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घर में कैश का भंडार, जानिए जस्टिस यशवंत वर्मा के बारे में, जिनका हो गया तबादला;SC ने की क्या कार्रवाई; पढ़ें इनका वर्तमान और भूत

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घर में कैश का भंडार, जानिए जस्टिस यशवंत वर्मा के बारे में, जिनका हो गया तबादला;SC ने की क्या कार्रवाई; पढ़ें इनका वर्तमान और भूत

कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा?

जस्टिस यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को इलाहाबाद में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बी.कॉम (ऑनर्स) की पढ़ाई की और मध्य प्रदेश के रीवा विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की डिग्री हासिल की। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में उन्होंने कॉर्पोरेट कानूनों, कराधान और कानून की संबद्ध शाखाओं के अलावा संवैधानिक, श्रम और औद्योगिक विधानों के मामलों में भी वकालत की।

इन मामलों के विशेषज्ञ

वह मुख्य रूप से सिविल मामलों में विशेषज्ञता रखते थे और संवैधानिक, औद्योगिक विवाद, कॉरपोरेट, टैक्सेशन और पर्यावरण से जुड़े मामलों की पैरवी करते थे. 2006 से हाई कोर्ट के विशेष वकील रहे और 2012 में उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता बने. अगस्त 2013 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा मिला.  न्यायिक सेवाओं में उनका सफर 13 अक्टूबर 2014 को शुरू हुआ जब उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया. 1 फरवरी 2016 को उन्होंने स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. इसके बाद 11 अक्टूबर 2021 को उनका तबादला दिल्ली हाई कोर्ट में कर दिया गया. अब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 मार्च 2025 को उनके दोबारा इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरण की सिफारिश की है.

कई महत्वपूर्ण फैसले दिए

अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए. मार्च 2024 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी द्वारा इनकम टैक्स पुनर्मूल्यांकन के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी थी.  इसके अलावा जनवरी 2023 में उन्होंने नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज़ ‘Trial by Fire’ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. इस मामले में रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस वर्मा ने कहा था, ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखना जरूरी है, भले ही सरकारें और न्यायालय कुछ चीजों को प्रकाशित करने के पक्ष में न हों.’

क्या है जस्टिस वर्मा का कैश कांड

दरअसल, जस्टिस वर्मा का आधिकारिक आवास तुगलक रोड है. जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास पर बीते दिनों आग लग गई थी. आग लगने के बाद बचाव टीम को उनके घर से यह करोड़ों रुपए मिले थे. हादसे के वक्त जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे. उनके परिवार के लोगों ने फायर ब्रिगेड और पुलिस को घटना की सूचना दी थी. आग बुझाने के बाद एक कमरे के अंदर से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी, जिसके बाद उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी गई. सूत्रों का कहना है कि इस मामले में अब ईडी और सीबीआई की एंट्री भी संभव है.

सीजेआई ने लिया एक्शन

जस्टिस यशवंत वर्मा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं. उनके घर में आग लगने के बाद ही करोड़ों रुपए का सच सामने आया था. भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप की वजह से ही उनका तबादला हुआ था. CJI संजीव खन्ना के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम नेसर्वसम्मति से ने जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर का फैसला लिया. अक्टूबर 2021 में ही जस्टिस वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट से दिल्ली हाइकोर्ट में ट्रांसफर हुआ था.

रूम में बिखरे पड़े थे कैश

सूत्र के मुताबिक, दिल्ली स्थित घर में लगी आग के बाद एक कमरे में करोड़ों रुपे बिखरे पड़े थे. उस करोड़ों रुपये के बेनामी होने की संभावना है. आग नहीं लगती तो फिर यह खुलासा नहीं हो पाता. बचाव टीम ने ही इस मामले में सीनियर अधिकारियों और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिकारी को इसकी सूचना दी. अब कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में आतंरिक तौर पर तफ्तीश के लिए कमेटी का गठन किया जा सकता है. दिलचस्प है कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस मुद्दे को राज्यसभा में भी उछाल दिया है.

2016 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में ली शपथ 

56 वर्षीय न्यायाधीश, जो 1992 में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए थे, उन्हें 13 अक्टूबर 2014 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और उन्होंने 1 फरवरी 2016 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।

कई पदों पर रहे

वह 2006 से अपनी पदोन्नति तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के विशेष अधिवक्ता भी रहे, इसके अलावा 2012 से अगस्त 2013 तक उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता भी रहे, जब उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया।

तबादले की सिफारिश

हाल ही में उनके सरकारी आवास में आग लगने के बाद वहां से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने की खबर आई. उस समय वह शहर से बाहर थे, और उनके परिवार ने ही फायर ब्रिगेड को बुलाया था. नकदी मिलने के बाद इसका रिकॉर्ड दर्ज किया गया और चीफ जस्टिस को इसकी जानकारी दी गई. इसके बाद कॉलेजियम की बैठक में उनके तबादले की सिफारिश की गई. इस घटनाक्रम के बाद कुछ न्यायाधीशों ने चिंता जताई कि सिर्फ स्थानांतरण से न्यायपालिका की छवि को नुकसान पहुंचेगा, इसलिए जांच और महाभियोग की प्रक्रिया पर भी चर्चा हो रही है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट बोला- हम कूड़ा घर नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का स्थानांतरण इलाहाबाद हाईकोर्ट किए जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। बार एसोसिएशन ने पत्र जारी कर कहा है कि हम कूड़ा घर नहीं हैं। बार ने कहा कि समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला है कि दिल्ली में न्यायमूर्ति के घर में लगी आग को बुझाने के दौरान लगभग 15 करोड़ रुपए मिले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति का स्थानांतरण इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया है। हाईकोर्ट बार ने पत्र जारी कर इसका कड़ा विरोध किया है।

भाजपा बोली- अदालती मामलों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए

इस मामले पर भाजपा ने कहा कि पार्टी को अदालतों के मामलों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए और सीजेआई पहले से ही इस मामले से अवगत हैं। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने इस मामले पर निर्णय ले लिया है, जिससे उच्च न्यायपालिका पर लोगों की असहज नजर पड़ रही है। हालांकि, भाजपा के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर एक पोस्ट में उल्लेख किया कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने लोकपाल के निर्देशानुसार शिबू सोरेन के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच रोक दी है।

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