उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद आगे क्या होने वाला है? जानें किन नामों की हो रही चर्चा
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद आगे क्या होने वाला है? जानें किन नामों की हो रही चर्चा
नई दिल्ली : संसद के मॉनसून सत्र शुरू होने के पहले ही दिन देर शाम बड़ी खबर आई। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अचानक अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की खबर से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई। उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के पीछे कारणों को लेकर विभिन्न दलों से लेकर राजनीतिक विश्लेषकों के बीच अटकलों का बाजार गर्म हो गया। आजाद भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब किसी उपराष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल के बीच में इस तरह से इस्तीफा दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित अपने त्यागपत्र में लिखा कि मैं स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने के लिए तत्काल प्रभाव से पद को छोड़ रहा हूं। मैं संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं।
बता दें कि जगदीप धनखड़ की मार्च में दिल्ली के एम्स में एंजियोप्लास्टी हुई थी और वे कुछ दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती रहे थे। उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद अब कई तरह से सवाल उठने लगे हैं। तो चलिए 10 प्वाइंट में समझते हैं कि अब आगे क्या होने वाला है…
- उपराष्ट्रपति जगदीप धनकर के इस्तीफे के बाद केंद्र सरकार ने अभी इस पद के लिए किसी दूसरे नेता के नाम की घोषणा नहीं की है।
- संविधान में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि पद रिक्त होने की स्थिति में उपराष्ट्रपति के सम्पूर्ण कर्तव्यों का निर्वहन कौन करेगा।
- जब तक किसी नए नाम की घोषणा नहीं होती है तो यह कार्य उपसभापति या भारत के राष्ट्रपति द्वारा अधिकृत किसी अन्य राज्यसभा सदस्य द्वारा किया जाएगा।
- संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों वाले निर्वाचक मंडल द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के माध्यम से एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाता है।
- भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए), जिसके पास लोकसभा और राज्यसभा दोनों में बहुमत है, ऐसे में पार्टी किसी दमदार चेहरे को ही मौका देगी।
- वहीं, जिन नामों पर विचार किया जा रहा है, उनमें जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश का नाम भी शामिल है, जो 2020 से इस पद पर हैं और सरकार का विश्वासपात्र माने जाते हैं।
- उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार होने के लिए भारत का नागरिक होना चाहिए और उसकी उम्र कम से कम 35 वर्ष का होना चाहिए, और राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने के लिए योग्य होना चाहिए।
- संविधान के अनुसार, कोई व्यक्ति भारत सरकार, राज्य सरकार या किसी अधीनस्थ स्थानीय प्राधिकरण के अधीन किसी लाभ के पद पर आसीन होने पर भी पात्र नहीं है।
- वहीं, एक भाजपा नेता ने कहा कि हमलोग अभी इस पर मंथन कर रहे हैं। लेकिन मेरा मानना है कि पार्टी किसी ऐसे व्यक्ति को चुनेगी जो एक ठोस विकल्प हो और जिस पर कोई विवाद न हो।
- धनखड़, वी. वी. गिरि और भैरों सिंह शेखावत के बाद ऐसे उपराष्ट्रपति बन गए हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था।
मनोज सिन्हा से लेकर नीतीश कुमार तक
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, हरिवंश नारायण सिंह वर्तमान में राज्यसभा के सभापति के कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। फिलहाल, जगदीप धनखड़ के उत्तराधिकारी के रूप में अगले उपराष्ट्रपति के नाम की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि, राष्ट्रपति की तरफ से जगदीप धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार करने के बाद नए उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। ऐसा होने की स्थिति में सत्ताधारी एनडीए के साथ ही विपक्षी दल भी संभावित नामों पर विचार विमर्श शुरू कर सकते हैं।
इस बीच सोशल मीडिया पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, नीतीश कुमार के साथ ही राजनाथ सिंह का भी नाम भी सामने आ रहा है। इन नामों की चर्चा के पीछे लोगों के अपने-अपने तर्क हैं। कई लोगों का मानना है कि यूपी के मद्देनजर बीजेपी की तरफ से मनोज सिन्हा को यह बड़ी और अहम जिम्मेदारी दी जा सकती हैं। वहीं, बिहार चुनाव के मद्देनजर बीजेपी राज्य में अपना मुख्यमंत्री बनाने की एवज में नीतीश कुमार को यह पद ऑफर कर सकती है।
इसके अलावा एक धड़ा महिला उपराष्ट्रपति की बात भी कर रहा है। कई लोगों का कहना है कि राज्यों के चुनाव और राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए अब महिला फैक्टर को नकारा नहीं जा सकता है। हालांकि, राष्ट्रपति पद पर पहले से ही महिला के होने की वजह से महिला उपराष्ट्रपति उम्मीदवार वाले तर्क में अधिक वजह नजर नहीं आ रहा है। हालांकि, ये सभी नाम और बाते केवल अटकलें हैं और इनका कोई आधिकारिक आधार नहीं है।
एनडीए चाहेगा दमदार उम्मीदवार
उपराष्ट्रपति पद के लिए किसी भी नाम की घोषणा या चयन हो लेकिन बीजेपी इस पद पर एक मजबूत और दमदार चेहरा चाहेगी। ऐसा चेहरा जो पार्टी की तरफ से संदेश देने के साथ ही राज्यसभा को दमदार और प्रभावी तरीके से संचालित कर सके। राज्यसभा में जिस तरह से विपक्ष और सत्ता पक्ष की तरफ से स्थिति बनती है ऐसे में उपराष्ट्रपति पद के लिए एक सर्वमान्य और मजबूत छवि वाले नेता की तलाश रहेगी। इसके लिए पार्टी की तरफ से कोई कोरकसर नहीं छोड़ी जाएगी।
उपराष्ट्रपति का इस्तीफा चौंकाने वाला था
जगदीप धनखड़ का 23 जुलाई को दौरा पहले से प्रस्तावित किया हुआ था लेकिन अचानक से इस्तीफा ने अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है। कहा यह भी जा रहा है कि अगर उपराष्ट्रपति को इस्तीफा देना होता तो वह मानसून सत्र से पहले भी दे सकते थे लेकिन अचानक इस्तीफा से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। उपराष्ट्रपति का कार्यकाल अभी 2 साल और बाकी था।
उपराष्ट्रपति चुनाव में कैसे होती है वोटिंग?
– उपराष्ट्रपति चुनाव दोनों सदनों के सांसद हिस्सा लेते हैं. इनमें राज्यसभा के 245 और लोकसभा के 543 सांसद हिस्सा लेते हैं. राज्यसभा सदस्यों में 12 मनोनित सांसद भी इसमें शामिल होते हैं.
– उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति यानी प्रपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन सिस्टम से होता है. इसमें वोटिंग खास तरह से होती है, जिसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहते हैं.
– वोटिंग के दौरान वोटर को एक ही वोट देना होता है, लेकिन उसे अपनी पसंद के आधार पर प्राथमिकता तय करनी होती है. बैलेट पेपर पर वोटर को पहली पसंद को 1, दूसरी को 2 और इसी तरह से प्राथमिकता तय करनी होती है.
– इसे ऐसे समझिए कि अगर A, B और C उपराष्ट्रपति चुनाव में खड़े हैं, तो वोटर को हर किसी के नाम के आगे अपनी पहली पसंद बतानी होगी. मसलन, वोटर को A के आगे 1, B के आगे 2 और C के आगे 3 लिखना होगा.
वोटों की गिनती कैसे होती है?
– उपराष्ट्रपति चुनाव का एक कोटा तय होता है. जितने सदस्य वोट डालते हैं, उसकी संख्या को दो से भाग देते हैं और फिर उसमें 1 जोड़ देते हैं. मान लीजिए कि चुनाव में 787 सदस्यों ने वोट डाले, तो इसे 2 से भाग देने पर 393.50 आता है. इसमें 0.50 को गिना नहीं जाता, इसलिए ये संख्या 393 हुई. अब इसमें 1 जोड़ने पर 394 होता है. चुनाव जीतने के लिए 394 वोट मिलना जरूरी है.
– वोटिंग खत्म होने के बाद पहले राउंड की गिनती होती है. इसमें सबसे पहले ये देखा जाता है कि सभी उम्मीदवारों को पहली प्राथमिकता वाले कितने वोट मिले हैं. अगर पहली गिनती में ही किसी उम्मीदवार को जरूरी कोटे के बराबर या उससे ज्यादा वोट मिलते हैं तो उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है.
– अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो फिर से गिनती होती है. इस बार उस उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है, जिसे सबसे कम वोट मिले होते हैं. लेकिन उसे पहली प्राथमिकता देने वाले वोटों में देखा जाता है कि दूसरी प्राथमिकता किसे दी गई है. फिर उसकी प्राथमिकता वाले ये वोट दूसरे उम्मीदवार में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं.
– इन सारे वोटों के मिल जाने से अगर किसी उम्मीदवार के जरूरी कोटे या उससे ज्यादा वोट हो जाते हैं, तो उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है. लेकिन दूसरे राउंड में भी अगर कोई विजेता नहीं बन पाता, तो फिर से वही प्रक्रिया दोहराई जाती है. ये प्रक्रिया तब तक होती है, जब तक कोई एक उम्मीदवार न जीत जाए.