प्रभु श्री राम का सूर्य किरणों से अभिषेक के लिए 350 साल का प्लान, 19 साल में बदलेगा कोण
श्रीराम मंदिर में विराजित रामलला के ललाट पर सूर्य तिलक की 350 साल की योजना का डिजिटल चार्ट तैयार हो गया है। राम नवमी के पर्व पर पांच दिनों तक चलने इस अभिषेक के लिए सूर्य किरणों को टेलिस्कोप के जरिए परावर्तित कर गर्भगृह में लाया जाएगा। इस कार्य में सीएसआईआर के वैज्ञानिकों के साथ सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स बेंगलुरू व इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनामी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पुणे के वैज्ञानिक भी शामिल रहे।
पिछले साल अस्थाई व्यवस्था थी। इस बार राम मंदिर के सुपर स्ट्रक्चर के साथ निर्माणाधीन शिखर भी ऊंचाइयों का स्पर्श कर चुका है। इसके चलते 20 साल के लिए स्थाई व्यवस्था कर दी गयी है। श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के अभियंता जगदीश आफले बताते हैं कि इस प्रोजेक्ट में इंजीनियरिंग चैलेंज के साथ जटिल खगोलीय चुनौतियां थीं। इस प्रोजेक्ट के लिए सूर्य की पोजिशन पर निर्भर करना होता है। एक बार दिन के निर्धारित वक्त में सूर्य की पोजिशन पता चल जाएगी तो सम्बन्धित उपकरणों का इस्तेमाल किया जा सकता है। जिससे सूर्य की किरणें मंदिर के गर्भ गृह तक पहुंचे।इसके लिए चंद्र कैलेंडर और सौर कैलेंडर दोनों की गणना की गई है। चंद्र कैलेंडर में 355 दिन होते हैं जबकि सौर कैलेंडर में 365 दिन होते हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों को इन दो कैलेंडर के आधार पर सूर्य की सटीक कैलकुलेशन करनी पड़ी। इसी गणना के आधार पर प्रोजेक्शन के उपकरण को सेट किया गया क्योंकि सूर्य की 19 वर्ष की साईकिल होती है और 20 वें साल में जाकर स्थिति में बदलाव होता है। इसीलिए 20 वें साल पोजीशन को मैनुअली एडजेस्ट करना होगा। उन्होंने बताया कि इस एडजेस्टमेंट के लिए 350 साल का डिजिटल चार्ट तैयार कर लिया गया है।
पृथ्वी पर सूरज की किरण पहुंचने में लगता है आठ मिनट 20 सेकंड का समय
संघ के पूर्व प्रचारक एवं इंजीनियर आफले बताते हैं कि गणना यह पता लगा कि पृथ्वी पर सूर्य किरणों को पहुंचने में आठ मिनट 20 सेकेंड का समय लगता है। सौर कैलेंडर में सूर्य की एक-एक डिग्री की मूवमेंट की गणना की जा सकती है। सौर कैलेंडर 365 दिन और पांच से छह घंटे के दिनों के मौसमी वर्ष पर आधारित डेटिंग प्रणाली है। पृथ्वी को सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने में इतना ही समय यानी 365 दिन लगता हैं। सौर कैलेंडर में दिनों की संख्या घटती बढ़ती रहती है जिसमें कभी महीना 28 दिन का होता है कभी 29 दिन कभी 30 दिन तो कभी 31 दिन का होता है । भारत में परम्परागत रूप से चंद्र कैलेंडर का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें 15-15 दिन को शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष बांटा गया है और चैत्र से लेकर फाल्गुन तक 12 महीने निर्धारित किए गये है।