मांझी का एलान, ’20 सीटें नहीं दी तो 100 सीटों पर उतारेंगे प्रत्याशी; एनडीए में भूचाल
मांझी का एलान, ’20 सीटें नहीं दी तो 100 सीटों पर उतारेंगे प्रत्याशी; एनडीए में भूचाल
Bihar Chunav 2025 (Jitan Ram Manjhi): बिहार की राजनीति में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संस्थापक जीतन राम मांझी हमेशा से अपनी बेबाकी और सियासी चतुराई के लिए जाने जाते रहे हैं। उन्होंने फिर से सुर्खियां बटोरीं जब सीट शेयरिंग पर बयान देते हुए एनडीए को सीधा संदेश दिया – अगर उनकी पार्टी को सम्मानजनक हिस्सेदारी यानी 15 से 20 सीटें नहीं मिली तो वे 100 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेंगे।
सवाल उठता है कि मांझी ने ऐसा बड़ा बयान क्यों दिया और इसके पीछे असली वजह क्या है? जीतनराम मांझी ने कहा, ”उनके हर विधानसभा क्षेत्र में 10-15 हजार वोटर मौजूद हैं। और इस आधार पर वे चुनाव में अकेले भी 6% वोट हासिल कर सकते हैं। इसलिए उन्हें 15 से 20 सीटें मिलनी चाहिए, अगर ऐसा नहीं हुआ तो वो 100 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेंगे।”
पैसा के बल पर लोग मीटिंग करते हैं
जीतन राम मांझी ने कहा कि उन लोगों को आभास मिल गया होगा कि जीतन राम मांझी का प्रभाव क्या है। पैसा के बल पर लोग मीटिंग करते हैं। 500 रुपये और 1000 रुपये गाड़ी बिहार से मंगा लेते हैं। तब जिंदाबाद का नारा लगता है। लेकिन, हम तो एक पैसा खर्च नहीं करते हैं। सब अपने लोग आते हैं। हम जहां जाते हैं वहां 10000 की भीड़ 12000 की भीड़ आती है। इस चीज को एनडीए के लोग समझते हैं। हम समझते हैं कि यह समझ करके जो जिताऊ पार्टी है। उसका सीट वह अनुमान करेंगे और हमको लगता है अच्छे मात्रा में सीट मिलेगी। यह हमारा लक्ष्य है।
मांझी ने 2020 में सात सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे
पिछले बिहार चुनाव 2020 में हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा ने सात सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। उनमें से चार पर जीत मिली थी, जबकि एक सीट पर इसके प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई थी। जहां हम-से ने प्रत्यशी दिए थे, वहां इसे 0.38 प्रतिशत वोट मिले थे। इस चुनाव में हम-से को तीन सीटों का फायदा हुआ था। इसके पहले उसके महज एक विधायक थे। 2020 के चुनाव में जीतन राम मांझी भी विधायक बने थे और उनके बेटे भी। जब 2020 के जनादेश से अलग होकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन में चले गए थे तो मांझी उनके साथ रहे थे। बाद में नीतीश-मांझी के बीच गतिरोध बढ़ा और वह मुख्यमंत्री के पहले भारतीय जनता पार्टी के साथ वापस आ गए। 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें एनडीए ने संसदीय चुनाव में उतरने का मौका दिया और वह जीते तो सांसद के साथ केंद्रीय मंत्री भी बने। उनकी छोड़ी हुई विधानसभा सीट उप चुनाव में भी उनके पास ही रह गई।
इस बार करो या मरो का लोगों का यह मुद्दा है
केन्द्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि अगर मान लिया जाए हमको हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा अधिकृत करता है, तो हम जरूर फैसला लेंगे। फैसला में हमारा एक ही चीज है कि हम चाहते हैं, हमारा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा हर हालत में मान्यता प्राप्त कर ले। मान्यता प्राप्त करने के लिए हमको 8 सीट विधानसभा में चाहिए या पोलिंग का 6% टोटल वोट चाहिए। हमारे साथ दो प्रस्थिति है। आठ सीट जीतने के लिए हमको काम से कम 15 से 20 सीट मिलेगा तभी ना हम इस दायरे में आ सकते हैं। हम सभी सीट तो जीत जाएंगे, ऐसा तो है नहीं। अगर 60% स्कोरिंग सीट माना जाए तो भी कहा जाएगा। तब 15 सीट की बात आती है। अगर 15 सीट हमको मिलेगा और 8 सीट जीत जाएंगे तो एक प्रावधान यह है। नहीं तो हम भी 50 या 100 सीट पर लड़ेंगे। बिहार में हर जगह हमारा दस हजार और 15 हजार वोटर है। जीत करके 6% हम वोट ले आएंगे और हम मान्यता प्राप्त कर लेंगे। 10 वर्ष हमारी पार्टी का हो गया। निबंधित पार्टी रहने में हम अपमानित समझते हैं। इसलिए इस बार करो या मरो का लोगों का यह मुद्दा है।
मांझी का मिशन: मान्यता प्राप्त पार्टी बनना
दरअसल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की राजनीति के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव बेहद अहम है। पार्टी के पास फिलहाल चार विधायक और एक सांसद हैं, लेकिन भारत निर्वाचन आयोग की नजर में यह अब भी “निबंधित, गैर-मान्यता प्राप्त दल” है। मान्यता पाने के लिए जरूरी है कि या तो पार्टी के पास कम से कम आठ विधायक हों या राज्य में 6% वोट शेयर हासिल करे।
यही कारण है कि मांझी अब 15 से 20 सीटों पर दावेदारी कर रहे हैं। उनका मानना है कि इतनी सीटें मिलने पर ही उनकी पार्टी आठ पर जीत दर्ज कर पाएगी। अगर एनडीए ने यह मांग नहीं मानी तो मांझी अकेले मैदान में उतरकर 100 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की धमकी दे रहे हैं।