आखिर क्या है वक्फ बोर्ड कानून,कब हुआ गठन; इसके अधिकारों में कब-कैसे हुई बढ़ोतरी?
आखिर क्या है वक्फ बोर्ड कानून,कब हुआ गठन; इसके अधिकारों में कब-कैसे हुई बढ़ोतरी?
वक्फ अरबी का शब्द है। इसका मतलब खुदा के नाम पर दी जाने वाली वस्तु या संपत्ति है। इसे परोपकार के उद्देश्य से दान किया जाता है। कोई भी मुस्लिम अपनी चल और अचल संपत्ति को वक्फ कर सकता है। अगर कोई भी संपत्ति एक भी बार वक्फ घोषित हो गई तो दोबारा उसे गैर-वक्फ संपत्ति नहीं बनाया जा सकता है।
वक्फ बोर्ड कानून क्या है?
वक्फ बोर्ड कानून 2013 संसोधन में वक्फ बोर्डों को व्यापक शक्तियां प्रदान की गई थी। तब से यह विवादास्पद हैं। वक्फ अधिनियम, 1995 (2013 में संशोधित) की धारा 3 के तहत परिभाषित किया गया है, वक्फ या वक्फ का अर्थ है मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए किसी भी चल या अचल संपत्ति का किसी भी व्यक्ति द्वारा दान देना। वक्फ अधिनियम, 1995, एक ‘वकीफ’ (वह व्यक्ति जो मुस्लिम कानून द्वारा धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए संपत्ति समर्पित करता है) द्वारा ‘औकाफ’ (दान की गई और वक्फ के रूप में अधिसूचित संपत्ति) को रेगुलेट करने के लिए लाया गया था।
वक्फ बोर्ड के कानूनी अधिकार
1995 अधिनियम 1995 की धारा 32 कहती है कि किसी राज्य में सभी वक्फ संपत्तियों का सामान्य पर्यवेक्षण राज्य/केंद्र शासित प्रदेश वक्फ बोर्डों (एसडब्ल्यूबी) के पास निहित है और वक्फ बोर्ड को इन वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करने का अधिकार है। 1954 का अधिनियम जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान वक्फ के कामकाज के लिए एक प्रशासनिक संरचना प्रदान करने के उद्देश्य से अधिनियमित किया गया था। तब वक्फ बोर्डों के पास शक्तियां थीं, जिनमें ट्रस्टियों और मुतवल्लियों (प्रबंधकों) की भूमिकाएं भी शामिल थीं।
वक्फ बोर्ड कैसे काम करता है?
वक्फ के पास जो संपत्तियां हैं, उनका ठीक से रखरखाव हो सके और धर्मार्थ ही काम आए, इसके लिए स्थानीय से लेकर बड़े स्तर पर कई बॉडीज बनाई गई हैं, जिन्हें वक्फ बोर्ड कहते हैं. करीब हर राज्य में सुन्नी और शिया वक्फ हैं. इनका काम उस संपत्ति की देखभाल और उसकी आय का सही इस्तेमाल है. इस संपत्ति से गरीब और जरूरतमंदों की मदद करना, मस्जिद या अन्य धार्मिक संस्थान को बनाए रखना, शिक्षा की व्यवस्था करना और अन्य धर्म के कार्यों के लिए पैसे देने संबंधी चीजें शामिल हैं. केंद्र ने वक्फ बोर्डों के साथ तालमेल के लिए सेंटर वक्फ काउंसिल गठित किया है. वक्फ एसेट्स मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के मुताबिक देश में कुल 30 वक्फ बोर्ड्स हैं. इनके हेडक्वार्टर ज्यादातर राजधानियों में हैं.
साल 1954 में नेहरू सरकार के समय वक्फ अधिनियम पारित किया गया था, जिसके बाद इसका सेंट्रलाइजेशन हुआ. वक्फ एक्ट 1954 इस संपत्ति के रखरखाव का काम करता. इसके बाद से कई बार इसमें संशोधन होते गए. बोर्ड में सर्वे कमिश्नर होता है, जो संपत्तियों का लेखा-जोखा रखता है. इसके अलावा इसमें मुस्लिम विधायक, मुस्लिम सांसद, मुस्लिम आइएएस अधिकारी, मुस्लिम टाउन प्लानर, मुस्लिम अधिवक्ता और मुस्लिम बुद्धिजीवी जैसे लोग शामिल होते हैं. वक्फ ट्रिब्यूनल में प्रशासनिक अधिकारी होते हैं. ट्रिब्यूनल में कौन शामिल होंगे, इसका फैसला राज्य सरकार करती है. अक्सर राज्य सरकारों की कोशिश यही होती है कि वक्त बोर्ड का गठन ज्यादा से ज्यादा मुस्लिमों से हो.
वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्ति है?
मूल रूप से वक्फ की पूरे देश में लगभग 52,000 संपत्तियां थीं. 2009 तक 4 लाख एकड़ तक की 3 लाख रजिस्टर्ड वक्फ संपत्तियां थीं. आज की तारीख में 8 लाख एकड़ भूमि में फैली 8 लाख 72 हजार 292 से ज्यादा रजिस्टर्ड वक्फ की अचल संपत्तियां हैं. यानी महज 13 साल में वक्फ की जमीन दोगुनी हो गई. चल संपत्ति 16,713 हैं. ये संपत्तियां विभिन्न राज्य वक्फ बोर्डों द्वारा प्रबंधित और नियंत्रित की जाती हैं और इनका विवरण वक्फ एसेट्स मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया (WAMSI) पोर्टल पर दर्ज किया गया है. इसके अतिरिक्त, लगभग 329,995 वक्फ संपत्तियों का जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम (GIS) मैपिंग भी की गई है. वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है. इसके साथ ही वक्फ बोर्ड सशस्त्र बलों और भारतीय रेलवे के बाद देश में तीसरा सबसे बड़ा भूस्वामी बन गया है. यूपी में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्ति है. यूपी में सुन्नी बोर्ड के पास कुल 2 लाख 10 हजार 239 संपत्तियां हैं, जबकि शिया बोर्ड के पास 15 हजार 386 संपत्तियां हैं. हर साल हजारों व्यक्तियों द्वारा बोर्ड को वक्फ के रूप में संपत्ति की जाती है, जिससे इसकी दौलत में इजाफा होता रहता है..
कौन करता है संपत्तियों का रख-रखाव?
वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्ड करते हैं। देशभर में कुल 32 वक्फ बोर्ड हैं। हर राज्य में एक वक्फ बोर्ड होता है। यूपी और बिहार में दो शिया वक्फ बोर्ड भी हैं। वक्फ बोर्ड एक कानूनी इकाई है। यह संपत्ति को अर्जित करने और प्रबंधन का काम देखता है। वक्फ संपत्तियों को न तो बेचा जा सकता है और न ही पट्टे पर दिया जा सकता है।
क्या है वक्फ एक्ट 1954
देश में सबसे पहली बार 1954 में वक्फ एक्ट बना। इसी के तहत वक्फ बोर्ड का भी जन्म हुआ। इस कानून का मकसद वक्फ से जुड़े कामकाज को सरल बनाना था। एक्ट में वक्फ की संपत्ति पर दावे और रख-रखाव तक का प्रविधान हैं। 1955 में पहला संशोधन किया गया। 1995 में एक नया वक्फ बोर्ड अधिनियम बना। इसके तहत हर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दी गई। बाद में साल 2013 में इसमें संशोधन किया गया था।
क्या है केंद्रीय वक्फ परिषद?
केन्द्रीय वक्फ परिषद अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन एक सांविधिक निकाय है। परिषद को 1964 में वक्फ अधिनियम 1954 के प्रविधान के मुताबिक गठन किया गया। इसे वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली और ऑक्फ प्रशासन से संबंधित मामलों में केन्द्र सरकार के सलाहकार निकाय के रूप में स्थापित किया गया था। परिषद को केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और राज्य वक्फ बोर्डों को सलाह देने का अधिकार है। परिषद का अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री होता है।
अभी वक्फ बोर्ड में कौन-कौन होता?
अभी तक वक्फ बोर्ड में अध्यक्ष के अलावा प्रदेश सरकार के सदस्य, मुस्लिम सांसद, विधायक, बार काउंसिल के सदस्य, इस्लामी विद्वान और वक्फ के मुतवल्ली शामित होते थे।
क्या है विवादित सेक्शन 40?
वक्फ अधिनियम के सेक्शन 40 पर बहस छिड़ी है। इसके तहत बोर्ड को रिजन टू बिलीव की की ताकत मिली है। अगर बोर्ड का मानना है कि कोई संपत्ति वक्फ की संपत्ति है तो वो खुद से जांच कर सकती है और वक्फ होने का दावा पेश कर सकता है। अगर उस संपत्ति में कोई रह रहा है तो वह अपनी आपत्ति को वक्फ ट्रिब्यूनल के पास दर्ज करा सकता है। अगर कोई संपत्ति एक बार वक्फ घोषित हो गई तो हमेशा वह वक्फ रहेगी। इस वजह से कई विवाद भी सामने आए हैं। नए कानून में इस सेक्शन को हटा दिया गया है।
वक्फ बोर्ड को कब ज्यादा अधिकार मिले?
2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 1995 के बेसिक वक्फ एक्ट में संशोधन लाया और वक्फ बोर्डों को और ज्यादा अधिकार दिए थे. वक्फ बोर्डों को संपत्ति छीनने की असीमित शक्तियां देने के लिए अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती. सीधे शब्दों में कहें तो वक्फ बोर्ड के पास दान के नाम पर संपत्तियों पर दावा करने की असीमित शक्तियां हैं. इसका सीधा मतलब यह है कि एक धार्मिक बॉडी को असीमित शक्तियां प्रदान दी गईं, जिसने वादी को न्यायपालिका से न्याय मांगने से भी रोक दिया. देश में किसी अन्य धार्मिक संस्था के पास ऐसी शक्तियां नहीं हैं. वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 3 में कहा गया है कि यदि वक्फ ‘सोचता’ है कि भूमि किसी मुस्लिम की है तो यह वक्फ की संपत्ति है. वक्फ को इस बारे में कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है कि उन्हें क्यों लगता है कि जमीन उनके स्वामित्व में आती है.
अभी बोर्ड के पास वर्तमान में किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार है. तर्क यह दिया जाता है कि ये संपत्ति किसी जरूरतमंद मुस्लिम की भलाई के लिए होगी. हालांकि देखा गया कि प्रभावशाली लोग इन संपत्ति को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. कई संपत्तियों को जबरन वक्फ संपत्ति घोषित करने का विवाद भी सामने आया. वक्फ संपत्तियों को विशेष दर्जा दिया गया है, जो किसी ट्रस्ट आदि से ऊपर है. यह अधिनियम ‘औकाफ’ को रेगुलेट करने के लिए लाया गया था. एक वकीफ द्वारा दान की गई और वक्फ के रूप में नामित संपत्ति को ‘औकाफ’ कहते हैं. वकीफ उस व्यक्ति को कहते हैं, जो मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त उद्देश्यों के लिए संपत्ति समर्पित करता है.
इस पर विवाद क्यों?
वक्फ अधिनियम के सेक्शन 40 पर बहस छिड़ी है। इसके तहत बोर्ड को रिजन टू बिलीव की शक्ति मिल जाती है। अगर बोर्ड का मानना है कि कोई संपत्ति वक्फ की संपत्ति है तो वो खुद से जांच कर सकती है और वक्फ होने का दावा पेश कर सकता है। अगर उस संपत्ति में कोई रह रहा है तो वह अपनी आपत्ति को वक्फ ट्रिब्यूनल के पास दर्ज करा सकता है। ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। मगर यह प्रक्रिया काफी जटिल हो जाती है।
दरअसल, अगर कोई संपत्ति एक बार वक्फ घोषित हो जाती है तो हमेशा ही वक्फ रहती है। इस वजह से कई विवाद भी सामने आए हैं। अब सरकार ऐसे ही विवादों से बचने की खातिर संशोधन विधेयक लेकर आई है। विधेयक के मुताबिक मुस्लिम महिलाओं को भी बोर्ड में प्रतिनिधित्व मिलेगा।
प्रमुख विवाद
- 2022 में तमिलनाडु के वक्फ बोर्ड ने हिंदुओं के बसाए पूरे थिरुचेंदुरई गांव पर वक्फ होने का दावा ठोंक दिया।
- बेंगलुरू का ईदगाह मैदान विवाद। इस पर 1950 से वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जा रहा है।
- सूरत नगर निगम भवन को वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जा रहा। तर्क यह है कि इसे मुगलकाल में सराय के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है।
- कोलकाता के टॉलीगंज क्लब, रॉयल कलकत्ता गोल्फ क्लब और बेंगलुरु में आईटीसी विंडसर होटल के भी वक्फ भूमि पर होने का दावा है।