Happy Baisakhi 2025: क्यों खास है बैसाखी का पर्व? जानें इसका इतिहास और महत्व
Happy Baisakhi 2025: क्यों खास है बैसाखी का पर्व? जानें इसका इतिहास और महत्व
Happy Baisakhi 2025 : सिखों के नववर्ष के रूप में मनाया जाने वाला बैशाखी पर्व इस साल रविवार, 13 अप्रैल को है। हर वर्ष अप्रैल के महीने में बैशाखी का पावन पर्व मनाया जाता है।बैसाखी वाले दिन सिख लोग धूमधाम से एक-दूसरे को इस पर्व की बधाइयां देते हैं। बैसाख के महीने में बैसाखी का पर्व विशाखा नक्षत्र की मौजूदगी में हर साल उमंग और उत्साह के साथ आयोजित किया जाता है। बैसाखी का पर्व उत्तरी भारत समेत पंजाब और हरियाणा आदि राज्यों में मनाया जाता है। बैसाखी के दिन सिख धर्म के लोग पारंपरिक तरीके से वस्त्र पहनते हैं और भांगड़ा करते हैं। इसके साथ ही घी व आटे से बने प्रसाद का सेवन करते हैं। बैशाखी के दिन से ही देश के कई हिस्सों में फसलों की कटाई शुरु होती है।
बैसाखी पर्व का इतिहास (Baisakhi 2025 History)
बैसाखी पर्व के मौके पर 1699 में सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। उन्होंने आनंदपुर साहिब में एक सभा आयोजित की और सिखों को एक नई पहचान दी। उन्होंने सिखों को पंज ककार- केश, कंघा, कछहरा, कड़ा और कृपाण धारण करने के लिए कहा था। इस आह्वान पर पांच सिखों ने अपनी सहमति दी। इन पांच सिखों को ‘पंज प्यारे’ के नाम से जाना जाता है। गुरु गोबिंद सिंह जी ने इन पांच सिखों को अमृत छकाया और उन्हें खालसा पंथ में दीक्षित किया। खालसा पंथ की स्थापना का उद्देश्य अन्याय के खिलाफ लड़ना और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करना था।
बैसाखी का महत्व (Baisakhi 2025 Significance)
ऐसा माना जाता है कि बैसाखी पर्व के दिन सूर्य बारह राशियों का चक्र पूरा करके मेष राशि में गोचर करते हैं, जो सिख नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। यह पर्व खालसा पंथ की स्थापना की याद दिलाता है। यह रबी की फसल की कटाई का भी प्रतीक है। यह पर्व सिख समुदाय को एक साथ लाता है और उनकी एकता को मजबूत करता है। पंजाब के साथ यह देश के कई अन्य हिस्सों में भव्यता के साथ मनाया जाता है।
बैसाखी कैसे मनाते हैं? (How is Baisakhi Celebrated?)
हर साल बैसाखी का पर्व मेष संक्रांति के दिन मनाया जाता है। इस दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है और विशेष प्रार्थनाएं की जाती हैं। इस मौके पर लोग पारंपरिक कपड़े पहनते हैं और ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते-गाते हैं। यह पर्व सिख धर्म के इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व सिख समुदाय के लिए एकता, साहस और धार्मिक निष्ठा का प्रतीक है।
सुनहरी धूप बरसात के बाद,
थोड़ी सी ख़ुशी हर बात के बाद,
उसी तरह हो मुबारक आपको
ये नयी सुबह कल रात के बाद।
बैसाखी का मज़ा तब दोगुना हो जाएगा,
जब आप हमारे साथ होंगे।
जल्दी से घर आओ,
हम तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं।।
सुबह से शाम तक वाहेगुरु की कृपा,
ऐसे ही गुजरे हर एक दिन,
न कभी हो किसी से गिला-शिकवा,
एक पल न गुजरे खुशियों के बिन।
फसल के इस त्योहार पर वाहेगुरु आपको विकास, स्वास्थ्य और शांति प्रदान करें।
बैसाखी को हमारे प्यार और खुशी के साथ मनाएं।
बैसाखी 2025 की शुभकामनाएं!