Patna Water Metro: पटना में बनेगी वाटर मेट्रो, 16 जेटी का होगा निर्माण; जानिए सरकार का पूरा प्लान
पटना। बिहार सहित उत्तर प्रदेश, झारखंड एवं बंगाल के लिए आने वाले दिनों में अपेक्षाकृत सस्ते माल ढुलाई का एक विकल्प मिल जाएगा। यह विकल्प गंगा से परिवहन का होगा। पटना में वाटर मेट्रो बनेगी। साथ ही पटना को जलमार्ग क्षेत्र हब के रूप में विकसित किया जाएगा। क्रूज की देखरेख को लेकर टर्मिनल्स बनाए जाएंगे। 16 और जेटी का निर्माण होगा।
पटना में स्थित एनआईएनआई (निनि) कार्यालय को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर विकसित किया जाएगा। बिहार में जलमार्ग को विकसित करने के लिए और क्या-क्या काम किया जा सकता है, इसके लिए एक महीने के भीतर टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा।
यह घोषणा केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की। उन्होंने कहा कि सड़क एवं रेल की तुलना में जल परिवहन ज्यादा सस्ता एवं सुलभ माध्यम हैं। आने वाले वर्षों में बिहार में जलमार्ग परिवहन सबसे सस्ता विकल्प होगा।
गांधी मैदान के पास स्थित ज्ञान भवन में सोमवार को जलमार्ग मंत्रालय की ओर से आयोजित कार्यशाला को सोनोवाल संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा यह टास्क फोर्स गंगा, सोन, गंडक और कोसी में जलमार्ग की संभावनाओं का पता लगाएगा और उसकी रिपोर्ट पर केंद्र सरकार अमल करेगी।
अधिकारियों के अनुसार, पटना में बनने वाली वाटर मेट्रो के लिए फिजिबिलिटी रिपोर्ट बन रही है। डेढ-दो सालों में पटना में यह सेवा शुरू हो जाएगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार में जलमार्ग की असीम संभावनाएं हैं। अभी राज्य में 479 करोड़ की योजनाओं पर काम हुआ है। अब पटना में 50 करोड़ की लागत से शिप रिपेयर केंद्र खोला जाएगा।
अरबन वाटर मेट्रो प्रोजेक्ट पर काम करने का प्रस्ताव है। छह करोड़ की लागत से आरओ-पैक्स टर्मिनल विकसित होगा। गंडक और कोसी नदी में जलमार्ग विकसित होगा। इसके लिए डीपीआर बनाई जाएगी। त्रिवेणी घाट पर चार करोड़ की लागत से दो जेटी बनाया जाएगा। अर्थ गंगा कार्यक्रम के तहत 60 सामुदायिक जेटियां लोगों को बाजार से जोड़ रही है।
उन्होंने कहा कि देश की नदियां केवल जलधाराएं नहीं हैं, वे हमारी संस्कृति की वाहिका और सभ्यता की आत्मा हैं। हमारी नदियां भारत की अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा बन सकती है। यूपीए सरकार ने जलमार्ग पर ध्यान नहीं दिया। वर्ष 2014 में देश में मात्र पांच जलमार्ग थे जो अब 111 हो गई है। 2013-14 में 18 मिलियन टन माल जलमार्ग से जाया करते थे। अब 145 मिलियन टन माल की ढुलाई हो रही है।
राष्ट्रीय जलमार्ग-एक हल्दिया से प्रयागराज तक फैला 1620 किलोमीटर लंबा जलमार्ग है। इसमें वाराणसी, साहिबगंज, हल्दिया और कालूघाट में मल्टी-माडल टर्मिनल्स का निर्माण किया जाएगा। फरक्का में नेविगेशन लाक और जलपोतों की रात्रिकालीन नेविगेशन व्यवस्था जैसी अनेक परियोजनाएं हैं।
बिहार में जलमार्ग विकसित करने के लिए पत्तन, पोत व जलमार्ग मंत्रालय की ओर से सोमवार को ज्ञान भवन में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। समारोह की सफलता को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं केंद्रीय एमएसएमई जीतन राम मांझी के संदेश सुनाए गए।
बिहार के विकास का मॉडल बनेगा जलमार्ग : गिरिराज
केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि वाराणसी से बंगाल तक जलमार्ग विकसित हो रहा है। इसका लाभ पटना सहित बिहार के गंगा किनारे बसे शहरों को लाभ होगा। जलमार्ग बिहार के विकास का माडल बन सकता है। केंद्रीय मंत्री ने बेगूसराय में एक टर्मिनल्स बनाने की मांग की।
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने केंद्र सरकार से जल परिवहन एवं नदी पर्यटन को बढावा देने के लिए पटना वाटर मेट्रो सेवा शुरू करने की मांग की। कहा कि पटना वाटर मेट्रो जल परिवहन की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। भागलपुर में मल्टीमाडल टर्मिनल बनाने की मांग की।
जलपोत और क्रूज की मरम्मत के लिए पटना में मेंटेनेंस सेंटर जल्द स्थापित होने की घोषण की। उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि जलमार्ग मालवाहन के लिए सबसे सस्ता माध्यम है। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा।
नदियों की उड़ाही जरूरी : विजय चौधरी
जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि गंगा की हालत बिहार में क्या है, यह किसी से छिपी नहीं है। गाद की उड़ाही के लिए बिहार के अनुरोध पर ही राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति बनाई जा रही है। जलमार्ग पर सुझाव देते हुए मंत्री ने कहा कि नदियों में चलने वाले जहाज की चौड़ाई 45 मीटर होती है। जब यह चलती है तो पानी का वेग अधिक होता है, इसलिए तटबंध से 250 मीटर की दूरी पर ही जहाज चलाए जाने चाहिए। अभी कटिहार के कुरसेला और भागलपुर के इस्माइलपुर-बिंदटोली में 150 मीटर की दूरी के भीतर ही जहाज का परिचालन हो रहा है। जलमार्ग बनाने से पहले नदियों के गाद की उड़ाही की जानी चाहिए।
मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने कहा कि सड़क मार्ग से सामानों को लाने-ले जाने में ढाई रुपये प्रति मीट्रिक टन, रेलवे से सामान लाने-ले जाने में 1.41 रुपये प्रति मीट्रिक टन जबकि जलमार्ग से सामानों की आवाजाही पर मात्र 1.06 रुपये प्रति मीट्रिक टन खर्च आता है। बिहार में जलमार्ग के क्षेत्र में व्यापक स्तर पर काम करने की आवश्यकता है। टास्क फोर्स इसमें सहायक होगा।
कच्ची दरगाह में टर्मिनल बन जाए तो यह रेलवे, रोड व नदी का जंक्शन बन जाएगा। सोन से उत्तर बिहार के जिलों में जलमार्ग से बालू की आवाजाही की जा सकती है। इस पर काम करना चाहिए। कोसी, गंडक में भी जलमार्ग की व्यापक संभावनाएं हैं। पर्यटन को भी इससे बढ़ावा मिलेगा। झारखंड से आने वाले पत्थर को भी जलमार्ग से लाया जा सकता है।
परिवहन मंत्री शीला मंडल, यूपी के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, बंगाल के परिवहन मंत्री मानस रंजन भूनिया, सांसद रविशंकर प्रसाद व सुदामा प्रसाद ने भी अपने विचार रखे। स्वागत अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष विजय कुमार ने किया। मौके पर कई जिले के डीएम व अन्य अधिकारी मौजूद थे।