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तिरुपति के लड्डू में ‘जानवरों की चर्बी’ का सच क्या?

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तिरुपति के लड्डू में ‘जानवरों की चर्बी’ का सच क्या?

हजारों लोग रोजाना तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन करने जाते हैं। वहां से लौटते हुए उन्हें प्रसाद के रूप में लड्डू दिया जाता है। इस लड्डू को आशीर्वाद समझकर खाया जाता है। गुरुवार को आंध्र प्रदेश की मौजूदा सरकार ने पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान तिरुपति के लड्डू के अंदर जानवरों की चर्बी होने की बात कही। इस दावे के लिए नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की रिपोर्ट भी दिखाई गई।

तिरुपति लड्डू की रेसिपी में एनिमल फैट? मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रसाद के लड्डू बनाने के लिए 400-500 किलो देसी घी, 750 किलो काजू, 500 किलो किशमिश, 200 किलो इलायची और साथ में बेसन, चीनी आदि इस्तेमाल किए जाते हैं। रिपोर्ट दावा करती है कि इस रेसिपी में जो देसी घी इस्तेमाल किया जा रहा था, उसमें 3 जानवरों की चर्बी की मिलावट थी।

तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू में एनिमल फैट

 

 

लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर इस घी के अंदर कौन-कौन से जानवर की चर्बी मिलाई गई थी। रिपोर्ट में बीफ टैलो, लार्ड और फिश ऑयल का जिक्र किया गया है, जिसका अर्थ निम्नलिखित है।

  • बीफ टैलो- यह सामान्य तापमान पर एक सफेद रंग की चर्बी होती है, जिसे जुगाली करने वाले जानवरों के अंगों के आसपास से निकाला जाता है। जैसे- भैंस, भेड़, बकरी, गाय और हिरण
  • लार्ड- यह पदार्थ सुअर की चर्बी से बनता है। यह मुलायम ठोस या आधा ठोस हो सकता है।
  • फिश ऑयल- फिश ऑयल को मछलियों से निकाला जाता है। इसके अंदर मछली में मौजूद फैट होता है, जो कई सारी बीमारियों के इलाज में मदद करता है।

नकली घी चेक करने का तरीका

  1. घी में स्टार्च की पहचान-1 चम्मच घी में 2-3 बूंद आयोडीन टिंक्चर डालने पर नीला हो जाता है।
  2. घी में कोल टार डाई की पहचान-1 चम्मच देसी घी में 5ml डायल्यूट सप्ल्यूरिक एसिड डालने पर गुलाबी हो जाता है।
  3. देसी घी में वनस्पति तेल की पहचान-1 चम्मच घी में डायल्यूट सप्ल्यूरिक एसिड डालकर हिलाने पर गहरा लाल रंग आता है।
  4. घी में वेजिटेबल ऑयल की पहचान-थोड़े घी को पिघलाकर चीनी डालकर अच्छी तरह हिलाने पर रंग लाल हो जाता है।

जगन मोहन रेड्डी ने आरोपों को बताया निराधार

कांग्रेस ने सीबीआई जांच की मांग भी की है. तो जगन मोहन रेड्डी ने कहा है कि 100 दिन की नाकामी छुपाने के लिए चंद्रबाबू नायडू ने निराधार आरोप लगाए हैं. दरअसल, आंध्र प्रदेश में सत्ता बदलते ही 12 जून को ही तिरुपति मंदिर के प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी की जांच के नमूने लिए गए थे. जांच रिपोर्ट 23 जून तक तैयार हो गई, लेकिन खुलासा सितंबर में हुआ, जब नायडू सरकार के 100 दिन पूरे हुए. जो रिपोर्ट सामने आई उसमें लड्डू बनाने वाले घी में जो चीजें पाई गई थीं, वो बताती हैं कि घी में तिलहन और वस्पतियों के अलावा मछली का तेल और जानवर की चर्बी हो सकती है. ये जांच नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड यानी एनडीडीबी के सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फूड यानी सीएएलएफ लैब में कराई गई थी.

इन परिस्थितियों में गलत हो सकती है जांच रिपोर्ट-

घी सप्लाई करने वाली कंपनी की आई सफाई

कर्नाटक मिल्क फेडरेशन जो कि शुद्ध घी आपूर्ति करता रहा है, उसने सफाई दी है कि वो जुलाई के बाद से ही घी आपूर्ति कर रहा है. ऐसे में जिस सप्लायर पर अंगुली उठी है, उसका नाम एआर डेयरी प्रोडक्ट लिमिटेड है. इस कंपनी का कहना है कि वो जांच के लिए तैयार है. उसके चार ट्रक घी में कोई शिकायत नहीं थी. पांचवें ट्रक को रोका गया था. मंदिर प्रशासन ने कहा है कि अब कंपनी को ब्लैक लिस्ट करके दंडात्मक कार्रवाई शुरू की गई है.

मंदिर में घी की सप्लाई के लिए टेंडर निकाला जाता है. टीटीडी के पूर्व कार्यकारी अधिकारी का दावा है कि सबसे कम बोली लगाने वाले को ठेका दिया जाता है. हालांकि पुराने मंदिर प्रशासन के अधिकारियों का दावा है कि शुद्ध देसी घी की आपूर्ति के लिए ट्रस्ट के प्लांट में ही 550 देसी गायें भी रखी गई हैं. इतना ही नहीं मंदिर में आने वाले घी की जांच की भी व्यवस्था है. टीटीडी मैसूर के CFTRI लैब की मदद से घी का क्वालिटी चेक कराता रहा है.

अमूल ने भी जारी किया स्पष्टीकरण

सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट्स में ये दावा किया जा रहा था कि डेयरी कंपनी अमूल भी तिरुपति बालाजी मंदिर को घी सप्लाई करती है. जिसके बाद अमूल की तरफ से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण आया है कि अमूल ने कभी TTD को घी सप्लाई नहीं किया.

सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा मामला

इस पूरी घटना का खुलासा नायडू सरकार द्वारा 17 जुलाई की एक रिपोर्ट के बाद हुआ, जिसमें ये कहा गया कि तिरुपति से लिए गए घी के सैंपल में मछली का तेल, गौ मांस की चर्बी और सुअर की चर्बी का लार्ड पाया गया है.

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रेड्डी ने कहा ‘ये झूठी रिपोर्ट है और नायडू राजनीति के लिए आस्था का इस्तेमाल कर रहे हैं.’

प्रसाद विवाद अब एक याचिका से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. दायर याचिका में संविधान के अनुच्छेद 25 के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है, जो धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है.

 

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