शादी की बस एक शर्त और मिल सकते हैं ₹3 लाख, जानिए योजना की पात्रता, किन्हें मिलेगा लाभ?
शादी की बस एक शर्त और मिल सकते हैं ₹3 लाख, जानिए योजना की पात्रता, किन्हें मिलेगा लाभ?
Inter – Caste Marriage: भारतीय समाज में विवाह सिर्फ एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं होता, बल्कि यह सामाजिक, पारिवारिक और सांस्कृतिक प्रभावों से प्रभावित होता है। खासकर जब बात अंतरजातीय विवाह की हो, तो अधिकांश परिवारों में इसे लेकर विरोध और अस्वीकृति का सामना करना पड़ता है।
हालांकि समय के साथ, कुछ परिवारों में बदलाव जरूर देखने को मिल रहा है, लेकिन आज भी अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। समाज की इस रूढ़िवादी सोच को बदलने के लिए सरकार और कई गैर-सरकारी संस्थाएं निरंतर प्रयास कर रही हैं। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता योजना, जो अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों को प्रोत्साहन प्रदान करती है।
क्या है अंतरजातीय विवाह योजना ?
यह योजना भारतीय समाज में जातिगत भेदभाव को समाप्त करने और अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई है। डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन के अंतर्गत यह योजना लागू की गई है, जिसमें उन जोड़ों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है जो एक दलित और एक गैर-दलित समुदाय से होते हैं और अंतरजातीय विवाह करते हैं। इस योजना के अंतर्गत दंपति को 1 से 3 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है, ताकि वे अपने नए जीवन की शुरुआत सुगमता से कर सकें।
सार
खास तौर पर यदि इनमें से एक व्यक्ति अनुसूचित जाति (SC) या अनुसूचित जनजाति (ST) से संबंधित हो, तो सरकार इसकी सराहना करते हुए आर्थिक मदद देती है। सरकार की यह पहल सिर्फ आर्थिक सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य समाज में जात-पात की दीवार को तोड़कर एक बराबरी का माहौल बनाना है, जहां विवाह जैसे पवित्र बंधन को जाति से ऊपर रखा जाए।
बिहार सरकार की यह योजना समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है। इस योजना के तहत यदि कोई युवक या युवती अंतरजातीय विवाह करता है, तो सरकार कम से कम 1 लाख रुपये की सहायता राशि देती है। वहीं अगर विवाह करने वाले जोड़ों में से कोई एक दिव्यांग हो, तो यह राशि 2 लाख रुपये तक बढ़ जाती है।
इतना ही नहीं, अगर पति-पत्नी दोनों दिव्यांग हैं और उन्होंने अंतरजातीय विवाह किया है, तो उन्हें 3 लाख रुपये तक की सहायता दी जा सकती है। यह रकम सीधे महिला या दिव्यांगजन के बैंक खाते में भेजी जाती है। हालांकि, इस योजना का लाभ लेने के लिए कुछ आवश्यक शर्तें तय की गई हैं। मसलन, विवाह करने वाले युवक की उम्र कम से कम 21 साल और युवती की उम्र 18 साल होनी चाहिए।
इसके साथ ही दोनों व्यक्ति बिहार के स्थायी निवासी होने चाहिए। उनमें से कोई एक अनुसूचित जाति या जनजाति से संबंधित होना चाहिए और दोनों का संबंध गरीबी रेखा (BPL) से नीचे वाले परिवार से होना चाहिए। यदि किसी एक को दिव्यांगता है, तो न्यूनतम 40 प्रतिशत दिव्यांगता का प्रमाण पत्र अनिवार्य है।
इस योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया भी सरल है। इच्छुक युवक-युवती पहले ई-सुविधा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इसके बाद लॉगिन करके योजना के तहत आवेदन फॉर्म भर सकते हैं। फॉर्म के साथ जरूरी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, उम्र प्रमाण पत्र, शादी का सर्टिफिकेट, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, दिव्यांग प्रमाण पत्र (यदि लागू हो), बैंक पासबुक और पति-पत्नी की संयुक्त फोटो अपलोड करनी होती है। आवेदन फॉर्म ऑफलाइन भी संबंधित जिला सामाजिक सुरक्षा कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है।
इस योजना के माध्यम से बिहार सरकार एक ऐसा वातावरण बनाना चाहती है, जहां युवा पीढ़ी जातिगत सीमाओं को पीछे छोड़कर सामाजिक समानता की दिशा में आगे बढ़े। यह सिर्फ एक अनुदान योजना नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का माध्यम है, जो समाज में नई सोच और एकता की नींव रखता है।
आवेदन प्रक्रिया
यदि आपने अंतरजातीय विवाह किया है और आप इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, तो आपको निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करना होगा:
आवेदन फॉर्म: सबसे पहले, आपको डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन की वेबसाइट से आवेदन फॉर्म डाउनलोड करना होगा। यह वेबसाइट है: ambedkarfoundation.nic.in। यहां से आपको विस्तृत जानकारी और आवेदन फॉर्म प्राप्त हो जाएगा।
दस्तावेज़ों की पूर्ति
आवेदन करते समय आपको कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों की आवश्यकता होगी, जिनमें:
शादी का पंजीकरण प्रमाण पत्र (हिंदू मैरिज एक्ट के तहत),
दोनों व्यक्तियों के जाति प्रमाण पत्र,
आय प्रमाण पत्र (यदि लागू हो),
और अन्य आवश्यक दस्तावेज़ शामिल हैं।
आवेदन की समय सीमा: ध्यान रखें कि आपको शादी के एक साल के भीतर ही आवेदन करना होगा। विलंब से किए गए आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा।
योजना के लाभ का सामाजिक प्रभाव
इस योजना के माध्यम से सरकार का उद्देश्य केवल आर्थिक सहायता प्रदान करना नहीं है, बल्कि जातिगत भेदभाव को समाप्त करना और समाज में एकता और समानता को बढ़ावा देना भी है। यह योजना न केवल अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करती है, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच समरसता और भाईचारे को भी मजबूत करती है।
योजना के माध्यम से
अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़े खुद को समाज में सुरक्षित और समर्थ महसूस कर सकते हैं।
इस प्रकार के विवाहों से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों को कम किया जा सकता है।
जातिगत भेदभाव के खिलाफ समाज में जागरूकता फैलाई जा सकती है, जिससे भविष्य में इस प्रकार की शादियों को अधिक स्वीकार्यता मिलेगी।
डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन की यह योजना उन दंपतियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है जो जाति की सीमाओं को पार कर अपने साथी को चुनते हैं। यह योजना न केवल उन्हें आर्थिक रूप से सहारा देती है, बल्कि उन्हें समाज में मान्यता और सम्मान भी दिलाने का प्रयास करती है। यदि आप या आपके परिवार में कोई इस योजना के पात्र हैं, तो इसका लाभ जरूर उठाएं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में योगदान दें।