परिशिष्ट - अनुवाद के लिए कुछ गद्यांश

श्यामा पत्र लिखती है। रमेश आम (आम्रं ) खाता है। तुमलोग कहाँ जाते हो ? वह रामायण पढ़े। मैं ध्यान से पढ़ता हूँ। तुझे संस्कृत (संस्कृतं) पढ़नी चाहिए। सीता अशोकवन में थी। नन्दन के साथ राम घर जाएगा।

परिशिष्ट - अनुवाद के लिए कुछ गद्यांश

परिशिष्ट - अनुवाद के लिए कुछ गद्यांश

  1. श्यामा पत्र लिखती है। रमेश आम (आम्रं ) खाता है। तुमलोग कहाँ जाते हो ? वह रामायण पढ़े। मैं ध्यान से पढ़ता हूँ। तुझे संस्कृत (संस्कृतं) पढ़नी चाहिए। सीता अशोकवन में थी। नन्दन के साथ राम घर जाएगा।
  2. पेड़ से पत्ते गिरते हैं। दशरथ अयोध्या के राजा थे। जल में चन्द्रमा (चन्द्रं) देखो। मोहन पिता के साथ घर गया। हमलोग कल नाटक (नाटकं) देखेंगे। लड़के पाठशाला जाएँगे। अरुण सातवें वर्ग में पढ़ता है।
  3. मैं घर जाना (गृहं गन्तुम्) चाहता हूँ। नदी बहती है। रावण लंका का राजा था। तू यहाँ क्या करता है? वे दोनों स्कूल गए। मैं रात को दूध-भात (दुग्धं भक्तं च) खाता हूँ। वह बैठकर (उपविश्य) पढ़ती है। गरीबों को धन दो।
  4. लक्ष्मण राम के प्रिय भाई थे । बच्चा (शिशु :) दूध पीता था। घर में दीप जलता है। सीता मुनि के आश्रम में थी। घोड़े मैदान में तेजी से (वेगेन) दौड़ते हैं। तुम दोनों घर जाओ। सदा सत्य बोलो । भाई घर में नहीं है। मैं कहाँ रहूँगा ?
  5. वह दाल-भात खाएगा। तुम कहाँ रहोगे? कुएँ से जल लाओ। सुग्रीव राम के मित्र थे। खेत में फसल (शस्यम्) है। मैं घर जाकर पढूँगा। दूसरे का धन मत (मा) हरो। वह युद्ध में जीतेगा। दिनेश कल मुंगेर गया। सुरेश रामायण पढ़ेगा।
  6. वे कमल के फूल हैं। तुम जल्द उठ जाओ । इस कुएँ में पानी नहीं है। दो काले कुत्ते घूमते हैं। ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। आजकल मेघ नहीं बरसते हैं। दूध लाओ। बगीचे में लड़कियाँ फूल सूँघती हैं।
  7. वे मीठे फल हैं। वह मुंगेर जाएगा। ध्यान से पढ़ो। वह खाकर आएगा। प्रतिदिन रामायण पढ़नी चाहिए । देश स्वतन्त्र हो गया। देखो, आँधी (वात्या) आ गई। दो लड़कियाँ पाठशाला जाती हैं। लड़के पढ़ने (पठितुम् ) गए।
  8. अयोध्या के राजा राम थे। राम की पत्नी सीता थीं। सीता के दो पुत्र थे - लव और कुश। राम के साथ लव-कुश का युद्ध हुआ । वे सब वाल्मीकि मुनि के आश्रम में थे। राम के मित्र सुग्रीव किष्किन्धा में रहते थे (वसतिस्म) ।
  9. श्रम के बिना विद्या नहीं होती है। सीता कलम से (कलमेन) पत्र लिखती थी | मेरी माता रोटी पकाती है ( पचति) । तुम कल कहाँ गए थे ? प्रातः काल भ्रमण करना चाहिए। मेरे पिताजी कल काशी जाएँगे। तुम्हारे वर्ग में कितने (कति) छात्र हैं? वे लोग वहाँ कथा सुनते हैं। मन्त्रियों ने (मन्त्रिणः) अपना पद ग्रहण किया है।
  10. मेरे वर्ग में पचास छात्र हैं। तुम यहाँ बैठकर क्या करते हो? हरि के आने पर (हरौ आगते) मैं जाऊँगा। क्या तुम्हें मिठाई (मिष्टान्नं) पसन्द नहीं (न रोचते)? मेरे पिताजी काशी में रहते हैं। राजा दरिद्रों को धन देते हैं। चावल से भात होता है। गुरु को प्रणाम करना चाहिए। लड़के गेंद (कन्दुकं) खरीदते हैं। पिता के साथ रमेश घर गया।
  11. बिना दुःख के सुख नहीं मिलता। सुख सब चाहते हैं, किन्तु दुःख कोई भी (कश्चिदपि) नहीं। दुःख में लोग ( जनाः ) ईश्वर का स्मरण करते हैं, सुख में सब भूल जाते हैं (विस्मरन्ति) । अच्छे मित्र के साथ संगति करनी चाहिए। मित्र का विछोह (वियोगः) असह्य होता है।
  12. घर के मालिक ने चोरों को डंडे से पीटा (अताडयत्) । वे गुरुजन को प्रणाम करेंगे। रमेश परसों (परश्वः) बंगाल जाएगा। इस वर्ष (ऐषमः) अच्छी वर्षा नहीं हुई। इसलिए फसलें (शस्यानि) अच्छी नहीं हैं। उस नदी में मछलियाँ हैं। वे लोग इस गाँव से चले गए। तुम यहाँ रहो।
  13. गाय हमें दूध देती है। माली (मालाकारः) फूल चुनता था । राजा प्रजा का पालन करता है। गुरु शिष्य से पूछते हैं। विद्वान् की पूजा करनी चाहिए। तुम क्यों नाचते हो? वह कल घर नहीं जाएगा। रघु खेत बेचकर (विक्रीय) आया। आपकी बात वह नहीं सुनेगा। जगत् में वीर ही जीतते हैं।
  14. मैं पानी पीना चाहता हूँ। अब तुम घर जाओ। सूर्य डूबते (अस्तंगते सूर्ये) वह आ गया। यहाँ दो घोड़े दौड़ते हैं। हरि का छोटा भाई मेरे साथ पढ़ता है । मोहन कल (श्वः) काशी जाएगा। काशी में विश्वनाथजी का मन्दिर है। ध्यान से संस्कृत पढ़नी चाहिए।
  15. वे कल मुंगेर से आएँगे । रमा भात - दाल खाती है। मेरे पास रामायण नहीं है। तुम सुरेश के साथ घर जाओ | पटना कौन (कः) जाएगा? बकरियाँ मैदान में चरती हैं। क्या वह आज नहीं आएगा?
  16. प्रातःकाल प्रत्येक दिन टहलना चाहिए। वह (तत्) फूल अच्छा नहीं है। वे पत्ते हरे (हरितानि) हैं। वह बाघ से डरता है। सुरेन्द्र साँप को डंडे से (लगुडेन) मारता है। लड़के आज पढ़ने (पठितुम्) नहीं गए। हमलोग सबेरे जाएँगे।
  17. उसको पाठ याद करना चाहिए (स्मरेत् ) तुमलोग यहीं बैठो। जो मेहनत करेगा वह सफल होगा। स्त्रियाँ (स्त्रीयः) कथा सुनकर (श्रुत्वा) घर आईं । तुमलोग वहाँ जाकर क्या करोगे? मैंने आपकी (भवतः) बात सुनी। क्या उसके हाथ में रामायण है ?
  18. बड़ों को प्रणाम करना चाहिए । वह किसी (कस्मिंश्चित्) ऊँचे स्थान पर बसेगा। सबकी बात (वचन) सुननी चाहिए। क्या मेरे साथ तुम घर चलोगे? हाँ (आम्), आपके साथ चलूँगा । वह कल आया। सड़क पर घोड़े दौड़ते हैं।
  19. उस विद्यालय में कितने छात्र पढ़ते हैं? अष्टम वर्ग में सौ (शत) लड़के पढ़ते हैं। उसे दूध अच्छा नहीं लगता। मैं पुस्तक खरीदूंगा । उस पुस्तक में कितने पृष्ठ हैं? किसान भूखे को (बुभुक्षिताय) अन्न देता है। खेत की फसल नष्ट हो गई।
  20. हमलोग भारतवर्ष में रहते हैं। भारत की भूमि हमारी मातृभूमि है। मैं मातृभूमि को प्रणाम करता हूँ। भारत के उत्तर में (उत्तरस्यां ) हिमालय है। हिमालय से अनेक नदियाँ निकलती हैं। उनमें (तासु) गंगा प्रमुख है। गंगा के किनारे अनेक नगर हैं। 
  21. बिहार में अनेक विद्वान् उत्पन्न हुए | हम बिहार राज्य के निवासी हैं। यहाँ की धरती उपजाऊ (उर्वरा) है। अशोक मगध के सम्राट थे | उसका वहाँ जाना (गमनम्) ठीक नहीं है। लड़के खाकर स्कूल जाएँ | सब सुखी (सुखिनः) होवें।
  22. वसंत में कोयल कूकती है (कूजति) । इस (अस्याः) नदी का जल निर्मल है। तालाब में कमल के फूल खिले हुए हैं (विकसितानि सन्ति ) | दीप जलते हैं (ज्वलन्ति)। लड़के विद्यालय से घर गए। शोक मत (मा) करो । जाते हुए (गच्छन्तः) लड़के गिर पड़े। 
  23. जीत में पागल (उन्मत्तः) नहीं होना चाहिए। वे बैठकर (उपविश्य) अखबार (समाचारपत्रम्) पढ़ते हैं। पेड़ से पके (पक्वानि ) फल गिर गए। लता में हरे (हरितानि) पत्ते हैं। तुमलोग रामायण पढ़ो | उस (तस्याः) पाठशाला में लड़कियाँ पढ़ती हैं।
  24. सत्य की जीत हमेशा (सदा) होती है। जीवन में श्रम का बहुत महत्त्व है | सत्यवादी सबका प्यारा (प्रियः) होता है। हरिश्चन्द्र सत्यवादी राजा थे। सज्जनों की सम्पत्ति परोपकार के लिए (परोपकाराय) होती है। पूरब मुँह होकर (पूर्वाभिमुखः) पूजा करो । वे अपना पाठ याद करें (स्मरन्तु ) ।
  25. गाँधीजी राष्ट्रपिता थे। उन्होंने सत्य और अहिंसा का सहारा (आश्रयं) नहीं छोड़ा (अत्यजत्) । वे स्वाधीनता संग्राम के महान् योद्धा थे। उनके सतत प्रयास से देश स्वतंत्र हुआ। उनकी पत्नी कस्तूरबा थी । गाँधीजी की वाणी आज भी (अद्यापि) अमर है। वस्तुतः वे युगपुरुष थे।
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