मारवाड़ी महाविद्यालय में शिक्षक दिवस समारोह का भव्य आयोजन
मारवाड़ी महाविद्यालय में शिक्षक दिवस समारोह का भव्य आयोजन
शिक्षक केवल ज्ञान का वाहक नहीं, बल्कि शिष्य के भीतर नैतिकता, सदाचार और मानवता का दीप भी जलाता है – डा कुमारी कविता
भारतीय ज्ञान परंपरा में गुरु है परमात्मा के समकक्ष – डा विकास सिंह
मारवाड़ी महाविद्यालय, दरभंगा की आर्ट्स एंड कल्चर सोसायटी द्वारा शिक्षक दिवस समारोह का आयोजन किया गया। यह आयोजन प्रधानाचार्या डॉ. कुमारी कविता की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। अपने संबोधन में डॉ. कुमारी कविता ने महान शिक्षाविद और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को स्मरण करते हुए कहा कि 1962 से उनके जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षक केवल ज्ञान का वाहक नहीं, बल्कि शिष्य के भीतर नैतिकता, सदाचार और मानवता का दीप जलाने वाला होता है। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे राष्ट्र निर्माण के कार्य में स्वयं को समर्पित करें और अपने शिक्षकों के मार्गदर्शन का आदर करें।
सारस्वत अतिथि के रूप में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव एवं पूर्व कुलानुशासक प्रो. जी. एस. रॉय ने शिक्षक दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने स्वयं का जन्मदिन न मनाकर इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का आग्रह किया था। उन्होंने शिक्षकों को सतत अध्ययनशील बने रहने और विद्यार्थियों को सदैव प्रेरित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय मनोविज्ञान पर शोध और अध्यापन के क्षेत्र में नए आयामों की खोज की जानी चाहिए।
मुख्य अतिथि डीएमसीएच के पूर्व अधीक्षक डॉ. सूरज नायक ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षक सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं देते, बल्कि समाज, नैतिकता और व्यक्तित्व निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि आदर्श नागरिक बनाने का कार्य शिक्षकों पर निर्भर होता है और शिक्षक स्वयं भी आदर्श आचरण का पालन करें, ताकि वे अपने शिष्यों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकें।
कार्यक्रम का संयोजन आर्ट्स एंड कल्चर सोसायटी के संयोजक डॉ. विकास सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान अत्यंत उच्च और महत्वपूर्ण माना गया है। गुरु शिष्य के भीतर छिपी संभावनाओं को उजागर करता है और उसे समाज के योग्य नागरिक बनाने में मार्गदर्शन करता है। उन्होंने गुरु को परमात्मा के समकक्ष बताते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा में गुरु की महत्ता पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ. गजेन्द्र भारद्वाज ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन और उनके विचारों पर विस्तृत चर्चा की। कार्यक्रम का शुभारंभ हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. अनुरुद्ध सिंह ने स्वागत भाषण से किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन बर्सर डॉ. अवधेश प्रसाद यादव ने किया।
इस समारोह में डॉ. विनोद बैठा, डॉ. एस. के. गुप्ता, डॉ. रामानेक यादव, डॉ. हेमंत कुमार ठाकुर, डॉ. श्यामानंद चौधरी, डॉ. अमित कुमार सिंह, डॉ. निशा, डॉ. प्रिया नंदन, डॉ. गंगेश झा सहित महाविद्यालय के अन्य शिक्षकों ने भी अपनी बातें रखीं। कार्यक्रम में 70 से अधिक छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिनमें अभिषेक कुमार झा, आदित्य कुमार, चंदन कुमार, दिव्यांश, शिवम, सोनू, बालकृष्ण कुमार सिंह, दीपक, सुभेंद्र और नीलेश आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।
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