सीएम साइंस कॉलेज में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न
सीएम साइंस कॉलेज में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न
वेद केवल धर्मनिष्ठ आचरण के लिए प्रेरित भर नहीं करता, बल्कि मनुष्य को कामयाब जीवन जीने का सच्चा मार्ग भी बताता है। मनुष्य के जीवन जीने का मार्ग कैसा हो इसके लिए वह वैज्ञानिक सोच के माकूल समुचित मार्गदर्शन करता है। यह बात शुक्रवार को सीएम साइंस कॉलेज के भौतिकी विभाग द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन अपना ऑनलाइन व्याख्यान देते हुए त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल के प्रोफेसर दीर्घराज जोशी ने कहा। उन्होंने अपने व्याख्यान के दौरान बताया कि प्राचीन काल से ही विज्ञान तकनीकी शिक्षा और सामाजिक विज्ञान के सारे आयामों में मौजूद रहा है, लेकिन तब हमारी सभ्यता उतनी विकसित नहीं होने के कारण हम अपनी सही पहुंच उन तक नहीं बन पा रहे थे। उन्होंने कहा कि आज मानव सभ्यता विकास तो कर रहा है लेकिन साथ ही अपने पुराने अस्तित्व को भूलता भी जा रहा है, जो गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हो रहे शोध कार्यों को धर्म ग्रंथों में निहित सिद्धांतों के साथ जोड़ने की आवश्यकता है।
व्याख्यान में केंद्रीय विश्वविद्यालय, रांची के मनोहर कुमार दास ने कहा कि आज जो भी शोध कार्य हो रहे हैं उनमें वेद आधारित नए आयामों को जोड़ना समय की मांग है। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में और आधुनिक काल में अंतर यही है कि हम अपनी पुरानी सभ्यता को जहां भूल रहे हैं वहीं नई सभ्यता को अपनाने की अंधी होड़ मची है। इससे मानव समुदाय का कभी भला नहीं हो सकता है। यदि हमें उन्नत भारत बनाना है तो वैदिक सिद्धांतों को अपनाते हुए शोध कार्य को अंतिम रूप देने के लिए नई पीढ़ी को प्रोत्साहित करना होगा। संगोष्ठी के दौरान इन व्याख्यानों के अतिरिक्त तीन उत्कृष्ट व्याख्यान प्रस्तुत करने वाले प्रतिभागी को पुरस्कृत किया गया। जिसमें प्रथम स्थान पर खुशबू कुमारी, शोध प्रज्ञा, धनबाद, द्वितीय स्थान पर प्रवीण कुमार कामती और तृतीय स्थान पर अरुण कुमार, दोनों ल. ना. मिथिला विश्वविद्यालय के भौतिकी के शोध प्रज्ञा रहे।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में सीएम साइंस कॉलेज के भौतिकी विभाग के शिक्षक डा अजय कुमार झा लिखित पुस्तक ‘एंड इंट्रोडक्शन टू सॉलिड स्टेट फिजिक्स’ का विमोचन महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो दिलीप कुमार चौधरी के द्वारा किया गया। अपने संबोधन में प्रधानाचार्य ने कहा कि इस तरहकी संगोष्ठियों के आयोजन से जहां छात्र-छात्राओं में समुचित ऊर्जा का संचार होता है वही, नई पुस्तकों के लेखन से उनके शैक्षणिक ज्ञान को एक नया आयाम प्राप्त होता है। उन्होंने डा अजय कुमार ठाकुर की लिखी पुस्तक की तारीफ करते कहा कि यह पुस्तक स्नातक एवं स्नातकोत्तर के छात्र छात्राओं के लिए काफी उपयोगी साबित होगा। उन्होंने अन्य शिक्षकों से भी पुस्तक लेखन के क्षेत्र में आगे आने का आह्वान किया।इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर पीजी भौतिकी विभाग के प्रो अरुण कुमार सिंह, महाविद्यालय के भौतिकी विभागाध्यक्ष डॉ यूके दास आदि उपस्थित थे। संगोष्ठी के विभिन्न तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता करते हुए प्रो एस एन सिंह एवं प्रो अरुण कुमार सिंह ने इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन को स्नातकोत्तर के छात्रों एवं आने वाली पीढ़ी के लिए अत्यंत उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के संगोष्ठी के आयोजन से शिक्षा एवं समाज को एक नई उन्नत दिशा मिलती है।