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संसद से पास होते ही सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन बिल को चुनौती, कांग्रेस सांसद ने दायर की याचिका

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संसद से पास होते ही सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन बिल को चुनौती, कांग्रेस सांसद ने दायर की याचिका

एक दिन पहले ही संसद (लोकसभा और राज्यसभा) से पारित हुए वक्फ संशोधन बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। कांग्रेस के सांसद मोहम्मद जावेद ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर कर वक्फ संशोधन विधेयक को मुस्लिम समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला बताते हुए चुनौती दी है। लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के सचेतक मोहम्मद जावेद वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के सदस्य भी रहे हैं। वह बिहार के किशनगंज से कांग्रेस के सांसद हैं।

उन्होंने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 25 (धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) और अनुच्छेद 300 ए (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है। दिलचस्प बात यह है कि यह विधेयक अभी कानून के रूप में लागू नहीं हुआ है। वक्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने मंजूरी दे दी है और अब इसे राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार है।

याचिका में क्या कहा गया?

बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कांग्रेस सांसद जावेद ने अधिवक्ता अनस तनवीर के माध्यम से यह याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार, यह कानून मुस्लिम समुदाय के खिलाफ ऐसे प्रतिबंध लगाकर भेदभाव करता है जो अन्य धार्मिक बंदोबस्त प्रशासन में मौजूद नहीं हैं। याचिका में तर्क दिया गया है कि हिंदू और सिख धार्मिक ट्रस्टों को स्व-नियमन की एक हद तक सुविधा प्राप्त है, लेकिन वक्फ अधिनियम, 1995 (वक्फ अधिनियम) में किया गया संशोधन, वक्फ मामलों में राज्य के हस्तक्षेप को बढ़ाता है।

जावेद का तर्क- नया कानून विभाजनकारी

जावेद ने याचिका में कहा है कि इस तरह का विभाजनकारी व्यवहार संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, साथ ही समाज के मनमाने बंटवारे की शुरूआत है। याचिका में यह भी कहा गया है कि नया कानून वक्फ के गठन में रोड़े अटकाने वाला है क्योंकि यह कानून किसी व्यक्ति के धार्मिक अभ्यास की अवधि के आधार पर वक्फ के गठन पर प्रतिबंध लगाता है। बता दें कि लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2 अप्रैल को और राज्यसभा में 3 अप्रैल को लंबी चर्चा के बाद हुई वोटिंग में बहुमत के आंकड़े से पारित कर दिया गया है। संसद से पारित होने के बाद देशभर के कई शहरों में इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन भी हो रहे हैं।

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