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राजनीति मेरे लिए फुलटाइम जॉब नहीं; योगी आदित्यनाथ के बोलते ही अखिलेश का तंज- छोड़ ही दें

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राजनीति मेरे लिए फुलटाइम जॉब नहीं; योगी आदित्यनाथ के बोलते ही अखिलेश का तंज- छोड़ ही दें

यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ का कहना है कि राजनीति उनके लिए फुलटाइम जॉब नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी के नेतृत्व ने मुझे यूपी की जनता के लिए काम करने की जिम्मेदारी दी है। मैं असल में तो एक योगी ही हूं, राजनीति मेरे लिए फुलटाइम जॉब नहीं हूं। उनके ऐसा कहने पर अखिलेश यादव ने एक्स पर एक पोस्ट लिखकर तंज कसा है। अखिलेश यादव ने सीएम योगी का नाम तो नहीं लिखा, लेकिन जिस तरह उनके बयान के बाद लिखा है, उससे साफ है कि इशारा किस ओर है। योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश की जनता के लिए पार्टी ने मुझे यहां लगाया है। राजनीति मेरे लिए एक फुलटाइम जॉब नहीं है। लेकिन मैं वास्तव में तो एक योगी ही हूं। हम लोग जिस समय तक हैं, तब तक हैं। काम कर रहे हैं और उसकी भी एक समयसीमा होगी।’

इस पर अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए लिखा, ‘दरअसल उनको राजनीति करनी ही नहीं चाहिए जो इसे पार्ट टाइम समझते हैं क्योंकि ‘सच्ची राजनीति सेवा का क्षेत्र’ होती है, जिसके लिए दिन के 24 घंटे और पूरा जीवन भी कम होता है।’ योगी आदित्यनाथ इससे पहले भी कह चुके हैं कि वह पहले गोरक्षपीठ के महंत हैं और उसके बाद उन्हें सीएम की जिम्मेदारी मिली थी। उन्होंने अपनी सरकार के 8 साल पूरे होने के मौके पर पीटीआई से बातचीत की थी। इसी दौरान उन्होंने वक्फ संपत्ति, दंगों, महाकुंभ समेत कई मसलों पर बात की।

वक्फ बिल पर बोले योगी- हर अच्छे काम का विरोध होता है

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हर अच्छे काम का विरोध होता है। कोई एक काम भी वक्फ बोर्ड गिना सकता है क्या कि उसने समाज के कल्याण के लिए कोई काम किया है। ये सब व्यक्तिगत स्वार्थ के अड्डे बने हुए हैं। सरकारी संपत्ति पर काबिज होने के ये माध्यम बने हुए हैं। हर सुधार का विरोध होता है, लेकिन देश, काल और परिस्थिति के अनुसार हमें बदलाव के लिए तैयार रहना चाहिए। इसका लाभ मुस्लिम समुदाय को होगा और कानून-व्यवस्था का जो संकट खड़ा होता है, उससे भी मुक्ति मिलेगी।

‘हिंदू मठ और मंदिर तो गोशाला, कैंटीन, अस्तपाल चलाते हैं, वक्फ क्या कर रहा’

आप हिंदू मठ-मंदिरों को देखते हैं तो वे अपने सीमित संसाधनों से ही वेलफेयर के काम करते हैं। सरकारों से कोई सहयोग नहीं मिलता। फिर भी वे गोशाला, स्कूल, कैंटीन, मेडिकल कॉलेज और अस्पताल जैसे तमाम संस्थान चलाते हैं। गरीब बच्चों को स्कॉलरशिप देते हैं। किसी वक्फ बोर्ड ने आज तक कोई ऐसा काम किया है क्या। हिंदू धर्म स्थलों की तुलना में इनके पास जो संपत्ति है, वह कई गुना ज्यादा है। ये लोग जिस संपत्ति को भी कह देते हैं कि वह वक्फ की है, उसे उनका मान लिया जाता है। यह कहां का क्या न्याय है। किसी भी संपत्ति पर कब्जे की प्रवृत्ति बंद होनी चाहिए और वक्फ का ऑडिट होना चाहिए। पता चलना चाहिए कि उससे समाज के लिए क्या काम हुआ है। समाज की बात छोड़िए। यही बता दें कि आखिर मुसलमानों के लिए ही उन्होंने क्या किया है।

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