General Competition | Indian Polity | स्थानीय स्वशासन (Local Self Goverment )

इसके अंतर्गत हमें पंचायती राजव्यवस्था और नगर निगम के विषय में पढ़ना होता है ।

General Competition | Indian Polity | स्थानीय स्वशासन (Local Self Goverment )

General Competition | Indian Polity | स्थानीय स्वशासन (Local Self Goverment )

★ इसके अंतर्गत हमें पंचायती राजव्यवस्था और नगर निगम के विषय में पढ़ना होता है ।
★ प्राचीन काल से ही भारत में स्थानीयं सतर पर शासन - प्रशासन के प्रमाण मिले हैं।
★ चोल काल के शासन-प्रशासन की सबसे बड़ी विशेषता ग्राम प्रशासन था ।
★ भारत में स्थानीय स्वाशासन का जनक लार्ड रिपन को माना जाता है।
★ मूल संविधान में राज्य के नीति निदेशक तत्व के अंतर्गत अनुच्छेद- 40 में ग्राम पंचायत के गठन की बात की गई है।
★ संविधान लागू होने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को लेकर 2 अक्टूबर 1952 को सामुदायिक विकास कार्यक्रम और 1953 ई0 में राष्ट्रीय विस्तार सेवा का गठन किया गया। लेकिन ये दोनों संगठन अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में असफल हो गया, इसकी असफलता की जाँच हेतू 1957 ई0 में बलवंत राय मेहता कमिटि का गठन किया गया।
★ महात्मा गाँधी स्थानीय स्वशासन के प्रबल समर्थक थें । वहीं डॉ० भीम राव अम्बेडकर स्थानीय स्वशासन के विरोधी थें ।
बलवंत राय मेहता कमिटि :-
इस कमिटि को पंचायती राजव्यवस्था का वास्तुकार माना जाता है। इस कमिटि का गठन जनवरी 1957 में हुआ था । यह कमिटि अपनी रिपोर्ट नवंबर 1957 में प्रस्तुत की । इस रिपोर्ट को राष्ट्रीय विकास परिषद ने 1958 ई0 में स्वीकार किया। इस कमिटि की प्रमुख सिफारिशें निम्न है:- 
(1) पंचायती राजव्यवस्था को त्रीस्तरीय बनायी जानी चाहिए। जिसमें
     (क) ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत
     (ख) ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति और
     (ग) जिला स्तर पर जिला परिषद का गठन होना चाहिए । 
(2) जन भगीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए ।
नोटः- देश में सर्वप्रथम पंचायती राजव्यवस्था का उदघाटन राजस्थान के नागौर जिला में 2 अक्टूबर 1959 को प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के द्वारा किया गया था। राजस्थान के बाद पंचायती राज का उदघाटन 11 अक्टूबर 1959 को आंध्रप्रदेश के महबूब नगर जिला में किया गया।
(3) पंचायती राजव्यवस्था शक्ति के विकेंद्रीकरण को बढ़ावा देता है।
अशोक मेहता कमिटि :-
जनता पार्टी सरकार के अंतर्गत प्रधानमंत्री मौरारजी देशाई के द्वारा- अशोक मेहता की . अध्यक्षता में कमिटि गठित किया गया जिसे अशोक मेहता कमिटि कहा गया। इस कमिटि का गठन दिसम्बर 1977 में हुआ था । यह कमिटि अपनी सिफारिशें अगसत 1978 में प्रस्तुत किया । इस कमिटि के द्वारा निम्न प्रकार के सिफारिशें की गई:-
(1) पंचायती राजव्यवस्था को दो स्तरीय बनाया जाना चाहिए। पहला (1) प्रत्येक 15 हजार ग्रामीण जनसंख्या पर मंडल पंचायत का गठन होना चाहिए। दूसरा (2) जिला स्तर पर जिला परिषद का गठन होना चाहिए ।
(2) पंचायती राजव्यवस्था को संवैधानिक दर्जा दी जानी चाहिए ।
(3) दल गत आधर पर पंचायती राज का चुनाव होना चाहिए ।
राजीव गाँधी (1984-89):-
प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने पंचायती राजव्यवस्था को सशक्त बनाने हेतू हर संभव प्रयास किया । इन्हीं के शासनकाल के दौरान पंचायती राजव्यवस्था को लेकर 1985 ई0 में G.B.K_ राव समिति, 1986 ई0 में L. M सिंघवी समिति, 1988 ई० में थुंगल और गॉडगिल कमिटि तथा 1989 ई० में 64वाँ और 65वाँ संविधान संसोधन विधेयक लाया गया।
G.B.K राव समिति ने निम्न सिफारिशें की :-
(1) जिला स्तर पर जिला विकास आयुक्त की नियुक्ति की जानी चाहिए।
(2) S.C, S.T, OBC और महिला को उचित प्रतिनिधित्व मिलनी चाहिए।
(3) योजना के निर्माण में विकेंद्रीकरण की प्रवृत्ति को अपनाई जानी चाहिए।
नोटः- पंचायती राजव्यवस्था और नगर पालिका को संवैधानिक दर्जा देने हेतू पहली बार क्रमशः 64वाँ और 65वाँ संविधान संसोधन विधेयक लाया गया जिसे भारत की संसद पारित नहीं कर सकीं ।
★ L.M सिंघवी कमिटि के सिफारिश पर 73वाँ संविधान संसोधन 1992 के तहत् पंचायती राजव्यवस्था को संवैधानिक दर्जा दिया गया। 73वाँ संविधान संसोधन विधेयक को लोकसभा ने 22 दिसम्बर 1992 को और राज्यसभा 23 दिसम्बर 1992 को पारित किया तथा राष्ट्रपति ने स्वीकृति 20 अप्रैल 1993 को दिया। इसके ठीक 4 दिन बाद 24 अप्रैल 1993 को 73वाँ संविधान संसोधन लागू कर दिया गया। इस प्रकार पंचायती राजव्यवस्था को संवैधानिक दर्जा 73वाँ संविधन संसोधन के तहत् प्रदान किया गया। प्रत्येक वर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाया जाता है।
★ 73वाँ संविधान संसोधन 1992 के तहत् भारतीय संविधान में 11वीं अनुसूची जोड़ते हुए पंचायती राज को शामिल किया गया तथा 29 विषय पंचायती राज को काम करने हेतू दियें गयें ।
नोट:- (1) भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जहाँ त्रीस्तरीय शासन प्रणाली देखने को मिलता है।
(2) भारतीय संघात्मक व्यवस्था में तृतीय तल 1992 में जोडत्रे गए। जबकि यह लागू 1993 में हुआ ।
★ पंचायती राजव्यवस्था को जब संवैधानिक दर्जा दिया गया था तो उस समय हमारे देश के प्रधानमंत्री पी० वी० . नरसिम्हा राव थें ।
★ मेघालय, नागालैंड, मिजोरम और दिल्ली ऐसे राज्य और केंद्रशासित प्रदेश हैं जहाँ पंचायती राजव्यवस्था लागू नहीं होते हैं।
★ पंचायती राजव्यवस्था के अंतर्गत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष होनी चाहिए ।
★ पंचायतों का कार्यकाल ग्राम सभा की प्रथम बैठक से 5 वर्षो का होता है।
★ पंचायत के भंग होने पर 6 माह के भीतर चुनाव कराया जाना आवश्यक है लेकिन अगर कार्यकाल के पूरा होने में 6 माह का समय बाँकी हो तो फिर बचे हुए समय के लिए नया चुनाव नहीं करवाया जाता है।
★ पंचायत भंग होने की स्थिति में जो नया चुनाव होता है वह बचें हुए समय के लिए होता है ना कि पुरें 5 वर्ष के लिए ।
★ पंचायत के लिए चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा करवाया जाता है। इसका गठन अनुच्छेद- 243(K) के तहत् होता है। राज्य निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राज्यपाल करता है।
★ अनुच्छेद - 243 (E) के तहत् पंचायती राजव्यवस्था में आरक्षण का प्रावधान करता है। पंचायती राजव्यवस्था में S.C, S.T, OBC और महिला सभी को आरक्षण प्राप्त है ।
★ पंचायती राजव्यवस्था में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण का प्रावधान किया गया है। राज्य विधानमंडल आरक्षण की इस सीमा को आगे बढ़ा सकती है लेकिन घटा नहीं सकती है।
★ बिहार देश का प्रथम राज्य बना जिसने महिलाओं को 50 प्रतिशत तक पंचायती राजव्यवस्था में आरक्षण दिया ।
★ अनुच्छेद - 243 (I) के तहत् राज्य वित्त आयोग का गठन किया जाता है । इस आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा किया जाता है ।
★ पंचायतों के विकास हेतू धन राशी राज्य की संचित निधि से आबंटित की जाती है ।
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