General Competition | Economics & Economy | बैंकिग एवं मौद्रिक नीति

बैकिंग, वर्तमान समय में किसी भी देश के आर्थिक विकास का आधारशिला है। बैंक (Bank) शब्द का प्रारंभ कब से हुआ यह एक रहस्यमय विषय है।

General Competition | Economics & Economy | बैंकिग एवं मौद्रिक नीति

General Competition | Economics & Economy | बैंकिग एवं मौद्रिक नीति

  • बैकिंग, वर्तमान समय में किसी भी देश के आर्थिक विकास का आधारशिला है। बैंक (Bank) शब्द का प्रारंभ कब से हुआ यह एक रहस्यमय विषय है।
  • पुराने समय इटली के व्यापारी जो पैसों का लेन-देन कारोबार करता था उसे Banchi अथवा Bancheri कहा जाता था, माना जाता है कि Banchi शब्द से है बैंक (Bank) शब्द की उत्पत्ति हुई ।
  • बैंक वह वित्तीय संस्था है जो लोगों के रूपये का अपने पास जमा के रूप में स्वीकार करती है और उनको उपभोग अथवा निवेश के लिए उधार देती है।
  • भारतीय बैकिंग कंपनी एक्ट में बैकिंग को निम्न रूप से परिभाषित किया गया है-
    "बैंकिंग कम्पनी वह है जो बैंकिंग का कार्य करती है। बैंकिंग कार्य का अर्थ है, उधार देने अथवा निवेश हेतु जनता से जमा हेतु मुद्रा स्वीकार करना तथा जनता द्वारा भुगतान माँगने पर चेक, ड्राफ्ट या अन्य प्रकार से भुगतान करना । "

बैंकों के प्रकार (Types of Banks)

1. वाणिज्यिक बैंक (Commercial Bank)
  • यह बैंक मुख्य रूप से जनता का जमा स्वीकार करके उत्पादकों या व्यापारियों को अल्पकालीन व मध्यकालीन ऋण देती है।
  • यह बैंक अपने ग्राहकों के लिए कई प्रकार के ऐंजसी का कार्य भी करते हैं। जैसे - रूपया भेजना, शेयर की खरीद-बिक्री, बीमा किस्त जमा करना आदि। 
  • यह बैंक प्राय: जनता के जमा राशि पर कम ब्याज देती है तथा ऋणों पर अधिक ब्याज लेती है।
  • भारत में दो प्रकार क वाणिज्यिक बैंक कार्य कर रहे हैं--
    1. विदेशी वाणिज्यिक बैंक (Foreign Commercial Banks)
      • ऐसे बैंक जिसकी उत्पत्ति विदेशों में हुई, उसका मुख्यालय अन्य देश में है लेकिन उनकी शाखाएं भारत में स्थित है विदेशी वाणिज्यिक बैंक कहलाते हैं।
      • विदेशी वाणिज्यिक बैंक, विदेशी विनिमय (Foreign Exchang) का भी काम करते हैं ।
      • भारत में स्थित प्रमुख विदेशी वाणिज्यिक बैंक-
        1. Standard Charterad Bank मुख्यालय- लंदन (ग्रेट ब्रिटेन)
        2. Citi Bank मुख्यालय- न्यूयार्क (यू.एस.ए.)
        3. HSBC Bank मुख्यालय- लंदन (ग्रेट ब्रिटेन)
        4. Berclays Bank मुख्यालय- लंदन (ग्रेट ब्रिटेन)
        5. Bank of America मुख्यालय - Charlotte (USA)
        6. DBS Bank मुख्यालय- सिंगापुर
    2. भारतीय वाणिज्यिक बैंक (Indian Commercial Banks)
      • जिन बैंक की स्थापना भारत में हुई उसे भारतीय वाणिज्यिक बैंक कहते हैं। यह बैंक दो तरह के हो सकते हैं।
  1. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (Public Sectors Bank)
    • इन बैंकों का कम से कम 51% स्वामित्व सरकार के पास होता है। सार्वजनिक क्षेत्रों की बैंकों की संख्या पहले 21 थी। 21 सार्वजनिक बैंक में IDBI Bank Ltd. तथा SBI शामिल है।
    • हाल में केन्द्र सरकार ने देश की जीडीपी में वृद्धि तथा भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन बनाने हेतु 10 सरकारी बैंकों का आपस में विलय कर दिया है, इसके पश्चात् भारत में सार्वजनिक या सरकारी बैंकों की संख्या मात्र 12 (IDBI Bank Ltd. को छोड़कर) रह गयी है।
    • विलय होने वाला बैंक-
      • पंजाब नैशनल बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स तथा यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय हो गया है।
      • कैनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक का आपस में विलय हुआ है।
      • यूनियन बैंक आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का आपस में विलय हुआ है।
      • इंडियन बैंक, इलाहाबाद बैंक का विलय हुआ है।
    • सार्वजनिक बैंक -
      1. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, मुख्यालय - मुंबई, स्थापना- 1 जुलाई, 1955
      2. पंजाब नेशनल बैंक मुख्यालय- नई दिल्ली, स्थापना- 1894
      3. बैंक ऑफ बड़ौदा, मुख्यालय - बरोदड़ा (गुजरात), स्थापना- 20 जुलाई, 1908 
      4. केनरा बैंक, मुख्यालय - बेंगलुरू, स्थापना- 1906
      5. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, मुख्यालय - मुंबई, स्थापना- 11 नवंबर, 1919
      6. बैंक ऑफ इंडिया, मुख्यालय - मुंबई, स्थापना- 7 सितम्बर, 1906
      7. इंडियन बैंक, मुख्यालय- चेन्नई, स्थापना- 15 अगस्त, 1907
      8. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, मुख्यालय- मुंबई, स्थापना- 21 दिसंबर, 1911
      9. इंडियन ओवरसीज बैंक, मुख्यालय- चेन्नई, स्थापना- 10 फरवरी, 1937
      10. यूको बैंक, मुख्यालय- कोलकाता, स्थापना- 6 जनवरी, 1943
      11. बैंक ऑफ महाराष्ट्र, मुख्यालय- पूणे, स्थापना- 1935
      12. पंजाब एंड सिंध बैंक, मुख्यालय- नई दिल्ली, स्थापना- 24 जून, 1908
    • भारतीयों द्वारा स्थापित प्रथम भारतीय बैंक अवध कॉमर्शियल बैंक था जिसकी स्थापना 1881 में हुई थी।
    • पूर्ण रूप से भारतीयों द्वारा भारतीयों के पैसों से स्थापित भारत का पहला बैंक पंजाब नेशनल बैंक था जिसकी स्थापना 1894 में हुई थी।
    • भारत में 19 जुलाई, 1969 को 14 बड़े व्यावसायिक बैंकों तथा 15 अप्रैल, 1980 को छ: बड़े व्यावसायिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था।
  2. निजी क्षेत्र के बैंक ( Private Sectors Bank)
    • निजी क्षेत्र के बैंक वे बैंक हैं जिनपर निजी क्षेत्र या व्यक्तियों का स्वामित्व होता है।
    • इन बैंकों पर किसी व्यक्ति का उतना ही नियंत्रण होता है जितने उसके पास शेयर होते हैं।
      • प्रमुख निजी क्षेत्र के बैंक-
        1. Axis Bank
        2. Indusland Bank
        3. HDFC Bank
        4. Bandhan Bank
        5. Kotak Mahindra Bank
        6. Yes Bank 
        7. ICICI Bank
        8. Federal Bank
        9. DCB Bank
        10. RBL Bank 

व्यापारिक बैंक के कार्य (Functions of Commercial Bank)

  • व्यापारिक बैंक के कार्य को तीन भागों में बांटा जाता है। 1. प्राथमिक कार्य, 2. गौण कार्य तथा 3. इलेक्ट्रॉनिक बैकिंग कार्य सेवाए।
  • व्यापारिक बैंक के दो प्राथमिक कार्य हैं जमा स्वीकार करना तथा ऋण देना ।
  • व्यापारिक बैंक जनता के धन को जमा स्वीकार करता है। बैंक जमा करने हेतु कई प्रकार के खाता (Account) होते हैं। बैंक में निम्न प्रकार के खाते होते हैं-
  1. सावधि जमा खाता (Fixed Deposite Account)
    • इस खातों में एक निश्चित अवधि के लिए रुपया जमा किया जाता है। यदि जमाकर्त्ता को अपनी रकम की आवश्यकता, अवधि पूर्ण होने से पहले पड़ जाती है तो कुछ कटौती या ब्याज काट कर बैंक उस रकम को लौटा देता है।
    • इस खाते के जमा पर बैंक अधिक ब्याज देती है प्रायः जमा की अवधि जितनी लम्बी होती है ब्याज उतना अधिक होता है।
    • इस खाते में जमा रकम को बैंक की सावधि देनदारी (Time Liability) कहते हैं ।
  2. चालू जमा खाता (Current Deposite Account)
    • इस खातों में जमाकर्त्ता जितनी बार चाहे रुपया जमा कर सकता है और कभी भी रुपया निकाल सकता है।
    • यह खाता सामान्यतः व्यापारी वर्ग रखते हैं तथा रुपया प्रायः चेक द्वारा निकलवाया जाता है। अमेरिका में इस खांता को चेक खाता कहा जाता है।
    • साधारणत: बैंक इस खातों के जमा पर ब्याज नहीं देता है और यदि जमा रकम न्यूनतम आवश्यक राशि से कम है तो बैंक कुछ सेवा चार्ज वसूल करती है।
  3. बचत जमा खाता (Saving Deposite Account )
    • यह खाता लोगों को छोटी-छोटी बचतों को प्रोत्साहन देने के लिए होता है।
    • इस खाते में जमा राशि पर बैंक बहुत कम ब्याज देती है।
    • इस खाते में जमा राशि को बैंक की माँग देनदारी कहा जाता है।
  4. आवर्ती जमा खाता (Recurring Deposite Account)
    • इस प्रकार के खाते में जमाकर्ता एक निश्चित समय के लिए प्रतिमास निश्चित रकम जमा करता है।
    • इस खातों में अन्य सभी खातों क तुलना में बैंक अधिक व्याज देती है।
    • इस खाते में जमा राशि की बैंक की काल देनदारी ( Time Liability) कहते हैं।
    • विभिन्न खातों में जमा राशि पर ब्याज दर का निर्धारण पहले RBI करता है परन्तु अब यह अधिकार व्यापारिक बैंक को दे दिया गया है। परन्तु ब्याज दर की ऊपरी सीमा का निर्धारण RBI ही करता है।
    • इस खाते में जमा राशि को बैंक की माँग देनदारी (Demand Liability) कहते हैं।
  • बैंक का दूसरा प्रमुख कार्य है लोगों को ऋण देना । ऋण देने हेतु बैंक जमानत की माँग करते हैं तथा ऋण की राशि जमानत से कम होती है। व्यापारिक बैंक निम्न प्रकार के ऋण देते हैं।
    1. नगद शाख (Cash Credit) -
      • इसमें बैंक निश्चित जमानत पर एक निश्चित राशि निकलवाने का अधिकार देता है। ऋणी इसी निश्चित सीमा के अंदर रकम निकालता है और जमा भी करता रहता है।
      • इस व्यवस्था में बैंक वास्तव में निकलवाई गई राशि पर ही प्याज होता है।
    2. अधिविकर्ष (Overdratt) - यह सुविधा चालू खाते वाले ग्राहक को बैंक देता है। जिसमें जमाकर्ता अपने जमा राशि से अधिक राशि निकाल सकता है।
      • बैंक यह सुविधा अल्पकाल के लिए अपने विश्वसनीय ग्राहक को ही देता है सभी चालू खातों वाले ग्राहकों को नहीं ।
    3. मांग ऋण (Demand Loan)-
      • यह ऋण हेतु बैंक अपने ग्राहकों का सावधि जमा, सरकारी प्रतिभूति, जीवन बीमा पत्र आदि जमानत के रूप में रखती है ।
      • इष ऋणों की मांग ऋण इसलिए कहा जाता है क्योंकि बैंक कभी भी इनकी मांग कर सकता है।
    4. अवधि ऋण (Term Loan)-
      • ये ऋण ग्राहकों को निश्चित समय के लिए मशीनरी, ट्रक, स्कूटर, मकान आदि खरीदने के लिए प्रदान करते हैं।
      • इसका भुगतान ग्राहक मासिक त्रैमासिक छ: माही अथवा वार्षिक किस्तों में करते हैं।
  • व्यापारिक बैंक धन जमा करने तथा ऋण देने के अलावे अपने ग्राहकों के एजेन्ट के रूप में भी कार्य करते हैं-
    1. बैंक अपने ग्राहकों की ओर से चैक, किराया, ज्याज इत्यादि एकत्रित करता है और उनकी ओर से करो, बीमा की किश्ते जमा करता है।
    2. ग्राहकों का पैसा बैंक एक जगह से दूसरे जगह भेजता है।
    3. बैंक अपने ग्राहकों के लिए विभिन्न प्रकार के प्रतिभूति खरीदता, बेचता है और उसको सुरक्षित रखता है।
    4. बैंक अपने ग्राहकों के सम्पत्ति का ट्रस्टी तथा प्रबंधक का भी कार्य करता है।

बैंक ड्राफ्ट (Bank Draft)

  • बैंक ड्राफ्ट एक वित्तीय पूर्जा है जिसकी सहायता से धन एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है।
  • बैंक में धन जमा कर कोई भी ड्राफ्ट जारी करवा सकता है तथा ड्राफ्ट का प्राप्तकर्ता अपने स्थान पर जिस बैंक ब्रांच पर ड्राफ्ट लिखा गया है, को ड्राफ्ट प्रस्तुत करके धन एकत्रित कर सकता है।
  • बैंक प्राय: अन्य स्थानों पर अपनी ब्रांच पर ड्राफ्ट जारी करता है परन्तु बैंक किसी अन्य बैंक पर भी ड्राफ्ट जारी कर सकता है बशर्तें उस बैंक से पहले बैंक का समझौता हो ।
  • बैंक ड्राफ्ट जारी करने हेतु बैंक कुछ कमीशन लेता है। बैंक बिना कमीशन भी ड्राफ्ट जारी कर सकता है। यदि ग्राहक से बैंक का बहुत अच्छा संबंध हो ।

पे आर्डर या बैंकर्स चैक (Pay Order or Banker's Cheque)

  • पे आर्डर ऐसे बैंक ड्राफ्ट को कहा जाता है जिसका भुगतान उसी शहर में होता है जहाँ से इसे जारी किया गया है। पे आर्डर को स्थानीय बैंक ड्राफ्ट भी कहा जाता है।
  • व्यापारिक बैंक द्वारा दी जाने वाली प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग सेवाएँ-
  1. इलेक्ट्रॉनिक फण्ड हस्तांतरण (Electronic Fund Transfer or EFT)
    • इस पद्धति में इंटरनेट के इस्तेमाल से रुपया एक खाते से दूसरे खाते में हस्तांतरित किया जा सकता है।
    • EFT के द्वारा ग्राहक के खाते में सीधे वेतन, पेंशन, कमीशन की राशि जमा हो जाती है या उनके खाते से सीधे बिजली बिल, बीमा का किस्त, ऋण का किस्त को हस्तांतरित किया जा सकता है।
  2. स्वचालित टेलर मशीन (Automated Teller Machines or ATM)
    • ATM ऐसी स्वचालित मशीन है जिसमें प्लास्टिक कार्ड (डेबिट या क्रेडिट कार्ड) डालने तथा अपनी व्यक्तिगत पहचान संख्या (PIN) टाईप करके रुपया निकलवाया तथा जमा करवाया जा सकता है।
    • भारत के सभी ATM को जोड़ने वाला नेटवर्क को नेशनल फाइनेंशियल स्विच कहते हैं। इस ATM नेटवर्क का संचालन ‘“भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम" करता है।
    • ATM के प्रकार-
      1. बैंक का ATM - इस ATM का स्वामित्व बैंक के पास होता है और उसका संचालन भी बैंक स्वयं करते हैं। ऐसे ATM में बैंक अपना LOGO लगाते हैं।
      2. ब्राउन लेबल ATM- इस प्रकार के ATM में नगद की व्यवस्था तथा इंटरनेट सर्वर की व्यवस्था बैंक स्वयं करते हैं तथा शेष काम तीसरे पक्ष द्वारा करवाई जाती है । इस ATM पर भी बैंक अपना लोगों (LOGO) लगाते हैं।
      3. व्हाइट लेबल ATM - गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनी द्वारा संचालित ATM को व्हाइट लेबल ATM कहते हैं। इस पर किसी बैंक का लोगों नहीं लगा रहता है।
  3. 3. टेली बैंकिंग (Tele-Banking)
    • इस सुविधा के अंतर्गत बैंक का ग्राहक फोन पर किसी समय अपने खाते का शेष व कुछ अंतिम व्यवहारों की जानकारी प्राप्त कर सकता है।
  4. कोर बैंकिंग (Core Banking)
    • कोर बैंकिंग का पूरा नाम Core Banking Solution (CBS) या centralised Banking Solution (CBS) है।
    • इस पद्धति में ग्राहक एक विशेष ब्रांच में खाता खोल कर पूरे देश में उस बैंक की किसी भी ब्रांच में जाकर अपना बैंकिंग कार्य करवा सकता है।
    • इस पद्धति में ग्राहक ब्रांच का ग्राहक से बैंक का ग्राहक बन जाता है।
  5. राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फण्ड हस्तांतरण (National Electronic Fund Transer- NEFT)
    • इस पद्धति से व्यक्ति, फर्म या कम्पनी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से फण्ड एक बैंक ब्रांच से दूसरी बैंक ब्रांच में भेज सकता है।
    • NEFT में फण्ड को समूहों में निपटाया जाता है तथा निपटाने का काम एक विशेष समय पर किया जाता है।
    • RBI के निर्देशानुसार NEFT सोमवार से शुक्रवार तक प्रत्येक दिन 11 बार निपटाए जाते हैं। निपटान अवधि 9:00 AM से 2:00 निर्धारित की गई है।
    • शनिवार को NEFT व्यवहारों को दिन में 5 बार निपटाया जाता है इस निपटान का समय 9:00 AM से 1:00PM रहता है।
    • NEFT सुविधा के अंतर्गत हस्तांतरित किये जाने वाले धन की कोई न्यूनतम व अधिकतम सीमा नहीं है परंतु धन भेजने वाले ग्राहक का NEFT बैंक ब्रांच में खाता नहीं है तो नगदी क बदले उसके द्वारा हस्तांतरित किए जानेवाले धन की सीमा ₹50,000 है।
    • NEFT सुविधा द्वारा धन भेजने वालों को फीस के साथ सेवाकर देना पड़ता है परंतु धन प्राप्त करने वाले ग्राहक को फीस नहीं देना पड़ता है।
    • NEFT सुविधा द्वारा विदेशों में न तो धन भेजा जा सकता है न ही विदेशों से धन प्राप्त किया जा सकता है।
  6. रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (Real Time Gross Settlement or RTGS)
    • NEFT के तरह RTGS द्वारा भी फण्ड को एक बैंक ब्रांच से दूसरे बैंक ब्रांच में भेजा जाता है परन्तु RTGS पद्धति में फण्ड को समूहों में नहीं बल्कि एक-एक करके स्वतंत्र रूप से निपटाया जाता है।
    • RTGS धन हस्तांतरित करने वाली तीव्रतम पद्धति है परंतु RTGS की सुविधा केवल कोर बैंकिंग सोल्यूशन बैंक ब्रांच पर ही उपलब्ध हो सकती है।
    • RTGS व्यवहारों के लिए न्यूनतम राशि सीमा ₹2 लाख है जबकि अधिकतम राशि की कोई सीमा नहीं है।
    • RBI के निर्देशानुसार RTGS सेवा बैंकों में सोमवार से शुक्रवार 9 AM से 4.30 PM तक तथा शनिवार को 9 AM से 1.30PM तक उपलब्ध रहती है।

IFSC Code

  • इन्डिन फाइनेन्शियल सिस्टम कोड 11 अक्षरों का अल्फान्यूमेरिक कोड है जो NEFT, RTGS, ECS प्रणाली में प्रयोग लाया जाता है।
  • IFSC कोड में 11 अक्षर होता है जिसमें पहला चार वर्णमाला के अक्षर बैंकों के नाम को प्रदर्शित करते हैं तथा अन्तिम छह संख्या अक्षर बैंकों का शाखा प्रदर्शित करता है । पाँचवा अक्षर शून्य होता है जो भविष्य में प्रयोग के लिए आरक्षित होता है।

MICR Code

  • मैग्नेटिक इन्क कैरेक्टर रिक्रागनीशन प्रतीकों को पहचानने वाली टेक्नोलॉजी है जिसका प्रयोग बैंकिंग उद्योग में चेकों में किया जाता है।

SWIFT Code

  • स्विफ्ट (SWIFT - Society for World wide Interbank Financial Tele Communications) एक तरह का मैसेजिंग नेटवर्क है जिसका उपयोग वित्तीय संस्थान जानकारी को सुरक्षित रूप से भेजने के लिए किया करते हैं।
  • SWIFT कोड का उपयोग दो अंतरर्राष्ट्रीय बैंकों के बीच भुगतान के लिए किया जाता है, ठीक उसी प्रकार से जिस प्रकार घरेलू ट्रांजेक्शन हेतु IFSC कोड का उपयोग किया जाता हैं ।
  • SWIFT भुगतान संदेश से जाता है, जिसके आधार पर संबंधित प्रतिष्ठान एक-दूसरे के खातों के माध्यम से आगे की कार्रवाई कर सकते हैं।
  • SWIFT केवल संदेशों को हस्तांतरित करता है न कि धनराशि का ।

व्यापारिक बैंक का वर्गीकरण (Classification of Commercial Bank)

  • देश के व्यापारिक बैंक संस्थानों को निम्नलिखित दो वर्ग में विभाजित किया जा सकता है-
    1. अनुसूचित बैंक (Scheduled Commerical Bank)
      • अनुसूचित बैंक वह बैंक है जिसका नाम रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की अनुसूची द्वितीय में शामिल है।
      • इस अनुसूची में उन्हीं बैंकों को शामिल किया जाता है जो निम्नलिखित शर्तें पूरी करती हैं-
        1. बैंक की प्रदत्त पूंजी और संचित कोष ₹5 लाख से कम न हो ।
        2. भारतीय रिजर्व बैंक को इस बात की संतुष्टि हो कि बैंक का कोई भी क्रियाकलाप जमाकर्ता के हित में हानिकारक नहीं होगा।
    2. गैर अनुसूचित बैंक (Non - Scheduled Commericial Bank)
      • जो बैंक RBI अधिनियम 1934 के अनुसूचि द्वितीय में शामिल नहीं है वह गैर अनुसूचित व्यापारिक बैंक कहलाते हैं।
      • इस तरह के बैंकों की संख्या में अब निरन्तर कमी आ रही है, अब इसकी संख्या नाम मात्र की है।

केन्द्रीय बैंक The Central Bank

  • केन्द्रीय बैंक देश का सर्वोच्च बैंक होता है तथा यह देश के संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली को नियंत्रित करता है। यह बैंक देश के सभी प्रकार के नोट छापता है, सरकार के बैंक का कार्य करता है तथा देश के मुद्रा की पूर्ति को नियंत्रित करता है।
  • भारत में रिवर्ज बैंक, इंग्लैण्ड में बैंक ऑफ इंग्लैंड और अमेरिका में फेडरल रिजर्व सिस्टम केन्द्रीय बैंक है।
  • विश्व का पहला केंद्रीय बैंक 1668 में स्वीडन में स्थापित हुआ था परन्तु वास्तव में केन्द्रीय बैंक का आरंभ सन् 169 इंगलैंड की स्थापना के बाद हुआ। 

भारतीय रिवर्ज बैंक (Reserve Bank of India)

  • रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की स्थापना RBI अधिनियम 1934 के तहत् 1 अप्रैल, 1935 को ₹5 करोड़ की अधिकृत पूँजी से हुई थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद | जनवरी 1949 को रिवर्ज बैंक का राष्ट्रीयकरण किया गया।
  • रिजर्व बैंक का मुख्यालय मुम्बई में है तथा इनके चार स्थानीय बोर्ड है जिनके मुख्यालय मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई एवं नई दिल्ली में है ।
  • भारत में केन्द्रीय बैंक की स्थापना का प्रथम प्रयास 1914 में चैम्बरलीन कमीशन को जाता है। इनकी संस्तुति पर 1921 में इम्पीरियल बैंक की स्थापना हुई थी परन्तु यह एक व्यापारिक बैंक था जो केन्द्रीय बैंक कुछ ही कार्यों का संपन्न करता था ।
  • हिल्टन यंग आयोग महला आयोग था जिसने केन्द्रीय बैंक के रूप में रिवर्ज बैंक ऑफ इण्डिया नाम की संस्तुति की।
  • RBI के कार्यों का संपादन 20 सदस्यों का एक केन्द्रीय निदेशक मंडल द्वारा किया जाता है। 20 सदस्यों में एक गर्वनर, चार उप- गर्वनर, 1. वित्त मंत्रालय द्वारा नियुक्त सकरारी अधिकारी 10 ऐसे निदेशक होते हैं जो भारत के आर्थिक मामलों के जानकार होते हैं तथा 4 निदेशक RBI के स्थानीय बोर्ड का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • RBI के प्रत्येक स्थानीय बोर्ड में 5 सदस्य होते हैं जिनकी नियुक्ति केन्द्र सरकार 4 वर्षों के लिए करते हैं।

केन्द्रीय बैंक (RBI) तथा व्यापारिक बैंक में अंतर

  1. केन्द्रीय बैंक का मुख्य उद्देश्य जनता की सेवा करना होता है, जबकि व्यापारिक बैंक का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है।
  2. केंद्रीय बैंक जनता के साथ सीधा लेन-देन नहीं करता जबकि व्यापारिक बैंक जनता के साथ सीधा लेन-देन करता है ।
  3. केंद्रीय बैंक सरकारी संस्था होती है जबकि व्यापारिक बैंक सरकारी तथा गैर-सरकारी दोनों हो सकते हैं।
  4. केंद्रीय बैंक बैंकिंग प्रणाली को नियंत्रित करते हैं जबकि व्यापारिक बैंक केंद्रीय बैंक के नियंत्रण में कार्य करते हैं।
  5. केंद्रीय बैंक को नोट जारी करने का पूर्ण एकाधिकार होता है जबकि व्यापारिक बैंक नोट जारी नहीं कर सकते हैं।

RBI का कार्य Functions of Central Bank (RBI)

  1. नोट जारी करना
    • रिजर्व बैंक का मुख्य कार्य है नोट जारी करना इसके लिए RBI के पास एक अलग नोट जारी करने वाला विभाग है जिसका बैंकिंग कार्य कोई लेना-देना नहीं है।
    • 1956 तक RBI अनुपातिक कोष प्रणाली के तहत नोट जारी करता था जिसके अनुसार पत्र मुद्रा के कुल मूल्य का 40 प्रतिशत सोने या विदेशी प्रतिभूति रखना अनिवार्य था शेष 60 प्रतिशत सरकारी प्रतिभूति के रूप में रखना पड़ता था ।
    • 1956 से नोट जारी करने हेतु न्यूनतम आरक्षित प्रणाली अपनायी गई जिसके तहत् 515 करोड़ (115 करोड़ा का सोना + 400 करोड़ की विदेशी प्रतिभूति) का कोष रखना पड़ता था जिसे 31 अक्टूबर 1957 के बाद RBI एक्ट में संसाधन करके 515 करोड़ से घटाकर 200 करोड़ कर दिया गया ।
    • संसार के सभी केन्द्रीय बैंक ही नोट जारी करने का काम करते हैं परन्तु मानिटरी अथारिटी ऑफ सिंगापुर ऐसे केन्द्रीय बैंक हैं जो नोट जारी नहीं करता है।
    • निम्न कारणों से केवल केन्द्रीय बैंक ही नोट जारी करते हैं-
      1. केन्द्रीय बैंक को नोट जारी करने का अधिकार प्राप्त होने से मौद्रिक प्रणाली में समरूपता आती है।
      2. देश की जनता को मुद्रा पर विश्वास बना रहता है क्योंकि केन्द्रीय बैंक को सरकार का संरक्षण प्राप्त रहता है।
      3. मुद्रा की आपूर्ति पर एक केन्द्रीय नियंत्रण संभव हो जाता है।
      4. नोट जारी करना एक लाभदायक व्यवसाय है। नोट जारी करने का कार्य केन्द्रीय बैंक के नियंत्रण में होने के कारण इससे प्राप्त लाभ को सरकारी कोष में जमा कराया जा सकता है।
    • भारत के प्रमुख छापेखाने (Printing Press)
      1. इण्डिया सिक्योरिटी प्रेस, नासिक (महाराष्ट्र )
        • इस प्रेस में डाक संबंधी लेखन सामग्री (जैसे- डाक टिकट, स्टांम पेपर), बैंकों का चेक, बॉण्ड आदि की छपाई होती है। 
        • इस प्रेस से राज्य सरकार, सरकारी क्षेत्र के उपक्रम के प्रतिभूति की भी छपाई की जाती है।
      2. सिक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस, हैदराबाद
        • इसकी स्थापना 1982 में किया गया था। इसका काम वहीं है जो इण्डिया सिक्योरिटी प्रेस नासिक का है। इसकी स्थापना दक्षिणी राज्यों के माँग को पूरा करने हेतु स्थापित किया गया है।
      3. करेन्सी प्रेस नोट नासिक (महाराष्ट्र )
        • इस प्रेस में ₹10, ₹50, ₹ 100, ₹ 500 तथा ₹1000 का नोट छपता है।
      4. बैंक नोट प्रेस देवास (मध्य प्रदेश )
        • इस प्रेस में ₹20, ₹50, ₹ 100 00 और ₹ 500 तथा इससे उच्च वर्ग के नोट छापा जाता है।
        • यहाँ नोट प्रेस के स्थायी तथा प्रतिभूति पत्रों के स्याही भी तैयार किया जाता है।
      5. करेन्सी नोट प्रेस मैसूर (कर्नाटक)
        • यह एक अत्याधुनिक मुद्रण प्रेस है जहाँ सभी प्रकार के नोट छापे जाते हैं।
      6. सिक्योरिटी पेपर मिल, होशंगाबाद ( मध्य प्रदेश )
        • यहाँ पर करेन्सी नोट तथा नॉन ज्यूडिशियल स्टांप पेपर की छपाई में काम आने वाला कागज का उत्पादन होता है।
        • यह पेपर मिल 1967-68 में चालू किया गया था।
    • सिक्कों के उत्पादन हेतु भारत में चार टकसाले स्थापित हैं। ये टकसाल मुम्बई (1930), कोलकाता (1903), हैदराबाद (1950) तथा नोएडा (1989) में स्थापित है।
    • मुम्बई तथा कोलकाता की टकसालों में सिक्कों के अलावा विभिन्न प्रकार के पदक ( मेडल) का भी उत्पादन होता है।
  2. सरकार का बैंक के रूप में कार्य
    • केन्द्रीय बैंक देश के सरकार के बैंकर एवं एजेन्ट के रूप में कार्य करता है। केन्द्रीय बैंक सरकार के लिए उसी तरह काम करता है जिस तरह व्यापारिक बैंक अपने ग्राहक के लिए करते हैं।
    • रिजर्व बैंक केन्द्र सरकार को अल्पकालीन ऋण प्रदान करता है ताकि सरकार अपने सार्वजनिक व्यय तथा सार्वजनिक प्राप्ति के बीच अस्थायी घाटे को पूरा कर सके ।
  3. बैकों का बैंक के रूप में कार्य
    • केन्द्रीय बैंक देश के अन्य बैंकों के लिए बैंकर का कार्य करता है।
    • बैंकों का बैंक होने के कारण RBI निम्न कार्य करते हैं-
      1. यह व्यापारिक बैंकों के कार्यों का निरीक्षण करता है ।
      2. व्यापारिक बैंकों को लाइसेंस जारी करता है।
      3. विदेशी व्यापारिक बैंक को भारत में शाखा खोलने की अनुमति देता है।
      4. बैंकों को आपस में विलय करने की अनुमति देता है। 
  4. अंतिम ऋणदाता के रूप में कार्य
    • RBI अंतिम ऋणदाता के रूप में बैकिंग व्यवस्था को नियंत्रित रखता है।
    • अंतिम ऋणदाता का अर्थ है कि जब व्यापारिक बैंक को कहीं से भी ऋण प्राप्त न हो तब वह RBI से ऋण की माँग करता है और RBI उचित प्रतिभूति के आधार पर ऋण उपलब्ध करवाता है।
  5. विदेशी मुद्रा का संरक्षक के रूप में कार्य-
    • देश की मुद्रा के बाहरी मूल्य को स्थिर रखना RBI का एक महत्वपूर्ण कार्य है। इसकी सफलता संपन्न करने के लिए केन्द्रीय बैंक (RBI) विदेशी मुद्रा के कोष को संरक्षित रखता है।
  6. समाशोधन गृह (Clearing House) के रूप में कार्य
    • RBI समाशोधन गृह का कार्य भी करता है। इसका अर्थ है कि केन्द्रीय बैंक दसरे बैंक का हिसाब-किताब भी रखता है। हर एक बैंक का खाता RBI में होता है और इन बैंकों के पास एक दूसरे के चेक आते हैं, उनका भुगतान RBI द्वारा कर दिया जाता है।
  7. साख मुद्रा का नियंत्रण करना
    • साख मुद्रा का नियंत्रण करना RBI का महत्वपूर्ण कार्य है। साख नियंत्रण का तात्पर्य मुद्रा की मात्रा को देश के मौद्रिक आवश्यकताओं के अनुसार कमी या वृद्धि करने से है।
  8. उपरोक्त कार्यों के अलावे केन्द्रीय बैंक (RBI) अन्य कार्य भी करता है जिसमें कुछ निम्न है -
    1. कृषि के विकास हेतु साख सुविधाओं की व्यवस्था करना ।
    2. IMF विश्व बैंक तथा अन्य अंतराष्ट्रीय वित्तीय सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करता है।
    3. फटे-पुराने नोट को वापस लेकर नये नोट प्रदान करता है।
    4. आर्थिक सूचनाओं एवं आँकड़ों को इकट्ठा कर समय-समय पर प्रकाशित करना ।

मौद्रिक नीति (Monetary Policy)

  • किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए मौद्रिक नीति एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। RBI भारत का केन्द्रीय बैंक है जो हर दो महीने पर मौद्रिक नीति की समीक्षा प्रस्तुत करता है।
  • मौद्रिक नीति का मुख्य उद्देश्य महँगाई ( मुद्रास्फीति ) पर नियंत्रण रखना है, इसके साथ ही बाजार में कितनी नगदी हो जिससे आर्थिक गतिविधियों को गति मिले इसके लिए भी मौद्रिक नीति में उपाय किए जाते हैं।
  • RBI की मौद्रिक नीति या साख नियंत्रण नीति के दो मुख्य उपकरण ( उपाय) है-

  1. रीपो रेट- रेपो रेट वह दर होता है, जिसपर बैंकों को RBI अल्पकालीन ऋण देते है। रीपो रेट कम होने का मतलब बैंकों द्वारा दिये जाने कई ऋण ( लोन ) सस्ते हो जाऐंगे वही रीपो रेट बढ़ाने का आशय है कि बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋण महँगे हो जायेंगे। 
  2. रिवर्स रेपो रेट - रिवर्स रीपो रेट, वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आर बी आई में जमा धन पर ब्याज मिलता है।
    • बाजार में मुद्रा की तरलता बढ़ाने हेतु RBI रिवर्स रेपो रेट को घटा देता है और मुद्रा की तरलता घटाने हेतु RBI रिवर्स रिपो रेट को बढ़ा देता है।
  3. बैंक दर- बैंक दर ब्याज़ की वह न्यूनतम दर है जिस पर देश का केन्द्रीय बैंक (RBI) अंतिम ऋणदाता होने के कारण बैंकों को ऋण देने के लिए तैयार रहता है।
    • बैंक दर बढ़ने से ब्याज की दर बढ़ती तथा ऋण महँगा होता है जिससे साख की माँग कम हो जाती है। इसके विपरित बैंक दर कम करने पर ऋण सस्ती हो जाती है जिससे साख की माँग बढ़ती है।
  4. नगद निधि ( कोष ) अनुपात (CRR)
    • बैंक की कुल जमाओं का वह न्यूनतम अनुपात जो उसे RBI के पास अनिवार्य रूप से रखना पड़ता है उसे CRR (Cash Reserve Ratio) कहते हैं।
    • यदि RBI बैंकों को साख या नगद प्रवाह को कम करना चाहता है तो CRR को बढ़ा देगा और यदि RBI साख या. नगद प्रवाह का विस्तार करना चाहता है तो CRR को घटा देगा।
    • जुलाई, 1989 में CRR की दर 15% थी। 1991 से CRR के दर में निरन्तर कमी लायी गयी है। इस समय इसका दर 4%# है।
  5. वैधानिक तरलता अनुपात ( SLR ) - प्रत्येक बैंक को अपनी परिसंपत्तियों का एक निश्चित प्रतिशत अपने पास नगद रूप में या अन्य तरल संपत्ति के रूप में कानूनी तौर पर रखना पड़ता है, जिसे SLR (Statutory Liquidity Ratio) कहते हैं।
    • बाजार में साख के प्रवाह को कम करने के लिए RBI SLR की दर बढ़ाता है तथा RBI साख का विस्तार करना चाहता है तो SLR की दर घटा देता है।
  6. खुले बाजार की क्रियाएँ- खुले बाजार की क्रिया द्वारा RBI जनता या बैंकों से सरकारी प्रतिभूति को अपने लिए खरीदता या बेचता है।
    • जब RBI प्रतिभूति को बेचती है तब अर्थव्यवस्था का नगद कोष RBI के पास हस्तांतरित हो जाता है और बाजार की तरलता घट जाती है। इसके विपरित RBI जब प्रतिभूति को खरीदती है तो बाजार में तरलता बढ़ जाती है।

स्विज ऑपरेशन (Switch Operation )

  • RBI द्वारा खुले बाजार क्रियाओं का प्रयोग केवल साख नियंत्रण हेतु ही नहीं बल्कि इसका प्रयोग सरकारी प्रतिभूति के क्रय विक्रय के माध्यम अथवा राजकोषीय नीति के रूप में भी किया जाता है।
  • रिजर्व बैंक द्वारा अल्प अवधि वाले प्रतिभूति का क्रय करना तथा उसके स्थान पर लम्बी अवधि वाले प्रतिभूतियों का विक्रय करना, जिससे अन्तिम भुगतान अवधि लम्बी हो सके, को स्विच ऑपरेशन कहते हैं।

मौद्रिक नीति के गुणात्मक उपकरण

  • गुणात्मक उपकरण के तहत् RBI साख के विभिन्न क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण बनाकर रखती है। इसका प्रभाव बाजार के तरलता पर नहीं पड़ता है।
  1. सीमांत आवश्यकता (Margin Requirement) 
    • जमानत वाली वस्तु के वर्त्तमान मूल्य तथा जमानत पर दिये जा रहे ऋण के अंतर को सीमांत आवश्यकता कहते हैं।
    • यदि RBI अर्थव्यवस्था की किसी विशेष व्यावसायिक क्रिया के लिए साख के प्रवाह को सीमित करना चाहता तो उस क्षेत्र के ऋण पर सीमांत आवश्यकता बढ़ा देता है। इसके विपरित, यदि साख का विस्तार किया जाना है तो सीमांत आवश्यकता को कम कर दिया जाता है।
  2. साख का राशनिंग ( Rationing of Credit)
    • जब RBI विभिन्न व्यावसायिक कार्य हेतु दिए जाने वाले ऋण की कोटा निर्धारित कर देता है, तो इसे साख की राशनिंग कहते हैं।
    • साख का राशनिंग RBI तब करता है जब अर्थव्यवस्था में विशेष रूप से सट्टे की क्रियाओं के लिए दिए जाने वाले ऋण पर रोक लगानी होती है।
  3. नैतिक प्रभाव (Moral Sausion)- कभी-कभी RBI व्यापारिक बैंक पर नैतिक प्रभाव डालकर उन्हें मौद्रिक नीति के अनुसार काम करने के लिए सहमत कर लेता है।
    • नैतिकं प्रभाव में ‘मनाने' तथा 'दबाव' डालने का मिश्रण पाया जाता है। RBI व्यापारिक बैंक को अपनी मौद्रिक नीति का पालन करने हेतु पहले मनाता है अन्यथा दबाव डालकर अपनी नीति मनवाता है।
    • नैतिक प्रभाव एक मात्रात्मक उपाय भी है और एक गुणात्मक उपाय भी है, परन्तु इसे गुणात्मक उपाय के श्रेणी में रखा जाता है।
  4. प्रत्यक्ष कार्यवाही (Direct Action)- RBI प्रत्यक्ष कार्यवाही तब करता है जब कोई व्यापारिक बैंक मौद्रिक नीति का पालन नहीं करता है।
    • प्रत्यक्ष कार्यवाही के तहत् RBI बैंक का लाइसेंस रद्द कर सकता है या भारी जुर्माना लगा सकता है।
  5. विभेदक ब्याज दर (Differential Rate of Interest Scheme)
    • विभेदक ब्याज दर नीति की शुरूआत 1972 में किया गया था जिसके तहत बैंकों को निर्देश दिया गया था कि वे अपने कुल ऋण का कम से कम 1% ऋण निर्धन व्यक्ति को 4% ब्याज दर पर आवंटित करें।
    • विभेदक ब्याज दर योजना का उद्देश्य समाज के गरीब एवं कम आय वर्ग वाले व्यक्ति को कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध करवाना है।

तरलता समायोजन सुविधा (Liquidity Adjustment Facility or LAF)

  • नरसिंहम समिति (1998) के सुझाव पर LAF को क्रमिक रूप से पहले अन्तरिम रूप में 1999 में तथा अन्तिम रूप से 2000 में RBI ने लागू किया। 
  • LAF एक मौद्रिक नीति का अस्त्र है जिसके तहत RBI बाजार में दिन प्रतिदिन आधार पर तरलता को समायोजित करता है।
  • LAF के अन्तर्गत मुद्रा बाजार की आवश्यकता के अनुसार प्रतिदिन आधार पर रिजर्व बैंक बैंकिंग प्रणाली से फण्ड के क्रय तथा विक्रय के लिए तैयार रहता है। 
  • LAF रीपो तथा रिजर्व रीपो के माध्यम से कार्य करता है। रीपो तथा रिवर्ज रिपो LAF के अन्तर्गत आते हैं।
  • नयी स्कीम के तहत् LAF की अवधि 7 दिन से घटकर 1 दिन कर दिया गया। नयी नीति के तहत रिपो रेट का निर्धारण RBI द्वारा समय-समय पर की जाती है तथा रिवर्स रिपो रेट की दर रीपो रेट से 1% कम होती है।
  • LAF के अन्तर्गत उधार लेने वाला कोई भी हो सकता है। सभी व्यापारिक बैंक, सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सरकार, गैर-बैकिंग वित्तीय संस्थाएँ LAF के तहत RBI से उधार पा सकते हैं।

सीमान्त स्थायी सुविधा (Marginal Standing Facility or MSF)

  • MSF की शुरूआत RBI ने 9 मई 2011 को किया । इसके तहत् अनुसूचित व्यापारिक बैंक, RBI से अपने शुद्ध जमा का 1% ऋण रातभर के लिए ले सकते हैं।
  • MSF के अन्तर्गत प्राप्त ऋण पर ब्याज दर LAF के अन्तर्गत रीपो दर से 1% अधिक होगी।
  • MSF के अन्तर्गत न्यूनतम उधारी की राशि ₹1 करोड़ है जबकि LAF के न्यूनतम उधारी राशि 5 करोड़ रूपया है।
  • LAF के अन्तर्गत ऋण लेने के लिए उधार लेनेवाली संस्थाएँ SLR कोटा की प्रतिभूतियाँ को गिरवी नहीं रख सकती है जबकि MSF के अन्तर्गत ऋण लेने के लिए SLR कोटा में रखी गई प्रतिभूतियाँ गिरवी जा सकती है।

बैंकों द्वारा दिए जाने वाले उधार पर ब्याज दर का निर्धारण

  1. प्रधान उधारी दर (Prime lendig Rate or PLR)- किसी बैंक की प्रधान उधारी दर वह ब्याज दर है जिस पर बैंक अपने सबसे विश्वसनीय ग्राहक को जिसके संबंध में जाखिम शून्य है, उधार देने के लिए तैयार हो ।
  2. आधार दर प्रणाली (Base Rate) -
    • RBI ने जुलाई 2010 से PLR स्थान आधार दर प्रणाली को लागू किया।
    • आधार दर (Base Rate) का निर्धारण फण्ड की लागत के आधार पर होता जिसमें आपरेटिंग लागत तथा क्रेडिट रिस्क भी सम्मिलित रहता है।
    • आधार दर वह ब्याज दर है जिसके नीचे कोई भी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक अपने ग्राहकों को कोई भी ऋण नहीं प्रदान करेंगे।
  3. सीमांत निधि लागत पर आधारित उधार दर (Magrinal Cost of funds based lending Rate or MCLR)
    • रिजर्व बैंक ने बेस रेट के स्थान पर 1 अप्रैल 2016 MCLR लागू किया। MCLR के अन्तर्गत बैंकों द्वारा दिए जाने वाले उधार पर न्यूनतम ब्याज दर का निर्धारण बैंक द्वारा प्राप्त फंड की औसत लागत द्वारा न होकर उसकी सीमान्त लागत द्वारा होती है।
    • फंड की सीमान्त लागत से आशय किसी सम्भावित उधार लेने वाले के संबंध में फंड की एक अतिरिक्त इकाई की व्यवस्था में बैंक की लगनेवाली लागत से है।

जोखिमों से बैंकों का संरक्षण

  • बैंक आधुनिक अर्थव्यवस्था के आधार स्तम्भ है। अगर बैंक असफल होते हैं तो इसका प्रभाव पूरे अर्थव्यस्था पर पड़ता है।
  • किसी भी जोखिमों से बैंकों को संरक्षित करने के लिए केन्द्रीय बैंक (RBI) तीन अस्त्रों का प्रयोग करते हैं-
    1. नगद अनुदान (CRR ) - CRR के तहत बैंकों द्वारा प्राप्त जमा का एक निश्चित भाग RBI के पास रखना अनिवार्य होता है।
    2. SLR के रूप में बैंकों को अपनी प्राप्त जमा का एक निश्चित भाग अपने पास अत्यधिक तरल संपत्ति को रखना अनिवार्य होता है। 
      • SLR और CRR को जोखिमों के विरूद्ध बैंकों की सुरक्षा की प्रथम पंक्ति कहा जाता है।
    3. पूंजी पर्याप्तता अनुपात (Capital Adequacy Ratio or CAR)-
      • CAR को जोखिम भारित परिसम्पत्ति अनुपात के नाम से भी जाना जाता है। इस अनुपात का प्रयोग जमाकर हित को संरक्षित करने तथा बैंकिंग प्रणाली में स्थिरता बनाये रखने हेतु किया जाता है।
      • बैंकिंग सेक्टर के सुचारु रूप से परिचालन हेतु CAR के संबंध अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मापद विकसित किये गये हैं जिन्हें हम "बेसेल मापदण्ड " कहते हैं।

बेसल मानक (Basel Norms)

  • 1975 में स्विटजरलैंड के बेसेल शहर में स्थित बैंक ऑफ इन्टरनेशनल सेटिलमेंट (BIS) ने G-20 समूह के केंद्रीय बैंकों के गर्वनर की एक समिति गठीत की जिसे BCBS (Basel Committee on Banking Supervision) के नाम से जाना जाता है।
  • BCBS मीटिंग में जो समझौता हुआ उसे बेसेल इकाई या बेसेल समझौता कहा जाता है। इस समय तक तीन बेसेल समझौते– बेसेल I, बेसेल II, बेलसेल II हो चुके हैं।
  • बेसेल I समझौता 1988 में हुआ था तथा यह मानक को लागू करना बाध्यकारी नहीं था फिर भी भारत ने इसे 1992 में अपनाया। इस मानक में पूंजी पर्याप्तता अनुपात 8 प्रतिशत रखा गया था।
  • बेसेल II मानक 2004 में जारी किया गया जिसका उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय बैंकिंग प्रणाली को एक सशक्त प्रबन्धन प्रणाली बनाया जाना था। RBI के अनुसार सभी भारतीय बैंकों ने यह मानक प्राप्त कर लिया है। इस मानक में पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) को 9 प्रतिशत रखा गया।
  • सितम्बर 12, 2010 को बेसेल कमेटी ने दिसम्बर 2009 में प्रस्तावित तथा जुलाई 2010 में संशोधित बैंकिंग क्षेत्र के लिए उच्चतर पूंजी आवश्यकता, तरलता नियमों तथा आकस्मिक व्यवस्थाओं को लागू करने की घोषणा की जिसे बेसेल - III नाम से जानते हैं।
  • अंतराष्ट्रीय स्तर पर बेसेल - III मानकों को पूर्ण रूप से लागू की तय समय सीमा 1 जनवरी, 2019 थी। इस मानक में पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) को 9 प्रतिशत से बढ़ाकर 11.5 प्रतिशत कर दिया गया ।

गैर निष्पादक परिसम्पत्तियाँ (Non-Performing Assets or NPA)

  • बैंक जो ग्राहकों को ऋण देते हैं, वह ऋण बैंक की परिसम्पत्तियाँ (Assets) कहलाता है तथा बैंक द्वारा प्राप्त विभिन्न जमाएँ बैंक की देयता (Liability) कहलाता है।
  • बैंक द्वारा दिये जाने ऋण (परिसम्पत्ति) को भागों में बाँटा जाता है-
    1. ऐसे ऋण जिनके ब्याज तथा मूलधन की प्राप्ति सामान्य हो, या नियमित हो उसे अच्छा ऋण (Good Loans) कहते हैं।
    2. ऐसे ऋण जिनपर एक निश्चित समयावधि तक बैंक को उसके मूलधन तथा ब्याज की किश्त का भुगतान नहीं मिला हो, उसे हम गैर निष्पादक ऋण या परिसम्पत्ति (NPA) कहते हैं।
  • अन्तर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार भारत में बैंकिंग क्षेत्र में NPA की पहचान के लिए 31 मार्च 2014 से 90 दिन मानक स्वीकार किया गया है। जिसके अनुसार यह माना गया है कि जिन सामान्य ऋणों के संबंध में 1 वर्ष में एक तिमाही या 90 दिनों से ब्याज या मूलधन की किश्त का भुगतान नहीं मिला हो उसे NPA के श्रेणी में बाँटा जाता है-
    1. सब स्टैंडर्ड सम्पत्तियाँ सब स्टैंडर्ड परिसंपत्ति को रखा जाता है जो पिछले 12 महीने से अधिक NPA रही हो। इसके अंतर्गत आने वालो अग्रिम (ऋण) ऐसे अग्रिम है जिनके पीछे रखी गई प्रतिभूतियाँ / सम्पत्ति ऋणों के भुगतान को सुरक्षित करने की स्थिति में होती है।
    2. संदिग्ध परिसम्पत्तियाँ- इसके अंतर्गत उन परिसम्पत्तियाँ रखा जाता है जो 12 महीने से अधिक NPA रही हो। इसके पीछे रखी गई परिसम्पत्तियाँ सामान्यत: सब स्टैंडर्ड होती है।
    3. हानिवाली परिसम्पत्तियाँ ऐसी सम्पत्तियाँ जिन्हें बैंक के आन्तरिक तथा बाहरी अंकेक्षक या केंद्रीय बैंक पर्यवेक्षक ने हानि वाली सम्पत्ति के रूप में पहचान की हो तथा जिन्हें बैंक द्वारा आंशिक या पूर्ण रूप से अपलिखित नहीं किया गया हो।
  • बैंकिंग सेक्टर में बढ़ते हुए NPA का अर्थ है बैंक के लाभ में कमी, तरलता का बाधित होना, सुरक्षा खतरे में पड़ना तथा अन्तिम रूप से बैंक का दिवालिया होना अंततः बैंक का बंद हो जाना।

गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाएँ (Non-Banking Financial Companies or NBFCs)

  • RBI एक्ट 1997 के अनुसार NBFC एक संस्था या कम्पनी है जिसका मुख्य व्यवसाय किसी भी योजना के तहत जमा लेना एवं ऋण देना है।
  • कंपनी अधिनियम 1956 के तहत पंजीकृत कम्पनी भी अगर किसी भी तरह से जमा स्वीकार करती है और उधार (ऋण) देने का काम करती है वह NBFC कहलाता है।
  • NBFC.RBI के नियंत्रण में आते हैं कम्पनीज अधिनियम के तहत नहीं तथा RBI उन NBFC के प्रति बहुत कड़ा रूख अपनाता है। जो जमा स्वीकार करती है।
  • रिजर्व बैंक ने गैर बैंकिंग कम्पनी (NBFC) को दो भागों में बाँटा है-
    1. जमा स्वीकार करने वाली NBFC
    2. जमा नहीं स्वीकार करने वाली NBFC
  • NBFC 12 महीने से अधिक तथा 60 महीने से कम समय हेतु ही जमा स्वीकार कर सकती है तथा RBI द्वारा निर्धारित ब्याज दर से अधिक ब्याज नहीं दे सकती है।
  • रिजर्व बैंक के अनुसार ऐसी NBFC जिन्हें गैर सार्वजनिक जमा कम्पनी के रूप में पंजीकृत किया गया है, उन्हें ₹200 करोड़ की न्यूनतम पूंजी रखना अनिवार्य होगा, अन्य बैंकों की यह सीमा ₹ 300 करोड़ का है।
  • फरवरी 2018 में RBI ने पंजीकृत NBFC के लिए लोकपाल योजना शुरू की है NBFC लोकपाल कार्यालय चार मेट्रो केंद्र अर्थात् चेन्नई, कोलकाता मुंबई और नई दिल्ली में कार्य करेंगे।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (Regional Rural Bank)

  • आर. जी. सरैया की अध्यक्षता में गठित बैंकिंग आयोग ने जनवरी 1972 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी जिसमें ग्रामीण बैंक अथवा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अथवा क्षेत्रीय बैंक की स्थापना की बात कही गयी थी ।
  • एम. नरसिंहम की अध्यक्षता में ग्रामीण बैंकिंग पर गठित समिति (1975) की संस्तुति पर 2 अक्टूबर 1975 को क्षेत्रीय ग्रामीण की स्थापना की गई। तब इसकी संख्या 5 थी।
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना मुख्य रूप से दो उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया गया था-
    1. समाज के कमजोर वर्ग को सस्ती ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराना ।
    2. ग्रामीण क्षेत्रों में बचत को बढ़ावा देना तथा वहाँ हो रहे उत्पादक गतिविधियों में सहयोग देना ।
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में केन्द्र सरकार, राज्य सरकार तथा प्रर्वतक बैंक 50:15:35 के अनुपात में पूँजी लगाती है।
  • केलकर समिति के सुझाव पर सरकार ने 1987 से नए क्षेत्रीय बैंक की स्थापना करना बंद कर दिया है।
  • 2005 से क्षेत्रीय बैंकों को परस्पर जोड़ने तथा उनके प्रवर्तक बैंकों में विलय की प्रक्रिया शुरू की गई। 31 मार्च 2017 तक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्य 56 थी। 1 अप्रैल 2019 तक इसकी संख्या 49 हो गयी ।

सहकारी बैंक (Co-operative Bank)

  • सहकारी समितियों द्वारा संचालित होने वाले बैंक को सहकारी बैंक कहते हैं। यह बैंक जिस राज्य में होते हैं उसी राज्य के नियमों के अधीन संचालित होते है ।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी बैंक कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन आदि के लिए ऋण उपलब्ध कराती है, जबकि शहरी क्षेत्र में स्वरोजगार, लघु उद्योग तथा व्यक्तिगत ऋण के लिए साख उपलब्ध कराते हैं।
  • भारत में सहकारी बैंकों का गठन तीन स्तरों पर होता है। राज्य सहकारी बैंक संबंधित राज्य का शीर्ष संस्था होती है इसके बाद केंद्रीय अथवा जिला सहकारी बैंक जिलास्तर पर कार्य करते हैं एवं तृतीय स्तर पर प्राथमिक ऋण समितियाँ होती है जो कि ग्राम स्तर पर कार्य करता है।

लघु वित्त बैंक (Small Finance Bank)

  • RBI ने जुलाई 2014 में लघु वित्त बैंक की स्थापना हेतु दिशा-निर्देश जारी किया ।
  • वित्तीय समावेशन को बढ़ाने के उद्देश्य से तथा छोटे किसान और लघु उद्योगों को आसानी से वित्त उपलब्ध कराने हेतु इस बैंक की स्थापना की जाती है।
  • लघु वित्त बैंक को भी अन्य व्यापारिक बैंकों की तरह RBI के नियमों का पालन करना पड़ता है तथा यह बैंक में किसी भी स्तर तक ज़माएँ स्वीकार कर सकता है।
  • लघु वित्त बैंक ATM कार्ड/डेबिड कार्ड/क्रेडिट कार्ड जारी कर सकता तथा ही म्युचुअल फंड, बीमा तथा पेंशन जैसे वित्तीय उत्पाद बेच सकता है। इन बैंकों को RBI के निर्देशानुसार 75% ऋण प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को प्रदान करना होता है ।

इंडिया पोस्ट पेमेन्ट्स बैंक (India Post Payments Bank)

  • इंडिया पोस्ट पेमेन्ट्स बैंक का शुभारंभ 1 सितंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में किया था।
  • इस बैंक की स्थापना संचार मंत्रालय के डाक विभाग के अंतर्गत की गई है तथा यह बैंक देश में फैले 1.55 लाख डाकघर एवं डाक कर्मचारी के माध्यम से पूरे देश में बैंकिंग सेवाएँ प्रदान कर रहा है।
  • इस बैंक की स्थापना करने का मुख्य उद्देश्य डाकघरों एवं डाक कर्मचारी के माध्यम से आम आदमी को सबसे सुलभ, किफायती और भरोसेमंद बैंकिंग सुविधाएँ उपलब्ध करवाना है।

भारतीय महिला बैंक

  • इस बैंक की स्थापना 19 नवंबर, 2013 को भारत सरकार द्वारा ₹1000 करोड़ की प्रारंभिक पूंजी के साथ हुआ।
  • इस बैंक का मुख्य उद्देश्य सभी वर्गों के महिलाओं को वित्तीय सुविधा प्रदान करना तथा आर्थिक रूप से महिलाओं को सशक्त बनाना था।
  • 2016 में भारतीय महिला बैंक को SBI में विलय कर दिया गया।

बैंकिंग लोकपाल योजना (Banking Ombudsman Scheme)

  • बैंकिंग लोकपाल योजना की शुरूआत RBI ने 1995 में किया तथा अब तक इसमें दो बार संशोधन (वर्ष 2002 तथा 2006 ) किया गया है।
  • बैंकिंग लोकपाल का कार्य है बैंक के ग्राहकों की शिकायत को सुनना तथा उसके समाधान हेतु आवश्यक कदम उठाना।
  • बैंकिंग लोकपाल एक अर्द्धन्यायिक इकाई है जिसकी नियुक्ति रिवर्ज बैंक करता है तथा इसके अंतर्गत सभी प्रकार के ग्राहक (देश के नागरिक या विदेशी नागरिक) की शिकायत को सुना जाता है।
  • बैंकिंग लोकपाल द्वारा पारित आदेश अंतिम और बाध्यकारी नहीं होता है बल्कि इस आदेश के विरूद्ध रिजर्व बैंक के डिप्टी गर्वनर के नेतृत्व में गठित अपीलीय प्राधीकरण में अपील की जा सकती है।

भारत के प्रमुख शीर्ष बैंक 

  1. भारतीय औद्योगिक विकास बैंक लिमिटेड (Industrial Development Bank of India or IDBI)
    • औद्योगिक क्षेत्रों को साख उपलब्ध करवाने हेतु सरकार ने जुलाई 1964 में इस बैंक की स्थापना की।
    • 1976 तक यह बैंक RBI का एक अनुषंगी बैंक था परन्तु 1976 इसे RBI से अलग कर इसका पूर्ण स्वामित्व भारत सरकार अपने पास ले लिया।
    • 11 अक्टूबर 2004 RBI द्वारा IDBI की एक अनुसूचित बैंक का दर्जा दे दिया है।
  2. भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (Small Industries Development Bank of India or SIDBI)
    • इस बैंक की स्थापना 2 अप्रैल, 1990 को किया गया तथा इसका मुख्यालय लखनऊ में है।
    • यह बैंक छोटे उद्योगों को व्यापारिक बैंक, सहकारी बैंक तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के माध्यम से वित्त उपलब्ध करवाता है।
  3. भारतीय औद्योगिक वित्त निगम लिमिटेड (Indian Finance Corporation of India Ltd. or IFCI)
    • इस संस्था की स्थापना एक विशेष अधिनियम द्वारा 1948 में किया। यह देश की सबसे पुरानी वित्तीय संस्था है। इसका मुख्यालय कोलकाता में अवस्थित है।
    • 1 जुलाई 1993 को इस संस्था के स्वरूप को बदलकर कम्पनी का रूप दे दिया गया तथा इसका पंजीयन भी कम्पनी अधिनियम 1996 के तहत किया जा चुका है। 
    • वर्त्तमान में इस संस्था को पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में विलय करने की योजना है।
  4. भारतीय औद्योगिक निवेश बैंक लिमिटेड (Industrial Investment Bank of India Ltd.)
    • इस बैंक की स्थापना संसद द्वारा पारित अधिनियम के तहत 20 मार्च 1985 को हुआ। इसका मुख्यालय कोलकाता में स्थित है।
    • पहले इस बैंक का नाम भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक था 1997 में इसका नाम बदलकर भारतीय औद्योगिक निवेश बैंक लिमिटेड किया गया।
  5. भारत निर्यात - आयात बैंक (Export - Import Bank of India or Exim Bank)
    • निर्यातकों एवं आयातकों को वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराने हेतु इस बैंक की स्थापना 1 जनवरी 1982 को किया गया था।
    • इसका मुख्यालय मुम्बई में अवस्थित है।
  6. राष्ट्रीय आवास बैंक (National Housing Bank or NHB)
    • इस बैंक की स्थापना रिजर्व बैंक की सहायक संस्था के रूप में जुलाई 1988 में किया गया।
    • यह बैंक देश में आवास संबंधी वित्त व्यवस्था के लिए शीर्षस्थ बैंक है तथा यह बैंक देश के आवास वित्त कम्पनियों का नियंत्रण तथा पर्यवेक्षक का भी काम करता है।
  7. राष्ट्रीय कृषि तथा ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) (National Bank for Agricutlure and Rural Development)
    • यह देश में कृषि एवं ग्रामीण विकास हेतु वित्त उपलब्ध कराने वाली शीर्ष संस्था है।
    • इसकी स्थापना 12 जुलाई, 1982 को हुआ था। 
    • यह बैंक शीर्ष संस्था के रूप में देश के अन्य वित्तीय संस्था जैसे- सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, व्यापारिक बैंक को वित्त उपलब्ध करवाता है जो ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादक गतिविधियों के लिए ऋण देती है।
  8. भूमि विकास बैंक (Land Development Bank)
    • किसानों को दीर्घ कालीन वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु इस बैंक की स्थापना की गई है। यह बैंक किसानों को दीर्घकालीन ऋण प्रदान करता है।
    • इस बैंक को भूमि बंधक बैंक कहा जाता है क्योंकि यह बैंक किसानों की अचल सम्पत्ति (भूमि) को बंधक रखकर ऋण प्रदान करते हैं।
    • इस बैंक का ढाँचा दो स्तर वाला है राज्य स्तर पर केन्द्रीय भूमि विकास बैंक तथा जिला स्तर पर प्राथमिक भूमि विकास बैंक की स्थापना की गई है।
    • भारत में भूमि विकास बैंक की स्थापना स्वतंत्रता से पूर्व ही सर्वप्रथम मद्रास में हुआ था।

बैंकिंग शब्दावली

  1. वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion ) - वित्तीय समावेशन का अर्थ है बैंकिंग एवं वित्तीय सुविधाओं को समाज के सभी वर्गों तक पहुँचाना। कम आय व कमजोर वर्ग के लिए ऋण व वित्तीय सेवाओं तक सुगमतापूर्वक पहुँच ही वित्तीय समावेशन है।
  2. फ्री बैंकिंग (Free Banking)- यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें नोट जारी करने का एकाधिकार केन्द्रीय बैंक के पास नहीं होता बल्कि सभी बैंकों को प्राप्त होता है।
  3. एम-बैंकिंग (M-Banking or Mobile - Banking)- मोबाइल बैंकिंग वह प्रणाली है जिसमें मोबाइल फोन (या अन्य फोन) के प्रयोग के द्वारा किसी ग्राहक के खाते के साथ जोड़कर बैंकिंग कार्य को किया जाता है।
  4. शाखा रहित बैंकिंग (Branchless Banking)—- ऐसी बैंकिंग व्यवस्था जिसमें बैंक बिना शाखा खोले, बैंकिंग सेवा प्रदान करते हैं शाखा -रहित बैंकिंग कहलाता है। इसे अन्तर्गत बैंक अपना एजेन्ट नियुक्त करता है और उसे सरलतापूर्वक कार्य करने वाला टर्मिनल दे देता है तथा ग्राहक को स्मार्ट कार्ड निर्गत कर दिए जाते हैं। पूरा बैंकिंग कार्य 'आवाज निर्देशित प्रणाली' के द्वारा होता है अर्थात् इनके द्वारा किए गये प्रत्येक बैंकिंग कार्य की पुष्टि बोलकर मुख्य शाखा से हो जाती है।
    • इस तरह की सुविधा सामान्यत: दूरस्थ पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों के लिए किया जाता है। सर्वप्रथम 2006 में कॉरपोरेशन बैंक ने इस तरह की सुविधा शुरू की थी।
  5. सामाजिक बैंकिंग (Social Banking) ऐसे बैंक जो निवेश तथा ऋण के सामाजिक प्रयोग की दृष्टि से कार्य करते हैं, वे उन परियोजनाओं के लिए ऋण देते हैं जो पर्यावरणीय या सामाजिक उद्देश्य से संबंधित होती है उन्हें सामाजिक बैंक कहते हैं।
  6. लीड बैंक योजना (Lead Bank Scheme)-
    • इसकी शुरूआत RBI ने जिलों के अर्थव्यवस्था को सुधारने हेतु 1969 में किया था। इसके अंतर्गत प्रत्येक जिले के लिए एक बैंक को लीड बैंक घोषित कर दिया जाता है और यह बैंक जिला स्तर पर ऋणों की योजना बनाने, सरकारी कार्यक्रमों से संबंधित वित्त प्रबंधन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  7. शैडो बैंकिंग- ये ऐसे बैंक हैं जो बैंकिंग प्रणाली के अंतर्गत नहीं आते हैं, परन्तु मौद्रिक नीति को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अंतर्गत निवेश बैंक, म्यूचूअल फण्ड जैसे संस्था को रखा जा सकता है।
  8. इस्लामिक विकास बैंक (Islamic Development Bank) - इस तरह का पहला बैंक 1974 में सबसे पहले मिश्र में खुला था जिसका मुख्य उद्देश्य इस्लामिक देशों तथा समुदाय में ऐसे बैंक की स्थापना करना है जो कुरान के सिद्धान्तों पर आधारित हो जो सूदखोरी को अस्वीकार करता है तथा जो ब्याज पर ऋण देना मना करता है।
    • भारत में पहला इस्लामिक बैंक कोच्चि (केरल) में खुला है।
  9. इकाई बैंकिंग (Unit Banking)-- इस बैंकिंग प्रणाली में बैंक केवल एक स्थान पर रहकर कार्य करता है उसकी कोई शाखा नहीं होती है। । यह बैंकिंग प्रणाली का प्रचलन USA में है।
  10. शाखा बैंकिंग (Branch Banking)- इस बैंक प्रणाली में बैंक का एक मुख्य कार्यालय (मुख्यालय) होता है और बैंक पूरे देश या क्षेत्र में अपनी शाखाएँ खोलकर बैंकिंग व्यापार करता है। यह बैंकिंग प्रणाली अत्यन्त लोकप्रिय है, भारत, कनाडा, इंगलैंड, आस्ट्रेलिया में शाखा बैंकिंग का ही प्रचलन है।
  11. यूनिवर्सल बैंकिंग (Universal Banking)- यूनिवर्सल बैंकिंग से तात्पर्य एक ऐसे बैंक अथवा संस्था से है जो व्यापारिक बैंक के सभी कार्यों के साथ मर्चेन्ट बैंक, म्युचुअल फण्ड, क्रेडिट कार्ड, हाउसिंग फाइनेन्स, बीमा आदि की भी व्यवस्था करता है अर्थात् सभी वित्तीय उत्पाद एवं सेवाएँ एक साथ एक ही जगह पर उपलब्ध कराए जाते हैं।
  12. मर्चेण्ट बैंकिंग (Merchant Banking)- उद्यमियों तथा निवेशकों के बीच काम करने वाले वित्तीय मध्यस्थ को मर्चेण्ट बैंकर्स कहा जाता है। ये पूंजी का इकट्ठा करने में तथा अन्य वित्तीय मामलों में उद्यमियों को राय देते हैं। मर्चेण्ट बैंक की शुरूआत 1993 में हुई थी तथा मर्चेण्ट बैंकिंग को SEBI के प्रत्यक्ष नियंत्रण में ला दिया गया है।
  13. बैड बैंक (Bad Bank)- बैड बैंक एक ऐसा बैंक होगा जो बैंक के डूबते ऋण या जोखिम पूर्ण ऋण (NPA) को अच्छे से प्रबंधित करेगा। बैंकों का NPA को यह बैंकिंग व्यवस्था में पुनः लाने का प्रयास करेंगा ताकि बैंकों के ऋण देने की क्षमता में पुनः वृद्धि हो सके।
  14. रिटेल बैंकिंग (Retail or Personal Banking)
    • पहले बैंक केवल उत्पादक कार्यों हेतु ही ऋण प्रदान करते थे उपभोग की आवश्यकता की पूर्ति हेतु ऋण प्रदान नहीं करते थे। परन्तु आजकल बैंक व्यक्तिगत ऋण जैसे शिक्षा ऋण, गृह ऋण, आटो ऋण भी व्यापक रूप से दे रहे हैं। इसी प्रकार के बैंकिंग क्रियाओं को रिटेल बैंकिंग कहते हैं।
  15. वोस्ट्रो खाता (Vostro Accounts )- विदेशी बैंक के द्वारा भारतीय बैंकों में खोले गये खाता को वास्ट्रों खाता कहते हैं। विनिमय नियंत्रण की दृष्टि से इस खाते को Non Resident Account भी कहते हैं।
  16. नोस्ट्रो खाता (Nostro Accounts)- भारतीय बैंक द्वारा विदेशी बैंकों के साथ विदेशी मुद्रा में खोले गये खाता को नोस्ट्रो खाता कहते हैं।

बैंकिंग एवं मौद्रिक नीति

Objective

1. निम्नलिखित में से कौन-से मामलों में भारतीय रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को नियंत्रित करता है ?
1. परिसम्पत्तियों की तरलता 
2. शाखा विस्तार
3. बैंकों का विलय
4. बैंकों का समापन
कूट :
(A) 1 और 4
(B) 2, 3 और 4
(C) 1, 2 और 3
(D) 1, 2, 3 और 4
2. ग्रामीण परिवारों को निम्नलिखित में से कौन सीधी ऋण सुविधा प्रदान करता है/ करते हैं ?
1. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
2. कृषि और ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीय बैंक
3. भूमि विकास बैंक
कूट :
(A) 1 और 2
(B) केवल 2
(C) 1 और 3
(D) 1, 2 और 3
3. किसी बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्था (एन. बी. एफ. आई.) के बीच अन्तर यह है कि
(A) बैंक अपने ग्राहकों के साथ सीधा व्यवहार करता है जबकि गैर-बैंकीय वित्तीय संस्था बैंकों और सरकार के साथ आदान-प्रदान करती है।
(B) बैंक अपने ग्राहकों की पूरी श्रृंखला के साथ वित्त संबंधी अनेक क्रियाकलापों में संलग्न होता है जबकि गैर-बैंकीय वित्तीय संस्था का मुख्यतः बड़े उद्यमों की आवधिक ऋण . आवश्यकताओं से संबंध होता है।
(C) बैंक राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय दोनों ही प्रकार के ग्राहकों से लेन-देन करता है जबकि गैर-बैंकीय वित्तीय संस्था का सम्बन्ध मुख्यत: केवल विदेशी कम्पनियों के वित्त से होता है
(D) बैंक की मुख्य रुचि केवल व्यावसायिक लेन-देन और बचत/निवेश के क्रियाकलापों की सहायता में होती है जबकि गैर-बैंकीय वित्तीय संस्था की मुख्य रुचि मुद्रा के स्थिरीकरण में होती है
4. खुले बाजार की क्रियाएँ
(A) राजकोषीय उपाय हैं जो सरकार का ऋण लेने में सहायता देती है
(B) एक मौद्रिक उपाय है जिसका सम्बन्ध अर्थव्यवस्था में मुद्रा की मात्रा को नियन्त्रित करता
(C) एक मौद्रिक उपाय है जिससे भुगतान शेष के असन्तुलन को दूर किया जाता है
(D) एक मौद्रिक उपाय है जिसका प्रयोग सन्तुलित बजट बनाने के किया जाता है
5. खुले बाजार की क्रियाएँ साख नियन्त्रण में अप्रभावी होंगी यदि
(A) व्यापारिक बैंक अपने कोषों के आधार पर साख का विस्तार एवं संकुचन करते हैं
(B) व्यापारिक बैंक अपने नकद कोषों के परिवर्तन के साथ साख का विस्तार अथवा संकुचन नहीं करते
(C) उपरोक्त दोनों सत्य हैं
(D) उपरोक्त दोनों असत्य हैं
6. कौन-सा कथन सत्य है ?
(A) केन्द्रीय बैंक, बैंक दर और व्यापारिक बैंक बाजार दर निर्धारित करते हैं
(B) केन्द्रीय बैंक बाजार दर और व्यापारिक बैंक दर निर्धारित करते हैं
(C) बैंक दर और बाजार दर समानार्थी हैं
(D) बैंक दर और बाजार दर का कोई सम्बन्ध नहीं
7. 'खुले बाजार' की क्रियाओं से अभिप्राय है
(A) प्रतिभूतियों का खुले बाजार में क्रय-विक्रय
(B) खुले बाजार में किसी भी प्रकार के बिलों का क्रय-विक्रय
(C) खुले बाजार में किसी भी प्रकार के बिलों व प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय
(D) उपरोक्त सभी
8. जब केन्द्रीय बैंक खुले बाजार में प्रतिभूतियाँ बेचता है, तो इससे सम्भव है कि
(A) अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़े और ब्याज दर भी बढ़े
(B) अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़े और ब्याज दर घटे
(C) -अर्थव्यवस्था में तरलता कम हो और ब्याज दर भी बढ़े.
(D) अर्थव्यवस्था में तरलता कम हो और ब्याज दर भी घटे
9. कौन-सा सिद्धान्त केंद्रीय बैंक के निर्देशक सिद्धान्तों में सम्मिलित नहीं है?
(A) मुद्रा चलन का अधिकार
(B) जनता से प्रत्यक्ष बैंकिंग क्रियाएँ
(C) मौद्रिक नीति-निर्धारक
(D) साख नियन्त्रण
10. साख नियन्त्रण के उद्देश्यों में सम्मिलित है
(A) विनिमय दरों में स्थिरता
(B) कीमत स्तर में स्थिरता
(C) आय एवं रोजगार की उच्च स्तर पर स्थिरता
(D) उपरोक्त सभी
11. गुणात्मक साख नियन्त्रण अधिक प्रभावी है
(A) स्फीतिक दशाओं को रोकने में
(B) अवस्फीतिक दशाओं को कम करने में
(C) आयातों को रोकने में
(D) निर्यातों को बढ़ाने में
12. भारत में बैंकों द्वारा प्राथमिक क्षेत्र ऋणदान से तात्पर्य किसको ऋण देने से है?
(A) कृषि
(B) लघु (माइक्रो ) एवं छोटे उद्यम
(C) दुर्बल वर्ग
(D) उपरोक्त सभी
13. बैंक दर में वृद्धि सामान्यतः इस बात का संकेत है कि
(A) ब्याज की बाजार दर के गिरने की सम्भावना है
(B) केन्द्रीय बैंक अब वाणिज्यिक बैंकों को कर्ज नहीं दे रहा
(C) केन्द्रीय बैंक सस्ती मुद्रा नीति का अनुसरण कर रहा है
(D) केन्द्रीय बैंक महँगी मुद्रा नीति का अनुसरण कर रहा है
14. मौद्रिक नीति नियन्त्रित करती है
(A) केवल माँग प्रेरित मुद्रा प्रसार को
(B) केवल लागत प्रेरित मुद्रा प्रसार को
(C) A और B
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
15. बैंक दर के बढ़ने से
(A) साख का संकुचन होता है
(B) साख का प्रसार होता है
(C) उपरोक्त दोनों स्थितियाँ सम्भव हैं
(D) उपरोक्त दोनों स्थितियाँ असम्भव हैं
16. कौन-सी विधि गुणात्मक नियन्त्रण की परिधि में नहीं आती?
(A) नैतिक अनुनयन
(B) खुले बाजार की क्रियाएँ
(C) प्रचार
(D) प्रत्यक्ष कार्यवाही
17. साख निर्माण की सम्पूर्ण प्रक्रिया में हम निम्नलिखित पक्षों को सम्मिलित करते हैं
(A) मौद्रिक संस्था अथवा केन्द्रीय बैंक
(B) बैंकिंग पद्धति अथवा अर्थव्यवस्था के बैंक
(C) जमा करने वाले तथा उधार लेने वाले व्यक्ति
(D) उपरोक्त सभी
18. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा संबैधानिक तरलता अनुपात को बढ़ाने का निम्न में से क्या प्रभाव पड़ता है ?
(A) बैंकों की साख सृजन क्षमता कम होगी
(B) ब्याज दर घट जाती है
(C) निजी क्षेत्र पर ऋण की मात्रा बढ़ जाती है
(D) बैंकों की आय बढ़ती है
19. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नकद आरक्षण अनुपात को बढ़ाने पर निम्न में से क्या प्रभाव पड़ता है ?
(A) मुद्रा - आपूर्ति बढ़ जाती
(B) मुद्रा - आपूर्ति घट जाती
(C) मुद्रा - आपूर्ति स्थिर रहती
(D) ब्याज दर अप्रभावी रहती
20. निम्न में से कौन कथन नचिकेत मोर समिति की शिफारिशों में शामिल नहीं है?
(A) उपभोक्ता मूल्य आधारित मँहगाई दर से जमा पर ब्याज
(B) किसी न भी क्षेत्र में 30 मिनट की पैदल दूरी पर बैंक हो
(C) NBFC को बैंकों के एजेन्ट के रूप में काम करने अनुमति हो
(D) इनमें से कोई नहीं
21. वैधानिक तरलता अनुपात (Statutory Liquidity Ratio) में वृद्धि का होता है
(A) बैंकों के पास कम नकदी
(B) सरकार को अधिक संसाधन की प्राप्ति
(C) बैंकों की लाभदायकता में कमी
(D) उपरोक्त सभी
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