वोटर रिवीजन में आधार और राशन कार्ड मान्य या नहीं, सुप्रीम कोर्ट के बाद चुनाव आयोग पर निगाहें
वोटर रिवीजन में आधार और राशन कार्ड मान्य या नहीं, सुप्रीम कोर्ट के बाद चुनाव आयोग पर निगाहें
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चल रहे निर्वाचन आयोग के वोटर लिस्ट रिवीजन यानी मतदाता गहन पुनरीक्षण अभियान पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने इस अभियान पर रोक लगाने से इनकार करते हुए चुनाव आयोग से आधार, राशन कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेजों को भी मान्य करार देने की सलाह दी है। अब सभी की निगाहें आयोग पर टिक गई हैं। क्या अदालत के कहे अनुसार आयोग वोटर लिस्ट रिवीजन में अपने मान्य 11 तरह के दस्तावेजों में आधार और राशन कार्ड जैसे डॉक्युमेंट को शामिल करेगा या नहीं?
वकील अश्विनी उपाध्याय ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। इसमें आधार, वोटर कार्ड, राशन कार्ड को भी शामिल करने की गुहार लगाई गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर चुनाव आयोग चाहे तो इन तीनों दस्तावेजों को स्वीकार कर सकता है। यह चुनाव आयोग का अधिकार क्षेत्र है। इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं है। आयोग ने आश्वासन दिया है कि वह बिहार चुनाव से पहले वोटर लिस्ट रिवीजन की प्रक्रिया पूरी कर लेगा। मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।
नियम क्या कहते हैं?
संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत सभी संस्थाएं सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को मानने के लिए बाध्य होती हैं। हालांकि, चुनाव आयोग अपने आप में स्वायत्त संस्था है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट केवल तभी हस्तक्षेप करता है जब आयोग का कोई कदम संवैधानिक ढांचे से बाहर जाता है या जनहित में सुधार की आवश्यकता होती है।
मतदाता पुनरीक्षण पर विवाद
चुनाव आयोग की ओर से बिहार में 25 जून को मतदाता गहन पुनरीक्षण का कार्य शुरू किया गया था। 26 जुलाई तक चलने वाले इस अभियान के तहत बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओ को एक गणना फॉर्म उपलब्ध करा रहे हैं। मतदाताओं को इन्हें भरकर वापस आयोग को देना है। अगर किसी मतदाता का नाम 2003 की वोटर लिस्ट में नहीं है, तो उसे अपना खुद का और अपने माता-पिता के निवास या जन्म से जुड़ा दस्तावेज भी उस फॉर्म के साथ जमा कराना होगा। विपक्ष इसी नियम को मुद्दा बनाकर वोटर लिस्ट रिवीजन का विरोध कर रहा है।
कांग्रेस, राजद, वाम दल समेत अन्य विपक्षी पार्टियों का कहना है कि गांव में अधिकतर लोगों के पास आधार, राशन कार्ड, जॉब कार्ड जैसे दस्तावेज होते हैं। चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट रिवीजन में मान्य जिन 11 तरह के दस्तावेजों की सूची जारी की है, उनमें ये डॉक्युटमेंट नहीं हैं। ऐसे में जिन लोगों के पास अपनी पहचान प्रमाणित करने के लिए राशन या आधार कार्ड ही है, उनका नाम वोटर लिस्ट से काट दिया जाएगा।
हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से इन दस्तावेजों को भी मान्य घोषित करने का निर्देश दिया है। अब गेंद आयोग के पाले में है। मतदाता पुनरीक्षण अभियान को अभी 15 दिन शेष हैं। अदालत के फैसले के बाद आयोग का क्या कदम होगा, इस पर सभी की नजर टिकी हुई है।