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बिहार विधानसभा घेराव में प्रशांत किशोर समेत कई लोगों पर FIR, पटना पुलिस ने लगाया यह आरोप

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बिहार विधानसभा घेराव में प्रशांत किशोर समेत कई लोगों पर FIR, पटना पुलिस ने लगाया यह आरोप

जन सुराज पार्टी द्वारा बिहार विधानसभा के घेराव को लेकर पार्टी संस्थापक प्रशांत किशोर, मनीष कश्यप, प्रवक्ता विवेक, प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती समेत 2,000 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने यह कार्रवाई विधानसभा के बाहर प्रदर्शन के दौरान हुई झड़प और निषेधाज्ञा उल्लंघन के मामलों को लेकर की है। पुलिस के साथ हाथापाई और निषेधाज्ञा के उल्लंघन के मामलों में धारा 191(2), 190, 132, 223 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

विधानसभा का घेराव के दौरान हुई थी झड़प

प्रशांत किशोर के नेतृत्व में जन सुराज के कार्यकर्ता और समर्थक बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और भू-सर्वेक्षण में कथित भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को लेकर विधानसभा का घेराव करने निकले थे. पुलिस ने चितकोहरा गोलंबर के पास बैरिकेड्स लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की. जब प्रदर्शनकारी बैरिकेड्स तोड़कर आगे बढ़े तो स्थिति बिगड़ गई. पुलिस ने लाठीचार्ज और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया, जिसमें कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए. किशोर को भी पुलिस ने हिरासत में लिया, लेकिन बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया. सिटी एसपी ने दावा किया कि न्यूनतम बल का उपयोग किया गया और प्रदर्शनकारियों को बार-बार चेतावनी दी गई थी. दूसरी ओर जन सुराज के समर्थकों का आरोप है कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और पुलिस ने बेवजह बल प्रयोग किया.

जनता की आवाज दबाने का प्रयास

प्रशांत किशोर ने इस घटना को नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ जनता की आवाज दबाने का प्रयास बताया है. उन्होंने कहा, “यह सिर्फ शुरुआत है. अगर सरकार हमारी मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो अगली बार एक लाख लोग पटना की सड़कों पर होंगे.” उन्होंने सरकार पर जनता की मांगों को अनसुना करने का आरोप लगाया है और अपने अभियान को और तेज करने की चेतावनी दी है. पटना पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने बिना अनुमति के प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश की कोशिश की, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती थी. प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार की सरकार को “नौकरशाही का जंगलराज” करार दिया है और लालू प्रसाद के शासन को “संगठित अपराध का जंगलराज” बताया. उनकी यह आक्रामक रणनीति और जन सुराज का मुद्दा-आधारित अभियान जैसे शिक्षा, रोजगार और शराबबंदी हटाने की मांग बिहार के युवाओं और ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छा समर्थन जुटा रहा है.

बच्चों की दुर्दशा पर जताई चिंता

इससे पहले किशोर ने मज़दूरी कर रहे लाखों बच्चों की दुर्दशा पर भी चर्चा की। कहा कि बिहार में गर्मी और कठिन हालात में 50 लाख से अधिक बच्चे बाल श्रमिक के रूप में काम कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी चिंता नहीं कर रही। अगर हमें सरकार को जगाना है, तो सड़कों पर उतरना ही पड़ेगा। पुलिस जो चाहे करे, हम तो आगे बढ़ेंगे।

 

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