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Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025: आज है छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती; छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर इन विशेज से अपनों को दें शुभकामनाएं

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Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025: आज है छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती; छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर इन विशेज से अपनों को दें शुभकामनाएं

देश में शायद ही ऐसा कोई शख्स होगा, जिसने साल 2017 में आई राजामौली की फिल्म बाहुबली 2 द कनक्लूजन न देखी हो. इस फिल्म का डायलॉग ‘औरत पर हाथ डालने वाले का हाथ नहीं, काटते हैं उसका गला’ आज भी हर किसी की जुबां पर रहता है, लेकिन महिलाओं के सम्मान में शिवाजी महाराज सदियों पहले ऐसे ही फरमान सुनाते थे. दरअसल, देश के सबसे बहादुर और मराठों की आन-बान-शान के प्रतीक छत्रपति शिवाजी महाराज की आज 395वीं जयंती है. 19 फरवरी 1630 के दिन जन्मे शिवाजी महाराज देश के महान योद्धा और रणनीतिकार माने जाते हैं. आइए आपको उनकी जिंदगी के ऐसे किस्सों से रूबरू कराते हैं, जिन्हें आपने शायद ही सुना होगा.

शिवाजी भोंसले का जन्म

शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किले में हुआ था। उनके पिता शाहजी भोंसले बीजापुर के एक सेनापति थे। माता जीजाबाई ने उन्हें बचपन से ही धर्म, नैतिकता और युद्ध कौशल की शिक्षा दी। कहा जाता है कि जीजाबाई ने उन्हें रामायण और महाभारत की कहानियां सुनाकर एक महान योद्धा बनने के लिए प्रेरित किया।

तोरणा किले की पहली विजय

शिवाजी महाराज ने 16 साल की उम्र में ही बीजापुर के तोरणा किले पर कब्जा कर लिया था। यह उनकी पहली जीत थी, जिस ने उनकी वीरता और दूरदर्शिता को साबित किया। इसके बाद उन्होंने कई अन्य किलों को जीता और मराठा साम्राज्य की नींव रखी।

बीजापुर के सुल्तान ने शिवाजी महाराज को हराने के लिए अफजल खान नामक एक क्रूर सेनापति को भेजा। उसने शिवाजी को धोखे से मारने की योजना बनाई और उन्हें मिलने के लिए बुलाया। लेकिन शिवाजी महाराज ने पहले ही इस चाल को भांप लिया था। जब अफजल खान ने शिवाजी को गले लगाने के बहाने वार करने की कोशिश की तो उन्होंने अपने नाखून जैसे हथियार से उसका वध कर दिया।

धोखे से बनाया बंदी

औरंगजेब ने शिवाजी महाराज को आगरा बुलाकर धोखे से बंदी बना लिया। उन्हें आगरा के किले में कड़े पहरे में रखा गया। लेकिन शिवाजी ने बुद्धिमत्ता और चालाकी से खुद को बचाया। उन्होंने बीमार होने का नाटक किया और अपने भोजन की टोकरियों में खुद को छिपाकर बाहर निकलने की योजना बनाई। इस चतुराई भरी योजना के जरिए वे आगरा किले से बचकर सफलतापूर्वक महाराष्ट्र लौटे।

छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वराज्य की अवधारणा को साकार किया और मुगलों, आदिलशाह और पुर्तगालियों से संघर्ष करते हुए एक स्वतंत्र मराठा साम्राज्य की स्थापना की। 6 जून 1674 को रायगढ़ किले में भव्य समारोह में उनका राज्याभिषेक हुआ। वे आधिकारिक रूप से “छत्रपति” बने और अपने शासन को हिंदवी स्वराज का नाम दिया।

शिवाजी महाराज ने भारत में पहली बार एक शक्तिशाली नौसेना की स्थापना की। उन्होंने अरब सागर में पुर्तगाली, ब्रिटिश और डच ताकतों से मुकाबला करने के लिए मजबूत जहाज तैयार किए। इसलिए उन्हें “भारतीय नौसेना का जनक” भी कहा जाता है।

शिवाजी महाराज ने हमेशा महिलाओं का सम्मान किया और अपने सैनिकों को स्त्रियों के सम्मान की रक्षा करने का आदेश दिया। उन्होंने किसानों की रक्षा के लिए कर प्रणाली में सुधार किया। उन्होंने कोई भी धार्मिक भेदभाव नहीं किया और सभी धर्मों का सम्मान किया।

महिलाओं का बेहद सम्मान करते थे शिवाजी

शिवाजी महाराज उन शासकों में शुमार हैं, जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ हिंसा या उनके उत्पीड़न का पुरजोर तरीके से विरोध किया था. उन्होंने अपने सैनिकों को सख्त निर्देश दिए थे कि छापा मारते वक्त किसी भी महिला को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए. अगर उनकी सेना का कोई भी सैनिक महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करता था तो उसे दंडित किया जाता था.

जब दुश्मन पक्ष की बहू को पकड़ लाए शिवाजी के सैनिक

शिवाजी महाराज और मुगलों के बीच युद्ध के तमाम किस्से इतिहास में मौजूद हैं. ऐसा ही एक किस्सा कल्याण के किले में हुई जंग के दौरान का है, जिसे शिवाजी के वीर सेनापति ने जीत लिया था. इस किले में शिवाजी की सेना के हाथ हथियारों के जखीरे के साथ-साथ अकूत संपत्ति भी लगी थी. उस दौरान मुगल किलेदार की बहू को भी बंदी बना लिया गया और सेनापति ने उस महिला को शिवाजी महाराज के सामने बतौर नजराना पेश कर दिया.

दुश्मन पक्ष की महिला का यूं किया था सम्मान

सेनापति ने उस महिला को एक पालकी में बैठाया और शिवाजी के दरबार में पहुंच गया. शिवाजी महाराज ने जैसे ही पालकी का पर्दा उठाया, उनका सिर झुक गया. उन्होंने बस इतना ही कहा कि काश हमारी माता भी इतनी खूबसूरत होती तो मैं भी सुंदर होता. इसके बाद उन्होंने अपने सेनापति को कड़ी फटकार लगाई और महिला को सकुशल उसके घर छोड़कर आने का आदेश दे दिया.

सदियों पहले सुनाते थे बाहुबली जैसे फरमान

महिलाओं के सम्मान को लेकर शिवाजी महाराज बेहद कठोर थे. उन्होंने अपने सैनिकों से लेकर जनता तक को फरमान दे रखा था कि अगर कोई महिला का अपमान करता है तो उसका गला काट दिया जाएगा. उनका साफ-साफ आदेश था कि महिला पर हाथ डालने वालों का गला काट दो. माता जीजा बाई के बेटे शिवाजी के इस फरमान का हर कोई सम्मान करता था.

छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती पर दें शुभकामना संदेश

1. शौर्य, पराक्रम और स्वाभिमान की प्रतीक, हिन्दवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज को नमन! जय भवानी, जय शिवाजी!

2. हर मुश्किल का सामना किया, हर युद्ध को जीता, मराठा साम्राज्य का वह सूर्य, छत्रपति शिवाजी महाराज अमर रहें! शिवाजी महाराज जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं!

3. वीरता, नीति और न्याय के अद्भुत संगम को नमन! शिवाजी महाराज जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं!

4. जिसने स्वराज्य का सपना देखा और उसे साकार किया, उस वीर योद्धा को शत-शत नमन! शिवाजी महाराज जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं!

5. मुगलों की सल्तनत हिलाने वाला, हिंदवी स्वराज्य का निर्माता, गर्व है हमें शिवाजी महाराज की विरासत पर! जय शिवाजी!

6. छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि यह हमें उनके विचारों को अपनाने का अवसर देती है। जय भवानी, जय शिवाजी!

7. जिन्होंने डर को कभी पास नहीं आने दिया, जिन्होंने अपनों की रक्षा के लिए तलवार उठाई, उन वीर शिवाजी महाराज को शत-शत प्रणाम!

8. स्वराज्य की मशाल जलाने वाले, अन्याय के खिलाफ खड़े होने वाले, हर हिंदुस्तानी के गौरव शिवाजी महाराज को नमन!

9. छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती का पर्व हमें साहस, पराक्रम और देशभक्ति की सीख देता है। वीर शिवाजी महाराज को कोटि-कोटि वंदन!

10. न्यायप्रिय राजा, चतुर योद्धा और कुशल प्रशासक शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर सादर नमन!

11. जो सही के लिए लड़े, जो अन्याय के सामने झुके नहीं, वह थे छत्रपति शिवाजी महाराज! उनकी जयंती पर गर्व से सिर ऊंचा करें!

12. बचपन से ही जिनमें वीरता का संचार था, जिन्होंने हर मराठी को स्वाभिमान दिया, वे थे हमारे शिवाजी महाराज! जय भवानी, जय शिवाजी!

13. ना जात-पात देखी, ना धर्म देखा बस स्वराज्य देखा! ऐसे वीर शिवाजी महाराज को नमन!

14. छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती पर हम सब मिलकर प्रण लें कि अन्याय के खिलाफ हमेशा खड़े रहेंगे! जय शिवाजी!

15. शेर की तरह जिया, शेर की तरह लड़ा, और अपने लोगों के दिलों में अमर हो गया! जय छत्रपति शिवाजी महाराज!

16. शिवाजी महाराज सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं, जो हमें हर संकट से लड़ने की शक्ति देती है!

17. जिनकी तलवार ने दुश्मनों के दिल में डर पैदा किया, जिनकी नीति ने हर दिल में स्वाभिमान जगाया, उन्हीं शिवाजी महाराज को कोटि-कोटि नमन!

18. सच्चे नेता वही होते हैं, जो अपने लोगों के लिए लड़ें, और छत्रपति शिवाजी महाराज उसका सर्वोत्तम उदाहरण हैं!

19. शौर्य, पराक्रम और नीतियों से भरी उनकी गाथा हमें आज भी प्रेरित करती है! शिवाजी महाराज जयंती पर श्रद्धा-सुमन अर्पित!

20. जोश, जुनून और न्याय का प्रतीक, हिन्दवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज को नमन! जय शिवाजी!

21. वीरता की मिसाल, साहस की पहचान, न्यायप्रिय राजा छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर सादर नमन!

22. जिन्होंने हिंदवी स्वराज्य की नींव रखी, जो स्वाभिमान की ज्वाला बनकर हर दिल में बसे, ऐसे छत्रपति शिवाजी महाराज को नमन!

23. शिवाजी महाराज केवल इतिहास नहीं, वह हमारे आत्मसम्मान और शक्ति का प्रतीक हैं! जय शिवाजी!

24. मराठा साम्राज्य के गौरव को प्रणाम! छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर देशभक्ति की ज्योत जलाएं!

25. हमेशा याद रखें- स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है! छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती की शुभकामनाएं!

26. दुश्मनों के लिए बिजली, अपनों के लिए छाया ऐसे महानायक छत्रपति शिवाजी महाराज को मेरा नमन!

27. सिर्फ तलवार से नहीं, बल्कि चतुराई और साहस से युद्ध जीतने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज की गाथा अमर रहे!

28. छत्रपति शिवाजी महाराज की सीख को अपने जीवन में अपनाएं और अन्याय के खिलाफ हमेशा डटे रहें! जय भवानी, जय शिवाजी!

29. शिव जयंती पर हर मराठी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है! आइए, उनके दिखाए मार्ग पर चलें और स्वाभिमान से जिएं!

30. छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन हमें सिखाता है कि हर कठिनाई को पराक्रम और बुद्धि से जीता जा सकता है! शिवाजी महाराज जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं!

छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती भारतीय इतिहास के महान योद्धा, कुशल प्रशासक और हिंदवी स्वराज के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य और योगदान को सम्मान देने के लिए समर्पित है. उन्होंने मुगलों के खिलाफ संघर्ष कर स्वराज्य की स्थापना की और एक सशक्त, न्यायप्रिय और संगठित शासन प्रणाली विकसित की. उनकी युद्ध नीति, कूटनीति, गुरिल्ला युद्ध शैली और प्रशासनिक दक्षता आज भी प्रेरणा देती है. इस जयंती को महाराष्ट्र सहित पूरे भारत में हर्षोल्लास और गौरव के साथ मनाया जाता है, जहां लोग उनके आदर्शों को याद कर राष्ट्रभक्ति और स्वाभिमान की भावना को आत्मसात करते हैं.

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