NCERT | Science | Objective | Class-XII | सामान्य विज्ञान (रसायन विज्ञान)
NCERT | Science | Objective | Class-XII | सामान्य विज्ञान (रसायन विज्ञान)
रसायन विज्ञान
1. ठोस अवस्था
1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. क्रिस्टलीय ठोस का गलनांक निश्चित होता है।
2. पदार्थ की ठोस अवस्था में अंतरा आणविक बल प्रबल होते हैं।
3. क्रिस्टलीय ठोस की प्रकृति समदैशिक होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (c)
व्याख्या: ठोसों को उनके अवयवी कणों की व्यवस्था में उपस्थित क्रम की प्रकृति के आधार पर क्रिस्टलीय (Crystalline) और अक्रिस्टलीय (Amorphous) में वर्गीकृत किया जा सकता है।
• ठोस पदार्थों के गुणधर्म :
♦ ये निश्चित द्रव्यमान, आयतन एवं आकार के होते हैं।
♦ अंतरा आणविक (Intermolecular) दूरियाँ लघु होती हैं।
♦ अंतरा आणविक बल प्रबल होते हैं।
अतः कथन 2 सही है।
• क्रिस्टलीय ठोस का गलनांक (Melting Point) निश्चित होता है जबकि अक्रिस्टलीय ठोस का गलनांक निश्चित नहीं होता है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
• क्रिस्टलीय ठोस विषमदैशिक (Anisotropic ) प्रकृति के होते हैं, जबकि अक्रिस्टलीय ठोस समदैशिक ( Isotropic ) प्रकृति के होते हैं। अतः कथन 3 सही नहीं है।
अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
2. ठोस के विद्युतीय गुण के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
1. वे ठोस जिनकी चालकता 10-6 से 104 ohm-1 m-1 तक के मध्यवर्ती परास में होती है, चालक कहलाते हैं।
2. सभी ठोस विद्युत के उत्तम चालक होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (d)
2. विलयन
1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
1. शरीर में लगभग सभी प्रक्रम किसी न किसी विलयन में घटित होते हैं।
2. विलयन दो या दो से अधिक अवयवों का समांगी मिश्रण होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : शरीर में लगभग सभी प्रक्रम किसी न किसी विलयन में घटित होते हैं, अतः कथन 1 सत्य है।
• विलयन दो या दो से अधिक अवयवों का समांगी मिश्रण (Homogenous Mixture) होता है। समांगी मिश्रण से तात्पर्य है कि सभी जगह इसके संघटन व गुण एकसमान होते हैं। अतः कथन 2 सत्य है।
अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
2. विलयनों के प्रकार के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन असत्य है ?
(a) यदि किसी विलयन में विलेय (Solute ) द्रव हो और विलायक ठोस हो, तो वह विलयन द्रव विलयन कहलाता है।
(b) यदि किसी विलयन में विलेय ठोस हो और विलायक (Solvent) द्रव हो, तो वह विलयन द्रव विलयन कहलाता है।
(c) यदि किसी विलयन में विलेय तथा विलायक दोनों ठोस हों, तो वह ठोस विलयन कहलाता है।
(d) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
उत्तर : (a)
3. विलेयता के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
1. यह विलेय एवं विलायक की प्रकृति पर निर्भर नहीं करती है।
2. ठोसों की द्रवों में विलेयता पर दाब का कोई सार्थक प्रभाव नहीं होता ।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2 दोनों
(c) केवल 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या: किसी अवयव की विलेयता (Solubility) एक निश्चित ताप पर विलायक की निश्चित मात्रा में घुली हुई उस पदार्थ की अधिकतम मात्रा होती है। यह विलेय एवं विलायक की प्रकृति तथा ताप एवं दाब पर निर्भर करती है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
• ठोसों की द्रवों में विलेयता पर दाब का कोई सार्थक प्रभाव नहीं होता है । ऐसा इसलिये होता है क्योंकि ठोस एवं द्रव अत्यधिक असंपीड्य (Incompressible) होते हैं एवं दाब परिवर्तन से सामान्यतः अप्रभावित रहते हैं। अतः कथन 2 सही है।
अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
3. विद्युतरसायन
1. विद्युत रासायनिक सेल (Electrochemical Cell) तथा विद्युत अपघटनी सेल (Electrolytic Cell ) में अंतर के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) विद्युत रासायनिक सेल विद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करने की युक्ति है, जबकि विद्युत अपघटनी सेल में रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होती है।
(b) विद्युत रासायनिक सेल में क्रिया स्वतः होती है, जबकि विद्युत अपघटनी सेल में क्रिया स्वतः नहीं होती है।
(c) विद्युत रासायनिक सेल के कार्य करने पर मुक्त ऊर्जा में कमी आती है, जबकि विद्युत अपघटनी सेल के कार्य करने पर मुक्त ऊर्जा में वृद्धि होती है।
(d) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
उत्तर : (a)
2. जब सेल में कोई धारा प्रवाहित न हो रही हो तो इलेक्ट्रोड के विभव में अंतर को क्या कहते हैं?
(a) सेल विभव
(b) सेल ई. एम. एफ. ( emf)
(c) विभवांतर
(d) सेल वोल्टता
उत्तर : (b)
व्याख्या: गैल्वेनी सेल के दोनों इलेक्ट्रोड के बीच व्याप्त विभवांतर (Potential Difference) सेल विभव (Cell Potential) कहलाता है एवं इसे वोल्ट में मापते हैं। सेल विभव कैथोड एवं एनोड के इलेक्ट्रोड विभवों (अपचयन विभव) का अंतर होता है। इसे सेल विद्युतवाहक बल (Cell Electromotive Force-emf) कहा जाता है, इस समय सेल में कोई धारा प्रवाहित नहीं हो रही होती।
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
1. दुर्बल एवं प्रबल दोनों प्रकार के विद्युत अपघट्यों की सांद्रता घटाने पर चालकता हमेशा घटती है।
2. विद्युत अपघट्य की सांद्रता में परिवर्तन के साथ-साथ चालकता एवं मोलर चालकता दोनों में परिवर्तन होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : विद्युत अपघट्य की सांद्रता में परिवर्तन के साथ-साथ चालकता (Conductivity) एवं मोलर चालकता (Molar Conductivity) दोनों प्रकार में परिवर्तन होता है। दुर्बल एवं प्रबल दोनों प्रकार के विद्युत अपघट्यों (Electrolyte) की सांद्रता घटाने पर चालकता हमेशा घटती है। इसकी |इस तथ्य से व्याख्या की जा सकती है कि तनुकरण (Dilution) करने पर प्रति इकाई आयतन में विद्युत धारा ले जाने वाले आयनों की संख्या घट जाती है। अतः कथन 1 और कथन 2 दोनों सत्य हैं।
अतः विकल्प (c) सही उत्तर है ।
4. रासायनिक बलगतिकी
1. उत्प्रेरक परिवर्तित करते हैं-
(a) अभिक्रिया की गिब्स ऊर्जा
(b) अभिक्रिया की एन्थैल्पी
(c) अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा
(d) साम्यावस्था स्थिरांक
उत्तर : (c)
व्याख्या: उत्प्रेरक (Catalyst) वह पदार्थ, है जिसमें स्वयं स्थायी रासायनिक परिवर्तन हुए बिना यह अभिक्रिया के वेग को बढ़ाता है।
• उत्प्रेरक एक वैकल्पिक पथ अथवा क्रियाविधि से अभिक्रियक (Reactants) व उत्पादों के मध्य सक्रियण ऊर्जा (Activation Energy) कम करके एवं इस प्रकार ऊर्जा अवरोध में कमी करके अभिक्रिया संपन्न करते हैं।
अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
1. अभिक्रिया की कोटि एक सैद्धांतिक मात्रा है।
2. अभिक्रिया की आणविकता शून्य अथवा अपूर्णांक नहीं हो सकती।
3. अभिक्रिया की आणविकता केवल प्राथमिक अभिक्रिया के लिये ही परिभाषित होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 2
(d) केवल 2 और 3
उत्तर : (d)
व्याख्या : अभिक्रिया की कोटि (Order) एक प्रायोगिक मात्रा है। यह शून्य तथा भिन्नात्मक भी हो सकती है। परंतु अभिक्रिया की आणविकता (Molecularity) शून्य अथवा अपूर्णांक (Non-integer) नहीं हो सकती। अतः कथन 1 असत्य एवं कथन 2 सत्य है।
• अभिक्रिया की कोटि प्राथमिक एवं जटिल दोनों प्रकार की अभिक्रियाओं पर लागू होती है जबकि अभिक्रिया की आणविकता केवल प्राथमिक अभिक्रिया के लिये ही परिभाषित होती है । जटिल अभिक्रियाओं के लिये आणविकता का कोई अर्थ नहीं होता । अतः कथन 3 सत्य है।
अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।
5. पृष्ठ रसायन
1. अधिशोषण (Adsorption) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
1. अधिशोषण में पदार्थ केवल पृष्ठ पर सांद्रित होता है।
2. अधिशोषण होने पर निकाय की एन्थैल्पी एवं एन्ट्रॉपी घटती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : अधिशोषण (Adsorption ) में पदार्थ केवल पृष्ठ पर सांद्रित होता है एवं अधिशोषक (Adsorbent) की सतह से स्थूल (Bulk) में प्रवेश नहीं करता, जबकि अवशोषण (Absorption) में पदार्थ ठोस के संपूर्ण स्थूल में समान रूप से वितरित हो जाता है। अतः कथन 1 सही है।
• अधिशोषण होने पर निकाय की एन्थैल्पी एवं एन्ट्रॉपी घटती है। अतः कथन 2 सही है।
अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
2. गैस के भौतिक अधिशोषण की मात्रा बढ़ती है …….. |
(a) ताप के बढ़ने पर
(b) ताप के घटने पर
(c) अधिशोषक का पृष्ठ क्षेत्र घटने पर
(d) वांडरवाल्स बलों की प्रबलता कम होने पर
उत्तर : (b)
व्याख्या : भौतिक अधिशोषण (Physical Adsorption ) वांडरवाल्स बलों (Wanderwalls Forces) के कारण उत्पन्न होता है। इसके लिये निम्न ताप सहायक होता है, यह ताप बढ़ने पर घटता है।
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।
3. अधिशोषण के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है ?
(a) अधिशोषण की सीमा ताप बढ़ने पर घटती है।
(b) अधिशोषण की सीमा अधिशोषक का पृष्ठीय क्षेत्रफल बढ़ने पर घटती है।
(c) अधिशोषण की सीमा विलयन में विलेय की सांद्रता पर निर्भर करती है।
(d) अधिशोषण की सीमा अधिशोषण एवं अधिशोष्य की प्रकृति पर निर्भर करती है।
उत्तर : (b)
व्याख्या : विलयन ‘प्रावस्था (Solution Phase) से अधिशोषण में निम्नलिखित प्रेक्षण (Observations) प्राप्त किये गए हैं-
• अधिशोषण की सीमा (Extent) ताप बढ़ने पर घटती है।
• अधिशोषण की सीमा अधिशोषक का पृष्ठीय क्षेत्रफल बढ़ने पर बढ़ती है। अतः कथन (b) असत्य है।
• अधिशोषण की सीमा विलयन में विलेय की सांद्रता पर निर्भर करती है।
• अधिशोषण की सीमा अधिशोषण (Adsorbent) एवं अधिशोष्य (Adsorbate) की प्रकृति पर निर्भर करती है।
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।
4. निम्नलिखित में से कौन-सा/से कोलॉइडों के अनुप्रयोग से संबंधित हैं-
1. पेयजल का शुद्धीकरण
2. चर्मशोधन
3. रबर उद्योग
4. धूम्र का विद्युतीय अवक्षेपण
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये :
(a) केवल 2 और 4
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर : (d)
व्याख्या : कोलॉइडों (Colloids) के अनुप्रयोग कोलॉइड उद्योगों में व्यापक रूप से प्रयुक्त होते हैं। इसके उदाहरण निम्नलिखित हैं-
• धूम्र का विद्युतीय अवक्षेपण (Electrical Preciptation of Smoke) : धूम्र, कार्बन, आर्सेनिक यौगिकों, धूल आदि ठोस कणों का वायु में कोलॉइडी विलयन है। चिमनी के बाहर आने से पहले धुएँ को इसके कणों के आवेश से विपरीत आवेश वाले इलेक्ट्रोड के कक्ष में गुज़ारा जाता है। कण इन प्लेटों के संपर्क में आने पर अपना आवेश खो देते हैं एवं अवक्षेपित हो जाते हैं।
• पेयजल का शुद्धीकरण (Purification of Drinking Water) : प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त जल में प्रायः अशुद्धियाँ निलंबित (Suspended Impurities) होती हैं। ऐसे जल से निलंबित अशुद्धियों को स्कंदित (Coagulate) करने के लिये फिटकरी ( Alum) मिलाई जाती है, जिससे जल, पीने योग्य बन जाता है।
• चर्मशोधन (Tanning): पशुओं की खाल कोलॉइडी प्रकृति की होती है। जब खाल पर धनात्मक आवेशित कण होते हैं और इसे टेनिन में भिगोया जाता है, जिस पर ऋणात्मक आवेश वाले कोलॉइडी कण होते हैं, तो पारस्परिक स्कंदन होता है। जिससे चर्म (Leather) कठोर हो जाता है। इस प्रक्रम को चर्मशोधन कहते हैं। टेनिन के स्थान पर क्रोमियम लवणों का उपयोग भी किया जाता है।
• फोटोग्राफी प्लेटें एवं फिल्में (Photographic Plates and Films) : जिलेटिन में प्रकाश संवेदी सिल्वर ब्रोमाइड के इमल्शन का ग्लास प्लेटों या सेलुलॉइड फिल्मों पर विलेपन कर फोटोग्राफी की प्लेटें या फिल्में बनाई जाती हैं।
• रबर उद्योग (Rubber Industry): लेटेक्स (Latex) रबर के ऋणात्मक आवेशित कणों का कोलॉइडी विलयन है। रबर को लेटेक्स के स्कंदन से प्राप्त किया जाता है।
• औद्योगिक उत्पाद ( Industrial Products) : पेंट, स्याही, संश्लेषित प्लास्टिक (Synthetic Plastics), रबर, ग्रेफाइट, चिकनाई (स्नेहक), सीमेंट आदि सभी कोलॉइडी विलयन हैं।
अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।
6. तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम
1. निम्नलिखित में से कौन-सी धातु शोधन की विधि/विधियाँ है/हैं?
(a) आसवन
(b) विद्युत अपघटन
(c) मंडल परिष्करण
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर : (d)
व्याख्या: किसी भी विधि द्वारा निष्कर्षण से प्राप्त धातुओं में सामान्य रूप से कुछ अशुद्धियाँ मिली रहती हैं। उच्च शुद्धता की धातु प्राप्त करने के लिये अनेक विधियाँ प्रयोग में लाई जाती हैं। ये विधियाँ धातु एवं उसमें उपस्थित अशुद्धियों के गुणों में अंतर पर निर्भर करती हैं जिनमें से कुछ नीचे दी गई हैं-
• आसवन (Distillation)
• मंडल परिष्करण (Zone Refining))
• वाष्प प्रावस्था परिष्करण (Vapour Phase Refining)
• विद्युत अपघटन (Electrolysis)
• वर्णलेखिकी (Chromatographic) विधि आदि ।
अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
1. ज़िंक धातु का शोधन प्रभाजी आसवन द्वारा किया जा सकता है।
2. लोहे का निष्कर्षण इसके ऑक्साइड अयस्कों को वात्या भट्टी में अपचयित करके किया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2 दोनों
(c) केवल 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (b)
व्याख्या : लोहे का निष्कर्षण इसके ऑक्साइड अयस्कों को वात्या भट्टी (Blast Furnace) में अपचयित करके किया जाता है जबकि तांबे का निष्कर्षण परावर्तनी भट्टी (Reverberatory Furnace) में प्रगलन (Smelting) तथा गर्म करके किया जाता है। अतः कथन 2 सही है।
• जिंक धातु का शोधन प्रभाजी आसवन द्वारा किया जा सकता है। अतः कथन 1 सही है।
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।
7. d-एवं f-ब्लॉक के तत्त्व
1. निम्नलिखित में से किस ब्लॉक के तत्त्वों को संक्रमण तत्त्व कहा जाता है?
(a) s-ब्लॉक
(b) f-ब्लॉक
(c) d – ब्लॉक
(d) p-ब्लॉक
उत्तर : (c)
व्याख्या : आवर्त सारणी का बड़ा मध्यभाग d-ब्लॉक ने घेरा हुआ है, जिसके दोनों ओर s-ब्लॉक तथा p-ब्लॉक स्थित हैं। s- ब्लॉक तथा p-ब्लॉक के मध्य स्थित होने के कारण ही d-ब्लॉक के तत्त्वों को ‘संक्रमण तत्त्व’ (Transition Elements) नाम दिया गया है।
अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
2. संक्रमण धातुओं (Transition Metals) के भौतिक गुणों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
1. सभी संक्रमण धातुएँ अतिकठोर तथा वाष्पशील होती हैं।
2. इनके गलनांक व क्वथनांक उच्च होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा / से सही नहीं है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (a)
व्याख्या:
• संक्रमण धातुएँ (जिंक, कैडमियम तथा मरकरी के अपवादों के साथ) अत्यधिक कठोर तथा अल्प वाष्पशील होती हैं। अतः कथन 1 सही नहीं है।
• इनके गलनांक (Melting Point) व क्वथनांक (Boiling Point) उच्च होते हैं। अतः कथन 2 सही है।
अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
कथन – 1: संक्रमण श्रेणी के तत्त्वों में बाएँ से दाहिनी ओर बढ़ने पर आयनन एन्थैल्पी में वृद्धि होती है।
कथन – 2 : आंतरिक d कक्षकों के भरने के साथ नाभिकीय आवेश में वृद्धि होती है।
उपर्युक्त कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन – सा विकल्प सही है?
(a) कथन 1 और कथन 2 दोनों सही हैं और कथन 2 कथन 1 की सही व्याख्या करता है।
(b) कथन 1 और कथन 2 दोनों सही हैं, किंतु कथन 2 कथन 1 की सही व्याख्या नहीं करता है।
(c) कथन 1 सही है, किंतु कथन 2 गलत है।
(d) कथन 1 गलत है, किंतु कथन 2 सही है।
उत्तर : (a)
व्याख्या : आंतरिक d-कक्षकों के भरने के साथ नाभिकीय आवेश में वृद्धि होने के कारण श्रेणी में बाएँ से दाहिनी ओर बढ़ने पर संक्रमण श्रेणी के तत्त्वों की आयनन एन्थैल्पी (Ionisation Enthalpy) में वृद्धि होती है।
अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।
4. लैंथेनॉयड तथा एक्टीनॉयड श्रेणी किस ब्लॉक के अंतर्गत आती हैं?
(a) s-ब्लॉक
(b) p-ब्लॉक
(c) d-ब्लॉक
(d) f-ब्लॉक
उत्तर : (d)
व्याख्या : f-ब्लॉक की दो श्रेणियाँ हैं, लैंथेनॉयड (लैथेनम के बाद के चौदह तत्त्व) तथा एक्टीनॉयड (एक्टिनियम के बाद के चौदह तत्त्व ) ।
अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।
8. उपसहसंयोजन यौगिक
1. [Pt (NH3), Cl(NO2)] का IUPAC नाम ……… है।
(a) प्लैटिनम डाइऐम्मीनक्लोरोनाइट्राइट
(b) क्लोरोनाइट्राइटो – N – ऐम्मीनप्लैटिनम (II)
(c) डाइऐम्मीनक्लोरिडोनाइट्राइटो – N – प्लैटिनम (II)
(d) डाइऐम्मीनक्लोरोनाइट्राइटो – N – प्लैटिनेट (II)
उत्तर : (c)
2. [Cr(H2O)6]Cl3 (बैंगनी ) और [Cr (H2O)5Cl]Cl2.H2O (भूरा – हरा) के बीच कौन-से प्रकार की समावयवता पाई जाती है?
(a) बंधनी समावयवता
(b) विलायकयोजन समावयवता
(c) आयनन समावयवता
(d) उपसहसंयोजन समावयवता
उत्तर : (b)
9. हैलोएल्केन तथा हैलोएरीन
1. निम्नलिखित में से मेथिलीन क्लोराइड का रासायनिक सूत्र है-
(a) CH3Cl2
(b) CH2Cl2
(c) CH2 = CHCl
(d) CHCl3
उत्तर : (b)
व्याख्या: मेथिलीन क्लोराइड का रासायनिक सूत्र CH2Cl2 है एवं IUPAC नाम डाइक्लोरोमेथेन है।
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है ।
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. हैलोएल्केन जल में अल्प विलेय होते हैं।
2. समावयवी हैलोएल्केनों में श्रृंखलन बढ़ने के साथ क्वथनांक कम होते जाते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : हैलोएल्केन ( Haloalkanes ) जल में अल्प विलेय होते हैं। हैलोएल्केन को जल में घोलने के लिये ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिससे कि हैलोएल्केन के अणुओं के मध्य उपस्थित आकर्षण को तथा जल के अणुओं के मध्य हाइड्रोजन आबंध को तोड़ा जा सके।
• हैलोएल्केन तथा जल में अणुओं के मध्य नए आकर्षण बलों के बनने से कम ऊर्जा निर्गमित होती है, क्योंकि ये आकर्षण बल जल में उपस्थित मूल हाइड्रोजन आबंधों जितने प्रबल नहीं होते । परिणामस्वरूप, हैलोएल्केन की जल में विलेयता बहुत कम होती है। अतः कथन 1 सत्य है।
• समावयवी (Isomers) हैलोएल्केनों में श्रृंखलन बढ़ने के साथ क्वथनांक कम होते जाते हैं। अतः कथन 2 सत्य है।
अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
3. निम्नलिखित में से किसका उपयोग फ्रेऑन प्रशीतक R-22 बनाने में होता है?
(a) ट्राइक्लोरोमेथेन (क्लोरोफॉर्म)
(b) ट्राइआयोडोमेथेन (आयडोफॉर्म)
(c) डाइक्लोरोमेथेन
(d) डी.डी.टी.
उत्तर : (a)
व्याख्या : डाइक्लोरोमेथेन का अत्यधिक उपयोग विलायक के रूप में, पेंट अपनयक (Remover ) में, एरोसॉल में प्रणोदक (Propellent) के रूप में तथा औषध निर्माण प्रक्रिया में विलायक के रूप में होता है।
• ट्राइक्लोरोमेथेन (क्लोरोफॉर्म) का रासायनिक उपयोग वसा, एल्केलॉइड, आयोडीन तथा अन्य पदार्थों के लिये विलायक के रूप में होता है। वर्तमान में क्लोरोफॉर्म का प्रमुख उपयोग फ्रेऑन प्रशीतक R-22 बनाने में होता है।
• ट्राइआयोडोमेथेन (आयडोफॉर्म) का उपयोग प्रारंभ में एंटीसेप्टिक (प्रतिजैविक) के रूप में किया जाता था परंतु आयडोफॉर्म का यह एंटीसेप्टिक गुण आयडोफॉर्म के स्वयं के कारण नहीं बल्कि मुक्त हुई आयोडीन के कारण होता है। इसकी अरुचिकर गंध के कारण अब इसके स्थान पर आयोडीन युक्त अन्य दवाओं का उपयोग किया जाता है।
अतः विकल्प (a) सही उत्तर है ।
10. एल्कोहल, फ़ीनॉल एवं ईथर
1. निम्नलिखित में से बेंजीन का सबसे सरलतम हाइड्रॉक्सिल व्युत्पन्न है?
(a) एल्कोहल
(b) फ़ीनॉल
(c) ईथर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (b)
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. एल्कोहल एवं फ़ीनॉल के क्वथनांक कार्बन परमाणुओं की संख्या में वृद्धि के साथ बढ़ते हैं।
2. एल्कोहल और फ़ीनॉल की जल में विलेयता एल्किल / एरिल (जलविरागी) समूहों के आकार बढ़ने के साथ घटती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या: एल्कोहल और फ़ीनॉल के क्वथनांक कार्बन परमाणुओं की संख्या में वृद्धि के साथ ( वांडरवाल्स बलों में वृद्धि ) बढ़ते हैं। एल्कोहल में शाखन (branching) के बढ़ने के साथ – साथ (पृष्ठ क्षेत्रफल घटने सेवांडरवाल बलों में कमी के कारण) क्वथनांक (Boiling Point) कम हो जाते हैं। अतः कथन 1 सही है।
• एल्कोहल और फ़ीनॉल की जल में विलेयता उनकी जल के अणुओं के साथ हाइड्रोजन आबंध बनाने की क्षमता के कारण होती है। यह विलेयता एल्किल / एरिल (जलविरागी – Hydrophobic) समूहों के आकार बढ़ने के साथ घटती है। अधिकांश निम्न आणविक द्रव्यमान वाले एल्कोहल जल में सभी अनुपातों में मिश्रणीय होते हैं। अतः कथन 2 सही है।
अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
3. मेथेनॉल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. मेथेनॉल को काष्ठ स्प्रिंट भी कहा जाता है।
2. मेथेनॉल एक रंगहीन द्रव है।
3. इसका उपयोग फार्मेल्डीहाइड को बनाने के लिये किया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 2 और 3
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
4. निम्नलिखित में से कौन सी फ़ीनॉल बनाने की विधि नहीं है?
(a) क्यूमीन से औद्योगिक उत्पादन द्वारा
(b) डाइएज़ोनियम लवणों के जल अपघटन द्वारा
(c) कार्बोनिल यौगिकों द्वारा
(d) – OH समूह से प्रतिस्थापन द्वारा
उत्तर : (c)
व्याख्या : फ़ीनॉल को निम्नलिखित विधियों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है-
• – OH समूह से प्रतिस्थापन द्वारा
• डाइएज़ोनियम ( Diazonium) लवणों के जल अपघटन द्वारा ।
• क्यूमीन (Cumene) से औद्योगिक उत्पादन द्वारा ।
जबकि कार्बोनिल यौगिकों से – (i) उत्प्रेरकी अपचयन तथा (ii) ग्रीन्यार | अभिकर्मक (Grignard Reagents) की क्रिया द्वारा एल्कोहल को प्राप्त किया जाता है।
अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
11. एल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल
1. निम्नलिखित विकल्पों में से कौन-सा यौगिकों के क्वथनांकों का बढ़ता हुआ क्रम प्रदर्शित करता है?
(a) एसीटोन <n – ब्यूटेन < मेथॉक्सीएथेन < प्रोपेन -1-ऑल
(b) n-ब्यूटेन < मेथॉक्सीएथेन < एसीटोन < प्रोपेन-1-ऑल
(c) n-ब्यूटेन < एसीटोन < मेथॉक्सीएथेन < प्रोपेन- 1-ऑल
(d) प्रोपेन -1-ऑल < एसीटोन < मेथॉक्सीएथेन < n-ब्यूटेन
उत्तर : (b)
2. खाद्य उद्योग में सिरके के रूप में निम्नलिखित में से कौन-सा कार्बोक्सिलिक अम्ल प्रयोग किया जाता है?
(a) मेथेनॉइक अम्ल
(b) एथेनॉइक अम्ल
(c) हैक्सेनडाइओइक अम्ल
(d) बेंजोइक अम्ल
उत्तर : (b)
व्याख्या:
• मेथेनॉइक अम्ल रबर, वस्त्र, रंगाई, चमड़ा आदि उद्योगों में उपयोग में आता है।
• एथेनॉइक अम्ल विलायक के रूप में तथा खाद्य उद्योगों में सिरके के रूप में उपयोग किया जाता है।
• हैक्सेनडाइओइक अम्ल का उपयोग नायलॉन – 6 के निर्माण में होता है।
• बेंजोइक अम्ल के एस्टरों का उपयोग सुगंधित द्रव्यों में होता है।
अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।
12. जैव-अणु
1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. कार्बोहाइड्रेट मुख्यतः पौधों द्वारा उत्पन्न किये जाते हैं तथा प्राकृतिक कार्बनिक यौगिकों का वृहद् समूह बनाते हैं।
2. वे कार्बोहाइड्रेट जिसको पॉलिहाइड्रॉक्सी एल्डिहाइड अथवा कीटोन के और अधिक सरल यौगिकों में जल अपघटित नहीं किया जा सकता, पॉलिसैकेराइड कहलाते हैं।
3. वे कार्बोहाइड्रेट जिनके जल अपघटन पर अत्यधिक संख्या में मोनोसैकेराइड इकाइयाँ प्राप्त होती हैं, मोनोसैकेराइड कहलाते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कार्बोहाइड्रेट के संदर्भ में कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) केवल 1 और 2
उत्तर : (b)
व्याख्या: कार्बोहाइड्रेट मुख्यतः पौधों द्वारा उत्पन्न किये जाते हैं तथा प्राकृतिक कार्बनिक यौगिकों का वृहद् समूह बनाते हैं। इसके कुछ सामान्य उदाहरण- शर्करा, ग्लूकोज़ तथा स्टार्च (मंड) आदि हैं। अतः कथन 1 सही है। कार्बोहाइड्रेट को जल अपघटन में उनके व्यवहार के आधार पर मुख्यतः तीन वर्गों में वर्गीकृत किया गया है-
(i) वे कार्बोहाइड्रेट जिसको पॉलिहाइड्रॉक्सी एल्डिहाइड अथवा कीटोन के और अधिक सरल यौगिकों में जल अपघटित नहीं किया जा सकता, मोनोसैकेराइड (Monosaccharides) कहलाते हैं। अत: कथन 2 सही नहीं है।
(ii) वे कार्बोहाइड्रोट जिनके जल अपघटन से मोनोसैकेराइड की दो से दस तक इकाइयाँ प्राप्त होती हैं, ओलिगोसै केराइड (Oligosaccharides) कहलाते हैं।
(iii) वे कार्बोहाइड्रेट जिनके जल अपघटन पर अत्यधिक संख्या में मोनोसैकेराइड इकाइयाँ प्राप्त होती हैं, पॉलिसैकेराइड (Polysaccharides) कहलाते हैं। अतः कथन ( 3 ) सही नहीं है ।
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।
2. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) कार्बोहाइड्रेट अणु वनस्पतियों में स्टार्च के रूप में एवं जंतुओं में ग्लाइकोजन के रूप में संचित होते हैं।
(b) प्रोटीन जीव जगत में सर्वाधिक पाए जाने वाले जैव अणु हैं।
(c) स्टार्च पौधों में संगृहीत मोनोसैकेराइड हैं।
(d) लैक्टो दुग्ध में उपस्थित होने के कारण सामान्यत: दुग्ध शर्करा भी कहलाती है।
उत्तर : (c)
3. निम्नलिखित में से कौन-सा कार्बोहाइड्रेट प्राणियों के यकृत में संगृहीत होता है ?
(a) ऐमिलोस
(b) सेलुलोज
(c) एमिलोपेक्टिन
(d) ग्लाइकोजन
उत्तर : (d)
व्याख्या: प्राणियों के शरीर में कार्बोहाइड्रेट, ग्लाइकोजन (Glycogen) के रूप में संग्रहित रहता है। चूँकि इसकी संरचना ऐमिलोपेक्टिन के समान होती है, अत: इसे ‘प्राणी स्टार्च’ (Animal Starch) भी कहा जाता है एवं यह ऐमिलोपेक्टिन से अधिक शाखित (Branched ) होता है।
• यह यकृत (Liver), माँसपेशियों तथा मस्तिष्क में उपस्थित रहता है। – जब शरीर को ग्लूकोज़ की आवश्यकता होती है एन्जाइम, ग्लाइकोजन को ग्लूकोज़ में तोड़ देते हैं।
अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।
4. निम्नलिखित में से कौन-सा विटामिन वसा तथा तेल में विलेय नहीं है?
(a) विटामिन – A
(b) विटामिन – B
(c) विटामिन – D
(d) विटामिन – K
उत्तर : (b)
व्याख्या : जल तथा वसा में विलेयता के आधार पर विटामिनों को दो समूह में वर्गीकृत किया गया है-
(i) वसा में विलेय (Fat Soluble) विटामिन : इस वर्ग में उन विटामिनों को रखा गया है जो वसा तथा तेल में विलेय होते हैं, परंतु जल में अविलेय। ये विटामिन A, D, E तथा K हैं। ये यकृत तथा एडिपोस ऊतक (Tissues) में संग्रहित रहते हैं।
(ii) जल में विलेय विटामिन B वर्ग के विटामिन तथा विटामिन-C जल में विलेय होते हैं।
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।
5. न्यूक्लिक अम्ल किसके बहुलक (Polymers) होते हैं ?
(a) न्यूक्लिओसाइडों के
(b) न्यूक्लिओटाइडों के
(c) क्षारों के
(d) शर्कराओं के
उत्तर : (b)
व्याख्या : न्यूक्लिक अम्ल मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-
• डिऑक्सीराइबो न्यूक्लिक अम्ल (DNA) तथा राइबोन्यूक्लिक अम्ल (RNA)
• चूँकि न्यूक्लिक अम्ल न्यूक्लिओटाइड्स की लंबी श्रृंखला वाले बहुलक होते हैं। अत: इन्हें पॉलिन्यूक्लिओटाइड भी कहते हैं।
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।
6. DNA में निम्नलिखित में से कौन-सा क्षार उपस्थित नहीं होता?
(a) एडिनीन
(b) थायमीन
(c) साइटोसीन
(d) यूरेसिल
उत्तर : (d)
व्याख्या : DNA में चार क्षारक एडिनीन (A), ग्वानीन (G), साइटोसीन (c) तथा थायमीन (T) होते हैं। RNA में भी चार क्षारक होते हैं, प्रथम तीन क्षारक DNA के समान हैं परंतु चतुर्थ क्षारक यूरेसिल (U) होता है।
अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।
13. बहुलक
1. निम्नलिखित में कौन-सा अर्द्ध-संश्लेषित बहुलक (Semi- synthetic Polymers) का उदाहरण है?
(a) सेलुलोज एसीटेट (रेयॉन)
(b) प्लास्टिक ( पॉलीथीन )
(c) संश्लेषित रेशे
(d) संश्लेषित रबर
उत्तर : (a)
व्याख्या : अर्द्ध-संश्लेषित बहुलक : सेलुलोज व्युत्पन्न, जैसे- सेलुलोज एसीटेट (रेयॉन) और सेलुलोज नाइट्रेट आदि इसके साधारण उदाहरण हैं ।
• संश्लेषित बहुलक ( Synthetic Polymers) : विभिन्न प्रकार के संश्लेषित बहुलक जैसे प्लास्टिक (पॉलिथीन ), संश्लेषित रेशे (नाइलॉन 6, 6) और संश्लेषित रबर ( ब्यूना – S) मानव निर्मित बहुलकों के उदाहरण हैं, जो विस्तृत रूप दैनिक जीवन एवं उद्योगों में प्रयुक्त होते हैं।
अतः विकल्प (a) सही उत्तर है ।
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. बैकेलाइट ताप दृढ़ बहुलक होता है, जिसे गलाकर दोबारा ढाला और उपयोग में लाया नहीं जा सकता।
2. प्राकृतिक रबर को सल्फर के साथ वल्कनीकरण द्वारा और अधिक कठोर बनाया जा सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर : (c)
व्याख्या : फॉर्मेल्डीहाइड के साथ गरम करने पर नोवोलेक (Novolac ) तिर्यक बंधन निर्मित करके एक दुर्गलनीय ( Infusible ) ठोस बनाता है, |जिसे बैकेलाइट (Bakelite) कहते हैं। यह ताप दृढ़ बहुलक होता है जिसे गलाकार दोबारा ढाला ओर उपयोग में लाया नहीं जा सकता। अतः कथन 1 सही है।
• प्राकृतिक रबर को सल्फर के साथ वल्कनीकरण (Vulcaisation) द्वारा कठोर बनाया जा सकता है। अतः कथन 2 सही है।
अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
14. दैनिक जीवन में रसायन
1. एस्पिरिन के संदर्भ में कौन-सा कथन सही नहीं है?
(a) एस्पिरिन नारकोटिक पीड़ाहारी होता है।
(b) यह प्रभावी दर्द निवारक होता है।
(c) यह रक्त का थक्का नहीं जमने देता।
(d) यह तंत्रिकीय सक्रिय औषध है।
उत्तर : (a)
व्याख्या : एस्पिरिन तथा पैरासीटामॉल नॉन- नारकोटिक (Non-Narcotic) वर्ग के पीड़ाहारी (Analgesics) हैं।
• यह औषध कंकाल की पीड़ा, जैसे कि संधिशोथ (Arthritis) के कारण होने वाली पीड़ा में आराम देने में प्रभावी होती है। रक्त थक्के न बनने देने के प्रभाव के कारण एस्पिरिन का उपयोग हृदयघात (Heart Attacks) को रोकने में भी होता है। अतः केवल कथन ( a ) सही नहीं है।
अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।
2. औषध रसायन के लिये औषधियों का सर्वाधिक उपयोगी वर्गीकरण है-
(a) रासायनिक संरचना के आधार पर
(b) औषध के प्रभाव के आधार पर
(c) लक्ष्य अणुओं के आधार पर
(d) भेषजगुणविज्ञानीय प्रभाव के आधार पर
उत्तर : (c)
व्याख्या : औषध का विभिन्न मापदंडों के अनुसार निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकरण कर सकते हैं-
• भेषजगुणविज्ञानीय (Pharmacological) प्रभाव के आधार पर : यह वर्गीकरण भेषजगुणविज्ञानीय प्रभाव पर आधारित है। यह चिकित्सकों के लिये उपयोगी है; क्योंकि यह उन्हें किसी विशेष उपचार के लिये उपलब्ध पूरी औषध श्रेणी (Range) देता है। उदाहरणर्थ- पीड़ाहारियों (एनैलजेसिक) का पीड़ानाशक असर होता है, एन्टीसेप्टिक सूक्ष्म जीवों को नष्ट करते हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोकते हैं।
• औषध (Drug) के प्रभाव पर आधारित: यह किसी विशेष जैव रासायनिक प्रक्रम पर औषध के प्रभाव पर आधारित होता है। उदाहरण के लिये हिस्टैमिन यौगिक जो कि शरीर में शोथ (Infammation) उत्पन्न करता है।
• लक्ष्य – अणुओं (Molecular Targets) पर आधारित : औषध साधारणतः जैव-अणुओं, जैसे- कार्बोहाइड्रेट, लिपिड प्रोटीन और न्यूक्लिक अम्लों से अन्योन्यक्रिया करते हैं। जिन्हें लक्ष्य-अणु अथवा औषध – लक्ष्य कहते हैं। लक्ष्य- अणुओं पर आधारित वर्गीकरण औषध रसायनज्ञों के लिये सबसे अधिक उपयोगी होता है।
• रासायनिक संरचना पर आधारित: यह औषध की रासायनिक संरचना पर आधारित है। इस प्रकार से वर्गीकृत औषध समान संरचनात्मक विशेषताओं की भागीदार होती है और प्रायः इनमें समान भेषजगुणविज्ञानीय क्रियाशीलता होती है।
अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
3. इक्वैनिल है-
(a) कृत्रिम मधुरक (Artificial Sweetening Agents)
(b) प्रशांतक (Tranquilizers )
(c) प्रतिहिस्टैमिन (Antihistamine)
(d) प्रतिजनन क्षमता औषध (Antifertility Drugs)
उत्तर : (b)
व्याख्या : कुछ प्रशांतक (Tranquilizers ) जैसे- क्लोरडाइज़ेपॉक्साइड और मेप्रोबमेट तनाव दूर करने के लिये अपेक्षाकृत मंद (Mild) प्रशांतक है।
• इक्वैनिल (Equanil) का प्रयोग अवसाद (Depression) और अतितनाव (Hypertension) के नियंत्रण के लिये किया जाता है।
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।
4. निम्नलिखित में से कौन – सा कृत्रिम मधुरक सबसे अधिक सफल एवं व्यापक रूप में उपयोग में लिया जाता है?
(a) एस्पार्टेम
(b) एलिटेम
(c) सुक्रालोज
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (a)
व्याख्या : एस्पार्टेम सबसे अधिक सफल और व्यापक रूप से उपयोग में आने वाला कृत्रिम मधुरक (Artificial Sweetening Agent ) है। यह सुक्रोज़ के मुकाबले लगभग 100 गुना अधिक मीठा होता है। यह एस्पार्टिक अम्ल तथा फेनिलएलानिन से बने डाइपेप्टाइड का मेथिल एस्टर है। इसका उपयोग केवल ठंडे खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों तक ही सीमित है।
• एलिटेम अधिक प्रबल मधुरक है, यद्यपि यह एस्पार्टेम से अधिक स्थायी होता है, परंतु इसका प्रयोग करते समय मिठास नियंत्रित करना कठिन होता है।
• सुक्रालोज़, सुक्रोज़ का ट्राइक्लोरो व्युत्पन्न है। इसका रंग-रूप और स्वाद शर्करा जैसा होता है। यह खाना पकाने के तापमान पर स्थायी होता है। यह कैलोरी नहीं देता ।
अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।
5. निम्नलिखित में से कौन-सा साबुन का झाग देने का गुण बढ़ाता है?
(a) सोडियम कार्बोनेट
(b) सोडियम रोज़िनेट
(c) सोडियम स्टिऐट
(d) ट्राइसोडियम फ़ॉस्फेट
उत्तर : (b)
व्याख्या : औषध साबुनों में औषधीय गुण वाले पदार्थ डाले जाते हैं। कुछ साबुनों में गंधहारक (Deodrants) पदार्थ डाले जाते हैं। दाढ़ी बनाने के साबुन को जल्दी सूखने से बचाने के लिये इनमें ग्लिसरॉल होता है, इन्हें बनाते समय रोज़िन (Rosin) नामक गोंद डाली जाती है। इससे सोडियम रोजिनेट बनता है, जो अच्छी तरह झाग बनाता है।
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।