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Purnea Airport पर उतर सकता है हर तरह का विमान,इंडिगो और स्टार एयर की सर्विस, जानें शेड्यूल

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Purnea Airport पर उतर सकता है हर तरह का विमान,इंडिगो और स्टार एयर की सर्विस, जानें शेड्यूल

Purnea Airport: इंतजार की घड़ी खत्म हो गई है. सीमांचल के लोग पिछले एक दशक जिस पल का इंतजार कर रहे थे वह खत्म हो गया है. सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने जैसे ही पूर्णिया एयरपोर्ट के नये टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया इसके साथ ही पूर्णिया हवाई मानचित्र से जुड़ गया. बिहार में पटना, गया और दरभंगा के बाद पूर्णिया चौथा एयरपोर्ट होगा जहां अहमदाबाद और कोलकाता के लिए सीधी हवाई सेवा शुरू होगी.

2 करोड़ लोगों को होगा सीधा फायदा

पूर्णिया से हवाई सेवा की शुरुआत होने पर पूर्णिया के साथ-साथ कोसी, भागलपुर, पश्चिम बंगाल और नेपाल के करीब दो करोड़ लोगों को सीधा लाभ मिलेगा. इसके साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार और कृषि के क्षेत्र में नई संभावनाएं और तरक्की का रास्ता खुलेगा. लंबे इंतजार के बाद अब पूर्णिया एयरपोर्ट से उड़ानें शुरू हो गई है. आने वाले दिनों में यह एयरपोर्ट बिहार के विकास में अहम रोल निभाएगा.

उड़ानें शुरू

इंडिगो एयरलाइन पूर्णिया से पहली व्यावसायिक उड़ानें शुरू करेगी. यह एयरलाइन कोलकाता के लिए सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को उड़ानें संचालित करेगी. इसके लिए एटीआर विमानों का उपयोग किया जाएगा. फ्लाइट नंबर 6E7924 कोलकाता से दोपहर 12:30 बजे उड़ान भरेगी और दोपहर 1:40 बजे पूर्णिया पहुंचेगी. वापसी की उड़ान 6E7925 पूर्णिया से दोपहर 2:30 बजे उड़ान भरेगी और दोपहर 3:40 बजे कोलकाता पहुंचेगी.

अहमदाबाद के लिए पहली बार उड़ेगा विमान

पूर्णिया के विमानन इतिहास में पहली बार अहमदाबाद के लिए सेवा विमान की शुरुआत हो रही है. स्टार एयर भी 15 सितंबर से अहमदाबाद और पूर्णिया के बीच सप्ताह में तीन दिन उड़ानें शुरू करेगी. यह कदम यात्रियों को गुजरात जैसे प्रमुख औद्योगिक शहर से सीधे जुड़ने का अवसर देगा. स्टार एयर की यह सेवा पूर्णिया और आसपास के क्षेत्रों के लोगों के लिए अहमदाबाद तक सीधी पहुंच प्रदान करेगी, जिससे व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.

1955 में पहली बार उड़ा था यात्री विमान

पूर्णिया एयरपोर्ट से कामर्शियल फ्लाइट का इतिहास वैसे पुराना रहा है. आज चौथी बार यहां से कामर्शियल फ्लाइट की शुरुआत होने जा रही है. पूर्णिया एयरपोर्ट से पहली बार कामर्शियल फ्लाइट की सेवा 1955 के आसपास शुरू हुई. पीसी रॉय चौधुरी लिखित पूर्णिया गजट 1965 में इस बात की स्पष्ट जानकारी मिलती है कि 1955 में यहां से डकोटा विमान की सेवा कोलकाता के लिए शुरू हुई थी. 1958 में बंगाल में हुए दरभंगा एविएशन के विमान हादसे के बाद यह सेवा बंद हो गयी. रक्षा मंत्रालय ने मार्च 1963 में पूर्णिया एयरपोर्ट का अधिग्रहण कर लिया और पूर्णिया एयरपार्ट एक सामरिक एयरबेस के रूप में काम करने लगा.

1974 में भी शुरू हुई थी हवाई सेवा

1974 में बिहार के कुछ शहरों से सेवा विमानों का परिचालन शुरू किया गया, उन शहरों में एक पूर्णिया भी था. उस समय जैम एयरवेज नामक कंपनी ने यहां से सेवा शुरू की थी. ग्रुप कमांडर रह चुके विश्वजीत कुमार सिंह कहते हैं कि जैम एयरवेज ने भी कोलकाता के लिए ही उड़ान शुरू की थी. यह कंपनी भी 1974 से लेकर 1975 तक ही फ्लाइट चलाई. वह एक प्राइवेट कंपनी थी और छोटा जहाज था. ज्यादा चली नहीं और फिर वह फ्लाइट भी बंद हो गई.

13 साल पहले 12 माह के लिए उड़ा था प्लेन

पूर्णिया से सवा विमान सेवा शुरू करने का तीसरा प्रयास करीब 13 साल पहले हुआ था. महज 12 महीने में ही यह हवाई सेवा बंद हो गयी. उस समय चूनापुर सैन्य हवाई अड्डे में विश्वजीत कुमार सिंह स्टेशन कमांडर थे. उनके ही प्रयास से 2012 में पूर्णिया से कोलकाता और पूर्णिया से पटना की फ्लाइट शुरू हुई थी. स्प्लिट एयरवेज की फ्लाइट हफ्ते में 2 से 3 बार चलनी थी. काफी प्रयास के बावजूद यह विमान सेवा भी महज एक साल तक ही चली.

1933 में पूर्णिया की धरती पर उतरा था पहला विमान

करीब 92 साल पहले पूर्णिया की धरती पर पहली बार हवाई जहाज उतरा था. माउंट एवरेस्ट की सही ऊंचाई मापने के उद्देश्य से चल रहे मिशन के तहत यहां से विमान की उड़ान हुई थी. 3 अप्रैल 1933 को पहली बार पूर्णिया की धरती से एयरक्राफ्ट ने उड़ान भरी थी. उस प्रोजेक्ट को लेकर दो जहाज लेकर इंग्लैंड से कराची लेकर आए. वहां एयरक्राफ्ट को असेंबल करके पूर्णिया लेकर आए. वहां से दो अटेम्प्ट किया गया और फाइनल 3 अप्रैल 1933 को अंग्रेज जहाज से गए और माउंट एवरेस्ट की एक्चुअल हाइट को उस दिन नापा गया. वह जगह बरसौनी का लालबालू मैदान है.

पूर्णिया हवाई अड्डे का इतिहास

पूर्णिया शहर से 10 किलोमीटर दूर स्थित चुनापुर हवाई अड्डे की स्थापना 1962 के भारत-चीन युद्ध के तुरंत बाद हुई थी। 1976 में यहां नागरिक उड़ानें शुरू हुई थीं, लेकिन 1978 में उन्हें बंद कर दिया गया। 2012 में, पूर्णिया-पटना और पूर्णिया-कोलकाता के बीच सेवाएं फिर से शुरू हुईं, लेकिन ये केवल एक साल तक ही चलीं। इस बार, ‘उड़ान’ योजना के तहत शुरू होने वाली ये सेवाएं क्षेत्र के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होंगी।

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