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विज्ञान

1. रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

1. रासायनिक अभिक्रियाओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. रासायनिक अभिक्रिया के समय किसी एक तत्त्व का परमाणु दूसरे तत्त्व के परमाणु में नहीं बदलता है।
2. किसी रासायनिक अभिक्रिया में परमाणुओं के आपसी आबंध के टूटने एवं जुड़ने से नए पदार्थों का निर्माण होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : रासायनिक अभिक्रिया के समय किसी एक तत्त्व का परमाणु दूसरे तत्त्व के परमाणु में नहीं बदलता है। न तो कोई परमाणु मिश्रण से बाहर जाता है और न ही बाहर से मिश्रण में आता है। वास्तव में किसी रासायनिक अभिक्रिया में परमाणुओं के आपसी आबंध के टूटने एवं जुड़ने से नए पदार्थों का निर्माण होता है।
2. किसी पदार्थ का उपचयन (Oxidation) होता है यदि उसमें –
(a) ऑक्सीजन की वृद्धि हुई हो।
(b) ऑक्सीजन का ह्रास हुआ हो ।
(c) हाइड्रोजन की वृद्धि हुई हो।
(d) हाइड्रोजन का ह्रास हुआ हो ।
उत्तर : (a)
व्याख्या : जब किसी अभिक्रिया के समय किसी पदार्थ में ऑक्सीजन की वृद्धि तो उसका उपचयन होता है तथा किसी अभिक्रिया में जब किसी पदार्थ में ऑक्सीजन का ह्रास उसका अपचयन (Reduction) होता है।
• जब किसी अभिक्रिया में एक अभिकारक उपचयित तथा दूसरा अभिकारक अपचयित होता है तो इन अभिक्रियाओं को उपचयनअपचयन अथवा रेडॉक्स अभिक्रिया (Redox Reaction) कहते हैं।
3. ऑक्सीकरण (Oxidation) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये –
1. इसके कारण चांदी के ऊपर काली परत व तांबे के ऊपर हरी परत चढ़ जाती है।
2. इसके प्रभाव ‘बचाने के लिये चिप्स की थैली में से ऑक्सीजन हटाकर उसमें नाइट्रोजन गैस भरी जाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या: उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• दैनिक धातुओं का संक्षारण (Corrosion) होता है। लोहे पर जंग लगना, चांदी के ऊपर काली परत व तांबे के ऊपर हरी परत चढ़ना संक्षारण के उदाहरण हैं।
• ऑक्सीकरण या उपचयन के कारण तेल एवं वसा विकृतगंधी (Rancid ) हो जाते हैं, जिससे वसा युक्त अथवा तैलीय खाद्य सामग्री के स्वाद और गंध बदल जाते हैं। प्रायः ऐसी खाद्य सामग्रियों में उपचयन रोकने वाले पदार्थ (प्रति ऑक्सीकारक ) मिलाए जाते हैं। वायुरोधी बर्तनों में खाद्य सामग्री रखने से उपचयन की गति धीमी हो जाती है। चिप्स की थैली में से ऑक्सीजन हटाकर उसमें नाइट्रोजन जैसी कम सक्रिय गैस भर दी जाती है ताकि चिप्स का उपचयन न हो सके ।
4. चूने के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. कैल्शियम ऑक्साइड को चूना या बिना बुझा हुआ चूना भी कहते हैं।
2. बुझे हुए चूने के विलयन से दीवारों की सफेदी करने पर दो-तीन दिन बाद दीवारों पर कैल्शियम कार्बोनेट का निर्माण होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• कैल्शियम ऑक्साइड को चूना या बिना बुझा हुआ चूना कहते हैं। इसके अनेक उपयोगों में से एक उपयोग सीमेंट के निर्माण में होता है।
• कैल्शियम ऑक्साइड जल के साथ तीव्रता से अभिक्रिया करके बुझे हुए चूने (कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड) का निर्माण करके अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न करता है । बुझे हुए चूने के इस विलयन का उपयोग दीवारों की सफेदी के लिये किया जाता है। ऐसे में बुझा हुआ चूना वायु में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड के साथ धीमी गति से अभिक्रिया करके दीवारों पर कैल्शियम कार्बोनेट की परत बना देता है। सफेदी करने के दो-तीन दिन बाद इस परत का निर्माण होता है तथा इससे दीवारों पर चमक आ जाती है।
5. श्वसन (Respiration) निम्नलिखित में से कैसी अभिक्रिया है?
(a) संयोजन अभिक्रिया (Combination Reaction)
(b) वियोजन अभिक्रिया (Decomposition Reaction)
(c) ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (Exothermic Reaction)
(d) ऊष्माशोषी अभिक्रिया (Endothermic Reaction)
उत्तर : (c)
व्याख्या : जिन अभिक्रियाओं में उत्पाद के निर्माण के साथ-साथ ऊष्मा भी उत्पन्न होती है, उन्हें ऊष्माक्षेपी रासायनिक अभिक्रिया कहा जाता है। श्वसन ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है। जीवित रहने के लिये ऊर्जा हमें भोजन से प्राप्त होती है। पाचन क्रिया के समय खाद्य पदार्थ छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं जिससे शरीर को कार्बोहाइड्रेट मिलता है। इन कार्बोहाइड्रेट के टूटने से ग्लूकोज प्राप्त होता है। यह ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं में उपस्थित ऑक्सीजन के साथ मिलकर शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। इसी अभिक्रिया का विशेष नाम श्वसन है। शाक-सब्ज़ियों का विघटित होकर कंपोस्ट बनना भी ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया का एक उदाहरण है।
• जब दो या दो से अधिक पदार्थ संयोग करके एकल उत्पाद का निर्माण करते हैं तो ऐसी अभिक्रियाओं को संयोजन अभिक्रिया कहा जाता है।
• वियोजन अभिक्रिया संयोजन अभिक्रिया के विपरीत होती है। वियोजन अभिक्रिया में एकल पदार्थ वियोजित होकर दो या दो से अधिक पदार्थ देता है।
• जिन अभिक्रियाओं में ऊष्मा का अवशोषण होता है, वे ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।

2. अम्ल, क्षारक एवं लवण

1. लिटमस विलयन जब ना तो अम्लीय होता है ना तो क्षारीय, वह किस रंग का होता है ?
(a) बैंगनी
(b) पीला
(c) लाल
(d) नीला तब
उत्तर : (a)
व्याख्या : लिटमस विलयन बैंगनी रंग का रंजक होता है, जो थैलोफाइटा समूह के लिचेन पौधे से निकाला जाता है। प्रायः इसे सूचक की तरह उपयोग किया जाता है। लिटमस विलयन जब न तो अम्लीय होता है न ही क्षारीय, तब यह बैंगनी रंग का ही होता है।
2. अम्ल तथा क्षारक के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. अम्ल का स्वाद कड़वा जबकि क्षारकों का स्वाद खट्टा होता है ।
2. अम्ल नीले लिटमस को लाल, जबकि क्षारक लाल लिटमस को नीला कर देते हैं।
3. अम्ल और क्षारक दोनों विद्युत के सुचालक होते हैं ।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (b)
व्याख्या : अम्लों का स्वाद खट्टा होता है जबकि क्षारकों का स्वाद कड़वा होता है। अतः कथन 1 गलत है।
• अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते हैं, जबकि क्षारक लाल लिटमस को नीला कर देते हैं। लिटमस एक प्राकृतिक सूचक है। अतः कथन 2 सही है।
• अम्ल और क्षारक दोनों विद्युत के कुचालक होते हैं। दोनों केवल अपने जलीय विलयन में ही विद्युत चालकता दर्शाते हैं। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि अम्ल और क्षारक दोनों केवल अपने जलीय विलयन में ही क्रमशः हाइड्रोजन और हाइड्रॉक्साइड आयन का निर्माण करते हैं। अतः कथन 3 भी गलत है।
3. निम्नलिखित में से कौन-सा तत्त्व सभी अम्लों में निश्चित रूप से उपस्थित होता है?
(a) हाइड्रोजन
(b) क्लोरीन
(c) सल्फर
(d) सोडियम
उत्तर : (a)
व्याख्या: सभी अम्लों में हाइड्रोजन तत्त्व निश्चित रूप से उपस्थित होता है, इसी कारण धातु के साथ अभिक्रिया करने पर लगभग सभी अम्ल हाइड्रोजन गैस उपन्न करते हैं।
4. कपड़ों पर लगे हल्दी के दाग पर जब क्षारकीय प्रकृति वाला साबुन रगड़ते हैं तब उस धब्बे का रंग भूरा-लाल हो जाता है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि-
(a) साबुन हल्दी से मिलकर अम्लीय प्रभाव उत्पन्न करता है।
(b) साबुन हल्दी से मिलकर उसकी अम्लीय प्रकृति को उदासीन कर देता है।
(c) हल्दी एक प्राकृतिक सूचक है।
(d) हल्दी की प्रकृति क्षारकीय है।
उत्तर : (c)
व्याख्या: कपड़ों पर लगे हल्दी के दाग पर जब क्षारकीय प्रकृति वाला साबुन रगड़ते हैं तब उस धब्बे का रंग भूरा – लाल हो जाता है। ऐसा | इसलिये होता है क्योंकि हल्दी एक प्राकृतिक सूचक है।
• बहुत सारे प्राकृतिक पदार्थ; जैसे- लाल पत्ता गोभी, हल्दी, हायड्रेजिया, पेटूनिया एवं जेरानियम जैसे कई फूलों की रंगीन पंखुड़ियाँ रंग में परिवर्तन के द्वारा किसी विलयन में अम्ल एवं क्षारक की उपस्थिति को सूचित करते हैं।
• अम्ल एवं क्षारक की जाँच के लिये संश्लेषित सूचक जैसे मेथिल ऑरेंज एवं फीनॉल्फथेलिन का भी उपयोग होता है।
• कुछ ऐसे पदार्थ भी होते हैं, जिनकी गंध अम्लीय या क्षारकीय माध्यम में बदल जाती है। इन्हें गंधीय सूचक कहते हैं।
5. मानव उदर के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. मानव उदर सल्फ्यूरिक अम्ल उत्पन्न करता है जो उदर को हानि पहुँचाए बिना भोजन के पाचन में सहायक होता है।
2. अपच की स्थिति में मानव उदर बहुत अधिक मात्रा में अम्ल उत्पन्न करता है जिससे उदर में जलन का अनुभव होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा/से सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (b)
व्याख्या : मानव उदर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल उत्पन्न करता है जो उदर को हानि पहुँचाए बिना भोजन के पाचन में सहायक होता है। अतः कथन 1 गलत है।
• अपच की स्थिति में मानव उदर बहुत अधिक मात्रा अम्ल उत्पन्न करता है जिससे उदर में जलन और दर्द का अनुभव होता है। अतः कथन 2 सही है। इस दर्द से मुक्त होने के लिये ऐन्टैसिड ( antacid) जैसे क्षारकों का उपयोग किया जाता है। यह ऐन्टैसिड अम्ल की आधिक्य मात्रा को उदासीन करता है। इसके लिये मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड (मिल्क ऑफ मैग्नीशिया) जैसे दुर्बल क्षारक का उपयोग किया जाता है।
6. pH स्केल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये
1. इससे सामान्यतः शून्य से चौदह तक pH ज्ञात कर सकते हैं।
2. किसी विलयन में हाइड्रोनियम आयन की सांद्रता जितनी अधिक होती है, उसका pH उतना ही अधिक होता है।
3. किसी भी उदासीन विलयन के pH का मान 7 होता है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (c)
व्याख्या : pH स्केल का प्रयोग किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सांद्रता ज्ञात करने के लिये होता है। इस pH स्केल से सामान्यतः शून्य से चौदह तक pH को ज्ञात कर सकते हैं। pH एक ऐसी संख्या है, जो विलयन की अम्लता अथवा क्षारकीयता को दर्शाती है। अतः कथन 1 सही है।
• किसी विलयन में हाइड्रोनियम आयन (H3O+) की सांद्रता जितनी अधिक होगी, उसका pH उतना ही कम होगा। अतः कथन 2 गलत है।
• कथन 3 भी सही है क्योंकि किसी भी उदासीन विलयन का pH मान 7 होगा। यदि pH स्केल में किसी विलयन का मान 7 से कम है, तो वह अम्लीय विलयन होगा। यदि pH का मान 7 से अधिक हो तो यह विलयन में OH की सांद्रता में वृद्धि को दर्शाता है अर्थात् विलयन क्षारकीय होगा।
7. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. मानव शरीर 7.0 से 7.8 pH परास के बीच कार्य करता है।
2. वर्षा जल का pH मान 5.6 से कम हो जाने पर वह जल अम्लीय वर्षा जल कहलाता है।
3. मुँह का pH मान बढ़ जाने पर दाँतों का क्षय प्रारंभ हो जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (a)
व्याख्या : मानव शरीर 7.0 से 7.8 pH परास के बीच कार्य करता है। जीवित प्राणी केवल संकीर्ण परास में ही जीवित रह सकते हैं। अतः कथन | सही है।
• वर्षा जल का pH मान 5.6 से कम हो जाने पर वह जल अम्लीय वर्षा जल कहलाता है। अम्लीय वर्षा का जल जब नदी में प्रवाहित होता है तो नदी के जल का pH मान कम हो जाता है। ऐसी नदी में जलीय जीवधारियों की उत्तरजीविता कठिन हो जाती है। अतः कथन 2 भी सही है।
• मुँह का pH मान 5.5 से घट जाने पर दाँतों का क्षय प्रारंभ हो जाता है | अतः कथन 3 गलत है। दाँतों का इनैमल कैल्शियम फास्फेट से बना होता है। इनैमल मानव शरीर का सबसे कठोर पदार्थ है। यह जल में नहीं घुलता, लेकिन मुँह का pH मान 5.5 कम होने पर संक्षारित हो जाता है। मुँह में उपस्थित बैक्टीरिया, भोजन के पश्चात् मुँह में अवशिष्ट शर्करा एवं खाद्य पदार्थों का निम्नीकरण करके अम्ल उत्पन्न करते हैं। मुँह की सफाई के लिये क्षारकीय दंत मंजन का उपयोग करने से अम्ल की आधिक्य मात्रा से दंतक्षय को रोका जा सकता है।
8. नेटल पौधे के पत्तों को छूने पर डंक जैसा दर्द होता है। यह दर्द किस अम्ल के स्राव से होता है?
(a) ऑक्सैलिक अम्ल
(b) मेथैनॉइक अम्ल
(c) सिट्रिक अम्ल
(d) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
उत्तर : (b)
व्याख्या : नेटल एक शाकीय पादप है, जो जंगलों में उपजता है। इसके पत्तों में डंकनुमा बाल होते हैं, इन बालों में मेथैनॉइक अम्ल (फॉर्मिक अम्ल) पाया जाता है, इसलिये इनके छू जाने पर डंक जैसा दर्द होता है ।
9. मधुमक्खी के डंक मारने पर निम्नलिखित में से किस पदार्थ के उपयोग से आराम मिलता है?
(a) फॉर्मिक अम्ल
(b) सोडियम क्लोराइड
(c) सिरका
(d) बेकिंग सोडा
उत्तर : (d)
व्याख्या : मधुमक्खी के डंक मारने पर डंक मारे गए अंग में दुर्बल क्षारकों के उपयोग से आराम मिलता है। चूँकि बेकिंग सोडा भी एक दुर्बल क्षारक है, इसलिये डंक मारे गए अंग में इसके उपयोग से आराम मिलता है।
10. विरंजक चूर्ण (Bleaching Powder) के संदर्भ में दिये गए कथनों पर विचार कीजिये-
1. हाइड्रोजन गैस का उपयोग विरंजक चूर्ण के उत्पादन के लिये किया जाता है।
2. इसका उपयोग पीने वाले जल को जीवाणुओं से मुक्त करने के लिये रोगाणुनाशक के रूप में किया जाता है।
3. विरंजक चूर्ण का उपयोग कई रासायनिक उद्योगों में एक उपचायक के रूप में होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं ?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (c)
व्याख्या: कथन 1 गलत क्योंकि विरंजक चूर्ण के उत्पादन में क्लोरीन गैस का उपयोग किया जाता है। इसे शुष्क बुझे हुए चूने पर क्लोरीन की क्रिया से प्राप्त किया जाता है। इसका सूत्र CaOCl2 होता है।
• विरंजक चूर्ण का उपयोग पीने के पानी को जीवाणुमुक्त करने के लिये रोगाणुनाशक के रूप में किया जाता है। अतः कथन 2 सही है।
• इसका उपयोग कई रासायनिक उद्योगों में उपचायक के रूप में किया जाता है। अतः कथन 3 भी सही है।
• इसके अतिरिक्त इसका उपयोग वस्त्र उद्योग में सूती और लिनेन, कागज़ की फैक्ट्री में लकड़ी के मज्जा (Wood Pulp) एवं लाउंड्री में साफ कपड़ों के विरंजन के लिये भी बृहद् स्तर पर किया जाता है।
11. किस गैस के कारण पावरोटी या केक फूलकर मुलायम और स्पंजी हो जाते हैं?
(a) नाइट्रोजन
(b) ऑक्सीजन
(c) क्लोरीन
(d) कार्बन डाइऑक्साइड
उत्तर : (d)
व्याख्या: पावरोटी या केक व अन्य ऐसे खाद्य पदार्थों को तैयार करने की प्रक्रिया में उनमें बेकिंग पाउडर मिलाया जाता है। बेकिंग पाउडर बेकिंग सोडा एवं टार्टरिक अम्ल जैसा एक मंद खाद्य अम्ल का मिश्रण है। जब बेकिंग पाउडर को गर्म किया जाता है या जल में मिलाया जाता है तो बेकिंग सोडा एवं टार्टरिक अम्ल की अभिक्रिया से कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न होती है। इसी कार्बन डाईऑक्साइड के कारण पावरोटी या केक फूलकर मुलायम एवं स्पंजी हो जाता है।
12. निम्नलिखित में से किसका उपयोग सोडा – अम्ल अग्निशामक रूप में किया जाता है ?
(a) धावन सोडा
(b) विरंजक चूर्ण
(c) बेकिंग सोडा
(d) सोडियम क्लोराइड
उत्तर : (c)
व्याख्या : बेकिंग सोडा को सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट ( NaHCO3), सोडियम बाइकार्बोनेट, मीठा सोडा तथा खाने का सोडा आदि नामों से भी जाना जाता है। यह ऐंटैसिड का संघटक भी है। क्षारीय होने के कारण यह पेट में अम्ल की अधिकता को उदासीन करके राहत पहुँचाता है। इसका उपयोग सोडा – अम्ल अग्निशामक में भी किया जाता है।
13. धावन सोडा के संदर्भ में दिये गए कथनों पर विचार कीजिये-
1. इसका उपयोग जल की स्थायी कठोरता दूर करने के लिये किया जाता है।
2. इसका उपयोग घरों में साफ-सफाई के लिये होता है।
3. इसका उपयोग काँच, साबुन एवं कागज़ उद्योगों में होता है।
उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
14. जिप्सम को कितने केल्विन (K) तापमान पर गर्म करने पर यह जल के अणुओं को त्यागकर प्लास्टर ऑफ पेरिस बन जाता है?
(a) 273 K
(b) 373 K
(c) 280.73 K
(d) 212 K
उत्तर : (b)

3. धातु एवं अधातु

1. धातुओं के भौतिक गुणधर्म के संदर्भ में निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?
1. आघातवर्ध्यता (Malleability ) : धातुओं को पीटने पर उनके पतला होने का गुण
2. तन्यता (Ductility): धातु के पतले तार के रूप में खिंच सकने की क्षमता
3. ध्वनिक (Sonorous) : कठोर सतह से टकराकर आवाज़ उत्पन्न करने वाली धातुएँ
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त सभी युग्म सुमेलित हैं।
• कुछ धातुओं को पीटकर उनकी पतली चादरें बनाई जा सकती हैं। धातुओं के इस गुणधर्म को आघातवर्ध्यता कहते हैं। सोना तथा चांदी सबसे अधिक आघातवर्ध्य धातुएँ हैं।
• धातु के पतले तार के रूप में खिंच सकने की क्षमता को धातुओं की तन्यता कहते हैं। सोना सबसे अधिक तन्य धातु है। मात्र 1 ग्राम सोने से 2 किलोमीटर लंबा तार बनाया जा सकता है।
• आघातवर्ध्यता तथा तन्यता के कारण धातुओं को हमारी आवश्यकता के अनुसार विभिन्न आकार दिये जा सकते हैं।
• जो धातुएँ किसी कठोर सतह से टकराने पर आवाज़ उत्पन्न करती हैं उन्हें ध्वनिक (सोनोरस) कहते हैं।
2. निम्नलिखित में से कौन-सी अधातु सामान्य वातावरण में द्रव अवस्था में पाई जाती है ?
(a) कार्बन
(b) ब्रोमीन
(c) आयोडीन
(d) हाइड्रोजन
उत्तर : (b)
व्याख्या : कार्बन, ब्रोमीन, सल्फर, आयोडीन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन आदि अधातुओं के कुछ उदाहरण हैं। इनमें ब्रोमीन ऐसी अधातु है जो सामान्य वातावरण में द्रव अवस्था में पाई जाती है। इसके अतिरिक्त अन्य सभी अधातुएँ या तो ठोस या फिर गैस अवस्था में पाई जाती हैं।
3. धातुओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
1. मर्करी को छोड़कर अन्य सभी धातुएँ कमरे के तापमान पर ठोस अवस्था में पाई जाती हैं।
2. क्षारीय धातु इतनी मुलायम होती है कि उन्हें चाकू से भी काटा जा सकता है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• सामान्यतः सभी धातुएँ कमरे के तापमान पर ठोस अवस्था में पाई जाती हैं परंतु मर्करी इसका एकमात्र अपवाद है । मर्करी कमरे के तापमान पर द्रव अवस्था में पाई जाती है।
• कठोरता धातुओं का एक सामान्य भौतिक गुण है परंतु क्षारीय धातुएँ (लिथियम, सोडियम, पोटैशियम ) इतनी मुलायम होती हैं कि उन्हें चाकू से भी काटा जा सकता है। इनके घनत्व तथा गलनांक भी धातुओं के सामान्य भौतिक गुण के विपरीत कम ही होते हैं।
4. अधातुओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?
1. आयोडीन अधातुओं के सामान्य भौतिक गुण के विपरीत चमकीली होती है।
2. हीरा कार्बन का एक अपरूप है जो सबसे कठोर प्राकृतिक पदार्थ है।
3. ग्रेफाइट एकमात्र ऐसी अधातु है जो विद्युत की कुचालक है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (c)
व्याख्या : आयोडीन अधातुओं के सामान्य भौतिक गुण के विपरीत चमकीली होती है। अतः कथन 1 सही है।
• कार्बन एक अधातु है जो विभिन्न रूपों (अपररूपों) में पाई जाती है। हीरा कार्बन का ऐसा ही एक अपरूप है। यह सबसे कठोर प्राकृतिक पदार्थ है। इसका गलनांक तथा क्वथनांक भी बहुत उच्च होता है। अतः कथन 2 भी सही है।
• कथन 3 गलत है, क्योंकि ग्रेफाइट एक ऐसी अधातु है जो विद्युत की सुचालक है। यह भी कार्बन का एक अपररूप है।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. सभी धातु ऑक्साइडों की प्रकृति क्षारकीय होती है।
2. चांदी अत्यंत अधिक ताप पर भी ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया नहीं करती है।
3. सोना जल की किसी भी अवस्था (ठोस, द्रव और गैस) के साथ बिल्कुल भी अभिक्रिया नहीं करता है ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 3
उत्तर : (b)
व्याख्या: वायु में जलने पर लगभग सभी धातुएँ धातु ऑक्साइड देती हैं। अधिकतर धातु ऑक्साइडों की प्रकृति क्षारकीय होती है परंतु कुछ ऑक्साइड अम्लीय तथा क्षारकीय दोनों प्रभाव प्रदर्शित करते हैं, जैसे- एल्युमीनियम ऑक्साइड और जिंक ऑक्साइड । अतः कथन 1 गलत है। अधिकांश धातु ऑक्साइड जल में अघुलनशील हैं परंतु कुछ धातु ऑक्साइड जल घुलकर क्षार प्रदान करते हैं, जैसे- सोडियम ऑक्साइड और पोटैशियम ऑक्साइड। वहीं अधिकतर अधातुएँ दहन करने पर ऑक्साइड प्रदान करती हैं जो जल में घुलकर अम्ल बनाते हैं।
• सिल्वर (चांदी) तथा गोल्ड (सोना) अत्यधिक तापमान पर भी ऑक्सीजन से अभिक्रिया नहीं करते हैं। अतः कथन 2 सही है।
• सामान्यतः धातुएँ जल अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस तथा धातु ऑक्साइड उत्पन्न करती हैं परंतु एल्युमीनियम, आयरन और जिंक जैसी धातुएँ न तो शीतल जल के साथ और न ही गर्म जल के साथ अभिक्रिया करती हैं। वहीं लेड, कॉपर, सिल्वर और गोल्ड जैसी धातुएँ जल के किसी भी रूप के साथ कोई अभिक्रिया नहीं करती हैं। अतः कथन 3 भी सही है।
6. निम्नलिखित में से कौन-सी धातु / धातुएँ खुले वातावरण में रखने पर जलने लगती है/हैं?
1. सोडियम
2. पोटैशियम
3. लिथियम
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (a)
व्याख्या : सोडियम और पोटैशियम धातुएँ बहुत अधिक अभिक्रियाशीलता प्रदर्शित करती हैं। ये इतनी अधिक अभिक्रियाशील हैं कि खुले में रखने पर आग पकड़ लेती हैं। इन्हें सुरक्षित रखने और आकस्मिक आग रोकने के लिये किरोसिन तेल में डुबोकर रखा जाता है।
7. ऐनोडीकरण के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है ? प्रक्रिया है ।
(a) यह अधातुओं पर ऑक्साइड की परत बनाने की
(b) यह धातुओं पर चढ़ने वाली जंग की परत को हटाने की प्रक्रिया है।
(c) यह एल्युमीनियम धातु पर चढ़ी ऑक्साइड की परत को हटाने की प्रक्रिया है।
(d) यह एल्युमीनियम धातु पर मोटी ऑक्साइड की परत बनाने की प्रक्रिया है।
उत्तर : (d)
व्याख्या: ऐनोडीकरण एल्युमीनियम धातु पर मोटी ऑक्साइड की परत बनाने की प्रक्रिया है। अतः कथन (d) सही है। एल्युमीनियम ऑक्साइड की यह परत उसे संक्षारण से सुरक्षित रखती है। उल्लेखनीय है कि सामान्य ताप पर एल्युमीनियम, मैग्नीशियम, जिंक, लेड जैसी धातुओं की सतह पर ऑक्साइड की पतली परत चढ़ जाती है। ऑक्साइड की यह परत धातुओं को उनके पुनः ऑक्सीकरण से सुरक्षित और संक्षारण से उन्हें सुरक्षित रखती है। एल्युमीनियम धातु पर ऑक्साइड की इस परत को ऐनोडीकरण के माध्यम से और भी मोटा किया जाता है।
8. सामान्यतः धातुएँ अम्ल से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस उत्सर्जित करती हैं परंतु जब धातुएँ नाइट्रिक अम्ल (HNO3) के साथ क्रिया करती हैं तो ऐसा नहीं होता क्योंकि-
(a) नाइट्रिक अम्ल एक प्रबल ऑक्सीकारक होता है।
(b) नाइट्रिक अम्ल एक प्रबल अपचायक है।
(c) नाइट्रिक अम्ल धातुओं के साथ क्रिया नहीं करता है ।
(d) नाइट्रिक अम्ल केवल अधातुओं से क्रिया करता है।
उत्तर : (a)
व्याख्या : सामान्यतः धातुएँ अम्ल से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस उत्सर्जित करती हैं परंतु जब धातुएँ नाइट्रिक अम्ल (HNO3) के साथ क्रिया करती। हैं तो ऐसा नहीं होता क्योंकि नाइट्रिक अम्ल एक प्रबल ऑक्सीकारक होता है जो उत्पन्न हाइड्रोजन को ऑक्सीकृत करके जल में बदल देता है एवं स्वयं नाइट्रोजन के किसी ऑक्साइड (N2O, NO, NO2) में अपचयित हो जाता है। अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।
9. एक्वा रेजिया (Aqua Regia) के संदर्भ में दिये गए कथनों पर विचार कीजिये –
1. यह सांद्र नाइट्रिक अम्ल तथा सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का 3 : 1 के अनुपात का ताज़ा मिश्रण होता है।
2. यह सोना और प्लैटिनम को गलाने में सक्षम होता है।
3. यह एक प्रबल संक्षारक है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही नहीं है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) केवल 1 और 3
उत्तर : (a)
व्याख्या : एक्वा रेजिया सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा सांद्र नाइट्रिक अम्ल का 3:1 के अनुपात का ताज़ा मिश्रण होता है। अतः कथन 1 गलत है।
• यह सोना और प्लैटिनम को गलाने में सक्षम अभिकर्मकों में से एक है। अतः कथन 2 सही है।
• यह एक भभकता द्रव होने के साथ-साथ एक प्रबल संक्षारक भी है। अतः कथन 3 भी सही है।
10. निम्नलिखित में से सर्वाधिक और न्यूनतम अभिक्रियाशीलता वाला युग्म कौन-सा है ?
(a) गोल्ड और मर्करी
(b) सोडियम और आयरन
(c) पोटैशियम और हाइड्रोजन
(d) पोटैशियम और गोल्ड
उत्तर : (d)
11. संक्षारण के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. कुछ दिन वायु में खुला छोड़ देने पर सिल्वर पर पड़ने वाली काली परत सिल्वर सल्फाइड के बनने के कारण होती है।
2. वायु में खुला रखने पर कॉपर पर चढ़ने वाली हरी परत कॉपर कार्बोनेट के बनने के कारण होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• कुछ दिन वायु में खुला छोड़ देने पर सिल्वर की वस्तुएँ काली हो जाती हैं। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि सिल्वर वायु में उपस्थित सल्फर के साथ क्रिया करके सिल्वर सल्फाइड का निमार्ण करता है।
• वायु में खुला रखने पर कॉपर पर हरी परत चढ़ जाती है। ऐसा इसलिये होता है क्योकिं कॉपर वायु में उपस्थित आर्द्र कार्बन डाइऑक्साइड के साथ क्रिया करके कॉपर कार्बोनेट का निर्माण करता है।
12. लोहे एवं इस्पात को जंग से बचाने के लिये उस पर निम्नलिखित में से किसकी परत चढ़ाई जाती है ?
(a) जस्ता
(b) सीसा
(c) मैग्नीशियम
(d) तांबा
उत्तर : (a)
व्याख्या : पेंट करके, तेल या ग्रीस लगाकर, यशदलेपन (Galvanisation), क्रोमियम लेपन, या ऐनोडीकरण या मिश्रधातु बनाकर लोहे एवं इस्पात को जंग से सुरक्षित रखा जा सकता है।
• यशदलेपन लोहे एवं इस्पात की वस्तुओं पर जस्ते की पतली परत चढ़ाने की विधि अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।
13. लौह और इस्पात के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. शुद्ध लोहा अत्यंत नर्म होता है।
2. स्टेनलेस इस्पात प्राप्त करने के लिये लोहे में निकेल और क्रोमियम मिलाया जाता है।
3. स्टेनलेस इस्पात कठोर होता है और उसमे जंग नहीं लगती है ।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं ?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या: उपर्युक्त तीनों कथन सही है।
• शुद्ध लोहा अत्यंत नर्म होता है और गर्म करने पर सुगमता से खींच जाता है।
• लोहे में निकेल और क्रोमियम मिलाकर स्टेनलेस इस्पात प्राप्त किया जाता है।
• स्टेनलेस इस्पात कठोर होता है, साथ ही उसमे भी जंग नहीं लगती है।
14. सोने के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. शुद्ध सोना 24 कैरेट होता है।
2. शुद्ध सोने को कठोर बनाने के लिये चांदी या तांबा मिलाया जाता है।
3. भारत में सामान्यतः आभूषण बनाने के लिये 22 कैरेट सोने का उपयोग होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा /से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त सभी कथन सही हैं। शुद्ध सोना 24 कैरेट होता है। यह काफी नर्म होता है। इसी कारण इसको आभूषण बनाने में प्रयोग किया जाता है। इसे कठोर बनाने के लिये इसमें चांदी या तांबा मिलाया जाता है। भारत में अधिकाशतः आभूषण बनाने के लिये 22 कैरेट सोने (अर्थात् 22 भाग शुद्ध सोने में 2 भाग तांबा या चांदी का मिश्रण) का उपयोग होता है।

4. कार्बन एवं उनके यौगिक

1. सहसंयोजी आबंधों (Covalent Bonds) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?
1. यह आबंध दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन युग्म की साझेदारी से बनते हैं।
2. सहसंयोजी आबंध वाले यौगिकों का क्वथनांक अत्यधिक उच्च होती है।
3. सामान्यतः ऐसे सहसंयोजी यौगिक विद्युत के कुचालक होते हैं।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (b)
व्याख्या : दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन युग्म की साझेदारी से बनने वाले आबंध सहसंयोजी आबंध कहलाते हैं। अतः कथन- 1 सही है।
• इनका अंतर – अणुक बल (Inter-molecular Force) कम होता है। इसलिये इन यौगिकों के क्वथनांक कम होते हैं। अतः कथन-2 गलत है।
• कथन – 3 सही है। चूँकि परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी होती है और किसी आवेशित कण का निर्माण नहीं होता है। इसलिये सामान्यतः ऐसे सहसंयोजी यौगिक विद्युत के कुचालक होते हैं।
2. कार्बन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा /से सही है/हैं?
1. सभी कार्बन पर आधारित संरचनाएँ सजीव होती हैं।
2. अधिकांश कार्बन यौगिक अच्छे विद्युत चालक नहीं होते हैं।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (b)
व्याख्या: कथन- 1 गलत है, क्योंकि सभी सजीव संरचनाएँ कार्बन पर आधारित होती हैं परंतु सभी कार्बन पर आधारित संरचनाएँ सजीव नहीं होतीं। पहले यह माना जाता था कि सभी कार्बन पर आधारित संरचनाओं के संश्लेषण के लिये एक जीवित शक्ति आवश्यक होती है, परंतु 1828 में फ्रेडरिक वोहलर (Friedrich Wohler) ने अमोनियम सायनेट से यूरिया बनाकर इसे गलत सिद्ध कर दिया।
• अधिकांश कार्बन यौगिक अच्छे विद्युत चालक नहीं होते हैं, क्योंकि सामान्यतः इन यौगिकों के आबंध (Bond) से किसी भी आयन की उत्पत्ति नहीं होती है। अतः कथन-2 सही है ।
3. निम्नलिखित में से कौन-से कार्बन का अपररूप हैं?
1. हीरा
2. ग्रेफाइट
3. फुलेरीन
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : हीरा, ग्रेफाइट और फुलेरीन तीनों कार्बन के अपररूप हैं। अत: विकल्प (d) सही उत्तर है। फुलेरीन (C-60 ) में कार्बन परमाणु फुटबाल के रूप में व्यवस्थित होते हैं। चूँकि यह अमेरिकी आर्किटेक्ट बकमिंस्टर फुलर द्वारा डिज़ाइन किये गए जियोडेसिक गुम्बद के समान लगते हैं, इसलिये इसे फुलेरीन नाम दिया गया।
4. ग्रेफाइट और हीरे के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये –
1. ग्रेफाइट में कार्बन का प्रत्येक संयोजी परमाणु कार्बन के चार अन्य परमाणुओं के साथ बंध बनाता है, जिससे एक त्रिआयामी (Three-Dimensional ) संरचना का निर्माण होता है।
2. हीरे में कार्बन का प्रत्येक संयोजी परमाणु कार्बन के तीन अन्य परमाणुओं के साथ एक ही तल पर बंध बनाता है, जिससे एक षट्कोणीय व्यूह (Hexagonal Array) संरचना का निर्माण होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (d)
व्याख्या: उपर्युक्त दोनों कथन गलत हैं।
• ग्रेफाइट और हीरा दोनों ही कार्बन के अपररूप हैं। कार्बन के परमाणुओं के परस्पर आबंधन के तरीकों के आधार पर ही इनमें अंतर होता है।
• ग्रेफाइट में कार्बन का प्रत्येक परमाणु कार्बन के तीन अन्य परमाणुओं के साथ एक ही तल पर बंध बनाता है जिससे एक षट्कोणीय व्यूह संरचना का निर्माण होता है। इनमें एक आबंध द्विआबंधी (Double-Bonded) होता है, जिसके कारण कार्बन की संयोजकता पूरी होती है। ग्रेफाइट की संरचना में षट्कोणीय तल एक दूसरे के ऊपर व्यवस्थित होते हैं।
• हीरे में कार्बन का प्रत्येक परमाणु कार्बन के चार अन्य परमाणुओं के साथ बंध बनाता है, जिससे एक त्रिआयामी संरचना का निर्माण होता है।
5. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा / से सही नहीं है/हैं?
1. हीरा अब तक का ज्ञात सबसे कठोर पदार्थ है, जबकि ग्रेफाइट चिकना तथा फिसलनशील होता है।
2. ग्रेफाइट विद्युत का कुचालक होता है।
3. शुद्ध कार्बन को उच्च दाब और ताप पर उपचारित करके हीरा संश्लेषित किया जा सकता है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (b)
व्याख्या : हीरा अब तक का ज्ञात सबसे कठोर पदार्थ है, जबकि ग्रेफाइट चिकना तथा फिसलनशील होता है। अतः कथन 1 सही है। ग्रेफाइट और हीरे के भौतिक गुणधर्म अत्यंत भिन्न होते हैं, जबकि रासायनिक गुणधर्म एकसमान होते हैं।
• ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक होता है। अतः कथन 2 गलत है।
• कथन 3 सही है, क्योंकि शुद्ध कार्बन को उच्च दाब और ताप पर उपचारित करके हीरा संश्लेषित किया जा सकता है। ये संश्लिष्ट हीरे आकर में छोटे होते हैं। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक हीरे और संश्लिष्ट हीरे में भेद नहीं किया जा सकता।
6. कार्बन के यौगिकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. कार्बन परमाणुओं के बीच केवल एक आबंध से जुड़े कार्बन के यौगिक संतृप्त यौगिक कहलाते हैं।
2. द्वि-बंध अथवा त्रि-बंध वाले कार्बन के यौगिक असंतृप्त यौगिक कहलाते हैं।
3. कार्बन के संतृप्त यौगिक असंतृप्त यौगिकों की तुलना में अधिक अभिक्रियाशील होते हैं।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (a)
व्याख्या: कथन 1 सही है। कार्बन परमाणुओं के बीच केवल एक आबंध से जुड़े कार्बन के यौगिक संतृप्त यौगिक कहलाते हैं। इनमें सभी परमाणुओं की संयोजकता उनके बीच बने एक आबंध से संतुष्ट होती है।
• कथन 2 भी सही है । द्वि-बंध अथवा त्रि-बंध वाले कार्बन के यौगिक असंतृप्त यौगिक कहलाते हैं। इनमें प्रति कार्बन परमाणु की क्रमशः एक और दो संयोजकता असंतुष्ट रहती है। इसे संतुष्ट करने के लिये दो कार्बनों के बीच द्वि-बंद और त्रि-बंध का निर्माण होता है।
• कार्बन के असंतृप्त यौगिक संतृप्त यौगिकों की तुलना में अधिक अभिक्रियाशील होते हैं। अतः कथन 3 गलत है।
7. केवल कार्बन और हाइड्रोजन वाले कार्बन यौगिक निम्नलिखित में से क्या कहलाते हैं?
(a) हाइड्रोकार्बन
(b) एल्कोहॉल
(c) कीटोन
(d) हैलोजन
उत्तर : (a)
व्याख्या: केवल कार्बन एवं हाइड्रोजन वाले कार्बन यौगिक हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं। अतः विकल्प (a) सही उत्तर है। हाइड्रोकार्बन में संतृप्त हाइड्रोकार्बन (जैसे- ऐल्केन) और असंतृप्त हाइड्रोकार्बन (जैसे- ऐल्कीन और ऐल्काइन) दोनों ही सम्मिलित हैं।
8. नीचे दिये गए कथनों को पढ़िये-
कथन (A) : अँगीठी में जलने वाला कोयला लाल रंग के सामान उज्ज्वल होता है और बिना ज्वाला के ऊष्मा देता है।
कारण (R) : केवल गैसीय पदार्थों के जलने पर ही ज्वाला उत्पन्न होती है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर का चयन कीजिये –
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं परंतु (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
उत्तर : (a)
व्याख्या : अँगीठी में जलने वाला कोयला अथवा तारकोल कभी-कभी लाल रंग के समान उज्ज्वल होता है और बिना ज्वाला के ऊष्मा देता है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि केवल गैसीय पदार्थों के जलने पर ही ज्वाला उत्पन्न होती है। लकड़ी अथवा तारकोल जलने पर उपस्थित वाष्पशील पदार्थ वाष्पीकृत हो जाते हैं और आरंभ में ज्वाला के साथ जलते हैं। अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।
9. कोयला, तेल और गैस के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. कोयला लाखों वर्ष पुराने वृक्षों, फर्न तथा अन्य पौधों का अवशेष है।
2. तेल और गैस लाखों वर्ष पुराने छोटे समुद्री पौधों तथा जीवों के अवशेष हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• कोयला लाखों वर्ष पुराने वृक्षों, फर्न तथा अन्य पौधों का अवशेष है। संभवतः भूकंप अथवा ज्वालामुखी के फटने के कारण ये धरती में चट्टानों के नीचे दब गए थे जो धीरे-धीरे क्षय होकर कोयला बन गए।
• तेल और गैस लाखों वर्ष पुराने छोटे समुद्री पौधों तथा जीवों के अवशेष हैं। उनके मृत होने पर उनके शरीर समुद्र में डूब गए तथा गाद से ढक गए। इन मृत अवशेषों पर बैक्टीरिया आक्रमण से प्रबल दबाव के कारण तेल और गैस का निर्माण हुआ ।
10. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. वनस्पति तेलों में साधारणतः लंबी संतृप्त कार्बन श्रृंखलाएँ होती हैं, जबकि जंतु वसा में असंतृप्त कार्बन श्रृंखलाएँ होती हैं।
2. साधारणतः जंतु वसा स्वास्थ्य के लिये हानिकारक माने जाते हैं ।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (b)
व्याख्या: कथन 1 गलत है, क्योंकि वनस्पति तेलों में साधारणतः लंबी असंतृप्त कार्बन शृंखलाएँ होतीं हैं, जबकि जंतु वसा में संतृप्त कार्बन श्रृंखलाएँ होती हैं।
• कथन 2 सही है। साधारणतः जंतु वसा में संतृप्त वसा अम्ल होते हैं जो स्वास्थ्य के लिये हानिकारक माने जाते हैं। अतः भोजन पकाने के लिये असंतृप्त वसा अम्लों वाले तेलों का उपयोग करना उचित है।
11. एथेनॉल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही नहीं है?
(a) इसका उपयोग टिंचर आयोडीन और कफ सीरप बनाने में होता है ।
(b) यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है और तंत्रिका तंत्र को अधिक मज़बूत बनाता है।
(c) अधिक मात्रा में इसके सेवन से उपापचयी प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
(d) यह कमरे के तापमान पर द्रव अवस्था में पाया जाता है ।
उत्तर : (b)
व्याख्या : एथेनॉल को सामान्यतः एल्कोहल कहा जाता है। इसका उपयोग टिंचर आयोडीन, कफ सीरप, टॉनिक आदि औषधियों को बनाने में होता है।
• कथन (b) गलत है, क्योंकि यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को कमज़ोर बनाता है। अधिक मात्रा में इसके सेवन से उपापचयी प्रक्रिया धीमी हो जाती है, साथ ही यह व्यक्ति के सोचने-समझने की क्षमता और माँसपेशियों को बुरी तरह से प्रभावित करता है। इसके विपरीत मेथेनॉल की थोड़ी सी भी मात्रा लेने से व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। यकृत में मेथेनॉल ऑक्सीकृत होकर मेथेनल बन जाता है, जो यकृत की कोशिकाओं के घटकों के साथ तीव्रता से अभिक्रिया करके प्रोटोप्लाज्म को स्कंदित कर देता है। यह चाक्षुष तंत्रिका को भी प्रभावित करता है, जिससे व्यक्ति अँधा भी हो सकता है।
• यह कमरे के तापमान पर द्रव अवस्था में पाया जाता है।
12. एल्कोहल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये –
1. गन्ने के रस से मोलेसस (सिरा) बनाया जाता है जिसके किण्वन से एल्कोहल प्राप्त किया जा सकता है।
2. एल्कोहल में पेट्रोल मिलाकर उसे स्वच्छ ईंधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• गन्ना सूर्य के प्रकाश को रासायनिक ऊर्जा में बदलने में सर्वाधिक सक्षम होता है। गन्ने के रस से मोलेसस (सिरा) बनाया जाता है, जिसके किण्वन से एल्कोहल प्राप्त किया जा सकता है।
• एल्कोहल में पेट्रोल मिलाकर उसे स्वच्छ ईंधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। कुछ देशों में ऐसा किया भी जाता है। एल्कोहल ईंधन पर्याप्त ऑक्सीजन होने पर केवल कार्बन डाइऑक्साइड और जल उत्पन्न करता है।
13. एथेनॉइक अम्ल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. इसे सामान्यतः ऐसिटिक एसिड कहा जाता है।
2. इसका जल के साथ 5 से 8% विलयन सिरका कहलाता है, जिसका उपयोग अचार परिरक्षक के रूप में भी होता है।
3. शुद्ध एसिटिक एसिड को इसके गलनांक के कारण ग्लैशल एसिटिक एसिड (Glacial Acetic Acid) कहते हैं।
उपर्युक्त कथनों से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त तीनों कथन सही हैं।
• एथेनॉइक अम्ल को सामान्यतः एसिटिक एसिड कहा जाता है। यह कर्बोक्सिलिक अम्ल समूह से संबंधित है।
• इसका जल के साथ 5 से 8% विलयन सिरका कहलाता है जिसका उपयोग अचार परिरक्षक के रूप में भी होता है।
• शुद्ध एसिटिक एसिड का गलनांक 290K होता है और इसलिये ठंडी जलवायु और शीत के दिनों में यह जम जाता है। इस कारण इसे ग्लैशल एसिटिक एसिड भी कहते हैं।
14. जल की कठोरता के लिये निम्नलिखित में से कौन-सा/से तत्त्व उत्तरदायी है/हैं?
(a) हाइड्रोजन और ऑक्सीजन
(b) कैल्शियम और मैग्नीशियम
(c) कर्बोक्सिलिक अम्ल
(d) सोडियम हाइड्रॉक्साइड
उत्तर : (b)
व्याख्या: विकल्प (b) सही उत्तर है। जल की कठोरता कैल्शियम और मैग्नीशियम के तत्त्वों की अधिक मात्रा के कारण होती है। ऐसे जल से साबुन के साथ स्नान करने पर कठोर जल में उपस्थित कैल्शियम और मैग्नीशियम लवणों से अभिक्रिया करके अघुलनशील पदार्थ (स्कम) का निर्माण करता है, जो जल से शरीर धो लेने के बाद भी शरीर पर जमा रह जाता है।
• अपमार्जक का प्रयोग कर कठोर जल से होने वाली इस समस्या से निपटा जा सकता है। अपमार्जक लंबी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्ल के अमोनियम और सल्फोनेट लवण होते हैं। इन यौगिकों का आवेशित सिरा कठोर जल में उपस्थित कैल्शियम एवं मैग्नीशियम आयनों के साथ अघुलनशील पदार्थ नहीं बनाते हैं। इससे वे कठोर जल में भी प्रभावी बने रहते हैं। सामान्यतः अपमार्जकों का उपयोग शैंपू एवं कपड़ा धोने के उत्पाद बनाने में होता है।
15. साबुन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये –
1. साबुन के अणु लंबी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम और पोटैशियम लवण होते हैं।
2. साबुन के मिसेल (Micelles) प्रकाश को प्रकीर्णित कर सकते हैं, जिससे साबुन का घोल बादल जैसा दिखता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• साबुन के अणु लंबी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम और पोटैशियम लवण होते हैं। कपड़ों की अधिकांश मैल तैलीय होती है और तेल के कारण ये पानी में अघुलनशील होते हैं। साबुन का आयनिक भाग जल में घुल जाता है जबकि कार्बन श्रृंखला तेल में घुल जाती है। इस प्रकार साबुन के अणु मिसेली संरचना तैयार करते हैं, हैं, जहाँ अणु का एक सिरा तेल कण की ओर तथा आयनिक सिरा बाहर की ओर होता है। इससे पानी में इमल्शन बनता है। इस प्रकार साबुन का मिसेल मैल को पानी में घुलाने में मदद करता है और कपड़े साफ हो जाते हैं।
• मिसेल साबुन के ऐसे अणु होते हैं जिनके दोनों सिरों के विभिन्न धर्म होते हैं। जल में विलेय एक सिरे को जलरागी (Hydrophilic ) और हाइड्रोकार्बन में विलेय दूसरे सिरे को जलविरागी (Hydrophobic) कहते हैं।
• साबुन के मिसेल प्रकाश को प्रकीर्णित कर सकते हैं, जिससे साबुन का घोल बादल जैसा दिखता है।
16. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये –
1. ऑक्सीकारक : ऐसे पदार्थ जिनमें दूसरे पदार्थ को ऑक्सीजन देने की क्षमता होती है।
2. उत्प्रेरक : ऐसे पदार्थ जो अभिक्रिया को प्रभावित नहीं करते हैं, परंतु इनके कारण अभिक्रिया भिन्न दर से आगे बढ़ती है।
3. एस्टर : ऐसे पदार्थ जो मुख्य रूप से अम्ल और एल्कोहल की अभिक्रिया से निर्मित होते हैं।
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त तीनों युग्म सुमेलित हैं।
• ऐसे पदार्थ जिनमें दूसरे पदार्थ को ऑक्सीजन देने की क्षमता होती है, ऑक्सीकारक कहलाते हैं।
• ऐसे पदार्थ जो अभिक्रिया को प्रभावित नहीं करते हैं, परंतु इनके कारण अभिक्रिया भिन्न दर से आगे बढ़ती है, उत्प्रेरक कहलाते हैं।
• ऐसे पदार्थ जो मुख्य रूप से अम्ल और एल्कोहल की अभिक्रिया से निर्मित होते हैं, एस्टर कहलाते हैं। एस्टर की गंध मृदु होती है। इसका उपयोग इत्र बनाने एवं स्वाद उत्पन्न करने वाले कारक के रूप में किया जाता है। सोडियम हाइड्रॉक्साइड जो कि एक क्षार है, की अभिक्रिया द्वारा एस्टर पुनः एल्कोहल और कार्बोक्सिलिक अम्ल- का सोडियम लवण बनाता है। इस अभिक्रिया को साबुनीकरण कहा जाता है क्योंकि इससे साबुन तैयार किया जाता है।

5. तत्त्वों का आवर्त वर्गीकरण

1. मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. मेन्डेलीफ ने तत्त्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम तथा रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर वर्गीकृत किया।
2. मेन्डेलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में कुछ रिक्त स्थान छोड़े ।
3. मेन्डेलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में अक्रिय गैसों को एक विशिष्ट स्थान प्रदान किया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा / से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (a)
व्याख्या : मेन्डेलीफ ने आवर्त सारणी में तत्त्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम तथा रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर वर्गीकृत किया। मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी का सिद्धांत है- तत्त्वों के गुणधर्म उनके परमाणु द्रव्यमान का आवर्त फलन होते हैं। अतः कथन 1 सही है।
• मेन्डेलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में कुछ रिक्त स्थान छोड़े और इन खाली स्थानों के आधार पर नए तत्त्वों की भविष्यवाणी की। अतः कथन 2 भी सही है।
• मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में अक्रिय गैसें अनुपस्थित थीं, क्योंकि तब तक अक्रिय गैसों की खोज नहीं हुई थी। अतः कथन 3 गलत है।
2. मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में उपस्थित कमियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये –
1. वह अपनी आवर्त सारणी में हाइड्रोजन को सही स्थान नहीं दे पाए।
2. तत्त्वों के समस्थानिक उनकी सारणी के आवर्त नियम के लिये चुनौती थे।
3. उनकी सारणी में एक तत्त्व से दूसरे तत्त्व की ओर आगे बढ़ने पर परमाणु द्रव्यमान नियमित रूप से नहीं बढ़ते ।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त तीनों कथन सही हैं।
मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में उपस्थित मुख्य कमियाँ निम्नलिखित हैं-
• हाइड्रोजन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास क्षार धातुओं से मिलता है। साथ ही दूसरी ओर हैलोजनों की तरह हाइड्रोजन भी द्विपरमाणुक ( Diatomic) अणु के रूप में पाया जाता है। हाइड्रोजन के ऐसे व्यवहार के कारण उसे आवर्त सारणी नियत स्थान पर रखना संभव नहीं था। मेन्डेलीफ भी अपनी आवर्त सारणी में हाइड्रोजन को सही स्थान नहीं दे पाए।
• मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी तैयार होने के काफी समय बाद समस्थानिकों का पता चला। चूँकि किसी तत्त्व के समस्थानिकों के रासायनिक गुणधर्म समान होते हैं लेकिन उनके परमाणु द्रव्यमान भिन्न होते हैं, इसलिये सभी तत्त्वों के समस्थानिक उनकी सारणी के आवर्त नियम के लिये चुनौती थे।
• उनकी सारणी में एक तत्त्व से दूसरे तत्त्व की ओर आगे बढ़ने पर परमाणु द्रव्यमान नियमित रूप से नहीं बढ़ते, जिससे यह अनुमान लगाना कठिन हो गया कि दोनों तत्त्वों के बीच कितने तत्त्व खोजे जा सकते हैं। विशेषकर भारी तत्त्वों पर विचार करें तो इसमें अधिक कठिनाई होती है।
3. आधुनिक आवर्त सारणी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. इसमें तत्त्वों के गुणधर्म उनकी परमाणु संख्या का आवर्ती फलन होते हैं।
2. इसमें 7 समूह (Groups ) तथा 18 आवर्त (Periods) हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (a)
व्याख्या: परमाणु संख्या से परमाणु के नाभिक में स्थित प्रोटॉनों की संख्या का पता चलता है और एक तत्त्व से दूसरे तत्त्व पर जाने से इस संख्या में एक की वृद्धि होती है। तत्त्वों को उनकी परमाणु संख्या के आरोही क्रम में व्यवस्थित करने पर जो वर्गीकरण प्राप्त होता है उसे आधुनिक आवर्त सारणी कहा जाता है। इस आधुनिक आवर्त नियम को इस प्रकार वर्णित किया जा सकता है- तत्त्वों के गुणधर्म उनकी परमाणु संख्या का आवर्ती फलन होते हैं। अतः कथन 1 सही है।
• आधुनिक आवर्त सारणी में 18 उर्ध्व स्तंभ हैं जिन्हें ‘समूह’ कहा जाता है तथा 7 क्षैतिज पंक्तियाँ हैं जिन्हें ‘आवर्त’ कहा जाता है। अतः कथन 2 गलत है।
4. आधुनिक आवर्त सारणी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही नहीं है?
(a) एक ही समूह (Group) के सभी तत्त्वों के संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है।
(b) प्रत्येक आवर्त दर्शाता है कि एक नया कोष इलेक्ट्रॉनों से भरा गया है।
(c) आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या घटती है, जबकि समूह में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता है।
(d) धात्विक अभिलक्षण आवर्त में बढ़ता है तथा समूह में नीचे जाने पर घटता है।
उत्तर : (d)
व्याख्या : एक ही समूह ( Group) के सभी तत्त्वों के संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है।
• प्रत्येक आवर्त में इलेक्ट्रॉनों की संख्या भिन्न परंतु कोषों की संख्या समान होती है, जबकि समूह में नीचे जाने पर कोषों की संख्या में वृद्धि होती है। अत: प्रत्येक आवर्त दर्शाता है कि एक नया कोष इलेक्ट्रॉनों से भरा गया है।
• आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या घटती है। नाभिक में आवेश के बढ़ने से यह इलेक्ट्रॉनों को अपनी ओर खींचता है, जिससे परमाणु का साइज घटता जाता है। चूँकि नीचे की ओर जाने पर एक नया कोष जुड़ता जाता है, जिससे नाभिक तथा सबसे बाहरी कोष की दूरी बढ़ जाती है, इसलिये समूह में ऊपर से नीचे जाने पर नाभिक का आवेश बढ़ने के बाद भी परमाणु का आकर बढ़ता जाता है।
• जहाँ अधातुएँ विद्युत ऋणात्मक और इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके आबंध बनाने वाली प्रवृत्ति की होती हैं, वहीं धातुओं में इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति होती है अर्थात् धातुएँ विद्युत धनात्मक होती हैं। आवर्त में संयोजकता कोष पर लगने वाला प्रभावी नाभिकीय आवेश जैसे-जैसे बढ़ता है, इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति घटती जाती है। समूह में नीचे की ओर, संयोजकता इलेक्ट्रॉन पर क्रिया करने वाला प्रभावी नाभिकीय आवेश घटता है, क्योंकि सबसे बाहरी इलेक्ट्रॉन नाभिक से दूर होते हैं, इसी कारण यह इलेक्ट्रॉन सुगमतापूर्वक निकल जाते हैं। इसलिये धात्विक अभिलक्षण आवर्त में घटता है तथा समूह में नीचे जाने पर बढ़ता है। अत: कथन (d) सही नहीं है ।
5. निम्नलिखित में से कौन-से तत्त्व धातु और अधातु दोनों के गुणधर्म प्रदर्शित नहीं करते हैं?
1. बोरॉन
2. सिलिकॉन
3. कार्बन
4. जर्मेनियम
5. आयोडीन
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 3 और 5
(d) केवल 3, 4 और 5
उत्तर : (c) को अधातुओं
व्याख्या : उपर्युक्त तत्त्वों में से कार्बन और आयोडीन अधातुएँ हैं। ये केवल अधातुओं के गुणधर्म प्रदर्शित करते हैं। अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
• आधुनिक आवर्त सारणी में एक टेढ़ी-मेढ़ी रेखा धातुओं से अलग करती है। इस रेखा पर आने वाले तत्त्व- बोरॉन, सिलिकॉन, जर्मेनियम, आर्सेनिक, ऐंटिमनी, टेल्यूरियम तथा पोलोनियम धातु एवं अधातु दोनों के गुणधर्म प्रदर्शित करते हैं। इसलिये इन्हें अर्द्धधातु या उपधातु भी कहते हैं।

6. जैव प्रक्रम

1. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये –
1. जैव प्रक्रम (Life Processes) : शरीर के बाहर ऑक्सीजन को ग्रहण करना और कोशिकीय आवश्यकता के अनुसार खाद्य स्रोत के विघटन में उसका उपयोग।
2. श्वसनः वे सभी प्रक्रम जो सम्मिलित रूप से अनुरक्षण (Maintenance) का कार्य करते हैं।
उपर्युक्त युग्मों में से कौन सा/से सही सुमेलित है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त युग्मों में से कोई भी सुमेलित नहीं है।
• वे सभी प्रक्रम जो सम्मिलित रूप से अनुरक्षण का कार्य करते हैं, जैव प्रक्रम कहलाते हैं।
• शरीर के बाहर ऑक्सीजन को ग्रहण करना और कोशिकीय आवश्यकता के अनुसार खाद्य स्रोत के विघटन में उसका उपयोग श्वसन कहलाता है।
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. एककोशिकीय जीव को भोजन ग्रहण करने, गैसों के आदान-प्रदान तथा अपशिष्ट के उत्सर्जन के लिये किसी विशेष अंग की आवश्यकता नहीं होती है।
2. बहुकोशिकीय जीवों में सभी कोशिकाएँ अपने आस-पास के पर्यावरण के सीधे संपर्क में रहती हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (a)
व्याख्या : एककोशिकीय जीव की पूरी सतह पर्यावरण के संपर्क में रहती है इसलिये उन्हें भोजन ग्रहण करने, गैसों के आदान-प्रदान तथा अपशिष्ट के उत्सर्जन के लिये किसी विशेष अंग की आवश्यकता नहीं होती है। अतः कथन 1 सही है।
• बहुकोशिकीय जीवों का आकार बड़ा और शारीरिक अभिकल्प अधिक जटिल होता है। उनमें विभिन्न कार्यों को करने के लिये भिन्न-भिन्न अंग विशिष्टीकृत होते हैं। इन बहुकोशिकीय जीवों में सभी कोशिकाएँ अपने आस-पास के पर्यावरण के सीधे संपर्क में नहीं रह सकतीं इसलिये साधारण विसरण सभी कोशिकाओं की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकता। अतः कथन 2 गलत है।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. स्वपोषी जीवों की कार्बन तथा ऊर्जा की आवश्यकताएँ प्रकाश-संश्लेषण द्वारा पूरी होती हैं।
2. पौधों द्वारा अप्रयुक्त कार्बोहाइड्रेट उनके द्वारा ग्लाइकोजन के रूप में संचित कर लिया जाता है।
3. मानव शरीर भोजन से प्राप्त ऊर्जा का कुछ भाग मंड के रूप में सचित होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है / हैं ?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (b)
व्याख्या: स्वपोषी जीवों की कार्बन तथा ऊर्जा की आवश्यकताएँ प्रकाश-संश्लेषण द्वारा पूरी होती हैं। अतः कथन 1 सही है ।
• पौधों द्वारा अप्रयुक्त कार्बोहाइड्रेट उनके द्वारा मंड के रूप में संचित कर लिया जाता है जबकि मानव शरीर में भोजन से प्राप्त ऊर्जा का कुछ भाग ग्लाइकोजन के रूप में संचित होता है। अतः कथन 2 और 3 सही नहीं हैं।
4. प्रकाश संश्लेषण के प्रक्रम में स्वपोषी द्वारा बाहर से लिये गए पदार्थों को संचित ऊर्जा के रूप में बदल दिया जाता है। प्रकाश-संश्लेषण के इस प्रक्रम में घटने वाली घटनाओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करना ।
2. प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में रूपांतरित करना और जल अणुओं का हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में अपघटन ।
3. कार्बन डाइऑक्साइड का कार्बोहाइड्रेट में अपचयन ।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त सभी कथन सही हैं। प्रकाश-संश्लेषण के प्रक्रम में स्वपोषी द्वारा बाहर से लिये गए पदार्थों को संचित ऊर्जा के रूप में बदल दिया जाता है। ये पदार्थ कार्बन डाइऑक्साइड और जल के रूप में लिये जाते हैं जो सूर्य के प्रकाश एवं क्लोरोफिल की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित कर दिये जाते हैं। यह कार्बोहाइड्रेट पौधों को ऊर्जा प्रदान करने में प्रयुक्त होता है। प्रकाश संश्लेषण के इस प्रक्रम के दौरान निम्नलिखित घटनाएँ होती हैं-
• क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण ।
• प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलना और जल अणुओं का हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में अपघटन |
• कार्बन डाइऑक्साइड का कार्बोहाइड्रेट में अपचयन ।
यह आवश्यक नहीं कि ये चरण तत्काल एक के बाद दूसरा हो । उदाहरण स्वरूप मरुद्भिद पौधे रात में कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और एक मध्यस्थ उत्पाद बनाते हैं। दिन में क्लोरोफिल ऊर्जा अवशोषित करके अंतिम उत्पाद बनाता है।
5. पौधों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
1. इनमें क्लोरोफिल क्लोरोप्लास्ट नामक कोशिकांग में उपस्थित होता है।
2. इनमें वायुमंडल से गैसों का आदान-प्रदान रंध्रों के माध्यम से होता है, तना व जड़ें इस आदान-प्रदान भाग नहीं लेते हैं।
3. ये मृदा से प्राप्त नाइट्रोजन को अकार्बनिक नाइट्रेट अथवा नाइट्राइट’ के रूप में ग्रहण करते हैं।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (c)
व्याख्या: पौधों में क्लोरोफिल क्लोरोप्लास्ट नामक कोशिकांग में उपस्थित होता है। अतः कथन 1 सही है।
• पौधों में वायुमंडल से गैसों का आदान-प्रदान रंध्रों के माध्यम से होता है। गैसों का आदान-प्रदान पत्तियों की सतह, तना व जड़ों से भी होता है। अतः कथन 2 गलत है।
• पौधे जल, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, लोहा, मैग्नीशियम व अन्य आवश्यक पदार्थ मृदा प्राप्त करते हैं। ये मृदा से प्राप्त नाइट्रोजन को अकार्बनिक नाइट्रेट अथवा नाइट्राइट के रूप में ग्रहण करते हैं। अतः कथन 3 सही है।
6. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. फफूँद (Bread Moulds) और यीस्ट में भोज्य पदार्थों का विघटन शरीर के बाहर ही कर दिया जाता है और उसके बाद उसका अवशोषण होता है।
2. सभी एककोशिकीय जीवों में भोजन संपूर्ण सतह से ग्रहण किया जा सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (a)
व्याख्या: कुछ जीवों में भोज्य पदार्थों का विघटन शरीर के बाहर ही कर दिया जाता है और उसके बाद उसका अवशोषण होता है। फफूँद, यीस्ट और मशरूम आदि कवक इसके उदाहरण हैं। अन्य जीव पहले संपूर्ण भोजन का अंतर्ग्रहण करते हैं, उसके बाद उसका पाचन उनके शरीर में होता है।
• सामान्यतः एक कोशिकीय जीवों में भोजन संपूर्ण सतह से ग्रहण किया जा सकता है। अमीबा इसका उदाहरण है, परंतु पैरामीशियम में ऐसा नहीं होता। पैरामीशियम भी एक कोशिकीय जीव है, इसकी कोशिका का एक निश्चित आकार होता है और भोजन एक स्थान से ही ग्रहण किया जा सकता है। अतः कथन 2 गलत है।
7. भोजन के समय मुख में आने वाली लार के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
1. यह लाला ग्रंथि (Salivary Gland) से निकलने वाला एक रस है।
2. इसमें लार एमिलेस (Salivary Amylase) नामक एंजाइम उपस्थित होता है जो मंड को शर्करा में तोड़ देता है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
8. भोजन के पाचन के लिये हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, एक प्रोटीन पाचक एंजाइम पेप्सिन तथा श्लेष्मा का स्रावन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
1. इनका स्रावन क्षुद्रांत्र द्वारा किया जाता है।
2. हाइड्रोक्लोरिक अम्ल पेप्सिन एंजाइम की क्रिया में सहायता करता है।
3. श्लेष्मा आमाशय के आंतरिक स्तर की अम्ल से रक्षा करता है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (b)
व्याख्या : भोजन के पाचन के लिये हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, एक प्रोटीन पाचक एंजाइम पेप्सिन तथा श्लेष्मा का स्रावन आमाशय की भित्ति में उपस्थित जठर ग्रंथियों के द्वारा किया जाता है। अतः कथन गलत है।
• हाइड्रोक्लोरिक अम्ल पेप्सिन एंजाइम की क्रिया में सहायता करता है, जबकि श्लेष्मा आमाशय के आंतरिक स्तर की अम्ल से रक्षा करता है। अतः कथन 2 और 3 सही हैं।
9. निम्नलिखित में से कौन-सा आहारनाल का सबसे लंबा भाग है ?
(a) क्षुद्रांत्र
(b) वृहदांत्र
(c) आमाशय
(d) ग्रसिका
उत्तर : (a)
व्याख्या: विकल्प (a) सही उत्तर है। आहारनाल का सबसे लंबा भाग क्षुद्रांत्र है। अत्यधिक कुंडलित होने के कारण यह छोटी जगह में अवस्थित होती है। विभिन्न जंतुओं में क्षुद्रांत्र की लंबाई उनके भोजन के प्रकार के अनुसार अलग-अलग होती है। घास खाने वाले शाकाहारी जीवों में सेल्युलोज पचाने के लिये लंबी क्षुद्रांत्र की आवश्यकता होती है। माँस का पाचन सरल है, अतः बाघ जैसे माँसाहारी की क्षुद्रांत्र छोटी होती है।
10. क्षुद्रांत्र ( Small Intestine) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है?
(a) पाचन प्रक्रिया में भोजन आमाशय के बाद क्षुद्रांत्र में प्रवेश करता है।
(b) क्षुद्रांत्र कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के पूर्ण पाचन का स्थल है।
(c) क्षुद्रांत्र भोजन पाचन के लिये पित्तरस और अग्न्याशयिक रस दोनों अग्न्याशय से प्राप्त करती है।
(d) पाचित भोजन को क्षुद्रांत्र की भित्ति द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है।
उत्तर :(c)
व्याख्या: पाचन प्रक्रिया में भोजन आमाशय के बाद क्षुद्रांत्र में प्रवेश करता है।
• क्षुद्रांत्र कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के पूर्ण पाचन का स्थल है। इस कार्य के लिये यह यकृत से पित्तरस (Bile Juice) और अग्न्याशय से अग्न्याशयिक रस (Pancreatic Juice) प्राप्त करती है। पित्तरस वसा पर क्रिया करने के अतिरिक्त आमाशय से आए अम्लीय भोजन को अग्न्याशयिक एंजाइमों की क्रिया के लिये क्षारीय बनाता है। पित्त लवण क्षुद्रांत्र में उपस्थित वसा की बड़ी गोलियों को छोटी गोलियों में खंडित करके उनका इमल्सीकरण (Emulsification) कर देता है, जिससे एंजाइम की क्रियाशीलता बढ़ जाती है। अग्न्याशयिक रस में प्रोटीन के पाचन के लिये ट्रिप्सिन एंजाइम होता है और इमल्सीकृत वसा का पाचन करने के लिये लाइपेज एंजाइम होता है। क्षुद्रांत्र की भित्ति में एक ग्रंथि आंत्र रस स्रावित करती है जिसमें उपस्थित एंजाइम अंत में प्रोटीन को अमीनो अम्ल में, जटिल कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में और वसा को वसा अम्ल एवं ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर देते हैं।
• पाचित भोजन को क्षुद्रांत्र की भित्ति द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। क्षुद्रांत्र में उपस्थित दीर्घरोम (Villi) अवशोषण का सतही क्षेत्रफल बढ़ा देते हैं।
11. निम्नलिखित कथनों को पढ़िये-
कथन (A): जलीय जीवों की श्वसन दर स्थलीय जीवों की अपेक्षा द्रुत होती है।
कारण (R): जल में विलेय ऑक्सीजन की मात्रा वायु में ऑक्सीजन की मात्रा की तुलना में बहुत कम होती है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर का चयन कीजिये-
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं परंतु (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है ।
उत्तर : (a)
व्याख्या : जलीय जीवों की श्वसन दर स्थलीय जीवों की अपेक्षा द्रुत होती है, क्योंकि जल में विलेय ऑक्सीजन की मात्रा वायु में ऑक्सीजन की मात्रा की तुलना में बहुत कम होती है। अत: विकल्प (a) सही उत्तर है ।
12. अवायवीय श्वसन और वायवीय श्वसन दोनों ही प्रक्रमों में निम्नलिखित में से कौन-सी प्रक्रिया समान है ?
(a) पायरुवेट का इथेनॉल और ग्लूकोज में विखंडन ।
(b) ग्लूकोज जो कि एक छ: कार्बन वाला अणु है, का तीन कार्बन वाले अणु पायरुवेट में विखंडन ।
(c) पायरुवेट का लैक्टिक अम्ल और कार्बन डाइऑक्साइड में विखंडन।
(d) पायरुवेट का जल और कार्बन डाइऑक्साइड में विखंडन ।
उत्तर : (b)
13. निम्नलिखित में से कौन कोशिका की आंतरोष्मि (Endothermic) क्रियाओं के परिचालन के लिये ईंधन की तरह प्रयुक्त होता है ?
(a) ए.टी.पी.
(b) कार्बन डाइऑक्साइड
(d) जल
(c) ऑक्सीजन
उत्तर : (a)
व्याख्या : कोशिकीय श्वसन से मुक्त हुई ऊर्जा तत्काल ही ए.टी.पी. नामक अणु के संश्लेषण में प्रयुक्त हो जाती है। यह ए.टी.पी. कोशिका की अन्य क्रियाओं के लिये ईंधन की तरह प्रयुक्त होता है। इसके विखंडन से एक निश्चित मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है जो कोशिका के अन्दर होने वाली आंतराष्मि क्रियाओं का परिचालन करती है।
14. मनुष्य में श्वसन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. नासद्वार में उपस्थित महीन बाल साँस लेने पर वायु को निस्पंदित (Filter) करने का कार्य करते हैं।
2. श्वास चक्र के समय जब वायु अन्दर और बाहर होती है, फुफ्फुस (Lungs) सदैव वायु का अवशिष्ट आयतन रखते हैं जिससे ऑक्सीजन के अवशोषण और कार्बन डाइऑक्साइड के मोचन के लिये पर्याप्त समय मिल जाता है।
3. मानव में हिमोग्लोबिन नामक श्वसन वर्णक होता है जो फुफ्फुस की वायु से ऑक्सीजन लेकर उन ऊतकों तक पहुँचते हैं जिनमें ऑक्सीजन की कमी है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त तीनों कथन सही हैं।
• नासद्वार में उपस्थित महीन बाल साँस लेने पर वायु को निस्पंदित (Filter) करने का कार्य करते हैं, जिससे शरीर में जाने वाली वायु धूल तथा दूसरी अशुद्धियाँ रहित होती है। इस मार्ग में श्लेष्मा की परत होती है जो इस प्रक्रम में सहायक होती है।
• श्वास चक्र के समय जब वायु अन्दर और बाहर होती है (Lungs) सदैव वायु का अवशिष्ट आयतन रखते हैं, जिससे ऑक्सीजन के अवशोषण और कार्बन डाइऑक्साइड के मोचन के लिये पर्याप्त समय मिल जाता है। फुफ्फुस
• जंतुओं के शरीर का आकर बड़ा होने के कारण अकेला विसरण दाब शरीर के सभी अंगों में ऑक्सीजन पहुँचाने के लिये अपर्याप्त है, उसकी दक्षता कम हो जाती है। श्वसन वर्णक इस कार्य में उसकी सहायता करते हैं।
• मानव में हिमोग्लोबिन नामक श्वसन वर्णक होता है जो फुफ्फुस की वायु से ऑक्सीजन लेकर उन ऊतकों तक पहुँचाते हैं जिनमें ऑक्सीजन की कमी है। यह वर्णक लाल रुधिर कणिकाओं में उपस्थित होता है। उल्लेखनीय है कि यदि मनुष्य के शरीर में विसरण द्वारा ऑक्सीजन गति करती तो हमारे फुफ्फुस से ऑक्सीजन के एक अणु को पैर के अँगूठे तक पहुँचने में अनुमानतः 3 वर्ष का समय लगता ।
15. मानव हृदय का दायाँ और बायाँ बँटवारा ऑक्सीजनीकृत तथा विऑक्सीजनीकृत रक्त को मिलने से रोकने में सहायक है । मानव हृदय के इस बँटवारे के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. मानव हृदय का दायाँ भाग ऑक्सीजनीकृत रुधिर प्राप्त करता है जबकि बायाँ भाग विऑक्सीजनीकृत ।
2. इस तरह का बँटवारा शरीर को उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन की पूर्ति करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (b)
व्याख्या: मानव हृदय का दायाँ और बायाँ बँटवारा ऑक्सीजनीकृत तथा विऑक्सीजनीकृत रक्त को मिलने से रोकने में सहायक है। मानव हृदय का बायाँ भाग ऑक्सीजनीकृत रुधिर प्राप्त करता है, जबकि दायाँ भाग विऑक्सीजनीकृत रुधिर अतः कथन 1 गलत है।
• इस तरह का बँटवारा शरीर को उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन की पूर्ति करता है। उल्लेखनीय है कि पक्षी और स्तनधारी सरीखे जंतुओं को जिन्हें उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है, के लिये यह बहुत लाभदायक है क्योंकि इन्हें अपने शरीर का तापक्रम बनाए रखने के लिये निरंतर ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अतः कथन 2 सही है।
16. विभिन्न जंतुओं के हृदय में रुधिर परिसंचरण के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. जल स्थल चर तथा बहुत सारे सरीसृप ऑक्सीजनीकृत तथा विऑक्सीजनीकृत रुधिर धारा का कुछ सीमा तक मिलान भी सहन कर लेते हैं।
2. मछलियों के शरीर में दोहरा परिसंचरण अनुपस्थित होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• जल स्थल चर तथा बहुत सारे सरीसृप जैसे जंतुओं में तीन कोष्ठीय हृदय होता है और ये ऑक्सीजनीकृत तथा विऑक्सीजनीकृत रुधिर धारा का कुछ सीमा तक मिलान भी सहन कर लेते हैं।
• मछलियों के हृदय में केवल दो प्रकोष्ठ होते हैं। यहाँ से रुधिर क्लोम में भेजा जाता है जहाँ यह ऑक्सीजनित होता है और सीधा शरीर में भेज दिया जाता है। इस तरह मछलियों के शरीर में एक चक्र में केवल एक बार ही रुधिर ह्रदय में जाता है जबकि अन्य कशेरुकियों में प्रत्येक चक्र में यह दो बार हृदय में जाता है। इसे दोहरा परिसंचरण कहते हैं।
17. रक्तदाब के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. रक्तदाब धमनिओं की अपेक्षा शिराओं में अधिक होता है।
2. मनुष्य में सामान्य प्रकुंचन दाब 120mm (पारा) और अनुशिथिलन दाब लगभग 80mm (पारा) होता है।
3. इसको मापने के लिये स्फाईग्मोमैनोमीटर (Sphygmomanometer) नामक यंत्र का उपयोग किया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (b)
व्याख्या : रुधिर वाहिकाओं की भित्ति के विरुद्ध जो दाब लगता है उसे रक्तदाब कहते हैं। रक्तदाब शिराओं की अपेक्षा धमनिओं में अधिक होता है। अतः कथन 1 गलत है।
• धमनिओं के अंदर रुधिर का दाब निलय प्रकुंचन (संकुचन ) के दौरान प्रकुंचन दाब और निलय अनुशिथिलन (शिथिलन) के दौरान अनुशिथिलन दाब कहलाता है। मनुष्य में सामान्य प्रकुंचन दाब 120 mm (पारा) और अनुशिथिलन दाब लगभग 80mm (पारा) होता है। अतः कथन 2 सही है।
• इसको मापने के लिये स्फाईग्मोमैनोमीटर नामक यंत्र का उपयोग किया जाता है।
18. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही नहीं है?
(a) शिराएँ रुधिर को हृदय से शरीर के हैं जबकि धमनियाँ विभिन्न अंगों हृदय में लाती हैं। विभिन्न अंगों तक ले जाती रुधिर एकत्र करके वापस
(b) रुधिर वाहिकाओं में रक्तस्राव होने पर रुधिर में उपस्थित प्लेटलेट्स कोशिकाएँ रुधिर का थक्का बनाकर मार्ग अवरुद्ध कर देती हैं।
(c) लसीका एक अन्य द्रव है जो वहन में सहायक है जिसे ऊतक तरल भी कहते हैं।
(d) पाचित और क्षुद्रांत्र द्वारा अवशोषित वसा का वहन लसीका द्वारा होता है।
उत्तर : (a)
व्याख्या : धमनियाँ रुधिर को हृदय से शरीर के विभिन्न अंगों तक ले जाती हैं जबकि शिराएँ विभिन्न अंगों से रुधिर एकत्र करके वापस हृदय में लाती हैं। अतः कथन (a) गलत है। अन्य सभी कथन सही हैं। धमनी की भित्ति मोटी और लचीली होती है क्योंकि रुधिर हृदय से दाब के साथ निकलता है।
• रुधिर वाहिकाओं में रक्तस्राव होने पर रुधिर में उपस्थित प्लेटलेट्स कोशिकाएँ रक्तस्राव के स्थान पर रुधिर का थक्का बनाकर मार्ग अवरुद्ध कर देती हैं।
• लसीका एक अन्य द्रव है जो वहन में सहायक है जिसे ऊतक तरल भी कहते हैं।
• पाचित और क्षुद्रांत्र द्वारा अवशोषित वसा का वहन लसीका द्वारा होता है।
19. पादपों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये –
1. जाइलम मृदा से प्राप्त जल और खनिज लवणों का वहन करता है।
2. वाष्पोत्सर्जन जल के अवशोषण और जड़ से पत्तियों तक जल एवं उसमें विलेय खनिज लवणों के उपरिमुखी गति में सहायक है।
3. वाष्पोत्सर्जन पादपों के तापमान के नियमन में भी सहायक है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
• जाइलम मृदा से प्राप्त जल और खनिज लवणों का वहन करता है।
• वाष्पोत्सर्जन से एक चूषण बल उत्पन्न होता है जो जल को जड़ों में उपस्थित जाइलम कोशिकाओं द्वारा खींचता है। अतः वाष्पोत्सर्जन जल के अवशोषण और जड़ से पत्तियों तक जल एवं उसमें विलेय खनिज लवणों के उपरिमुखी गति में सहायक है। उल्लेखनीय है कि जल और मृदा के मध्य आयन सांध्रण में अंतर के कारण उत्पन्न दाब से भी जल ऊपर की ओर धकेला जाता है, परंतु यह दाब पादपों की अधिक ऊँचाई के कारण जल को वहाँ तक पहुँचाने के लिये स्वयं में पर्याप्त नहीं है। इसके लिये पादप वाष्पोत्सर्जन से उत्पन्न चूषण अथवा चूसक बल का प्रयोग करते हैं।
• वाष्पोत्सर्जन पादपों के तापमान के नियमन में भी सहायक है।
20. पादपों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. फ्लोएम प्रकाश-संश्लेषण के उत्पादों के साथ अमीनो अम्ल तथा अन्य पदार्थों को पौधे के एक भाग से दूसरे भाग में पहुचता है।
2. फ्लोएम में पदार्थों का स्थानांतरण ऊर्जा के उपयोग से पूरा होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• फ्लोएम प्रकाश-संश्लेषण के उत्पादों के साथ-साथ अमीनो अम्ल तथा अन्य पदार्थों को पौधे के एक भाग से दूसरे भाग में पहुँचाता है। ये पदार्थ विशेष रूप से जड़ के भंडारण अंगों, फलों, बीजों और वृद्धि वाले अंगों में ले जाए जाते हैं। भोजन तथा अन्य पदार्थों का स्थानांतरण संलग्न साथी कोशिका की सहायता से चालनी नलिका में उपरिमुखी और अधोमुखी दोनों दिशाओं में होता है।
• जहाँ जाइलम द्वारा परिवहन सामान्य भौतिक बालों द्वारा समझा जा सकता है, वहीं फ्लोएम में पदार्थों का स्थानांतरण ऊर्जा के उपयोग से पूरा होता है। सुक्रोज जैसे पदार्थ फ्लोएम ऊतक में ए.टी.पी. से प्राप्त ऊर्जा से ही स्थानांतरित होते हैं।
21. मानव उत्सर्जन तंत्र के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. वृक्क रुधिर से नाइट्रोजनी वर्ज्य पदार्थों (Nitrogenous Waste) को अलग करने का काम करता है।
2. वृक्क के अंदर नेफ्रॉन नामक निस्यंदन एकक (Filtration Units) उपस्थित होते हैं।
3. वृक्क द्वारा हुए प्रारंभिक निस्यंद ( Filtrate) में बचे पदार्थों का चयनित पुनरावशोषण (Selective Re-absorbtion ) मूत्रवाहिनी में होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त तीनों कथन सही हैं।
• वृक्क रुधिर से नाइट्रोजनी वर्ज्य पदार्थों जैसे यूरिया या यूरिक अम्ल को अलग करने का काम करता है। इस कार्य के लिये प्रत्येक वृक्क के अंदर नेफ्रॉन (वृक्काणु) नामक निस्यंदन एकक (Filtration Units) उपस्थित होते हैं।
• वृक्क द्वारा हुए प्रारंभिक निस्यंद ( Filtrate) में बचे पदार्थों जैसेग्लूकोज, अमीनो अम्ल लवण और प्रचुर मात्रा में जल का चयनित पुनरावशोषण मूत्रवाहिनी में होता है। मूत्रवाहिनी वृक्क को मूत्राशय से जोड़ती है जहाँ मूत्र भंडारित रहता है। यह मूत्राशय पेशीय होता है, अतः यह तंत्रिका नियंत्रण (Nervous Control) में होता है।

7. नियंत्रण एवं समन्वय

1. जंतु तंत्रिका तंत्र के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. जंतुओं में गति के नियंत्रण और समन्वय का कार्य तंत्रिका तथा पेशी ऊतकों द्वारा किया जाता है।
2. तंत्रिका ऊतक शरीर के एक भाग से दूसरे भाग तक सूचनाओं का संवहन विद्युत आवेग के द्वारा करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• जंतुओं में गति के नियंत्रण और समन्वय का कार्य तंत्रिका तथा पेशी ऊतकों द्वारा किया जाता है।
• तंत्रिका ऊतक तंत्रिका कोशिकाओं या न्यूरॉन के एक संगठित जाल का बना होता है और यह सूचनाओं को विद्युत आवेग के द्वारा शरीर के एक भाग से दूसरे भाग तक संवहन में विशिष्टीकृत है।
2. मानव शरीर के तंत्रिका तंत्र और प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Action) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये –
1. पूरे शरीर की तंत्रिकाएँ मेरुरज्जु में मस्तिष्क को जाने वाले रास्ते में एक बंडल के रूप में मिलती हैं।
2. प्रतिवर्ती चाप मस्तिष्क में बनते हैं।
3. तुरंत अनुक्रिया के लिये प्रतिवर्ती चाप न्यूरॉन जाल (Neuron Network) की अपेक्षा अधिक दक्ष है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (c)
व्याख्या : मानव शरीर में प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Action) प्रतिवर्ती चाप (Reflex Arc) के कारण होती है। प्रतिवर्ती चाप वह प्रक्रम है जो आगम संकेतों का पता लगाने ( स्थिति का संवेदन करने) और उसके अनुसार निर्गम क्रिया करने (पेशियों को गति कराने) का कार्य करता है। यह प्रक्रम मस्तिष्क के न्यूरॉन जाल (Neuron Network) से शीघ्र पूरा हो सकता है। पूरे शरीर की तंत्रिकाएँ मेरुरज्जु में मस्तिष्क को जाने वाले रास्ते में एक बंडल के रूप में मिलती हैं। प्रतिवर्ती चाप इसी मेरुरज्जु में बनते हैं, यद्यपि आगत सूचनाएँ मस्तिष्क तक भी भेजी जाती हैं। अतः कथन 1 सही परंतु 2 गलत है।
• तुरंत अनुक्रिया के लिये प्रतिवर्ती चाप अपनी शीघ्रता पूर्ण कार्य प्रणाली के कारण न्यूरॉन जाल (Neuron Network) की अपेक्षा अधिक दक्ष कार्य प्रणाली है। अतः कथन 3 सही है।
3. मेरुरज्जु के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये –
1. मेरुरज्जु तंत्रिकाओं की बनी होती है और सोचने के लिये सूचनाएँ प्रदान करती है।
2. मेरुरज्जु केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का भाग न होते हुए भी प्रतिवर्ती क्रिया में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (a)
व्याख्या : मेरुरज्जु तंत्रिकाओं की बनी होती है जो सोचने के लिये सूचनाएँ प्रदान करती है। अतः कथन 1 सही है।
• कथन 2 गलत है क्योंकि मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु केंद्रीय तंत्रिका तंत्र बनाते हैं।
4. मानव मस्तिष्क के संदर्भ में निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये-
1. अग्रमस्तिष्कः अनैच्छिक क्रियाओं के लिये पूर्णरूप से उत्तरदायी ।
2. पश्चमस्तिष्क : मस्तिष्क का मुख्य सोचने का भाग ।
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा / से सही सुमेलित है / हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों में से कोई भी युग्म सुमेलित नहीं है।
• मस्तिष्क का मुख्य सोचने का भाग अग्रमस्तिष्क है। इसमें विभिन्न ग्राही से संवेदी आवेग (सूचनाएँ) प्राप्त करने के लिये क्षेत्र होते हैं। अग्रमस्तिष्क के अलग-अलग क्षेत्र सुनने, सूँघने, देखने आदि के लिये विशिष्टीकृत हैं। कुछ जटिल संवेदनों जैसे यह जानने के लिये कि पेट पूरा भर गया है, भूख से संबंधित एक केंद्र भी अग्रमस्तिष्क में एक अलग भाग के रूप में होता है।
• अनैच्छिक क्रियाओं के लिये उत्तरदायी मध्यमस्तिष्क और पश्चमस्तिष्क उत्तरदायी हैं। अनेक अनैच्छिक क्रियाएँ जैसे- रक्तदाब, लार आना और वमन (Vomiting) पश्चमस्तिष्क से नियंत्रित होती हैं। कुछ क्रियाएँ जैसे- एक सीधी रेखा में चलना, साइकिल चलाना, एक पेंसिल उठाना आदि पश्चमस्तिष्क में स्थित अनुमस्तिष्क के द्वारा ही संभव हो पाता है। यह अनुमस्तिष्क ऐच्छिक क्रियाओं की परिशुद्धि और शरीर की संस्थिति तथा संतुलन के लिये उत्तरदायी है।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. पादपों में न तो तंत्रिका तंत्र होता है, न ही पेशियाँ।
2. जंतु कोशिकाएँ सतत (Continually ) विद्युत आवेश न जनित कर सकती हैं और न ही संचारित कर सकती हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• शरीर की क्रियाओं के नियंत्रण तथा समन्वय के लिये जंतुओं में तंत्रिका तंत्र होता है परंतु पादपों में न तो तंत्रिका तंत्र होता है और न ही पेशियाँ।
• जंतु कोशिकाओं में सूचनाओं के संचरण के लिये विद्युत आवेग एक उत्तम साधन है लेकिन विद्युत आवेग की कुछ सीमाएँ हैं। सर्वप्रथम वे केवल उन्हीं कोशिकाओं तक पहुँचेगी जो तंत्रिका ऊतक से जुड़ी हैं। दूसरे एक बार यदि कोशिका में आवेश जनित होता है और संचारित होता है तो पुनः नया आवेश जनित करने और उसे संचारित करने के लिये कोशिका कुछ समय लेगी। अतः जंतु कोशिकाएँ सतत विद्युत आवेश न जनित कर सकती हैं और न ही संचारित कर सकती हैं।
6. पादपों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. छुईमुई की पत्तियाँ स्पर्श की अनुक्रिया से बहुत तेज़ी से गति करती हैं जो कि इसकी वृद्धि के लिये बहुत उपयोगी है।
2. पादप स्पर्श जैसे उद्दीपन की सूचना को एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक संचारित करने के लिये विद्युत रसायन (ElectricalChemical) साधन का उपयोग करते हैं।
3. पादप कोशिकाओं में गति के लिये जंतु पेशी कोशिकाओं की तरह विशिष्टीकृत प्रोटीन होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (b)
व्याख्या : छुईमुई की पत्तियाँ स्पर्श की अनुक्रिया से बहुत तेज़ी से गति करती हैं परंतु इस गति से इसकी वृद्धि का कोई संबंध नहीं है। अतः कथन 1 गलत है।
• पादप भी स्पर्श जैसे उद्दीपन की सूचना को एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक संचारित करने के लिये विद्युत रसायन साधन का उपयोग करते हैं। अतः कथन 2 सही है।
• पादप कोशिकाओं में गति के लिये जंतु पेशी कोशिकाओं की तरह विशिष्टीकृत प्रोटीन तो नहीं होते अपितु वे जल की मात्रा में परिवर्तन करके अपनी आकृति बदल लेती हैं जिस कारण फूलने या सिकुड़ने में उनका आकर बदल जाता है। अतः कथन 3 भी गलत है।
• छुईमुई का पौधा इन्हीं विधियों से स्पर्श जैसे उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया करता है।
7. निम्नलिखित पर विचार कीजिये-
1. एड्रीनलीन
2. टेस्टोस्टेरोन
3. एस्ट्रोजन
उपर्युक्त हार्मोनों में से कौन सा/से जंतुओं में लड़ने अथवा भागने की परिस्थिति में शरीर को स्थिति से निपटने के लिये तैयार करने का कार्य करता/ करते है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (a)
व्याख्या : मनुष्यों सहित अनेक जंतुओं में लड़ने अथवा भागने की परिस्थिति में शरीर को स्थिति से निपटने के लिये तैयार करने का कार्य एड्रीनलीन हार्मोन के द्वारा किया जाता है, जो कि अधिवृक्क ग्रंथि से स्रावित होता है । अत: विकल्प (a) सही है।
• एड्रीनलीन सीधा रुधिर में स्रावित होता है और शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचा दिया जाता है। हृदय सहित यह लक्ष्य अंगों (Target Organs) या विशिष्ट ऊतकों पर कार्य करता है जिसके कारण हृदय की धड़कन बढ़ जाती है जिससे हमारी पेशिओं को अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सके । पाचन तंत्र और त्वचा में रुधिर की आपूर्ति कम हो जाती है क्योंकि इन अंगों के छोटी धमनिओं के आस-पास की पेशियाँ सिकुड़ जाती हैं। यह रुधिर की दिशा हमारी कंकाल पेशियों की ओर कर देता है। डायाफ्राम और पसलिओं की पेशी के संकुचन से श्वसन दर भी बढ़ जाती है। ये सभी अनुक्रियाएँ मिलकर जंतु के शरीर को स्थिति से निपटने के लिये तैयार करती हैं। ये जंतु हार्मोन शरीर की अंतःस्रावी ग्रन्थियों का भाग हैं जो हमारे शरीर में नियंत्रण एवं समन्वय का दूसरा मार्ग है।
• टेस्टोस्टेरोन हार्मोन नर तथा एस्ट्रोजन हार्मोन मादा में स्रावित होता है परंतु लड़ने अथवा भागने की परिस्थिति से इनका संबंध नहीं है।
8. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये-
1. अवटुग्रंथि (Thyroid Gland) : थायरॉक्सिन हार्मोन
2. पीयूष ग्रंथि (Pituitary Gland) : वृद्धि हार्मोन
3. अग्न्याशय (Pancreas) : इन्सुलिन
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा / से सही सुमेलित है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त सभी युग्म सुमेलित हैं।
• थायरॉक्सिन हार्मोन का संश्लेष्ण अवटुग्रंथि द्वारा होता है जिसके लिये आयोडीन आवश्यक है। थायरॉक्सिन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के उपापचय का नियंत्रण करता है जिससे वृद्धि के लिये उत्कृष्ट संतुलन उपलब्ध कराया जा सके। साथ ही यदि शरीर में आयोडीन की कमी होती है तो गॉयटर से ग्रस्त होने की संभावना बनी रहती है।
• वृद्धि हार्मोन पीयूष ग्रंथि से स्रावित होता है। यह शरीर की वृद्धि और विकास को नियंत्रित करता है। बाल्यकाल में इसकी कमी बौनेपन का कारण बनती है।
• इन्सुलिन का उत्पादन अग्न्याशय में होता है। यह रुधिर में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में सहायता करता है। यदि यह उचित मात्रा में स्रावित नहीं होता है तो रुधिर शर्करा का स्तर बढ़ जाता है ।

8. जीव जनन कैसे करते हैं?

1. जनन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. जनन की मूल घटना डी. एन. ए. की प्रतिकृति (Copy) बनाना है।
2. जनन कोशिका में डी.एन.ए. की दो प्रतिकृतियाँ बनती हैं जो कि एक-दूसरे के पूर्णत: समरूप होती हैं।
3. किसी प्रजाति ( स्पीशीज) की समष्टि के स्थायित्व का संबंध उसके जनन से है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (b)
व्याख्या : कोशिका के केंद्रक के डी.एन.ए. में प्रोटीन संश्लेषण हेतु सूचना निहित होती है। इस संदेश के भिन्न होने की अवस्था में बनने वाली प्रोटीन भी भिन्न होगी। विभिन्न प्रोटीन के कारण अंतत: शारीरिक अभिकल्प में भी विविधता होगी। अतः जनन की मूल घटना डी. एन. ए. की प्रतिकृति बनाना है। डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाने के लिये कोशिकाएँ विभिन्न रासायनिक क्रियाओं का उपयोग करती हैं। जनन कोशिका में इस प्रकार डी.एन.ए. की दो प्रतिकृतियाँ बनती हैं तथा एक-दूसरे से अलग होना आवश्यक है। अतः कथन 1 सही परंतु 2 गलत है।
• उल्लेखनीय है कि कोई भी जैव-रासायनिक प्रक्रिया पूर्ण रूप विश्वसनीय नहीं होती। संभव है कि डी.एन.ए. प्रतिकृति की प्रक्रिया में कुछ विभिन्नताएँ आएंगी। परिणामस्वरूप बनने वाली प्रतिकृतियाँ एक समान तो होंगी परंतु मौलिक डी.एन.ए. के समरूप नहीं होंगी।
• अपनी जनन क्षमता का उपयोग कर जीवों की समष्टि (Population) पारितंत्र में स्थान अथवा निकेत (Niches) ग्रहण कर सकती है। जनन के दौरान डी.एन.ए. प्रतिकृति की स्थिरता (Consistency) जीव की शारीरिक संरचना एवं डिज़ाइन के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है जो उसे विशिष्ट निकेत के योग्य बनाती है। अतः किसी प्रजाति (स्पीशीज) की समष्टि के स्थायित्व का संबंध उसके जनन से है। अतः कथन 3 सही है।
• उल्लेखनीय है कि प्रजाति में विभिन्नताएँ उसकी उत्तरजीविता बनाए रखने में उपयोगी हैं।
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. पुनरुद्भवन (Regeneration) में किसी जीव के टूटे हुए भाग से नए जीव का विकास होता है जो कि जनन के समान है।
2. हाइड्रा में जनन मुकुलन (Budding) के माध्यम से होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (b)
व्याख्या: पुनरुद्भवन ( Regeneration) में किसी जीव के टूटे हुए भाग से नए जीव का विकास होता है । पुनरुद्भवन जनन के समान नहीं होता क्योंकि प्रत्येक जीव के किसी भी भाग को काटकर सामान्यतः नया जीव नहीं उत्पन्न होता। अतः कथन 1 गलत है।
• हाइड्रा में जनन मुकुलन के माध्यम से होता है। इसमें कोशिकाओं के नियमित विभाजन के कारण एक स्थान पर उभार विकसित हो जाता है, यही उभार जो कि मुकुल कहलाता है वृद्धि करता हुआ नन्हे जीव में बदल जाता है। अतः कथन 2 सही है।
3. कायिक प्रवर्धन (Vegetative Propagation) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. इसके अंतर्गत कुछ भाग, जैसे- जड़, तना और पत्तियाँ उपयुक्त परिस्थितिओं में विकसित होकर नया पौधा उत्पन्न करते हैं।
2. इस प्रकिया से उगाए गए पौधों में बीज द्वारा उगाए गए पौधों की अपेक्षा पुष्प व फल अधिक समय में लगते हैं।
3. इस प्रकार से उत्पन्न पौधे आनुवंशिक रूप से जनक पौधे से भिन्न होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा /से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (a)
व्याख्या: कायिक प्रवर्धन के अंतर्गत कुछ भाग, जैसे- जड़, तना और पत्तियाँ उपयुक्त परिस्थितिओं में विकसित होकर नया पौधा उत्पन्न करते हैं। परतन, कलम अथवा रोपण जैसी कायिक प्रवर्धन की तकनीक का उपयोग कृषि में भी किया जाता है। अतः कथन 1 सही है।
• इस प्रकिया से उगाए गए पौधों में बीज द्वारा उगाए गए पौधों की अपेक्षा पुष्प व फल कम समय में लगते हैं। अतः कथन 2 गलत है।
• इस विधि का एक लाभ यह भी है कि इस प्रकार से उत्पन्न सभी पौधे आनुवंशिक रूप से जनक पौधे के समान होते हैं। अतः कथन 3 भी गलत है।
4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. ऊतक संवर्धन तकनीक के अंतर्गत पौधे के ऊतक या उसकी कोशिकाओं को उसके शीर्ष के वर्धमान भाग (Growing Tip) से अलग करके नए पौधे उगाए जाते हैं।
2. बीजाणु समासंघ (Spore Formation) अलैंगिक जनन का एक प्रकार है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• ऊतक संवर्धन तकनीक के अंतर्गत पौधे के ऊतक या उसकी कोशिकाओं को उसके शीर्ष के वर्धमान भाग (Growing Tip) से अलग करके नए पौधे उगाए जाते हैं। इस तकनीक द्वारा किसी एकल पौधे से अनेक पौधे संक्रमण-मुक्त परिस्थितियों में उत्पन्न किये जा सकते हैं। इस तकनीक का उपयोग सामान्यतः सजावटी फूलों के संवर्धन में किया जाता है।
• ऊतक संवर्धन और बीजाणु समासंघ (Spore Formation) दोनों ही अलैंगिक जनन के प्रकार हैं। बीजाणु समासंघ का राइजोपस जैसे जीवों में देखने को मिलता है। ब्रेड के ऊपर विकसित धागे के समान संरचनाएँ राइजोपस का कवक जाल होती हैं जो कि बीजाणु समासंघ का एक उदाहरण है।
5. नर और मादा युग्मकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. मादा युग्मक, नर युग्मक की अपेक्षा आकार में छोटा और गतिशील होता है।
2. नर युग्मक में कोशिका को ऊर्जा देने के लिये भोजन का पर्याप्त भंडार होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन गलत हैं।
• मादा युग्मक, नर युग्मक की अपेक्षा आकार में बड़ा होता है। इसमें कोशिका को ऊर्जा देने के लिये भोजन का पर्याप्त भंडार होता है।
• नर युग्मक, मादा युग्मक से छोटा परंतु अधिक गतिशील होता है।
6. पुष्पी पौधों में लैंगिक जनन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये –
1. आवृतबीजी (एंजिओस्पर्म) के जननांग पुष्प में अवस्थित होते हैं।
2. पुंकेसर और स्त्रीकेसर पुष्प के जनन भाग हैं जिनमें जननकोशिकाएँ होती हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• आवृतबीजी (एंजिओस्पर्म) के जननांग पुष्प में अवस्थित होते हैं।
• पुंकेसर और स्त्रीकेसर पुष्प के जनन भाग हैं जिनमें जनन – कोशिकाएँ होती हैं।
• जब पुष्प में पुंकेसर और स्त्रीकेसर में से केवल एक जननांग उपस्थित होता है तो वह पुष्प एकलिंगी कहलाता है (उदाहरण- पपीता और तरबूज ) । जब पुष्प में पुंकेसर और स्त्रीकेसर दोनों उपस्थित होते हैं तो वह पुष्प उभयलिंगी कहलाता है (जैसे- गुड़हल और सरसों) ।
7. पुष्पी पौधों में लैंगिक जननांग के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये –
1. पुंकेसर नर जननांग हैं जो परागकण बनाते हैं।
2. स्त्रीकेसर मादा जननांग है जो पुष्प के केंद्र में अवस्थित होता है।
3. परागकणों का उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरण स्वपरागण, जबकि एक पुष्प से दूसरे पुष्प पर स्थानांतरण परपरागण कहलाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त तीनों कथन सही हैं।
• पुंकेसर नर जननांग हैं जो परागकण बनाते हैं। सामान्यतः इनका रंग • पीला होता है।
• स्त्रीकेसर मादा जननांग है जो पुष्प के केंद्र में अवस्थित होता है।
• यदि परागकणों का स्थानांतरण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर होता है तो यह स्वपरागण जबकि एक पुष्प से दूसरे पुष्प पर होता है तो यह परपरागण कहलाता है।
8. मादा जनन तंत्र के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. मादा में अंड – कोशिका का निर्माण अंडाशय में होता है।
2. निषेचन का कार्य मादा के गर्भाशय में संपन्न होता है।
3. प्लेसेंटा भ्रूण के पोषण के लिये एक विशेष संरचना है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा / से सही नहीं है/हैं?
(a) केवल 2
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) केवल 2 और 3
उत्तर : (a)
व्याख्या: मादा में अंड- कोशिका का निर्माण अंडाशय में होता है। अतः कथन 1 सही है।
• निषेचन का कार्य मादा की अंड-वाहिका में संपन्न होता है। निषेचन के पश्चात् निषेचित अंड अथवा युग्मनज गर्भाशय में स्थापित हो जाता है । अतः कथन 2 गलत है।
• भ्रूण को माँ के रुधिर से ही पोषण मिलता है, जिसके लिये प्लेसेंटा नामक एक विशेष संरचना होती है। अतः कथन 3 भी सही है।
9. निम्नलिखित पर विचार कीजिये-
1. गोनेरिया (Gonorrhoea)
2. सिफलिस (Syphilis)
3. मस्सा (Warts )
4. एच.आई.वी. (HIV)
उपर्युक्त में से कौन-से रोग वाइरस जनित हैं ?
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर : (c)
व्याख्या: गोनेरिया तथा सिफलिस जीवाणु जनित जबकि मस्सा तथा एच.आई.वी. विषाणु जनित रोग हैं। उल्लेखनीय है कि उपर्युक्त सभी रोग लैंगिक संचरण से भी हो सकते हैं।

9. आनुवंशिकता एवं जैव विकास

1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. दूसरी पीढ़ी में पहली पीढ़ी से विविधता अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन से अधिक होती है।
2. लैंगिक जनन वाले जीवों में एक अभिलक्षण (Trait) के जीन के दो प्रतिरूप होते हैं जिनके एक समान न होने की स्थिति में जो अभिलक्षण व्यक्त होता है उसे प्रभावी और दूसरे को अप्रभावी लक्षण कहते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
2. लिंग निर्धारण के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. कुछ प्राणियों में लिंग निर्धारण निषेचित अंडे (युग्मक) के ऊष्मायन ताप पर निर्भर करता है।
2. घोंघे में लिंग का निर्धारण आनुवंशिक नहीं होता है।
3. मनुष्यों में बच्चों का लिंग निर्धारण उन्हें पिता से प्राप्त हुए गुणसूत्र पर निर्भर करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा / से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन ने ‘प्राकृतिक वरण द्वारा जैव विकास’ का सिद्धांत दिया।
2. डार्विन के प्रयोगों से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में लक्षणों की वंशानुगति की कार्य विधि की जानकारी मिलती है।
3. मेंडल का सिद्धांत बताता है कि पृथ्वी पर सरल जीवों जटिल स्वरूप वाले जीवों का विकास किस प्रकार हुआ
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा / से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (a)
व्याख्या: चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन ने ‘प्राकृतिक वरण द्वारा जैव विकास’ का सिद्धांत दिया। अतः कथन 1 सही है।
• डार्विन का सिद्धांत बताता है कि पृथ्वी पर सरल जीवों से जटिल स्वरूप वाले जीवों का विकास किस प्रकार हुआ जबकि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में लक्षणों की वंशानुगति की कार्यविधि की जानकारी मेंडल के प्रयोगों से मिलती है। अतः कथन 2 और 3 गलत हैं।
4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. पक्षियों, सरीसृप, जल-स्थलचर और स्तनधारियों के चार पाद (पैर) होते हैं।
2. जीवों में किसी अंग की आकृति में समानताएँ होने का एकमात्र कारण समान पूर्वज परम्परा है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (a)
व्याख्या: पक्षियों, सरीसृप, जल-स्थलचर और स्तनधारियों के चार पाद (पैर) होते हैं। सामान्यतः इन सभी में पादों (पैरों) की आधारभूत संरचना एक समान है, यद्यपि विभिन्न कशेरुकों में अलग-अलग कार्यों के लिये इनमें रूपांतरण हुआ है। अतः कथन 1 सही है।
• जीवों में किसी अंग की आकृति में समानताएँ होने का एकमात्र कारण समान पूर्वज परम्परा नहीं है। अतः कथन 2 गलत है।
5. आधुनिक मानव का उद्भव निम्नलिखित में से कहाँ हुआ ?
(a) यूरोप
(b) अफ्रीका
(c) भारत
(d) उत्तर अमेरिका
उत्तर : (b)
व्याख्या: आधुनिक मानव ‘होमो सैपियंस’ का उद्भव अफ्रीका महाद्वीप में हुआ, जो धीरे-धीरे पूरे विश्व में फैल गए।
6. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. जीवों में पंख और आँख दोनों ही एक व्यापक अनुकूलन का परिणाम हैं।
2. आण्विक जातिवृत्त जीवों में विकासीय संबंधों को खोजने का एक अध्ययन है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या: उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
• जीवों में पंख जो संभवत: ठंडे मौसम में ऊष्मारोधन के लिये विकसित हुए थे, धीरे-धीरे उड़ने के लिये भी उपयोगी हो गए जो कि एक व्यापक अनुकूलन का उदाहरण है। पंख के समान ही आँख भी जीवों में एक व्यापक अनुकूलन का परिणाम है। अलग-अलग जीवों (जैसेकीट, ऑक्टोपस व कशेरुकी जीव) में आँखों की संरचना भी अलग-अलग होती है, जिसका मुख्य कारण उनकी अलग-अलग विकासीय उत्पत्ति है।
• कोशिका विभाजन के समय डी.एन.ए. में परिवर्तन से प्रोटीन में भी परिवर्तन आता है जो कि उत्तरोत्तर पीढ़ियों में संचित होता जाता है। यह परिवर्तन किस समय हुआ आण्विक जातिवृत्त यही बताता है। आण्विक जातिवृत्ति जीवों में विकासीय संबंधों को खोजने का एक अध्ययन है।
7. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. मानव जैव विकास के शिखर पर है।
2. जीव के ‘निम्न’ अभिरूप से ‘उच्चतर’ अभिरूप की ‘प्रगति’ को ‘विकास’ कहा जा सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा / से सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (d)

10. प्रकाश – परावर्तन तथा अपवर्तन

1. यदि प्रकाश के पथ पर अपारदर्शी, अत्यंत छोटी वस्तु को रख दिया जाए तो प्रकाश सरल रेखा में चलने की बजाय इसके किनारों पर मुड़ जाता है। प्रकाश के इस प्रभाव को कहते हैं-
(a) प्रकाश का विवर्तन
(b) प्रकाश का अपवर्तन
(c) प्रकाश का व्यतिकरण
(d) प्रकाश का परावर्तन
उत्तर : (a)
व्याख्या: यदि प्रकाश के पथ में रखी अपारदर्शी वस्तु अत्यंत छोटी हो तो प्रकाश सरल रेखा में चलने की बजाय इसके किनारों पर मुड़ने की प्रवृत्ति दर्शाता है। इस प्रभाव को प्रकाश का विवर्तन कहते हैं।
2. प्रकाश के क्वांटम सिद्धांत के अनुसार प्रकाश की प्रकृति है-
(a) कण के समान
(b) तरंग के समान
(c) न तो कण के समान और न ही तरंग के समान
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर : (c)
व्याख्या : विवर्तन जैसी परिघटनाओं की व्याख्या करने के लिये प्रकाश को तरंग के रूप में माना जाता है। 20वीं सदी के प्रारंभ में यह स्पष्ट हो गया कि प्रकाश की द्रव्य के साथ अन्योन्यक्रिया के विवेचन में प्रकाश का तरंग सिद्धांत अपर्याप्त है तथा प्रकाश प्रायः कणों के प्रवाह की भाँति व्यवहार करता है। प्रकाश की सही प्रकृति के बारे में यह उलझन कुछ वर्षों तक चलती रही, जब तक कि प्रकाश का आधुनिक क्वांटम सिद्धांत उभरकर सामने नहीं आया जिसमें प्रकाश को न तो ‘तरंग’ माना गया और न ही ‘कण’। इस नए सिद्धांत ने प्रकाश के कण संबंधी गुणों तथा तरंग की प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित किया।
3. आपतन कोण, परावर्तन कोण के बराबर होता है एवं आपतित किरण, दर्पण के आपतन बिंदु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण, सभी एक ही तल में होते हैं।
उपर्युक्त विवरण प्रकाश के किस नियम / घटना से संबंधित है ?
(a) प्रकाश के अपवर्तन से
(b) प्रकाश के परावर्तन से
(c) प्रकाश के विवर्तन से
(d) प्रकाश के पूर्ण आंतरिक परावर्तन से
उत्तर : (b)
4. समतल दर्पण पर बनने वाले प्रतिबिंब की विशेषताओं के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये –
1. समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सदैव आभासी तथा सीधा होता है।
2. प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार से छोटा होता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा /से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (a)
व्याख्या: पहला कथन सत्य है तथा दूसरा गलत है। समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सदैव आभासी तथा सीधा होता है। प्रतिबिंब का साइज, वस्तु के साइज के बराबर होता है । प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है, जितनी दूरी पर दर्पण के सामने वस्तु रखी होती है।
5. गोलीय दर्पण के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है ?
(a) जिस गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ गोले के अंदर की ओर वक्रित होता है, अवतल दर्पण कहलाता है।
(b) जिस गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ बाहर की ओर वक्रित होता है, उत्तल दर्पण कहलाता है।
(c) उत्तल दर्पण द्वारा वस्तु का प्रतिबिंब वास्तविक तथा उल्टा बनता है।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं ।
उत्तर : (c)
व्याख्या : तीसरा कथन असत्य है। उत्तल दर्पण द्वारा वस्तु का प्रतिबिंब आभासी तथा सीधा बनता है ।
6. अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है-
1. टॉर्च
2. वाहनों के अग्रदीपों (Headlight) में ।
3. दंत विशेषज्ञ द्वारा दाँतों का प्रतिबिंब देखने के लिये ।
4. शेविंग दर्पण (Shaving Mirror)
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर : (d)
व्याख्या : अवतल दर्पण का उपयोग सामान्यत: टॉर्च, सर्चलाइट तथा वाहनों के अग्रदीपों (Headlight) में प्रकाश का शक्तिशाली सामानांतर किरण पुंज प्राप्त करने के लिये किया जाता है। इन्हें प्राय: चेहरे का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिये शेविंग दर्पण के रूप में उपयोग करते हैं। दंत विशेषज्ञ अवतल दर्पण का उपयोग मरीज़ों के दाँतों का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिये करते हैं। सौर भट्ठियों में सूर्य के प्रकाश को केंद्रित करने के लिये बड़े अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है।
7. किस छोटे दर्पण की सहायता से ऊँचे भवन या पेड़ की पूर्ण लंबाई का प्रतिबिंब देखा जा सकता है?
(a) अवतल दर्पण
(b) उत्तल दर्पण
(c) समतल दर्पण
(d) उत्तल और समतल दर्पण
उत्तर : (b)
व्याख्या: छोटे उत्तल दर्पण में किसी ऊँचे भवन या पेड़ की पूर्ण लंबाई का प्रतिबिंब देख सकते हैं।
8. निम्नलिखित में से कौन-सा दर्पण वाहनों में पश्च- दृश्य (Wing) देखने के लिये वाहनों के पार्श्व (Side) में लगा होता है ?
(a) उत्तल दर्पण
(b) अवतल दर्पण
(c) समतल दर्पण
(d) प्रदीप्त दर्पण
उत्तर : (a)
व्याख्या : उत्तल दर्पण का उपयोग सामान्यत: वाहनों के पश्च- दृश्य (Wing) दर्पणों के रूप में किया जाता है। ये दर्पण वाहन के पार्श्व (Side) में लगे होते हैं तथा इनमें ड्राइवर अपने पीछे के वाहनों को देख सकते हैं क्योंकि इन दर्पणों का दृष्टि क्षेत्र अधिक होता है तथा प्रतिबिंब सदैव सीधा बनता है।
9. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. प्रकाश का अपवर्तन प्रकाश के एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे में प्रवेश करने पर प्रकाश की चाल में परिवर्तन के कारण होता है।
2. प्रकाश के अपवर्तन के कारण पानी से भरी हुई टंकी की तली ऊपर उठी हुई प्रतीत होती है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या: उपर्युक्त दोनों कथन सत्य हैं।
• प्रकाश का अपवर्तन प्रकाश के एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे में प्रवेश करने पर प्रकाश की चाल में परिवर्तन के कारण होता है।
• प्रकाश के अपवर्तन के कारण पानी से भरी हुई टंकी की तली ऊपर उठी हुई प्रतीत होती है। इसी प्रकार, जब कोई मोटा काँच का स्लैब (सिल्ली) किसी मुद्रित सामग्री पर रखा जाता है, तो काँच के स्लैब के ऊपर से देखने पर अक्षर उठे हुए प्रतीत होते हैं।
10. किस माध्यम में प्रकाश की चाल सर्वाधिक होती है ?
(a) वायु में
(b) निर्वात में
(c) जल में
(d) हीरे में
उत्तर : (b)
11. लेंस के संदर्भ में दिये गए कथनों पर विचार कीजिये –
1. दो पृष्ठों से घिरा कोई पारदर्शी माध्यम, जिसके एक या दोनों पृष्ठ गोलीय होते हैं, लेंस कहलाता है।
2. उत्तल लेंस और अवतल लेंस में दो गोलीय पृष्ठ होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : लेंस के संबंध उपर्युक्त दोनों कथन सत्य हैं।
• दो पृष्ठों से घिरा हुआ कोई पारदर्शी माध्यम, जिसके एक या दोनों पृष्ठ गोलीय होते हैं, लेंस कहलाता है। लेंस का कम-से-कम एक पृष्ठ गोलीय होता है।
• उत्तल लेंस और अवतल लेंस में दो गोलीय पृष्ठ होते हैं। ऐसे लेंस जिनमें बाहर की ओर उभरे हुए दो गोलीय पृष्ठ हो सकते हैं उन्हें द्वि- उत्तल लेंस या उत्तल लेंस कहते हैं। यह किनारों की अपेक्षा बीच में मोटा होता है। इसी प्रकार अंदर की ओर वक्रित दो गोलीय पृष्ठों से घिरे लेंस को अवतल लेंस कहते हैं। अवतल लेंस बीच की अपेक्षा किनारों पर मोटा होता है।
12. किस दर्पण से, आप चाहे कितनी ही दूरी पर खड़े हों, आपका प्रतिबिंब सदैव सीधा प्रतीत होता है ?
(a) केवल समतल
(b) केवल अवतल
(c) केवल उत्तल
(d) समतल तथा उत्तल दोनों
उत्तर : (d)
व्याख्या: समतल अथवा उत्तल दर्पण में वस्तु का प्रतिबिंब हमेशा सीधा प्रतीत होता है, लेकिन समतल दर्पण की तुलना में उत्तल दर्पण अपने पीछे के बहुत बड़े क्षेत्र को देखने में समर्थ बनाता है।
13. लेंस की क्षमता मापी जाती है-
(a) डायोप्टर
(b) डॉब्सन
(c) मैनोमीटर
(d) हाइग्रोमीटर
उत्तर : (a)
व्याख्या : लेंस की क्षमता का SI मात्रक ‘डायोप्टर’ है। इसे D अक्षर द्वारा सूचित किया जाता है । उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक तथा अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक होती है। 1 डायोप्टर उस लेंस की क्षमता है, जिसकी फोकस दूरी 1 मीटर है।
• किसी लेंस की क्षमता उसकी फोकस दूरी का व्युत्क्रम होती है।

11. मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार

1. मानव नेत्र के किस भाग में किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनता है?
(a) पुतली पर
(b) रेटिना (दृष्टिपटल) पर
(c) कॉर्निया पर
(d) परितारिका पर
उत्तर : (b)
व्याख्या : मानव नेत्र एक कैमरे की भाँति व्यवहार करता है। किसी वस्तु का प्रतिबिंब आँख की रेटिना या दृष्टिपटल पर बनता है।
2. मानव नेत्र के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये –
1. मानव नेत्र में प्रकाश कॉर्निया से होकर प्रवेश करता है।
2. पुतली, नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करती है।
3. रेटिना पर किसी वस्तु का प्रतिबिंब उल्टा तथा वास्तविक बनता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या: उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं। प्रकाश मानव नेत्र में एक पतली झिल्ली से होकर प्रवेश करता है। इस झिल्ली को कॉर्निया या स्वच्छ मंडल कहते हैं। कॉर्निया के पीछे एक संरचना होती है जिसे परितारिका कहते हैं। परितारिका (Iris) एक गहरी पेशीय डायफ्राम होती है जो पुतली के साइज को नियंत्रित करती है। पुतली नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करती है। रेटिना पर किसी वस्तु का उल्टा तथा वास्तविक प्रतिबिंब बनता है। रेटिना एक कोमल सूक्ष्म झिल्ली होती है जिसमें बृहद् संख्या में प्रकाश – सुग्राही कोशिकाएँ होती हैं।
3. कभी-कभी अधिक आयु के किसी व्यक्ति के नेत्र का क्रिस्टलीय लेंस दूधिया तथा धुँधला हो जाता है, जिसके कारण नेत्र की दृष्टि में कमी या पूर्ण रूप से दृष्टि क्षय हो जाता है। यह व्यक्ति पीड़ित है –
(a) जरा-दृष्टिदोष
(b) निकट दृष्टिदोष
(c) मोतियाबिंद
(d) दीर्घ- दृष्टिदोष
उत्तर : (c)
व्याख्या: कभी-कभी अधिक आयु के कुछ व्यक्तियों के नेत्र का क्रिस्टलीय लेंस दूधिया तथा धुँधला हो जाता है। इस स्थिति को मोतियाबिंद कहते हैं। इसके कारण नेत्र की दृष्टि में कमी या पूर्ण रूप से दृष्टि क्षय हो जाता है।
• मोतियाबिंद की शल्य चिकित्सा के पश्चात् दृष्टि का वापस लौटना संभव होता है।
4. निकट दृष्टि दोष के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये-
1. निकट दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति पास रखी वस्तु को स्पष्ट देख सकता है, परंतु दूर रखी वस्तु को सुस्पष्ट नहीं देख सकता।
2. निकट दृष्टि दोषयुक्त नेत्र में, दूर रखी वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना (दृष्टिपटल) के पीछे बनता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (a)
व्याख्या : केवल पहला कथन सत्य है । निकट दृष्टिदोष को निकट दृष्टिता भी कहते हैं। निकट दृष्टिदोष से पीड़ित व्यक्ति को निकट की वस्तु तो दिखाई देती है। परंतु दूर की वस्तुओं को वह सुस्पष्ट नहीं देख पाता । ऐसे दोषयुक्त व्यक्ति का दूर-बिंदु अनंत पर न होकर नेत्र के पास आ जाता है। ऐसा व्यक्ति कुछ मीटर दूर रखी वस्तुओं को ही सुस्पष्ट देख पाता है।
• निकट दृष्टिदोषयुक्त नेत्र में, किसी दूर रखी वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर न बनकर रेटिना के सामने बनता है। इस दोष के उत्पन्न होने के कारण अभिनेत्र लेंस की वक्रता का अत्यधिक होना अथवा नेत्र गोलक का लंबा हो जाना है।
5. निकट दृष्टिदोष दूर करने के लिये निम्नलिखित में से कौन-सा लेंस उपयोग में लाया जाता है?
(a) उत्तल लेंस
(b) अवतल लेंस
(c) वर्तुलाकार लेंस
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (b)
व्याख्या : निकट दृष्टिदोष को अवतल लेंस के द्वारा सुधारा जा सकता है।
6. दीर्घ-दृष्टिदोष (दूर-दृष्टिदोष) वाले व्यक्ति के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये-
1. इसमें व्यक्ति दूर की वस्तु को स्पष्टतः देख सकता है।
2. इसमें निकट रखी वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है।
3. इस दोष को दूर करने के लिये उत्तल लेंस का उपयोग किया जाता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर : (d)
व्याख्या : दीर्घ- दृष्टिदोष को दूर दृष्टिता (Far-sightedness) भी कहा जाता है। दीर्घ- दृष्टिदोष युक्त कोई व्यक्ति दूर की वस्तुओं को तो स्पष्ट देख सकता है, परंतु निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख पाता। ऐसे दोषयुक्त व्यक्ति का निकट-बिंदु सामान्य निकट बिंदु से दूर हट जाता है । इसका कारण यह है कि पास रखी वस्तु से आने वाली प्रकाश किरणें दृष्टिपटल (रेटिना) के पीछे फोकसित होती हैं, इस दोष के उत्पन्न होने के कारण अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी का अत्यधिक हो जाना तथा नेत्र गोलक का छोटा हो जाना है।
• इस दोष को उपयुक्त क्षमता के उत्तल लेंस का उपयोग करके सही किया जा सकता है।
7. पक्षमाभी पेशियों (Ciliary Muscles) के धीरे-धीरे दुर्बल होने तथा क्रिस्टलीय लेंस के लचीलेपन में कमी आने के कारण कौन-सा दृष्टि-दोष उत्पन्न होता है ?
(a) निकट – दृष्टिदोष
(b) जरा दूरदृष्टिता
(c) दूर- दृष्टिदोष
(d) मोतियाबिंद
उत्तर : (b)
व्याख्या : आयु में वृद्धि होने के साथ-साथ मानव नेत्र की समंजन – क्षमता घट जाती है। अधिकांश व्यक्तियों का निकट-बिंदु दूर हट जाता है। संशोधक चश्मों के बिना उन्हें पास की वस्तुओं को आराम से सुस्पष्ट देखने में कठिनाई होती है। इस दोष को जरा दूरदृष्टिता कहते हैं। यह पक्षमाभी पेशियों के धीरे-धीरे दुर्बल होने तथा क्रिस्टलीय लेंस के लचीलेपन में कमी आने के कारण उत्पन्न होता है। कभी-कभी किसी व्यक्ति के नेत्र में दोनों ही प्रकार के दोष, निकट दृष्टि तथा दूर- दृष्टिदोष हो सकते हैं। ऐसे व्यक्तियों को सुस्पष्ट देखने के लिये प्रायः द्विफोकसी लेंसों (Bi-focal lenses) की आवश्यकता होती है।
8. नेत्रदान के दौरान आँख के किस भाग का उपयोग प्रत्यारोपण के लिये किया जाता है ?
(a) रेटिना
(b) पक्षमाभी पेशियाँ
(c) पुतली
(d) कॉर्निया
उत्तर : (d)
व्याख्या : नेत्रदान में नेत्र के कॉर्निया भाग को निकाला जाता है तथा दूसरे व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया जाता है। कॉर्निया – अंधता से पीड़ित व्यक्तिओं को नेत्रदान द्वारा प्राप्त कॉर्निया के प्रत्यारोपण से ठीक किया जा सकता है।
• नेत्रदान करने वाला व्यक्ति किसी भी आयु वर्ग अथवा लिंग का हो सकता है। चश्मा पहनने वाला या मोतियाबिंद का ऑपरेशन करा चुके व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकते हैं।
• मधुमेह अथवा उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति, दमे के रोगी तथा वे व्यक्ति जिन्हें कोई संक्रामक रोग है, वे नेत्रदान नहीं कर सकते हैं।
9. प्रकाश यदि किसी प्रिज्म से होकर गुज़रता है तो कौन-सा रंग सबसे अधिक विक्षेपित (मुड़ता ) होता है ?
(a) बैंगनी
(b) हरा
(c) नीला
(d) लाल
उत्तर : (a)
व्याख्या: किसी प्रिज्म से गुज़रने के पश्चात् प्रकाश के विभिन्न वर्ण, आपतित किरण के सापेक्ष अलग-अलग कोणों पर मुड़ते ( विक्षेपित) हैं। बैंगनी रंग सबसे अधिक विक्षेपित (मुड़ता ) होता है तथा लाल रंग सबसे कम विक्षेपित होता है।
10. तारों का टिमटिमाना प्रकाश की किस घटना के कारण होता है?
(a) प्रकाश का प्रकीर्णन
(b) प्रकाश का अपवर्तन
(c) प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन
(d) प्रकाश का विवर्तन
उत्तर : (b)
व्याख्या : वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण ही तारे टिमटिमाते हुए प्रतीत होते हैं। पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के पश्चात् पृथ्वी के पृष्ठ पर पहुँचने तक तारे का प्रकाश निरंतर अपवर्तित होता जाता है।
• चूँकि तारे बहुत दूर हैं और वे प्रकाश के बिंदु स्रोत के सन्निकट हैं और तारों से आने वाली प्रकाश किरणों का पथ थोड़ा-थोड़ा परिवर्तित होता रहता है, अतः तारे की आभासी स्थिति विचलित होती रहती है तथा आँखों में प्रवेश करने वाले तारों के प्रकाश की मात्रा झिलमिलाती रहती है, जिसके कारण कोई तारा कभी चमकीला प्रतीत होता है तो कभी धुँधला।
11. वास्तविक सूर्यास्त तथा आभासी सूर्यास्त के बीच लगभग कितने समय का अंतर होता है ?
(a) 30 मिनट
(b) 15 मिनट
(c) 2 मिनट
(d) 60 मिनट
उत्तर : (c)
व्याख्या : वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण वास्तविक सूर्यास्त तथा आभासी सूर्यास्त के बीच समय का अंतर लगभग 2 मिनट है। वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण ही सूर्य हमें वास्तविक सूर्योदय से लगभग 2 मिनट पूर्व दिखाई देने लगता है। वास्तविक सूर्योदय से हमारा अर्थ है, सूर्य द्वारा वास्तव में क्षितिज को पार करना ।
12. निम्नलिखित में से कौन-सी परिघटनाएँ प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण होती हैं?
1. आकाश का रंग नीला दिखाई देना ।
2. समुद्र के जल का रंग नीला दिखाई देना ।
3. तारों का टिमटिमाना ।
4. सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य का लाल दिखाई देना ।
कूट :
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 3 और 4
(c) केवल 3 और 4
(d) केवल 1, 2 और 4
उत्तर : (d)
व्याख्या: प्रकृति में निम्नलिखित परिघटनाएँ प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण देखने को मिलती हैं-
• आकाश का रंग नीला ।
• गहरे समुद्र के जल का रंग नीला ।
• सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य का लाल रंग का दिखाई देना ।
13. अत्यधिक ऊँचाई पर उड़ते हुए यात्री को आकाश किस रंग का दिखाई देता है?
(a) नीला
(b) काला
(c) लाल
(d) पीला
उत्तर : (b)
व्याख्या : यदि पृथ्वी पर वायुमंडल न हो तो कोई प्रकीर्णन नहीं होगा । प्रकीर्णन की अनुपस्थिति में आकाश काला प्रतीत होता है । अत्यधिक ऊँचाई पर उड़ते हुए यात्रियों को आकाश काला प्रतीत होता है, क्योंकि अधिक ऊँचाई पर प्रकीर्णन सुस्पष्ट नहीं होता ।

12. विद्युत

1. विद्युत धारा की दिशा होती है-
(a) परिपथ में इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह की दिशा के विपरीत।
(b) परिपथ में इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह की दिशा के अनुरूप ।
(c) परिपथ में प्रोटॉनों के प्रवाह की दिशा के अनुरूप ।
(d) परिपथ में प्रोटॉनों के प्रवाह की दिशा के विपरीत।
उत्तर : (a)
व्याख्या : किसी विद्युत धारा के सतत (चालू) तथा बंद पथ को विद्युत परिपथ कहते हैं। किसी विद्युत परिपथ में इलेक्ट्रॉन जो ऋण आवेशित – हैं, के प्रवाह की दिशा के विपरीत दिशा को विद्युत प्रवाह की दिशा माना जाता है।
2. बैटरी अथवा सेल से विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने में किस ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं?
(a) मैकेनिकल (यांत्रिक) ऊर्जा
(b) सौर ऊर्जा
(c) रासायनिक ऊर्जा
(d) मैग्नेटिक ऊर्जा
उत्तर : (c)
व्याख्या : बैटरी अथवा सेल अपनी संचित रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।
3. समान ताप पर एक विद्युत परिपथ में धातु के तार के दो सिरों के बीच विभवांतर उसमें प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के समानुपाती होता है।
उपर्युक्त कथन विद्युत धारा के किस नियम से संबंधित है?
(a) फैराडे का नियम
(b) चॉर्ल्स का नियम
(c) ओम का नियम
(d) फ्लेमिंग का नियम
उत्तर : (c)
4. यदि प्रतिरोध को दोगुना कर दिया जाए तो विद्युत धारा पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(a) दो गुनी हो जाएगी।
(b) आधी हो जाएगी।
(c) चार गुनी हो जाएगी।
(d) आठ गुनी हो जाएगी।
उत्तर : (b)
5. किसी चालक का प्रतिरोध निर्भर करता है-
1. चालक की लंबाई पर।
2. चालक के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर ।
3. चालक के पदार्थ की प्रकृति पर ।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 3
(c) कंवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
6. विद्युत बल्बों के तंतुओं के निर्माण में किस धातु का प्रयोग किया जाता है?
(a) क्रोमियन
(b) टंगस्टन
(c) कॉपर
(d) सिल्वर
उत्तर : (b)
व्याख्या : विद्युत बल्बों के तंतुओं के निर्माण में टंगस्टन का उपयोग किया जाता है, जबकि कॉपर तथा एल्युमीनियम का उपयोग विद्युत संचरण के लिये उपयोग होने वाले तारों के निर्माण में किया जाता है।
7. निम्नलिखित कथनों को पढ़िये-
कथन: विद्युत इस्तरी, टोस्टर आदि का निर्माण मिश्र धातुओं से किया जाता है।
कारण : मिश्र धातुओं की प्रतिरोधकता उनकी अवयवी धातुओं से कम होती है।
कूट:
(a) कथन सही है, कारण भी सही है तथा कारण, कथन की सही व्याख्या करता है।
(b) कथन सही है, कारण भी सही है तथा कारण, कथन की सही व्याख्या नहीं करता है।
(c) कथन सही है, लेकिन कारण गलत है।
(d) कथन गलत है, लेकिन कारण सही है।
उत्तर : (c)
व्याख्या: कथन सही है, लेकिन कारण गलत है। मिश्र धातुओं का उपयोग विद्युत इस्तरी, टोस्टर आदि सामान्य विद्युत तापन युक्तियों के निर्माण में किया जाता है। क्योंकि मिश्र धातुओं की प्रतिरोधकता उनकी अवयवी धातुओं की अपेक्षा अधिक होती है तथा मिश्र धातुओं का उच्च ताप पर शीघ्र ही उपचयन (दहन) नहीं होता है।
8. घरों में विद्युत परिपथ को किस क्रम में लगाया जाता है?
(a) श्रेणीक्रम
(b) पार्श्वक्रम ( समानांतर क्रम)
(c) श्रेणीक्रम एवं पार्श्वक्रम दोनों में
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर : (b)
व्याख्या : घरों में विद्युत परिपथ को पार्श्वक्रम (समानांतर क्रम) में लगाया जाता है। इसका कारण यह है कि विभिन्न इलेक्ट्रिक सामानों को उचित प्रकार से कार्य करने के लिये अत्यधिक भिन्न मानों की विद्युत धाराओं की आवश्यकता होती है। श्रेणीबद्ध परिपथ से एक प्रमुख हानि यह होती है कि जब परिपथ का एक अवयव कार्य करना बंद कर देता है तो परिपथ टूट जाता है और परिपथ का कोई अन्य अवयव कार्य नहीं कर पाता है।
9. बल्बों में रासायनिक दृष्टि से कौन-सी अक्रिय गैसें भरी जाती हैं?
1. नाइट्रोजन
2. हीलियम
3. ऑर्गन
4. हाइड्रोजन
कूट:
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 1 और 4
(c) केवल 3 और 4
(d) केवल 2 और 3
उत्तर : (a)
व्याख्या: बल्वों में रासायनिक दृष्टि से अक्रिय नाइट्रोजन तथा ऑर्गन गैसें भरी जाती हैं, जिससे उसके तंतु की आयु में वृद्धि हो जाती है। तंतु द्वारा उपयुक्त ऊर्जा का अधिकाधिक भाग ऊष्मा के रूप में प्रकट होता है, परंतु इसका एक अल्प भाग विकरित प्रकाश के रूप में भी दृष्टिगोचर होता है।
10. एक तार में बहती विद्युत धारा एवं विभवांतर प्रत्येक को दोगुना बढ़ा दिया जाए तो विद्युत शक्ति-
(a) दो गुनी बढ़ जाएगी।
(b) चार गुनी बढ़ जाएगी।
(c) आधी हो जाएगी।
(d) प्रभावित नहीं होगी।
उत्तर : (b)

13. विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

1. विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव को सर्वप्रथम किसने अवलोकित किया था?
(a) हेनरी
(b) ऑस्टेंड
(c) फैराडे
(d) वोल्टा
उत्तर : (b)
व्याख्या : 19वीं शताब्दी के अग्रणी वैज्ञानिकों में से एक हैंस क्रिश्चियन ऑस्टेंड ने विद्युत चुंबकत्व को समझने में एक निर्णायक भूमिका निभाई। सन् 1830 ई. में उन्होंने यह खोजा कि किसी धातु के तार में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर पास में रखी दिकसूची में विक्षेप उत्पन्न हुआ। अपने प्रेक्षणों के आधार पर ऑस्टेंड ने यह प्रमाणित किया कि विद्युत तथा चुंबकत्व परस्पर संबंधित परिघटनाएँ हैं। उनके अनुसंधान ने आगे जाकर नई-नई प्रौद्योगिकियों, जैसे-रेडियो, टेलीविजन आदि का सृजन किया। उन्हीं के सम्मान में चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक ऑस्टेंड रखा गया है।
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण तथा दिशा दोनों होते हैं।
2. चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ चुंबक के उत्तर ध्रुव से प्रकट होती हैं तथा दक्षिण ध्रुव पर विलीन हो जाती हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या: उपर्युक्त दोनों कथन सत्य हैं।
• किसी चुंबक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें उसके बल का संसूचन किया जा सकता है, उस चुंबक का चुंबकीय क्षेत्र कहलाता है। चुंबकीय क्षेत्र एक ऐसी राशि है जिसमें परिमाण तथा दिशा दोनों होते हैं।
• चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ चुंबक के उत्तरी ध्रुव से प्रकट होती हैं तथा दक्षिणी ध्रुव पर विलीन हो जाती हैं। चुंबक के भीतर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा उसके दक्षिण ध्रुव से उत्तर ध्रुव की ओर होती है। अतः चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक बंद वक्र होती हैं।
3. यदि किसी तार में प्रवाहित विद्युत धारा के परिणाम में वृद्धि होती है तो किसी दिये गए बिंदु पर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र परिमाण पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
(a) बढ़ेगा
(b) घटेगा
(c) पहले बढ़ेगा तथा बाद में घटेगा
(d) कुछ कहा नहीं जा सकता
उत्तर : (a)
व्याख्या: जैसे-जैसे तार में प्रवाहित विद्युत धारा के परिमाण में वृद्धि होती है तो किसी दिये गए बिंदु पर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र के परिमाण में भी वृद्धि होती है।
4. निम्नलिखित में से कौन-सा किसी लंबे विद्युत धारावाही तार के निकट चुंबकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है?
(a) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लम्बवत् होती हैं।
(b) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समांतर होती हैं।
(c) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ आरीय होती हैं, जिनका उद्भव तार से होता है।
(d) विद्युत क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।
उत्तर : (d)
व्याख्या: जब किसी धातु के तार में विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो इस तार में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा एक चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न करती है अर्थात् किसी विद्युत धारावाही धातु के तार से एक चुंबकीय क्षेत्र संबद्ध होता है। तार के चारों ओर क्षेत्र रेखाएँ अनेक संकेंद्री वृत्तों रूप में होती हैं, जिनका केंद्र तार होता है।
5. हमारे शरीर के किन अंगों के द्वारा चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है?
1. मस्तिष्क
2. वृक्क
3. हृदय
4. यकृत
कूट:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर : (c)
व्याख्या: मानव शरीर के दो मुख्य भाग जिनमें चुंबकीय क्षेत्र का उत्पन्न होना महत्त्वपूर्ण है, वे हैं- हृदय और मस्तिष्क ।
• शरीर के भीतर चुंबकीय क्षेत्र शरीर के विभिन्न भागों के प्रतिबिंब प्राप्त करने का आधार बनता है। ऐसा एक विशेष तकनीक, जिसे चुंबकीय अनुनाद [ Magnetic Resonance Imaging (MRI)] प्रतिबिंबन कहते हैं के उपयोग द्वारा किया जाता है। चिकित्सा निदान में इन प्रतिबिंबों का विश्लेषण सहायक होता है। इस प्रकार चिकित्सा विज्ञान में चुंबकत्व का महत्त्वपूर्ण उपयोग है।
6. विद्युत मोटर एक ऐसी युक्ति है जो परिवर्तित करती है-
(a) रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में ।
(b) विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में ।
(c) यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में ।
(d) सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में ।
उत्तर : (b)
व्याख्या : विद्युत मोटर एक ऐसी घूर्णन युक्ति है, जिसमें विद्युत ऊर्जा का यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरण होता है। एक महत्त्वपूर्ण अवयव के रूप में विद्युत मोटर का उपयोग विद्युत पंखों, रेफ्रिजरेटरों, विद्युत मिश्रकों, वॉशिंग मशीनों, कंप्यूटरों आदि में किया जाता है।
7. विद्युत जनित्र (Electrical Generator) परिवर्तित करता है –
(a) विद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में।
(b) विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में ।
(c) यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में ।
(d) रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में ।
उत्तर : (c)
व्याख्या : विद्युत जनित्र या डायनेमो विद्युत चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर आधारित एक ऐसा उपकरण है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। विद्युत जनित्र में यांत्रिक ऊर्जा का उपयोग चुंबकीय क्षेत्र में रखे किसी चालक को घूर्णी गति प्रदान करने में किया जाता है, जिसके फलस्वरूप विद्युत धारा उत्पन्न होती है।
8. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. दिष्ट धारा (DC) सदैव एक ही दिशा में प्रवाहित होती है।
2. प्रत्यावर्ती धारा (AC) एक निश्चित समय अंतराल के बाद अपनी दिशा में परिवर्तन कर लेती है।
3. सुदूर स्थानों पर विद्युत धारा को प्रत्यावर्ती धारा के रूप में प्रेषित किया जाता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर : (d)
व्याख्या: उपर्युक्त तीनों कथन सत्य हैं।
दिष्ट धारा (DC) तथा प्रत्यावर्ती धारा (AC) के बीच यह अंतर है कि दिष्ट धारा सदैव एक ही दिशा में प्रवाहित होती है, जबकि प्रत्यावर्ती धारा एक निश्चित अंतराल के पश्चात् अपनी दिशा को परिवर्तित करती रहती है। आजकल जितने भी विद्युत शक्ति संयंत्र स्थापित किये जा रहे हैं। उनमें से अधिकांश में प्रत्यावर्ती विद्युत धारा का उत्पादन होता है। भारत में उत्पादित प्रत्यावर्ती विद्युत धारा हर 1/100s के पश्चात् अपनी दिशा परिवर्तित करती है, अर्थात् इस प्रत्यावर्ती धारा (AC) की आवृत्ति 50 Hz है। DC की तुलना में AC का एक महत्त्वपूर्ण लाभ यह है कि विद्युत शक्ति को सुदूर स्थानों पर बिना अधिक ऊर्जा क्षय के प्रेषित किया जा सकता है।
9. हमारे घरों में जो विद्युत की सप्लाई की जाती है वह कितने वोल्ट तथा हर्ट्ज (Hz) पर होती है ?
(a) 220V 50Hz
(b) 200V 25Hz
(c) 300V 50Hz
(d) 500V 60Hz
उत्तर : (a)
व्याख्या: हमारे घरों में जो प्रत्यावर्ती विद्युत शक्ति की सप्लाई की जाती है, वह 220V की होती है जिसकी आवृत्ति 50Hz होती है।

14. ऊर्जा के स्रोत

1. भारत में ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति के लिये विभिन्न स्रोतों का उपयोग किया जाता है। उपभोग के आधार पर इन स्रोतों का घटते क्रम में सही उत्तर चुनिये-
(a) कोयला > जल > पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस > नाभिकीय
(b) कोयला > पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस > जल > नाभिकीय
(c) कोयला > पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस > नाभिकीय > जल
(d) कोयला > नाभिकीय > जल > पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस
उत्तर : (a)
व्याख्या : भारत में ऊर्जा की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों का घटता क्रम इस प्रकार है-
कोयला > जल > पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस > नाभिकीय
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. जल विद्युत संयंत्रों में जल की स्थितिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित किया जाता है।
2. बांधों के निर्माण से ग्रीनहाउस गैस उत्पन्न होती है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सत्य हैं।
• जल विद्युत ऊर्जा एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। जल विद्युत उत्पन्न करने के लिये नदियों के बहाव को रोक कर बड़े जलाशयों (कृत्रिम झीलों) में जल एकत्र करने के लिये ऊँचे-ऊँचे बांध बनाए जाते हैं । यहाँ स्थापित जल विद्युत संयंत्र गिरते जल की स्थितिज ऊर्जा को विद्युत विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करते हैं।
• बांध के जल में डूबने के कारण बड़े-बड़े पारिस्थितिक तंत्र नष्ट हो जाते हैं क्योंकि बांध के आस-पास बड़ी मात्रा में पेड़-पौधे, वनस्पति आदि जल में डूब जाते हैं। वे अवायवीय परिस्थितियों में सड़ने लगते हैं और विघटित होकर विशाल मात्रा में मीथेन गैस उत्पन्न करते हैं जो कि एक ग्रीनहाउस गैस है।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. जिन ईंधनों का उत्पादन पादप एवं जंतुओं से होता है, उन्हें जैव – मात्रा कहते हैं।
2. पादप तथा वाहित मल जब ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपघटित होते हैं तो बायो गैस (जैव गैस) निकलती है।
3. जैव गैस में सर्वाधिक मात्रा में मीथेन गैस होती है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
• हम लकड़ी तथा उपलों का उपयोग ईंधन के रूप में प्राचीन काल से कर रहे हैं। इनके दहन से हमें ऊर्जा प्राप्त होती है। चूँकि ये ईंधन पादप एवं जंतु उत्पाद हैं, अतः इन ईंधनों के स्रोत को हम जैव- मात्रा कहते हैं।
• गोबर, फसलों के कटने के पश्चात् बचे अपशिष्ट, सब्ज़ियों के अपशिष्ट जैसे विविध पादप तथा वाहित मल जब ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपघटित होते हैं तो बायो गैस (जैव गैस) निकलती है। चूँकि इस गैस को बनाने में उपयोग होने वाला आरंभिक पदार्थ मुख्यतः गोबर है, इसलिये इसका प्रचलित नाम गोबर गैस है।
• गोबर गैस संयंत्र या जैव गैस संयंत्र अवायवीय सूक्ष्मजीव जिन्हें जीवित रहने के लिये ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती, गोबर की स्लरी के जटिल यौगिकों का अपघटन कर देते हैं। अपघटन की प्रक्रिया के फलस्वरूप मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी गैसें निकलती हैं। निकलने वाली गैसों में 75 प्रतिशत तक मीथेन होती है, इसी कारण जैव ईंधन एक उत्तम ईंधन है।
4. किन तत्त्वों की उपस्थिति के कारण जैव गैस (बायो गैस) संयंत्र से निकलने वाली स्लरी एक उत्तम खाद के रूप में उपयोग की जाती है ?
(a) पोटाश तथा फॉस्फोरस
(b) नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस
(c) केवल पोटाश
(d) केवल नाइट्रोजन
उत्तर : (b)
व्याख्या : जैव गैस संयंत्र से निकलने वाली स्लरी में नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में होते हैं जिस कारण से यह एक उत्तम खाद के रूप में हमारे काम आती है।
5. निम्नलिखित में से किस देश को पवनों का देश कहा जाता है?
(a) नॉर्वे
(b) कनाडा
(c) डेनमार्क
(d) जापान
उत्तर : (c)
व्याख्या : डेनमार्क को पवनों का देश कहा जाता है। इस देश में 25 प्रतिशत से भी अधिक विद्युत की आपूर्ति पवन चक्कियों के विशाल नेटवर्क द्वारा विद्युत उत्पन्न करके की जाती है। जर्मनी भी इस क्षेत्र में अग्रणी है।
6. निम्नलिखित में से कौन सा/से तत्त्व सोलर सेल में उपयोग किया जाता है/किये जाते हैं?
1. सिलिकॉन
2. सीरियम
3. एस्टैटीन
4. वैनेडियम
कूट :
(a) केवल 1
(b) केवल 3 और 4
(c) केवल 1, 2 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर : (a)
व्याख्या : सोलर सेल द्वारा प्रकाश ऊर्जा को सीधे विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित किया जाता है।
सौर सेलों को बनाने के लिये सिलिकॉन का उपयोग किया जाता है जो प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है परंतु सौर सेलों को बनाने में उपयोग होने वाले विशिष्ट श्रेणी के सिलिकॉन की उपलब्धता सीमित है ।
7. सागरीय तापीय ऊर्जा रूपांतरण विद्युत संयंत्र (Ocean Thermal Energy Conversion Plant या OTEC विद्युत संयंत्र ) द्वारा सागरीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है जब-
(a) महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2km गहराई पर जल के ताप में 20°C का अंतर हो ।
(b) सागरीय तट पर सँकरी घाटियाँ हों जहाँ पर बांध बनाए जा सकें।
(c) उथले एवं चौड़े सागरीय तट जहाँ पर नदी के द्वारा डेल्टा का निर्माण किया जाता है।
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर : (a)
व्याख्या: समुद्रों अथवा महासागरों के पृष्ठ का जल सूर्य द्वारा तप्त हो जाता है, जबकि इनके गहराई वाले भाग का जल अपेक्षाकृत ठंडा होता है । ताप में इस अंतर का उपयोग सागरीय तापीय ऊर्जा रूपातंरण विद्युत संयंत्र द्वारा सागरीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा परिवर्तित किया जाता है।
• OTEC विद्युत संयंत्र केवल तभी प्रचालित होते हैं जब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 किमी. तक की गहराई पर जल के ताप में 20°C का अंतर हो । पृष्ठ के तप्त जल का उपयोग अमोनिया जैसे वाष्पशील द्रवों को उबालने में किया जाता है। इस प्रकार बनी द्रवों की वाष्प फिर जनित्र के टरबाइन को घुमाती है। महासागर की गहराइयों से ठंडे जल को पंपों से खींचकर वाष्प को ठंडा करके फिर से द्रव में संघनित किया जाता है।
8. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. नाभिकीय विखंडन की अभिक्रिया में भारी परमाणु के नाभिक को हल्के नाभिकों में तोड़ा जाता है।
2. नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया के दौरान नाभिकीय संयंत्रों से नियंत्रित दर पर ऊर्जा मुक्त होती है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या: उपर्युक्त दोनों कथन सत्य हैं।
• नाभिकीय संयंत्रों में नाभिकीय विखंडन की अभिक्रिया के फलस्वरूप नाभिकीय ऊर्जा प्राप्त की जाती है। नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी भारी परमाणु (जैसे – यूरेनियम, प्लूटोनियम अथवा थोरियम) के नाभिक को निम्न ऊर्जा न्यूट्रॉनों से बमबारी कराकर हल्के नाभिकों में तोड़ा जा सकता है। जब ऐसा किया जाता है, तो विशाल मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।
• विद्युत उत्पादन के लिये डिज़ाइन किये जाने वाले नाभिकीय संयंत्रों में इस प्रकार के नाभिकीय ईंधन स्वपोषी विखंडन श्रृंखला अभिक्रिया का एक भाग होते हैं, जिनमें नियंत्रित दर पर ऊर्जा मुक्त होती है। इस मुक्त ऊर्जा का उपयोग भाप बनाकर विद्युत उत्पन्न करने में किया जा सकता है।
9. नाभिकीय संलयन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. नाभिकीय संलयन अभिक्रिया के दौरान दो हल्के नाभिकों को जोड़कर एक भारी नाभिक बनाया जाता है।
2. नाभिकीय संलयन में सामान्यतः हाइड्रोजन अथवा हाइड्रोजन समस्थानिकों से हीलियम उत्पन्न की जाती है।
3. नाभिकीय संलयन अभिक्रियाएँ सूर्य तथा अन्य तारों की विशाल ऊर्जा का स्रोत है।
उपर्युक्त में से कौन-सा /से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2 और 3
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
• नाभिकीय संलयन का अर्थ है- हल्के नाभिकों को जोड़कर एक भारी नाभिक बनाना, जिसमें सामान्यतः हाइड्रोजन अथवा हाइड्रोजन समस्थानिकों से हीलियम उत्पन्न की जाती है।
• इसमें भी आइंस्टीन समीकरण के अनुसार विशाल परिमाण की ऊर्जा निकलती है। ऊर्जा निकलने का कारण यह है कि अभिक्रिया में उत्पन्न उत्पाद का द्रव्यमान, अभिक्रिया में भाग लेने वाले मूल नाभिकों के व्यष्टिगत द्रव्यमानों के योग से कुछ कम होती है। इस प्रकार नाभिकीय संलयन अभिक्रियाएँ सूर्य तथा अन्य तारों की विशाल ऊर्जा का स्रोत है।
• नाभिकीय संलयन अभिक्रियाओं में नाभिकों के परस्पर संलयित होने को बाध्य करने के लिये अत्यधिक ऊर्जा चाहिये। नाभिकीय संलयन प्रक्रिया के होने के लिये आवश्यक शर्तें चरम कोटि की हैं- मिलियन कोटि केल्विन ताप तथा मिलियन कोटि पास्कल दाब ।
10. हाइड्रोजन बम निम्नलिखित में से किस सिद्धांत पर आधारित है?
(a) नियंत्रित संलयन अभिक्रिया
(b) अनियंत्रित संलयन अभिक्रिया
(c) नियंत्रित विखंडन अभिक्रिया
(d) अनियंत्रित विखंडन अभिक्रिया
उत्तर : (b)
व्याख्या : हाइड्रोजन बम अनियंत्रित संलयन अभिक्रिया पर आधारित होता है। हाइड्रोजन बम के क्रोड में यूरेनियम अथवा प्लूटोनियम के विखंडन पर आधारित किसी नाभिकीय बम को रख देते हैं। यह नाभिकीय बम ऐसे पदार्थ में अंत:स्थापित किया जाता है जिनमें ड्यूटीरियम तथा लीथियम होते हैं। जब इस नाभिकीय बम को अधिविस्फोटित करते हैं तो इस पदार्थ का ताप कुछ ही माइक्रो सेकेंड में 107K तक बढ़ जाता है। यह अति उच्च ताप हल्के नाभिकों को संलयित होने के लिये पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न कर देता है, जिसके फलस्वरूप अति विशाल परिमाण की ऊर्जा मुक्त होती है।

15. हमारा पर्यावरण

1. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन पारितंत्र शब्द का सर्वोत्कृष्ट वर्णन करता है?
(a) एक-दूसरे से अन्योन्यक्रिया करने वाले जीवों (ऑर्गनिज्म) का एक समुदाय ।
(b) पृथ्वी का वह भाग जो सजीव जीवों द्वारा आवासित है।
(c) जीवों का समुदाय और साथ ही वह पर्यावरण जिसमें वे रहते हैं।
(d) किसी भौगोलिक क्षेत्र के वनस्पतिजात और प्राणिजात।
उत्तर : (c)
व्याख्या: किसी क्षेत्र के सभी जीव तथा वातावरण के अजैव कारक संयुक्त रूप से पारितंत्र बनाते हैं। अतः एक पारितंत्र में सभी जीवों के जैव घटक तथा अजैव घटक होते हैं। भौतिक कारक; जैसे ताप, वर्षा, वायु, मृदा एवं खनिज इत्यादि अजैव घटक हैं। –
2. निम्नलिखित में से कौन सा/से प्राकृतिक पारितंत्र के उदाहरण है/हैं?
1. तालाब
2. झील
3. खेत
4. बगीचा
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 2
(d) केवल 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : वन, तालाब तथा झील प्राकृतिक पारितंत्र के उदाहरण हैं तथा बगीचा व खेत मानव निर्मित (कृत्रिम) पारितंत्र के उदाहरण हैं।
3. उत्पादकों के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये-
1. ये सूर्य के प्रकाश एवं क्लोरोफिल की उपस्थिति में अकार्बनिक पदार्थ से कार्बनिक पदार्थों का निर्माण करते हैं।
2. हरे पौधे एवं नील हरित शैवाल इसी वर्ग के अंतर्गत आते हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सत्य हैं।
• वे जीव तथा पादप जो सूर्य के प्रकाश एवं क्लोरोफिल की उपस्थिति में अकार्बनिक पदार्थों से कार्बनिक पदार्थ जैसे कि शर्करा एवं मंड का निर्माण कर सकते हैं, उत्पादक कहलाते हैं। हरे पौधे एवं नील हरित शैवाल जिनमें प्रकाश संश्लेषण करने की क्षमता होती है, इसी वर्ग में आते हैं। सभी जीव प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अपने निर्वाह के लिये उत्पादकों पर निर्भर करते हैं। वे जीव जो उत्पादक द्वारा उत्पादित भोजन पर प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से निर्भर करते हैं, उपभोक्ता कहलाते हैं।
4. पारितंत्र में खाद्य शृंखलाओं के संदर्भ में निम्नलिखित में से किस प्रकार का/के जीव अपघटक जीव कहलाते हैं?
1. विषाणु
2. जीवाणु
3. कवक
कूट:
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर : (b)
व्याख्या: जीवाणु और कवक जैसे सूक्ष्मजीव मृत जैव अवशेषों का अपमार्जन करते हैं इसलिये ये पारितंत्र के अपघटक जीव कहलाते हैं। ये सूक्ष्मजीव अपमार्जक की तरह कार्य करते हैं क्योंकि ये जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल कार्बनिक पदार्थों में बदल देते हैं जो वापस मिट्टी में चले जाते हैं तथा पौधों द्वारा पुनः उपयोग में लाए जाते हैं।
5. पारितंत्र में खाद्य श्रृंखलाओं / आहार श्रृंखलाओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. खाद्य श्रृंखला के अंतर्गत पर्यावरण के विभिन्न घटकों के बीच ऊर्जा का प्रवाह होता है।
2. खाद्य शृंखला उस प्रत्येक जीव की संख्याओं का, जो दूसरों के द्वारा खाई जाती है का प्रदर्शन करती है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (a)
व्याख्या: केवल पहला कथन सत्य है। प्राकृतिक खाद्य / आहार श्रृंखला के अंतर्गत वन, घास के मैदान, समुद्र, तालाब व झील में रहने वाले विभिन्न जीवों के बीच ऊर्जा का प्रवाह होता है। खाद्य श्रृंखला के अंतर्गत पर्यावरण के विभिन्न घटकों की परस्पर अन्योन्यक्रिया में निकाय के एक घटक से दूसरे में ऊर्जा का प्रवाह होता है।
6. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. स्वपोषी सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।
2. आहार श्रृंखला में ऊर्जा का प्रवाह एकदिशीय होता है।
3. स्थलीय पारितंत्र के हरे पौधे सौर ऊर्जा का लगभग एक प्रतिशत भाग ही खाद्य ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर : (d)
व्याख्या : उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
• स्वपोषी सौर प्रकाश में निहित ऊर्जा को ग्रहण करके रासायनिक ऊर्जा में बदल देते हैं। यह ऊर्जा संसार के संपूर्ण जैव समुदाय की सभी क्रियाओं के संपादन में सहायक है। स्वपोषी से ऊर्जा विषमपोषी एवं अपघटकों तक जाती है।
• आहार श्रृंखला में ऊर्जा का प्रवाह एकदिशीय अथवा एक ही दिशा में होता है। स्वपोषी जीवों द्वारा ग्रहण की गई ऊर्जा पुनः सौर ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होती तथा शाकाहारियों को स्थानांतरित की गई ऊर्जा पुनः स्वपोषी जीवों को उपलब्ध नहीं होती है। जैसे यह विभिन्न पोषी स्तरों पर क्रमिक स्थानांतरित होती है परंतु अपने से पहले स्तर के लिये उपलब्ध नहीं होती ।
• एक स्थलीय पारितंत्र में हरे पौधे की पत्तियों द्वारा प्राप्त होने वाली सौर ऊर्जा का लगभग 1% भाग खाद्य ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।
7. एक उपभोक्ता स्तर से दूसरे उपभोक्ता को जैव मात्रा का कितना प्रतिशत भाग स्थानांतरित होता है ?
(a) 10%
(b) 20%
(c) 30%
(d) 50%
उत्तर : (a)
व्याख्या : जब हरे पौधे प्राथमिक उपभोक्ता द्वारा खाए जाते हैं तो ऊर्जा की बड़ी मात्रा का पर्यावरण में ऊष्मा के रूप में ह्रास होता है। इसमें से कुछ मात्रा का उपयोग पाचन, विभिन्न जैव कार्यों तथा वृद्धि एवं जनन में होता है। खाए हुए भोजन की मात्रा का लगभग 10% ही जैव मात्रा | में बदल पाता है तथा अगले स्तर के उपभोक्ता को उपलब्ध हो पाता है।
• अतः प्रत्येक स्तर पर उपलब्ध कार्बनिक पदार्थों की मात्रा का औसतन 10% ही उपभोक्ता के अगले स्तर तक पहुँचता है।
8. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन जैव- आवर्धन को परिभाषित करता है?
(a) किसी पारितंत्र में विदेशज प्रजाति की वनस्पतिओं का आक्रमण ।
(b) खाद्य श्रृंखला में एक स्तर से दूसरे स्तर में ऊर्जा का प्रवाह।
(c) खाद्य श्रृंखला में एक स्तर से दूसरे स्तर में हानिकारक जैव रसायनों का संकेंद्रण |
(d) किसी पारितंत्र में उसकी उत्पादकता बढ़ाने वाले तत्त्वों की कमी।
उत्तर : (c)
व्याख्या: विभिन्न फसलों को रोगों एवं पीड़कों से बचाने के लिये पीड़कनाशक एवं रसायनों का अत्यधिक प्रयोग किया जाता है। ये रसायन बह कर मिट्टी में अथवा जल स्रोत में चले जाते हैं। मिट्टी से इन पदार्थों का पौधों द्वारा एवं खनिजों के साथ-साथ अवशोषण हो जाता है तथा जलाशयों से यह जलीय पौधों एवं जंतुओं में प्रवेश कर जाते हैं। यह केवल एक तरीका है जिससे वे आहार श्रृंखला में प्रवेश करते हैं। क्योंकि ये पदार्थ अजैव निम्नीकृत हैं, इसलिये प्रत्येक पोषी स्तर पर उत्तरोत्तर संगृहीत होते जाते हैं। इसे ही ‘जैव- आवधर्न’ कहते हैं। चूँकि किसी भी आहार श्रृंखला में मनुष्य शीर्षस्थ है, अतः हमारे शरीर में यह रसायन सर्वाधिक मात्रा में संचित हो जाते हैं।
9. ओजोन परत के संदर्भ में दिये गए कथनों पर विचार कीजिये-
1. ओज़ोन (O3) के अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनते हैं।
2. ओज़ोन, सूर्य से आने वाले पराबैंगनी विकिरण से पृथ्वी को सुरक्षा प्रदान करती है।
3. क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFCs) जैसे मानव संश्लेषित रसायनों से ओज़ोन की मात्रा में तीव्रता से गिरावट होने लगी है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 1 और 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : ओज़ोन (O3) के अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनते हैं, जबकि सामान्य ऑक्सीजन जिसके विषय में हम प्रायः चर्चा करते हैं के अणु में दो परमाणु होते हैं। वायुमंडल के ऊपरी स्तर में ओज़ोन एक आवश्यक प्रकार्य संपादित करती है। यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरण से पृथ्वी को सुरक्षा प्रदान करती है। यह पराबैंगनी विकिरण जीवों के लिये अत्यंत हानिकारक है। यह मानव में त्वचा का कैंसर तक उत्पन्न करती है।
• वायुमंडल के उच्चतर स्तर पर पराबैंगनी विकिरण के प्रभाव से ऑक्सीजन (O2) अणुओं से ओज़ोन बनती है। उच्च ऊर्जा वाले पराबैंगनी विकिरण ऑक्सीजन अणुओं (O2) को विघटित कर स्वतंत्र ऑक्सीजन (O) परमाणु बनाते हैं और ऑक्सीजन के ये स्वतंत्र परमाणु संयुक्त होकर ओज़ोन बनाते हैं।
• 1980 से वायुमंडल में ओज़ोन की मात्रा में तीव्रता से गिरावट आने लगी। क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFCs) जैसे मानव संश्लेषित रसायनों को इसका मुख्य कारक माना गया है। पहले क्लोरोफ्लोरो कार्बन का प्रयोग रेफ्रीजेरटर में होता था परंतु इसके पर्यावरणीय दुष्प्रभाव के कारण वर्तमान में इसका उपयोग बंद कर दिया गया है।

16. प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन

1. गंगा सफाई योजना पहली बार किस वर्ष में शुरू की गई थी ?
(a) 1982
(b) 1985
(c) 1988
(d) 2000
उत्तर : (b)
व्याख्या : भारत सरकार द्वारा पहली बार 1985 में गंगा सफाई योजना चालू की गई, क्योंकि गंगा के जल की गुणवत्ता बहुत कम हो गई थी। कोलिफॉर्म जीवाणु का एक वर्ग है जो मानव की आँत में पाया जाता है। जल में इसकी उपस्थिति, रोग जन्य सूक्ष्म जीवाणु द्वारा जल का संदूषित होना दर्शाता है
• गंगा हिमालय में स्थित अपने उद्गम गंगोत्री बंगाल की खाड़ी में गंगा सागर तक 2500 किमी० तक की यात्रा करती है। इसके किनारे पर स्थित उत्तर प्रदेश, बिहार तथा बंगाल के 100 से अधिक नगरों ने इसे एक नाले में बदल दिया है। इसका मुख्य कारण इन नगरों द्वारा उत्सर्जित कचरा एवं मल का इसमें प्रवाहित किया जाना है।
2. अमृता देवी विश्नोई राष्ट्रीय पुरस्कार किस क्षेत्र में दिया जाता है?
(a) वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में
(b) मृदा संरक्षण के क्षेत्र में
(c) महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में
(d) विज्ञान के क्षेत्र में
उत्तर : (a)
व्याख्या : भारत सरकार के द्वारा वन्यजीव संरक्षण हेतु अमृता देवी विश्नोई | राष्ट्रीय पुरस्कार की व्यवस्था की गई है। यह पुरस्कार अमृता देवी विश्नोई की स्मृति में दिया जाता है, जिन्होंने 1731 में राजस्थान में जोधपुर के पास खेजराली गाँव में ‘खेजरी वृक्षों’ को बचाने हेतु 363 लोगों के साथ अपने-आपको बलिदान कर दिया था।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. चिपको आंदोलन का संबंध वन संरक्षण से है।
2. चिपको आंदोलन की शुरुआत हिमाचल प्रदेश से हुई थी।
3. चिपको आंदोलन 1970 दशक के प्रारंभ में शुरू हुआ।
उपर्युक्त में से कौन – सा /से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर : (b)
व्याख्या: केवल पहला व तीसरा कथन सत्य है। चिपको आंदोलन स्थानीय निवासियों को वनों से अलग करने की नीति का ही परिणाम था। यह आंदोलन हिमालय की ऊँची पर्वत श्रृंखला में गढ़वाल (उत्तराखंड) के रेनी नामक गाँव में 1970 के प्रारंभिक दशक में हुआ था। यह विवाद लकड़ी के ठेकेदार एवं स्थानीय लोगों के बीच प्रारंभ हुआ क्योंकि गाँव के समीप के वृक्ष काटने के लिये जब ठेकेदार आए तो स्थानीय पुरुष वहाँ नहीं थे तो बिना किसी डर के वहाँ की महिलाएँ फौरन आ गईं तथा उन्होंने पेड़ों को अपनी बाँहों में भर कर (चिपक कर ) ठेकेदार के आदमियों को वृक्ष काटने से रोका। अंततः ठेकेदार को अपना काम बंद करना पड़ा।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. कोयला एवं पेट्रोलियम जैवमात्रा से बनते हैं जिनमें कार्बन के अतिरिक्त हाइड्रोजन, नाइट्रोजन एवं सल्फर भी होते हैं।
2. अपर्याप्त वायु में कोयला एवं पेट्रोलियम को जलाने पर कार्बन * मोनोऑक्साइड बनती है।
उपर्युक्त में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : उपर्युक्त दोनों कथन सत्य हैं।
• कोयला एवं पेट्रोलियम जैवमात्रा से बनते हैं जिनमें कार्बन के अतिरिक्त हाइड्रोजन, नाइट्रोजन एवं सल्फर होते हैं। जब इन्हें जलाया जाता है तो कार्बन डाइऑक्साइड, जल, नाइट्रोजन के ऑक्साइड तथा सल्फर के ऑक्साइड बनते हैं। अपर्याप्त वायु (ऑक्सीजन) में जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड के स्थान पर कार्बन मोनोऑक्साइड बनती है। इन उत्पादों में से नाइट्रोजन एवं सल्फर के ऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड विषैली गैसें हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड एक ग्रीन हाउस गैस है।

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