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कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के दरबार हॉल में भारतीय शिक्षण मंडल युवा आयाम द्वारा आयोजित शोध पत्र लेखन आनंदशाला कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के दरबार हॉल में भारतीय शिक्षण मंडल युवा आयाम द्वारा आयोजित शोध पत्र लेखन आनंदशाला कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

वही इस कार्यक्रम का उद्देश्य आज के युवा वर्ग में विजन फाॅर विकसित भारत को लेकर क्या संकल्पना है ? तथा शिक्षा का उद्देश्य भारत केंद्रित बनाना था । वैदिक मंगलाचरण डॉ. ध्रुव मिश्र ने किया। एवं मंचस्थ विद्वज्जनों के द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ । भारतीय शिक्षण मंडल उत्तर बिहार प्रांत संपर्क प्रमुख राजदेव ने ध्येय मंत्र , ध्यान श्लोक एवं संगठन गीत का पाठ करवाया । कुल गीत व्याकरण विभाग की सहायक प्राचार्य डॉक्टर साधना शर्मा जी द्वारा गाया गया । मंचस्थ विद्वज्जनों का स्वागत स्नातकोत्तर प्रभारी प्रो. सुरेश्वर झा ने किया । तदुपरांत अतिथियों के द्वारा शोध लेखन से संबंधित पोस्टर का विमोचन किया गया । अजीत कुमार अध्यक्ष भारतीय शिक्षण मंडल, उत्तर बिहार ने विजन फाॅर विकसित भारत को केंद्रित करते हुए विषय प्रवर्तन किया । प्रो. ओम प्रकाश सिंह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने भारतीय शिक्षण मंडल का परिचय करवाया तथा मंडल के सात मुख्य बिंदुओं से सभी को अवगत करवाया। उन्होंने नव शिक्षा निर्माण तथा भारतीय ज्ञान परंपरा को पुष्ट करने का आह्वान किया ।

क्षेत्र संयोजिका सुश्री अंबिका आर्यन ने अपने व्याख्यान में वामपंथी बुद्धिजीवियों द्वारा भारत विरोधी नॉरेटिव का भारतीय शिक्षा में समाहित होने का विरोध किया । विश्वविद्यालय विभाग प्रमुख डॉ0 अनिल कुमार जी ने शोध लेखन प्रतियोगिता प्रक्रिया के नियम तथा शोध बिंदुओं पर प्रकाश डाला । प्रांत उपाध्यक्ष डॉ0 साकेत रमन जी ने शोध पत्र लेखन विधि पर प्रकाश डाला उन्होंने बताया कि भारतीय शिक्षण मंडल “वयम् राष्ट्रे जागृयाम ” अर्थात् हम राष्ट्र को जीवंत एवं जाग्रत बनायें पर कार्य कर रहा है । शोध पत्र लेखन विधि के विविध पक्षों पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि विषय से संबंधित अनुत्तरित प्रश्नों का उत्तर सहसंबंध तथा तादात्म्य संबंध के द्वारा सैद्धांतिक लेखन ही शोध पत्र लेखन कहलाता है । गोष्टी की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो . लक्ष्मी निवास पांडेय जी ने की तथा उन्होंने बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा को भारत केंद्रित कर भारत को विकसित किया जा सकता है तथा जिस दिन भारतीय संस्कृत को देव भाषा न कह कर जन भाषा कहना शुरू कर देगा उस दिन शिक्षा का पूर्ण भारतीय करण हो जाएगा ।

धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो. पुरेन्द्र बारीक  ने किया । शांति पाठ के उपरांत अध्यक्ष महोदय की अनुमति से कार्यक्रम की समाप्ति हुई ।

मंच संचालन व्याकरण विभाग में सहायक प्राचार्या डॉ0 एल. सविता आर्या ने किया ।कार्यक्रम का संयोजन डॉ0 यदुवीर स्वरुप शास्त्री   ने किया।

इस गोष्ठी में विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष ,सहायक आचार्य तथा छात्र श्रवण कुमार यादव, हिमांशु मिश्र, शुभम सहित सैकड़ो छात्र सम्मिलित हुए।

 

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