चिराग पासवान को दुख, जीतनराम मांझी को गर्व; नीतीश सरकार पर फिर भिड़े नरेंद्र मोदी के दो मंत्री
चिराग पासवान को दुख, जीतनराम मांझी को गर्व; नीतीश सरकार पर फिर भिड़े नरेंद्र मोदी के दो मंत्री
बिहार की कानून व्यवस्था पर चिराग पासवान के बयान पर एनडीए में घमासान मच गया है। दरअसल बिहार में हो रहीं आपराधिक घटनाओं पर नरेंद्र मोदी सरकार के दो मंत्री की आपस में एकमत नहीं है। खाद्य प्रसंस्करण मंत्री और लोजपा आरवी के प्रमुख चिराग पासवान ने शनिवार को बिहार की विधि व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुझे दुख है कि मैं इस सरकार का समर्थन कर रहा। इस पर एमएसएमई मंत्री और हम के सुप्रीमो जीतनराम मांझी ने कहा कि चिराग पासवान में अनुभव की कमी है। इधऱ जदयू ने कहा है कि शरीर कहीं और तो आत्मा कहीं और है। बीजेपी भी नीतीश कुमार के साथ खड़ी दिख रही है।
सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर जीतनराम मांझी ने कहा है कि मुझे ख़ुशी है कि मैं बिहार में एक ऐसी सरकार का समर्थन कर रहा हूँ जो अपराध और अपराधियों से कोई समझौता नहीं करती। जो हर अपराधिक घटनाओं का ना केवल ख़ुलासा करती है बल्कि वारदातों में शामिल अपराधियों को सलाख़ों के भीतर भेजती है। हमें गर्व है कि बिहार में एनडीए के नेतृत्व में सुशासन की सरकार है।
जीतनराम मांझी ट्वीट करके ही नहीं रुके। प्रेस कर्मियों से बात करके हुए मांझी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के कामकाज पर सवाल उठाने के पहले चिराग 2005 के पहले के दौर का अध्ययन करें। चिराग के पास अनुभव की कमी है क्योंकि उनका राजनीतिक जीवन बहुत छोटा है। जो उनके पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान बेहद अनुभवी राजनीतिक व्यक्ति थे। उन्हें सब पता था कि बिहार में क्या हो रहा था। वह समय था जब हाईकोर्ट ने भी कहा था कि बिहार में जंगलराज है। जिन्होंने पहले के दौर को देखा है वे तुलना करके समझ सकते हैं कि बिहार में लॉ ऑर्डर की स्थिति कैसी है।
एनडीए में रहकर चिराग पासवान जिस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं, वह अनुचित है। सीट शेयरिंग के लिए इस तरह से दबाव डालना ठीक नहीं। जो भी बात करनी है वह एनडीए के भीतर करें। उन्होंने कहा कि चिराग को जमीनी हकीकत समझनी चाहिए। एनडीए के अंदर 2020 वाला प्रकरण फिर से नहीं दोहराया जाना चाहिए। मांझी ने कहा कि एनडीए के अंदर जिसकी जितनी ताकत होगी, उतनी सीट उसे मिल जायेगी। सीट को लेकर हमारी कोई डिमांड नहीं है। हम एनडीए के अनुशासित सिपाही हैं।
उन्होंने कहा कि 2005 के पहले अपराधी क्राइम करने के बाद सीएम हाउस में जाकर समझौता कर लिया करते थे। तब सीएम हाउस में विक्टिम और क्रिमिनल के बीच समझौता कराया जाता था। अब कोई अपराध करता है तो सीधे कार्रवाई होती है। आज किसी की हिम्मत नहीं है कि एक अणे मार्ग में जाकर क्राइम की बात करे।