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118 करोड़ में बिकी एमएफ हुसैन की पेंटिंग, बनी सबसे महंगी आधुनिक भारतीय आर्ट; क्या है खास?

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118 करोड़ में बिकी एमएफ हुसैन की पेंटिंग, बनी सबसे महंगी आधुनिक भारतीय आर्ट; क्या है खास?

प्रसिद्ध भारतीय चित्रकार एम. एफ. हुसैन की एक कृति ने नीलामी में इतिहास रच दिया है। उनकी पेंटिंग 13.8 मिलियन डॉलर (लगभग 118 करोड़ रुपये) में बिकी। यह अब तक किसी आधुनिक भारतीय कलाकृति के लिए सार्वजनिक नीलामी में मिली सबसे ऊंची कीमत है। एम. एफ. हुसैन की पेंटिंग अनटाइटल्ड (ग्राम यात्रा) की ये नीलामी न्यूयॉर्क में स्थित क्रिस्टीज में हुई। नीलामी के बाद यह पेंटिंग एक अज्ञात संस्था ने खरीदी।

इस पेंटिंग की शुरुआती अनुमानित कीमत 25 लाख से 35 लाख डॉलर थी, लेकिन यह अपेक्षा से चार गुना अधिक कीमत पर बिकी। इससे पहले हुसैन की सबसे महंगी पेंटिंग अनटाइटल्ड (रीइनकार्नेशन) थी, जिसे सितंबर 2023 में लंदन के सोथबीज में 31 लाख डॉलर (करीब 26 करोड़) में नीलाम किया गया था।

अमृता शेरगिल का रिकॉर्ड टूटा

इससे पहले आधुनिक भारतीय कला के लिए सबसे महंगी पेंटिंग का रिकॉर्ड अमृता शेरगिल की द स्टोरी टेलर (1937) के नाम था, जो सितंबर 2023 में मुंबई में 74 लाख डॉलर (करीब 63 करोड़) में बिकी थी। वहीं, एस. एच. रजा की 1959 की पेंटिंग कल्लिस्ते मार्च 2023 में सोथबीज में 56 लाख डॉलर में बिकी थी।

70 सालों बाद हुई सार्वजनिक नीलामी

1954 में बनी हुसैन की यह पेंटिंग करीब 14 फीट लंबी है और इसमें भारतीय गांवों के 13 अलग-अलग दृश्य (विन्येट्स) दिखाए गए हैं। इसे पहली बार 70 साल बाद सार्वजनिक रूप से नीलामी के लिए लाया गया। यह पेंटिंग मूल रूप से नॉर्वे के जनरल सर्जन और निजी कला संग्राहक लियोन एलियास वोलोडार्स्की ने 1954 में नई दिल्ली में खरीदी थी। बाद में 1964 में इसे ओस्लो यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल को दान कर दिया गया था, जहां यह एक निजी न्यूरोसाइंस कॉरिडोर में रखी गई थी और जनता के लिए अनुपलब्ध थी।

क्रिस्टीज की दक्षिण एशियाई आधुनिक और समकालीन कला विभाग के प्रमुख निशाद अवारी ने इसे अपने करियर की “सबसे महत्वपूर्ण कृतियों में से एक” बताया। उन्होंने कहा, “इस पेंटिंग में हुसैन ने भारत की स्वतंत्रता के बाद गांवों और ग्रामीण जीवन की केंद्रीयता को रेखांकित किया है। यह भारतीय आधुनिक कला की पहचान तलाशने का प्रतीक है।”

पेंटिंग से जुड़े खास पहलू

अवारी के अनुसार, ग्राम यात्रा में मौजूद एक खड़ा किसान इस पेंटिंग का एकमात्र पुरुष पात्र है और इसे हुसैन का आत्म-चित्र माना जा सकता है। यह पात्र एक ऐसे दृश्य को पार करता है, जिसमें खेतों और ग्रामीण परिवेश को दिखाया गया है। अवारी ने कहा, “यह किसान भूमि का पोषक और रक्षक है।”

नीलामी की 13 साल लंबी प्रक्रिया

इस पेंटिंग को नीलामी तक लाने में 13 साल लगे। ओस्लो यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ने जब इसे बेचने का निर्णय लिया, तब क्रिस्टीज ने तुरंत रुचि दिखाई और आवश्यक मंजूरी प्रक्रिया पूरी की। अवारी ने बताया कि इस नीलामी से मिलने वाली राशि से डॉ. वोलोडार्स्की के नाम पर डॉक्टरों के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा। इस ऐतिहासिक नीलामी से यह साफ है कि आधुनिक भारतीय कला की वैश्विक बाजार में मांग लगातार बढ़ रही है, और एम. एफ. हुसैन की विरासत नए आयाम छू रही है।

Source – Hindustan

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