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Mahavir Jayanti : जानिए कौन थे भगवान महावीर और क्या थे उनके सिद्धांत

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Mahavir Jayanti : जानिए कौन थे भगवान महावीर और क्या थे उनके सिद्धांत

Mahavir Jayanti :भारत विविधता से भरा हुआ देश है जहां हर धर्म के पर्व और त्योहारों को पूरे श्रद्धा-भाव के साथ मनाया जाता है। इन्हीं महत्वपूर्ण पर्वों में एक है महावीर जयंती, जो विशेष रूप से जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है। यह पर्व जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान महावीर ने अपने जीवन में जो उपदेश दिए, वे आज भी समाज को नैतिकता, करुणा और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। आइए जानते हैं इस साल महावीर जयंती किस दिन मनाई जाएगी।

महावीर जयंती का इतिहास

जैन मान्यताओं के अनुसार भगवान महावीर का जन्म चैत्र माह (हिंदू कैलेंडर) के शुक्ल पक्ष के 13वें दिन पटना से कुछ किलोमीटर दूर बिहार के कुंडलपुर में हुआ था। उस समय वैशाली उस राज्य की राजधानी थी जहाँ उनका जन्म हुआ था। हालाँकि उनके जन्म के सही वर्ष को लेकर कुछ असहमति है। श्वेतांबर जैनियों के एक समूह का मानना ​​है कि उनका जन्म 599 ईसा पूर्व में हुआ था, जबकि दिगंबर जैन का मानना ​​है कि 615 ईसा पूर्व को उनका जन्म हुआ था हैं।

उनके माता-पिता राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला ने उन्हें वर्धमान नाम दिया था। श्वेतांबर समुदाय की मान्यताओं के अनुसार महावीर की मां ने 14 सपने देखे थे, जिनकी बाद में ज्योतिषियों ने व्याख्या की, जिनमें से सभी ने कहा कि महावीर या तो सम्राट बनेंगे या ऋषि (तीर्थंकर)। जब महावीर 30 वर्ष के थे तब उन्होंने सत्य की खोज के लिए अपना आरामदायक जीवन छोड़ दिया। उन्होंने 12 साल गहन ध्यान में बिताए और दूसरों को शांतिपूर्ण और दयालु रहना सिखाया। अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने की क्षमता के कारण उन्हें महावीर नाम दिया गया था। ऐसा कहा जाता है कि जब महावीर 72 वर्ष के थे तब उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई।

महावीर जयंती का महत्व

जैन धर्म को मानने वाले लोगों के लिए महावीर जयंती एक विशेष दिन है। यह भगवान महावीर के जन्म का जश्न मनाता है, जिन्होंने अपने अनुयायियों को मोक्ष प्राप्त करने के लिए पांच महत्वपूर्ण नियम सिखाए। ये नियम दूसरों के प्रति दयालु होने, किसी को चोट न पहुंचाने, पवित्र रहने, सच बोलने और लालची न होने के बारे में हैं। इस दिन लोग भगवान महावीर से प्रार्थना करते हैं और उनकी शिक्षाओं के अनुसार जीने का प्रयास करते हैं। वे धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं और जरूरतमंदों को दान देते हैं।

महावीर जयंती क्यों मनाई जाती है?

महावीर जयंती जैन समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है क्योंकि यह भगवान महावीर की जयंती का प्रतीक है, जिन्हें जैन धर्म का संस्थापक माना जाता है। भगवान महावीर की अहिंसा, सत्यता, ब्रह्मचर्य और त्याग की शिक्षाओं का दुनिया पर गहरा प्रभाव पड़ा है और उनके सिद्धांत दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं। इसलिए इसे हर साल मार्च या अप्रैल के महीने में मनाया जाता है।

कौन कहलाए तीर्थंकर 

जैन धर्म में तीर्थंकर का अभिप्राय उन 24 दिव्य महापुरुषों से है जिन्होंने अपनी तपस्या से आत्मज्ञान को प्राप्त किया और अपनी इंद्रियों और भावनाओं पर पूरी तरह से विजय प्राप्त की।

इसलिए नहीं करते वस्त्र धारण

अपनी तपस्या के दौरान भगवान महावीर ने दिगंबर रहना स्वीकार कर लिया, दिगंबर मुनि आकाश को ही अपना वस्त्र मानते हैं इसलिए वस्त्र धारण नहीं करते हैं। जैन मान्यता है कि वस्त्र विकारों को ढकने के लिए होते हैं और जो विकारों से परे हैं, ऐसे मुनि को वस्त्रों की क्या जरूरत है।

ऐसे मिला केवल ज्ञान

भगवान महावीर के प्रारम्भिक तीस वर्ष राजसी वैभव एवं विलास के दलदल में कमल के समान रहे। उसके बाद बारह वर्ष घनघोर जंगल में मंगल साधना और आत्म जागृति की आराधना में वे इतने लीन हो गए कि उनके शरीर के कपड़े गिरकर अलग होते गए। भगवान महावीर की बारह वर्ष की मौन तपस्या के बाद उन्हें ‘केवलज्ञान ‘ प्राप्त हुआ । केवलज्ञान प्राप्त होने के बाद तीस वर्ष तक महावीर ने जनकल्याण हेतु चार तीर्थों साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका की रचना की।

महावीर के सिद्धांत

भगवान महावीर का आत्म धर्म जगत की प्रत्येक आत्मा के लिए समान था। उनका कहना था कि हम दूसरों के प्रति भी वही व्यवहार व विचार रखें जो हमें स्वयं को पसंद हों। यही उनका ‘ जीयो और जीने दो ‘ का सिद्धांत है। उन्होंने न केवल इस जगत को मुक्ति का सन्देश दिया, अपितु  मुक्ति की सरल और सच्ची राह भी बताई। आत्मिक और शाश्वत सुख की प्राप्ति हेतु सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अचौर्य और ब्रह्मचर्य जैसे पांच मूलभूत सिद्धांत भी बताए। इन्हीं सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारकर महावीर ‘ जिन ‘ कहलाए। जिन से ही ‘जैन’ बना है अर्थात जो काम, तृष्णा, इन्द्रिय व भेद जयी है वही जैन है।

उनकी दृष्टि में हिंसा

भगवान महावीर ने अपनी इन्द्रियों को जीत लिया और जितेंद्र कहलाए। उन्होंने शरीर को कष्ट देने को ही हिंसा नहीं माना बल्कि मन, वचन व कर्म से भी किसी को आहत करना उनकी दृष्टि से हिंसा ही है।

सबको क्षमा करना

क्षमा के बारे में भगवान महावीर कहते हैं- ‘मैं सब जीवों से क्षमा चाहता हूं। जगत के सभी जीवों के प्रति मेरा मैत्री भाव है। मेरा किसी से वैर नहीं है। मैं सच्चे हृदय से धर्म में स्थिर हुआ हूं। सब जीवों से मैं सारे अपराधों की क्षमा मांगता हूं। सब जीवों ने मेरे प्रति जो अपराध किए हैं, उन्हें मैं क्षमा करता हूं।

महावीर स्वामी के शरीर में 1008 उत्तम चिन्ह थे

भगवान महावीर स्वामी के शरीर की ऊंचाई 7 फुट थी। रंग पीला स्वर्ण जैसा था। सवार्ंग सुंदर उनकी आकृति थी। सुगंधित श्वास था। अछ्वुत रूप अतिशय बल एवं मधुर वाणी थी। उस शरीर में 1००8 उत्तम चिन्ह थे। वैशाख शुक्ला दशमी के दिन ऋजुकला नदी के तट पर वीर प्रभु को केवल ज्ञान हुआ। समवशरण की रचना हुई तथा कार्तिक कृष्णा अमावस्या के दिन महावीर भगवान पावापुरी के पदम सरोवर नामक स्थान से मोक्ष पधारे।

महावीर स्वामी के पांच सिद्धांत-

1.  जिस प्रकार धागे से बंधी (ससुत्र) सुई खो जाने से सुरक्षित है, उसी प्रकार स्व-अध्ययन (ससुत्र) में लगा व्यक्ति खो नहीं सकता है।

2. वो जो सत्य जानने में मदद कर सके, चंचल मन को नियंत्रित कर सके, और आत्मा को शुद्ध कर सके उसे ज्ञान कहते हैं।

3. हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया रखो, घृणा से विनाश होता है

4. सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं , और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं।

5. आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है , न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है।

महावीर जी के अनमोल विचार (Mahavir Jayanti Quotes)

  • महावीर जी ने अपने विचारों दारा सभी को आकर्षित किया, चाहे वह अमीर हो या गरीब, राजा हो या आम आदमी, पुरुष हो या फिर महिला। भगवान महावीर जी ने ‘जियो और जीने दो’ का संदेश दिया है।
  • महावीर जी कहते हैं कि किसी आत्मा की सबसे बड़ी उसके द्वारा अपने असल रूप को न पहचानना होता है। इस गलती को केवल आत्म ज्ञान की प्राप्ति से ही ठीक किया जा सकता है।
  • हर जीवित प्राणी के प्रति दया का भाव रखना ही अहिंसा है। घृणा का भाव रखने से मनुष्य का विनाश के अलावा कुछ नहीं मिलता।
  • आत्मा इस संसार में अकेली ही आती है और अकेली चली जाती है।
  • करुणा और दया ही हमें सच्चे मानव बनाती है। वहीं इसके विपरीत घृणा न केवल स्वयं को दुख देती है, बल्कि दूसरों को भी कष्ट पहुंचाती है।

महावीर जयंती से जुड़े तथ्य 

Mahavir Jayanti in Hindi से जुड़े तथ्य कुछ इस प्रकार है:

  • महावीर जयंती जो भगवान महावीर की जयंती भी है, मुख्य रूप से जैन समुदाय के बीच, राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों में भी मनाई जाती है।
  • जिस स्थान पर महावीर का जन्म हुआ उसे अहल्या भूमि कहा जाता है।
  • उन्होंने 30 साल की उम्र में अपना परिवार और राज्य छोड़ दिया था।
  • बिहार में वैशाली, जिसे महावीर का जन्मस्थान माना जाता है, इस शुभ दिन को भव्य तरीके से मनाता है। इस अवसर को वैशाली महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
  • महावीर की साधना 12 वर्ष तक चली।
  • महावीर जयंती की सुबह, विभिन्न भव्य जुलूस आयोजित किए जाते हैं। इस दिन आप भगवान महावीर की छवियों वाले भव्य रथ देख सकते हैं।
  • इस दिन जैन मंदिरों को खूबसूरती से सजाया जाता है और इसमें सभी तीर्थंकरों की छवियां शामिल होती हैं।
  • भारत के कुछ प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल जहां महावीर जयंती भव्य तरीके से मनाई जाती है, वे हैं पालीताना, रणकपुर, श्रवणबेलगोला, दिलवाड़ा मंदिर, खंडगिरि गुफाएं और उदयगिरि गुफाएं।

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