sound Navigation And Ranging – SONAR) में जल में स्थित पिंडों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिये पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। ये प्रेषित पराध्वनि तरंगों का अवरोध से टकराकर लौटना तथा लौटने पर उनका संसूचन (Detection) के सिद्धांत पर कार्य करती हैं।
• चमगादड़ गहन अंधकार में भोजन खोजने के लिये उड़ते समय पराध्वनि तरंगें उत्सर्जित करता है तथा अवरोध (कीट) से टकराकर परावर्तन के पश्चात् इनका संसूचन (Detection) करता है। इससे चमगादड़ को पता चलता है कि कीट कहाँ पर है और यह किस प्रकार का है। अतः कथन 2 सही है।
• पॉरपॉइज मछलियाँ भी अँधेरे में संचालन व भोजन की खोज में पराध्वनि तरंगों का उपयोग करती हैं।
10. पराध्वनि तरंगों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये ।
1. पराध्वनि तरंगों से मानव शरीर के आंतरिक अंगों का प्रतिबिंब बनाया जा सकता है।
2. इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी तथा अल्ट्रासोनोग्राफी में पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो । और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• पराध्वनि संसूचक (Ultrasound Scanner) यंत्र का प्रयोग करके मानव शरीर के आंतरिक अंगों का प्रतिबिम्ब प्राप्त किया जा सकता है। इस तकनीक में पराध्वनि तरंगें शरीर के ऊतकों में गमन करती हैं तथा उस स्थान से परावर्तित हो जाती हैं, जहाँ ऊतक के घनत्व में परिवर्तन होता है। इन परावर्तित तरंगों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित करके अंग का प्रतिबिंब बना लिया जाता है। यह संसूचक (Scanner) शरीर की असमानताएँ जैसे- पित्ताशय तथा गुर्दे की पथरी और विभिन्न अंगों में अर्बुद (ट्यूमर) का पता लगाने में सहायता करता है।
• इस तकनीक को अल्ट्रासोनोग्राफी कहते हैं। अल्ट्रासोनोग्राफी का उपयोग गर्भकाल में भ्रूण की जाँच एवं जन्मजात दोषों तथा उसकी वृद्धि की अनियमितताओं का पता लगाने में किया जाता है।
11. मानव कर्ण (कान)-
(a) श्रवणीय आवृत्तियों द्वारा वायु में होने वाले दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में बदलता है।
(b) अश्रवणीय आवृत्तियों द्वारा वायु होने वाले दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतकों में बदलता है।
(c) वायु में होने वाले विद्युत चुम्बकीय परिवर्तनों को श्रवणीय आवृत्तियों में बदलता है।
(d) वायु में होने वाले विद्युत चुम्बकीय परिवर्तनों को अश्रवणीय आवृत्तियों में बदलता है।
उत्तर : (a)
व्याख्या : मानव कर्ण श्रवणीय आवृत्तियों द्वारा वायु में होने वाले दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतकों में बदलता है जो श्रवण तंत्रिका से होते हुए मस्तिष्क तक पहुँचते हैं। बाहरी कान ( कर्ण पल्लव) परिवेश से ध्वनि को एकत्र करते हैं। इस ध्वनि से श्रवण नलिका के सिरे पर उपस्थित कर्ण पटह झिल्ली कंपन करती है। मध्य कर्ण में विद्यमान तीन हड्डियाँ ( मुग्दरक, निहाई तथा वलयक) इन कंपनों (दाब परिवर्तनों) को कई गुना बढ़ाकर आंतरिक कर्ण संचारित कर देती है। आंतरिक कर्ण में कर्णावर्त (Cochlea) द्वारा दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित कर दिया जाता है। ये विद्युत संकेत श्रवण तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क तक पहुँचा दिये जाते हैं और अंत में मस्तिष्क इनकी ध्वनि के रूप में व्याख्या करता है।

13. हम बीमार क्यों होते हैं?

1. एंटीबायोटिक के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. ये सामान्यतः बैक्टीरिया के महत्त्वपूर्ण जैव रासायनिक मार्ग को बंद कर देते हैं।
2. ये वायरस संक्रमण पर भी कारगर साबित होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (a)
व्याख्या : एंटीबायोटिक सामान्यतः बैक्टीरिया के महत्त्वपूर्ण जैव रासायनिक मार्ग को बंद कर देते हैं। उदाहरण: बहुत से बैक्टीरिया अपनी रक्षा के लिये कोशिका भित्ति बना लेते हैं। पेनिसिलीन उनकी इस प्रक्रिया को बाधित कर देता है जिस कारण वे कोशिका भित्ति नहीं बना पाते और सरलता से मर जाते हैं। मानव की कोशिकाओं में कोशिका भित्ति नहीं होती इसलिये पेनिसिलीन का प्रभाव उन पर नहीं होता। अतः कथन (1) सही है।
• वायरस में बैक्टीरिया के जैसा कोई मार्ग नहीं होता जिसे बाधिक करने से उनकी मृत्यु हो जाए, इसी कारण कोई एंटीबायोटिक वायरस संक्रमण पर प्रभावकारी नहीं है। अतः कथन (2) गलत है।
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. क्षय रोग वायु द्वारा संचरित हो सकता है।
2. हैजा दूषित पानी से संचरित हो सकता है।
3. एड्स केवल लैंगिक संपर्क से संचरित हो सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (a)
व्याख्या: क्षय रोग वायु द्वारा तथा हैजा दूषित जल द्वारा संचरित हो सकता है | अतः कथन ( 1 ) और (2) सही हैं।
• एड्स लैंगिक संपर्क के अतिरिक्त रक्त स्थानांतरण, गर्भावस्था में रोगी माता से शिशु को अथवा माता द्वारा शिशु को स्तनपान द्वारा भी संचरित हो सकता है।
3. प्रतिरक्षा तंत्र के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. HIV संक्रमण में वायरस प्रतिरक्षा तंत्र पर आक्रमण करते हैं ।
2. गंभीर संक्रामक रोग प्रतिरक्षा तंत्र की असफलता को दर्शाते हैं।
3. टीकाकरण का सामान्य नियम यह है कि शरीर में विशिष्ट संक्रमण प्रविष्ट कराकर प्रतिरक्षा तंत्र को मूर्ख बनाया जा सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या: उपर्युक्त तीनों कथन सही हैं।
• HIV संक्रमण में वायरस प्रतिरक्षा तंत्र में जाते हैं और इसके कार्य को नष्ट कर देते हैं। इस प्रकार HIV – AIDS से बहुत से प्रभाव इसलिये होते हैं क्योंकि हमारा शरीर प्रतिदिन होने वाले छोटे संक्रमणों का मुकाबला नहीं कर पाता।
• प्रतिरक्षा तंत्र शरीर में प्रवेश करने वाले रोगों से लड़कर उन्हें समाप्त करता है इसलिये गंभीर संक्रामक रोग ये दर्शाते हैं कि प्रतिरक्षा तंत्र रोगों से लड़ने में असफल हो रहा है। प्रतिरक्षा तंत्र को मज़बूत बनाए रखने के लिये पर्याप्त भोजन तथा पोषण आवश्यक हैं।
• टीकाकरण का सामान्य नियम यह है कि शरीर में विशिष्ट संक्रमण प्रविष्ट कराकर प्रतिरक्षा तंत्र को ‘मूर्ख’ बना सकते हैं। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि जब रोगाणु प्रतिरक्षा तंत्र पर पहली बार आक्रमण करते हैं तो प्रतिरक्षा तंत्र रोगाणुओं के प्रति क्रिया करता है और फिर इसका विशिष्ट रूप से स्मरण कर लेता है। इस प्रकार जब वही रोगाणु या उससे मिलता-जुलता रोगाणु संपर्क में आता है तो पूरी शक्ति से उसे नष्ट कर देता है। इससे पहले संक्रमण की अपेक्षा दूसरा संक्रमण शीघ्र ही समाप्त हो जाता है।
4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. वायरस मानव शरीर में प्रवेश करते हैं और अपनी जीवन प्रक्रिया के लिये हमारी मशीनरी का उपयोग करते हैं।
2. एडवर्ड जेनर ने चेचक के टीके की खोज की थी।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• बैक्टीरिया में अपनी जैव रासायनिक प्रणाली होती है जबकि वायरस में अपनी जैव रसायनिक प्रणाली बहुत कम होती है। वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं और अपनी जीवन प्रक्रिया के लिये हमारी मशीनरी का उपयोग करते हैं। इसीलिये एंटीवायरस औषधि बनाना एंटीबैक्टीरियल औषधि के बनाने की अपेक्षा कठिन है।
• एडवर्ड जेनर ने पाया कि चेचक (Smallpox) का वायरस गो-चेचक ( Cowpox) के वायरस का निकट संबंधी है। उन्होंने देखा कि जिन्हें गो- चेचक हुआ था उन्हें महामारी के समय भी चेचक नहीं हुआ। चूँकि गो-चेचक एक मंद रोग है। इसलिये एडवर्ड जेनर ने जान बूझकर लोगों को गो-चेचक दिया और पाया कि अब वे लोग भी चेचक के प्रतिरोधी है। इसी प्रक्रिया में जेनर ने चेचक के टीके की खोज की।

14. प्राकृतिक संपदा

1. कार्बन डाइऑक्साइड के स्थिरीकरण के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. हरे पेड़-पौधे सूर्य की किरणों की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड को ग्लूकोज़ में बदल देते हैं।
2. बहुत-से समुद्री जंतु समुद्री जल में घुले कार्बोनेट से अपना कवच बनाते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं। वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 1 प्रतिशत का एक छोटा-सा भाग है क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड दो विधियों से स्थिर होती है-
• हरे पौधे सूर्य की किरणों की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड को ग्लूकोज में बदल देते हैं ।
• बहुत से समुद्री जंतु जल में घुले कार्बोनेट से अपना कवच बनाते हैं।
2. वायुमंडल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. वायुमंडल पृथ्वी के औसत तापमान को पूरे वर्ष लगभग नियत रखता है।
2. वायुमंडल जलीय भाग द्वारा परावर्तित किये जाने वाले विकिरण से गर्म होता है क्योंकि स्थलमंडल विकिरण को पूर्णतः अवशोषित कर लेता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (a)
व्याख्या : वायु ऊष्मा की कुचालक है इसलिये वायुमंडल पृथ्वी के औसत तापमान को दिन के समय और यहाँ तक कि पूरे वर्ष भर लगभग नियत रखता है। अतः कथन | सही है।
• कथन 2 गलत है क्योंकि स्थलीय भाग भी विकिरण का परावर्तन करते हैं। इन्हीं स्थलीय तथा जलीय भागों से होने वाले विकिरण के परावर्तन तथा पुनर्विकिरण से वायुमंडल गर्म होता है।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में वायु की गति से पवन का निर्माण होता है।
2. दिन के समय हवा की दिशा स्थल से समुद्र की ओर होती है।
3. पृथ्वी का घूर्णन हवाओं को प्रभावित करने वाला कारक है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (c)
व्याख्या: कथन (1) सही है। एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में वायु की गति पवनों का निर्माण करती है।
• जल की अपेक्षा स्थल जल्दी गर्म होता है इसलिये दिन के समय स्थल के ऊपर की वायु जल के ऊपर की वायु के अपेक्षा तेज़ी से गर्म होगी। ये वायु ऊपर उठती है और वहाँ कम दाब का क्षेत्र बन जाता है जिससे समुद्र के ऊपर की वायु कम दाब वाले क्षेत्र (स्थल) की ओर प्रवाहित हो जाती है। अतः कथन ( 2 ) गलत है।
• कथन (3) सही है क्योंकि पृथ्वी के वायुमंडल के असमान विधियों के गर्म होने के अतिरिक्त कुछ अन्य कारक भी हवाओं को प्रभावित करते हैं जिनमें पृथ्वी की घूर्णन गति तथा पवन के मार्ग में आने वाली पर्वत शृंखलाएँ शामिल हैं।
4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. जलवाष्प के संघनन में धूल के कण छोटे नाभिकों के रूप में कार्य करते हैं।
2. नाइट्रोजन के ऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड अम्लीय वर्षा के मुख्य कारक हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (a)
व्याख्या: कथन (1) सही है क्योंकि वायु में उपस्थित धूल कण तथा दूसरे निलंबित कण जलवाष्प के लिये नाभिक के रूप में कार्य करते हैं और जलवाष्प के संघनन में महत्त्वपूर्ण भमिका निभाते हैं। वायु में उपस्थित धूल कणों के साथ-साथ प्रदूषकों की अधिक मात्रा में उपस्थिति दृश्यता को कम करती है विशेषकर सर्दी के मौसम में जब जल भी वायु के साथ संघनित होता है। इसे धूम कोहरा कहते हैं।
• कथन (2) गलत है क्योंकि नाइट्रोजन और सल्फर के ऑक्साइड वर्षा के जल में घुल कर उसे अम्लीय बनाते हैं।
5. ह्यूमस के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
1. यह सड़े-गले जीवों का अंश है।
2. यह मृदा की संरचना का मुख्य कारक है।
3. यह मृदा को सरंध्र बनाता है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या: मृदा में सड़े-गले जीवों के टुकड़े उपस्थित होते हैं जिन्हें ह्यूमस कहा जाता है। यह मृदा की संरचना का मुख्य कारक है क्योंकि यह मृदा को सरंध्र बनाता है और वायु तथा जल को भूमि के अंदर जाने में सहायक होता है।
6. वायुमंडलीय नाइट्रोजन के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. कुछ बैक्टीरिया को छोड़कर दूसरे जीवरूप नाइट्रोजन को नाइट्रेट्स तथा नाइट्राइट्स में बदलने में सक्षम नहीं हैं।
2. बिजली चमकने से उत्पन्न उच्च ताप तथा दाब नाइट्रोजन को नाइट्रोजन के ऑक्साइड में बदल देते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या: उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करने वाले बैक्टीरिया निष्क्रिय नाइट्रोजन परमाणुओं को नाइट्रेट्स तथा नाइट्राइट्स में बदलते हैं। ऐसे बैक्टीरिया को छोड़कर दूसरे जीवरूप नाइट्रोजन को नाइट्रेट्स तथा नाइट्राइट्स में बदलने में सक्षम नहीं हैं।
• बिजली चमकने से उत्पन्न उच्च ताप तथा दाब नाइट्रोजन को नाइट्रोजन के ऑक्साइड में बदल देता है। ये ऑक्साइड जल में घुल कर नाइट्रिक तथा नाइट्स अम्ल बनाते हैं और वर्षा के साथ भूमि की सतह पर गिरते हैं। तब इसका उपयोग विभिन्न जीवरूपों द्वारा किया जाता है।
• पौधों या जंतुओं की मृत्यु के बाद मिट्टी में उपस्थित कुछ बैक्टीरिया विभिन्न यौगिकों में उपस्थित नाइट्रोजन को नाइट्रेट्स तथा नाइट्राइट्स में बदल देते हैं तथा कुछ अन्य बैक्टीरिया इन नाइट्रेट्स तथा नाइट्राइट्स को नाइट्रोजन तत्त्व में बदल देते हैं जिससे प्रकृति में एक नाइट्रोजन-चक्र पूरा हो जाता है।
7. कार्बन-चक्र के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग पौधों द्वारा प्रकाश-संश्लेषण के माध्यम से ग्लूकोज़ बनाने में होता है।
2. जीवों द्वारा श्वसन की क्रिया के माध्यम से ग्लूकोज़ को कार्बन डाइऑक्साइड में बदल दिया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• कार्बन प्रकृति में अपने मूल रूप में हीरा और ग्रेफाइट के रूप में पाया जाता है। कार्बन डाइऑक्साइड कार्बन का एक यौगिक है। वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग पौधों द्वारा प्रकाश-संश्लेषण के माध्यम से ग्लूकोज़ बनाने में होता है। ये ग्लूकोज़ अणु या तो दूसरे पदार्थों में बदल दिये जाते हैं या ये दूसरे जैविक रूप से महत्त्वपूर्ण अणुओं के संश्लेषण के लिये ऊर्जा प्रदान करते हैं।
• जीवित प्राणियों को ऊर्जा प्रदान करने की प्रक्रिया में ग्लूकोज़ का उपयोग होता है। इनके द्वारा श्वसन की क्रिया के माध्यम से ग्लूकोज़ को कार्बन डाइऑक्साइड में बदल दिया जाता है। ये कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में वापस चली जाती है और इसी के साथ एक कार्बन-चक्र पूरा होता है।
8. ऑक्सीजन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये –
1. वायुमंडल में ऑक्सीजन केवल एक ही मुख्य प्रक्रिया जिसे प्रकाश-संश्लेषण कहते हैं, के द्वारा लौटती है।
2. सभी जीवों के श्वसन के लिये ऑक्सीजन एक अनिवार्य तत्त्व है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (a)
व्याख्या : वायुमंडल से ऑक्सीजन का उपयोग तीन प्रक्रियाओं- श्वसन, दहन तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड के निर्माण में होता है, जबकि ऑक्सीजन केवल एक ही मुख्य प्रक्रिया, जिसे प्रकाश संश्लेषण कहते हैं, के द्वारा लौटती है। इस प्रकार से प्रकृति में ऑक्सीजन चक्र की रूपरेखा बनती है। अतः कथन 1 सही है ।
• कथन 2 गलत है क्योंकि जीवों के श्वसन के लिये ऑक्सीजन महत्त्वपूर्ण है परंतु कुछ जीव मुख्यतः बैक्टीरिया, तत्त्वीय ऑक्सीजन द्वारा ज़हरीले हो जाते हैं। वास्तव में बैक्टीरिया द्वारा नाइट्रोजन स्थिरीकरण की प्रक्रिया ऑक्सीजन के अनुपस्थिति में होती है।
9. ओज़ोन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. यह एक विषैली गैस है।
2. यह क्लोरोफ्लोरो कार्बन से क्रिया करके पृथ्वी से लौटने वाले विकिरणों के लिये एक अभेद्य परत बनाती है ।
3. यह सूर्य से आने वाले हानिकारक विकिरणों का अवशोषण करती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (b)
व्याख्या : ऑक्सीजन के सामान्य द्विपरमाण्विक अणु के विपरीत ओज़ोन विषैली होती है। अतः कथन 1 सही है।
• क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) क्लोरीन तथा फ्लोरीन से युक्त कार्बनिक यौगिक है। ये बहुत ही स्थायी होते हैं तथा किसी जैव-प्रक्रिया द्वारा भी विघटित नहीं होते हैं। वे ओजोन परत के समीप पहुँचकर उसके अणुओं से क्रिया करते हैं जिससे ओज़ोन की परत में कमी आती है और उसमें छिद्र निर्मित होने लगता है। अतः कथन 2 गलत है।
• कथन 3 सही है क्योंकि ओजोन परत जीवों के लिये एक रक्षा परत का कार्य करती है। यह सूर्य से आने वाले हानिकारक विकिरणों का अवशोषण करती है।

15. खाद्य संसाधनों में सुधार

1. निम्नलिखित में से कौन-सा / से चारा फसल है/ फसलें हैं?
(a) वर्सीम
(b) जई
(c) सूडान घास
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर : (d)
व्याख्या : वर्सीम, जई व सूडान घास तीनों चारा फसलें हैं। इनका उत्पादन पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है।
2. निम्नलिखित में से कौन – सा युग्म रबी और खरीफ की फसल का सही युग्म नहीं है?
(a) गेहूँ और धान
(b) उड़द और सोयाबीन
(c) सरसों और अरहर
(d) अलसी और मक्का
उत्तर : (b)
व्याख्या : विकल्प (b) गलत है।
• ऐसी फसलें, जो ग्रीष्म और वर्षा ऋतु ( जून से अक्तूबर) में उगाई जाती हैं, खरीफ फसलें कहलाती हैं। धान, सोयाबीन, अरहर, मक्का, मूँग तथा उड़द खरीफ फसलें हैं।
• ऐसी फसलें, जो शीत ऋतु (नवंबर से अप्रैल) में उगाई जाती हैं, रबी फसलें कहलाती हैं। गेहूँ, चना, मटर, सरसों तथा अलसी रबी फसलें हैं।
3. पौधों को पोषक हवा, पानी तथा मिट्टी से प्राप्त होते हैं। इन पोषकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये –
1. पौधों को वृहत् – पोषकों की प्राप्ति जल से होती है।
2. पोषक के रूप में पौधे कार्बन तथा ऑक्सीजन वायु से प्राप्त करते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा /से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (b)
4. खाद (Manure) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. यह रेतीली मिट्टी की जल धारण क्षमता घटाती तथा चिकनी मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ाती है।
2. वर्मी कम्पोट एक खाद है जो केंचुए की सहायता से तैयार की जाती है।
3. हरी खाद फसल उगाने से पहले खेतों में उगाई जाती है तथा बाद में उन पर हल चलाकर खेत की मिट्टी में मिला दिया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (c)
व्याख्या: खाद में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा अधिक होती है, जो मिट्टी की संरचना में सुधार करती है। इसके कारण रेतीली मिट्टी में पानी को रखने की क्षमता बढ़ जाती है तथा चिकनी मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की अधिक मात्रा पानी को निकालने में सहायता करती है, जिससे पानी एकत्र नहीं होता । अतः कथन (1) गलत है।
• कंपोस्ट बनाने के लिये कृषि अपशिष्ट पदार्थों को गड्ढों में विगलित (Decomposed) करते हैं। इसी प्रकार कंपोस्ट को केंचुओं द्वारा पौधों तथा जानवरों के अपशिष्ट पदार्थों के शीघ्र निरस्तीकरण (Decomposition) की प्रक्रिया द्वारा बनाया जाता है। ऐसी कम्पोस्ट खाद वर्मी कंपोस्ट कहलाती है। अतः कथन ( 2 ) सही है।
• फसल उगाने से पहले खेतों में कुछ पौधे जैसे पटसन, मूँग, ग्वार आदि उगा देते हैं और बाद में उन पर हल चलाकर खेत की मिट्टी में मिला दिया जाता है। ये पौधे हरी खाद में परिवर्तित हो जाते हैं, जो मिट्टी को नाइट्रोजन और फॉस्फोरस से परिपूर्ण करने में सहायक है । अतः कथन ( 3 ) भी सही है।
5. कार्बनिक खेती के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है?
(a) इसमें रासायनिक उर्वरक का उपयोग बहुत कम या बिल्कुल नहीं होता है।
(b) इसमें रासायनिक उर्वरक का उपयोग अपेक्षित है।
(c) इसमें रासायनिक उर्वरक जैविक खाद के उपयोग हेतु 50% का अनुपात सुनिश्चित किया जाता है।
(d) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर : (a)
व्याख्या : कार्बनिक खेती, खेती करने की वह पद्धति है, जिसमें रासायनिक उर्वरक, पीड़कनाशी, शाकनाशी आदि का उपयोग बहुत कम या बिल्कुल नहीं होता।
• उर्वरकों के अधिक प्रयोग से ये जल प्रदूषण का कारण बनते हैं और इनका सतत प्रयोग मिट्टी की उर्वरता को घटाता है, क्योंकि कार्बनिक पदार्थ की पुन: पूर्ति नहीं हो पाती और इससे सूक्ष्म जीवों एवं भूमिगत जीवों का जीवन-चक्र अवरुद्ध होता है।
6. अनाज भंडारण में निम्नलिखित में से किसका /किनका प्रयोग जैव कीटनाशकों के रूप में किया जाता है?
1. हल्दी
2. नीम की पत्तियाँ
3. नील – हरित शैवाल
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये ।
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) केवल 3
उत्तर : (a)
व्याख्या : नीम की पत्तियों तथा हल्दी का विशेष रूप से जैव कीटनाशकों के रूप में अनाज भंडारण में प्रयोग किया जाता है, जबकि नील-हरित शैवाल का प्रयोग खेती में जैविक खाद के रूप में किया जाता है।
7. फसलों में खर-पतवार के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. खर-पतवार पोषक तत्त्वों का उपभोग कर पौधों की वृद्धि को कम करते हैं।
2. ग्रीष्म काल में हल से खेतों की जुताई खर-पतवार की एक निरोधक विधि है।
उपर्युक्त कथनों से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• खर-पतवार पोषक तत्त्वों का उपभोग करते हैं जिससे पौधों को पूर्ण पोषण नहीं मिल पाता और उनकी वृद्धि घट जाती है।
• ग्रीष्म काल में खेतों की हल से जुताई, उचित क्यारियाँ बनाना, समय पर फसल उगाना, अंतराफसलीकरण तथा फसल चक्र खर-पतवार को नियंत्रित करने की कुछ निरोधक विधियाँ हैं।
8. निम्नलिखित पर विचार कीजिये-
1. रेड सिंधी
2. जसीं
3. ब्राउन स्विस
4. साहीवाल
उपर्युक्त में से कौन देशी गाय की नस्लें हैं?
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) केवल 1 और 4
उत्तर : (d)
व्याख्या : रेड सिंधी तथा साहीवाल गाय की देशी नस्लें हैं। इनमें रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक होती है, जबकि जर्सी और ब्राउन स्विस गाय की विदेशी नस्लें है। इनका दुग्धस्रवण काल (Lactation Period) लंबा होता है।
9. कुक्कुट पालन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. अंडों के लिये लेअर (Layer) मुर्गी का पालन किया जाता है।
2. माँस के लिये ब्रौलर (Broiler) चूजों को पाला जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं। अंडों के लिये लेअर मुर्गी तथा माँस के लिये ब्रोलर चूजों का पालन किया जाता है। मुर्गी की नई गुणवत्तापूर्ण किस्में बनाने के लिये देशी जैसे एसिल तथा विदेशी जैसे लेगहार्न नस्लों का संकरण भी कराया जाता है।
10. मेरीकल्चर (Mariculture) का संबंध हैं-
(a) भोजन के लिये समुद्री मछलियों के संवर्द्धन से।
(b) संरक्षण के लिये समुद्री मछलियों के संवर्द्धन से।
(c) विशेष समुद्री क्षेत्र में समुद्री मछली की विशेष प्रजाति के संरक्षण से।
(d) विशेष समुद्री क्षेत्र में मछलियों के भोजन हेतु खाद्य पदार्थों प्लवक के संवर्द्धन से।
उत्तर : (a)
व्याख्या: मेरीकल्चर (सागरीय कृषि) का तात्पर्य खाने योग्य समुद्री जीवों जैसे- मछलियों का भोजन के प्रयोग के लिये संवर्द्धन करने से है। यह एक्वाकल्चर की एक विशेषीकृत शाखा है। अतः ऐसी समुद्री मछलियों व जीवों का आर्थिक महत्त्व है।
• कुछ समुद्री मछलियों का भोजन के अलावा भी आर्थिक महत्त्व हैं, जैसे- ऑएस्टर | इनका संवर्द्धन मोतियों के लिये किया जाता है।

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