Bihar Politics : छात्र ने पूछ लिया यह सवाल तो,तेजस्वी यादव को लग गई मिर्ची? BJP ले रही है अब खूब मजे
Bihar Politics : छात्र ने पूछ लिया यह सवाल तो,तेजस्वी यादव को लग गई मिर्ची? BJP ले रही है अब खूब मजे
पटना. बिहार चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है. चौक-चौराहों से लेकर सोशल मीडिया पर लालू राज और नीतीश राज में हुए विकास की तुलना शुरू हो गई है. लोग एक तरफ आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और राबड़ी देवी के शासनकाल की चर्चा कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद बिहार में हुए परिवर्तन पर चर्चा हो रही है. लोग चर्चा कर रहे हैं कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के दौर में बिहार की विकास दर 0.6 प्रतिशत थी, जबकि नीतीश कुमार के सत्ता में आते ही विकास दर 5 प्रतिशत के ऊपर पहुंच गई. बिहार में जंगलराज बनाम विकासराज की चर्चा के बीच लालू के बेटे तेजस्वी यादव का बयान सामने आया है, जिसके बाद लोग कहने लगे हैं कि क्या तेजस्वी यादव भी अपने माता-पिता की भाषा बोल रहे हैं?
दरअसल, बिहार बीजेपी ने सोशल मीडिया पर तेजस्वी यादव का एक साक्षात्कार पोस्ट किया है. इस पोस्ट में एक छात्र अखबार पढ़कर तेजस्वी यादव से सवाल करता है कि आखिर क्या वजह थी कि जब आपके पिता और माता मुख्यमंत्री थे तो बिहार का ग्रोथ रेट गिर गया था? छात्र का सवाल था कि 1980 से 1991 तक बिहार का ग्रोथ रेट 5.1 था, लेकिन जैसे ही लालू यादव 1990 में मुख्यमंत्री बने, तो 1992 से लेकर 2002 तक बिहार का ग्रोथ रेट गिरकर 0.6 प्रतिशत हो गया. ऐसे में अगर आप सत्ता में आएंगे तो क्या बदलाव लाएंगे?
छात्र के सवाल पर तेजस्वी यादव ने क्या कहा?
इस सवाल के जवाब में तेजस्वी यादव कहते हैं, पता नहीं आप कहां से डाटा लेकर आए हैं. 1990 में जब लालू यादव मुख्यमंत्री थे तो बिहार का बजट 3 हजार करोड़ रुपये के आसपास था, 2005 में यह 28 हजार करोड़ रुपये हो गया. यानी नीतीश जी के दौर में बजट साढ़े 9 प्रतिशत बढ़ गया. लालू जी के दौर में 7 विश्वविद्यालय बनकर तैयार हुए हैं. आज भी बिहार के बच्चे सबसे ज्यादा इन्हीं विश्वविद्यालयों में पढ़ते हैं. लेकिन अब समय नहीं है कि पुरानी बातों का जिक्र करें. हमें आज के मुद्दों की बात करनी चाहिए.
बीजेपी ऐसे ले रही चुटकी
बीजेपी ने तेजस्वी यादव के इस बयान को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर लिखा है, ‘लालू यादव के शासन के खत्म होते ही बिहार की विकास दर 5% से ऊपर पहुंच गई. इसके विपरीत, जब उनका परिवार सत्ता में था, तब यह मात्र 0.6% थी. एक पूरा दशक भ्रष्टाचार, अपराध और कुशासन की भेंट चढ़ गया. जब इस कड़वे सच का सामना हुआ तो तेजस्वी यादव ने घमंड में इसे खारिज करते हुए कहा, ‘प्री-इंडिपेंडेंस की बातें मत करो. प्री-इंडिपेंडेंस? सच में? लालू राज कोई इतिहास नहीं था, वह बिहार के लिए नरक था! सड़कें जर्जर हो गईं, कारोबार खत्म हो गए और अपराध चरम पर था. फिर भी, तेजस्वी इसे ऐसे नकारते हैं मानो उनके परिवार के विनाशकारी शासन का कोई अस्तित्व ही नहीं था. यह परिवार बिहार के लिए सबसे बड़ा अभिशाप रहा है और तेजस्वी का अहंकार साबित करता है कि इन्होंने आज तक कुछ नहीं सीखा!’
साल 1991 में बिहार का बजट 3 करोड़ रुपये था, जबकि 2004-05 के बजट में 23,885 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया. साल 2015-16 के बजट में यह 120,685 करोड़ रुपये पहुंच गया. 2016-17 में 144,696, 2017-18 में 160,086 करोड़ रुपये और यह बढ़ते-बढ़ते साल 2025-16 में 316,895 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. अगर तेजस्वी यादव गलत आंकड़े देंगे तो फिर कैसे बिहार की नैया पार कराएंगे?
सोर्स – न्यूज़18