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पीएम मोदी ने श्रीलंका के अनुराधापुरा में किये बौद्ध मंदिर के दर्शन

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पीएम मोदी ने श्रीलंका के अनुराधापुरा में किये बौद्ध मंदिर के दर्शन

कोलंबो : श्रीलंका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां के ऐतिहासिक नगर अनुराधापुरा में जय श्री महाबोधि मंदिर में जाकर दर्शन किए। राजधानी कोलंबो से 200 किलोमीटर दूर स्थित अनुराधापुरा एक आध्यात्मिक शहर है। इसकी गिनती प्राचीन शहरों में होती है। यह शहर लगभग 1300 सालों तक श्रीलंका के शासकों की राजधानी रहा है। वर्तमान में यह यूनेस्को द्वारा घोषित एक विरासत है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, “राष्ट्रपति दिसानायके के साथ अनुराधापुरा में जय श्री महाबोधि में प्रार्थना की। बौद्ध धर्म के सबसे प्रतिष्ठित स्थलों में शामिल इस मंदिर के दर्शन करना भावविभोर कर देने वाला क्षण है।”

मोदी के साथ दिसानायके ने भी की अनुराधापुरा की यात्राी

अनुराधापुरा की यात्रा के दौरान मोदी के साथ श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके भी थे। मंदिर के दर्शन बाद दोनों नेताओं ने 9.12 करोड़ अमेरिकी डॉलर की भारतीय सहायता से नवीनीकृत 128 किलोमीटर लंबी माहो-ओमानथाई रेलवे लाइन का उद्घाटन किया, जिसके बाद माहो से अनुराधापुरा तक उन्नत सिग्नलिंग प्रणाली के निर्माण की शुरुआत की गयी। इस सिग्नलिंग प्रणाली का निर्माण 1.48 करोड़ अमेरिकी डॉलर की भारतीय अनुदान सहायता से किया गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत-श्रीलंका विकास साझेदारी के तहत कार्यान्वित ये ऐतिहासिक रेलवे आधुनिकीकरण परियोजनाएं श्रीलंका में उत्तर-दक्षिण रेल संपर्क को मजबूत बनाने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इनसे देश भर में यात्री और माल यातायात दोनों का तीव्र व कुशल आवागमन सुगम हो सकेगा।

प्रतिष्ठित महाबोधि वृक्ष की पूजा की

भारत रवाना होने से पहले मोदी ने कहा कि उनकी श्रीलंका यात्रा ने दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सभ्यतागत संबंधों की पुष्टि की है। मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि राष्ट्रपति दिसानायके के साथ अनुराधापुरा में जय श्री महाबोधि में प्रार्थना की। विदेश मंत्रालय ने कहा कि मोदी ने मंदिर में प्रतिष्ठित महाबोधि वृक्ष की पूजा की। जय श्री महाबोधि मंदिर का भारत-श्रीलंका सभ्यतागत संबंधों में विशेष महत्व है। मान्यता है कि बोधि वृक्ष की उत्पत्ति भारत के बोधगया में हुई है। सम्राट अशोक की बेटी थेरी संघमित्रा भारत से बोधि वृक्ष का पौधा लायी थी और इस मंदिर के परिसर में वह पौधा लगाया गया था। संघमित्रा महाथेरी तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत से श्रीलंका ले गयी थीं।

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