General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | नाभिकीय

हेनरी बैकुरल ने देखा की कुछ तत्व विकिरण का उत्सर्जन स्वयं करते हैं। उन्होंने इस परिघटना को रेडियोएक्टिवता कहा और बताया ये तत्व रेडियोएक्टिव तत्व है ।

General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | नाभिकीय

General Competition | Science | Chemistry (रसायन विज्ञान) | नाभिकीय

रेडियोसक्रियता (Radioactivity) :

हेनरी बैकुरल ने देखा की कुछ तत्व विकिरण का उत्सर्जन स्वयं करते हैं। उन्होंने इस परिघटना को रेडियोएक्टिवता कहा और बताया ये तत्व रेडियोएक्टिव तत्व है ।
रेडियोसक्रियता परमाणु का नाभिक का गुण है यानि इस परिघटना में परमाणु के नाभिक भाग लेते हैं । प्रायः ऐसे तत्व जिनके नाभिक अस्थायी होते हैं वे रेडियोएकटीव बन जाते हैं ।
स्थायी नाभिक और अस्थायी नाभिक :
जिन नाभिक में N/Z का मान लगभग 1 होता है, वे बहुत स्थायी होते हैं। जब नाभिक में N/Z का मान 5 से अधिक हो जाता है वह अस्थायी और रेडियोएक्टीव बन जाते हैं क्योंकि स्थायित्व प्राप्त करने के लिए अस्थायी नाभिक स्वतः विकिरण उत्सर्जन करने लगता है ।
N = न्यूट्रॉन की संख्या, Z = परमाणु संख्या या प्रोटॉनों की संख्या ।

रेडियोसक्रिय किरणें (Radioactivity Ray) :

रेडियोसक्रिय तत्व का अध्ययन करके रदरफोर्ड ने पता लगाया इन तत्वों से तीन प्रकार के किरणें निकलते हैं। उन्हें इन किरणें अलफा कण (α), बीटा कण (β), गामा किरण (γ) नाम दिया ।
अल्फा किरणों का गुण :
  1. ये किरण धनावेशित होते हैं तथा हिलियम नाभिक के समकक्ष होते हैं क्योंकि 2 इलेक्ट्रॉन के साथ α-किरण हिलियम गैस दे हैं । (α- किरण = He++)
  2. α–किरण पर कोई इकाई धन आवेशित होता है, तत्व द्वारा एक a-कण के उत्सजन से उसके परमाणु क्रमांक में 2 तथा पराम द्रव्यमान में 4 की कमी होती है।
  3. किरण धनआवेशित होने के कारण विद्युत् चुंबकीय क्षेत्र में ऋणावेशित प्लेट की तरफ मुड़ जाती है ।
  4. इस किरण का वेग 2.3 × 109 cm/sec. होता है यानि प्रकाश के वेग का 1/10 भाग ।
  5. इसका द्रव्यमान β और γ के तुलना में अधिक होता है जिसके कारण इसकी भेदन क्षमता बहुत ही कम होता है। यह 1mm AL की परत को भी नहीं भेद पाता है ।
  6. गैसों को आयनीकृत करने की प्रबल क्षमता होती है। β किरण के तुलना में 100 गुणा अधिक है γ किरण के तुलना में 10,000 गुणा अधिक। यानि इसकी आयनन क्षमता सबसे अधिक होती है।
  7. α-कण पर 3.203 × 10-19 कूलम्ब आवेश तथा α-कण का द्रव्यमान 6.645 × 10-27 kg होता है।
  8. α-कण विद्युत तथा चुंबकीय क्षेत्रों में कम विक्षेपित होता है इससे स्पष्ट है α-कण भारी कणों से मिलकर बना है जिसका जड़त्व अधिक होता है।
  9. α- कण शरीर के मांसपेशी को जला देती है अतः यह अत्यंत हानिकारक है ।
  10. α-कण को रोकने पर यह उष्मीय प्रभाव को दर्शाता है।
β-किरणों के गुण
  1. β-किरणें ऋण आवेशित कण होते हैं यह इलेक्ट्रॉन के समरूप होते हैं।
  2. भेदन क्षमता इसकी α- किरण से 100 गुणा अधिक तथा आयनन क्षमता α- किरण के तुलना में कम होता है ।
  3. इसका वेग प्रकाश के वेग के लगभग बराबर होता है।
  4. तत्व से एक बीटा कण के उत्सर्जन से परमाणु क्रमांक में 1 की वृद्धि होती है जबकि परमाणु द्रव्यमान अपरिवर्तित रहता है, यानि - उत्सर्जन से तत्व के समभारिक बनता है ।
  5. β- किरण द्वारा सामान्य ताप और दाब पर वायु में चली हुई दूरी का परास α- कणों के अपेक्षा अधिक होता है।
γ-किरणों का गुण :
  1. ये रेडियोसक्रिय तत्व द्वारा उत्सर्जित उच्च ऊर्जा युक्त विद्युत् चुंबकीय तरंग है जिस पर कोई आवेश नहीं पाया जाता है।
  2. इसकी वेधन क्षमता सबसे अधिक और आयनन क्षमता सबसे कम होती है।
  3. इसके उत्सर्जन में रेडियोसक्रिय तत्व के द्रव्यमान या आवेश में कोई परिवर्तन नहीं होता है। सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक विन्यास बदल जाता है ।
  4. α–कण तथा β-किरण प्रतिदीप्ती (Fluerescence) उत्पन्न करते हैं जबकि किरण प्रतिदीप्ती के साथ स्फुरदीप्ती (Phosphorescence) भी उत्पन्न करता है ।
  5. γ किरण विद्युत चुंबकीय तरंग है अतः इसका वेग प्रकाश के वेग के बराबर होते हैं ।
कृत्रिम रेडियोसक्रियता :
अस्थायी नाभिक स्वतः विकिरण उत्सर्जित करते हैं, परन्तु जब स्थायी तत्व (स्थायी नाभिक वाले तत्त्व) को प्रोटॉन या अल्फा कणों के प्रहार से उसे रेडियो सक्रिय तत्त्व में परिवर्तित किया जाता है, तो उसे कृत्रिम रेडियोसक्रियता कहते हैं । इसकी खोज आईरीन क्यूरी और उनके पति एफ० जोलियोर ने किया था ।
रेडियोसक्रियता की इकाई :
गिगर- मूलर काउण्टर या बैकुरल द्वारा मापा जाता । इसका SI मात्रक बेकुरल है।
रेडियोसक्रिय समस्थानिक का दैनिक जीवन में प्रयोग-
  1. कोबाल्ट समस्थानिक का प्रयोग कैंसर रोग के इलाज में किया जाता है।
  2. आयोडीन समस्थानिक का उपयोग थॉयराइड ग्रन्थी के इलाज में किया जाता है।
  3. सोडियम समस्थानिक का उपयोग रक्त परिसंचरण के अध्ययन करने में किया जाता है।
  4. कार्बन समस्थानिक का प्रयोग जीवाश्म, प्रागऐतिहासिक पदार्थों, जानवरों या पत्थरों के पुराने नमुने की आयु ज्ञात करने में होता है। इस विधि को रेडियो आसोटोप इंडिंग कहते हैं ।
  5. रेडियो सक्रिय यूरेनियम का प्रयोग पृथ्वी के आयुनिर्धारण में किया जाता है।
अर्द्ध-आयु (Half Life)
किसी रेडियो ऐक्टिव तत्व में किसी क्षण पर उपस्थित परमाणुओं के आधे परमाणु जितने समय में विघटित हो जाते हैं उस समय को उस तत्व की अर्द्ध-आयु कहते हैं । प्रत्येक तत्त्व की अर्द्ध-आयु निश्चित होती है।
  • रेडियो ऐक्टीव तत्वों में परमाणुओं का विघटन अनियमित रूप से होता है। इसमें यह निश्चित नहीं होता कौन-सा परमाणु पहले विघटित होगा। लेकिन एक नियत समय में विघटित होने वाली परमाणु संख्या नियत होती है।
  • रेडियो - ऐक्टीव तत्वों के विघटन से α, β, γ किरणों के रूप में काफी ऊर्जा की उत्पत्ति होती है। ऊर्जा की उत्पत्ति आइन्सटाइन के सूत्र - E = mc2 के अनुरूप होता है।
  • यदि किसी तत्त्व की अर्द्ध-आयु 5000 वर्ष और आज इसकी मात्रा 100 gram है तो 5000 वर्ष बाद उसकी मात्रा 15000 वर्ष उसकी मात्रा 12.5 gram होगी और अन्ततः प्रत्येक तत्त्व का रेडियो एक्टिव क्षरण के बाद वह सीसा में परिणत हो जाता है । रेडियो एक्टीव क्षरण पदार्थ के मात्रा पर निर्भर नहीं करता है।
नाभकीय अभिक्रिया (Nuclear Reaction)
  • नाभकीय अभिक्रिया वह अभिक्रिया है जिसमें परमाणु के नाभीक भाग लेते हैं। इस अभिक्रिया में द्रव्यमान की हानि होती है तथा द्रव्यमान की हानि आइंसटाइन के अनुसार ऊर्जा में परिणत होता है।
  • नामकीय अभिक्रिया दो प्रकार का होता है-
    1. नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission)
    2. नाभकीय संलयन (Nuclear Fusion )
  • नाभिकीय अभिक्रिया में मुक्त ऊर्जा को नाभकीय ऊर्जा कहते हैं ।
  • रदरफोर्ड को नाभकीय भौतिकी का पिता कहा जाता है।
नाभकीय विखंडन :
नाभिकीय विखंडन वह अभिक्रिया है जिसें भारी परमाणु जैसे— यूरेनियम, प्लूटोनियम, थोरियम के नाभिक को कम वेग वाले न्यूट्रॉन से प्रहार कर हल्के नाभीक में तोड़ दिया जाता है।

(इस अभिक्रिया में U-235 के विखंडन के बाद मोलिब्डेनम तथा लँथेनम बनते समय द्रव्यमान की हानि 0.214 होती है जिससे 200 Mev ऊर्जा उत्पन्न होती है ।)
  • नाभकीय विखंडन के समय 2 अथवा 3 अतिरिक्त न्यूट्रॉन उत्पन्न होते हैं जो आगे U-235 के नाभिक को विखंडन कर सकता है इस तरह से यह अभिक्रिया श्रृंखला अभिक्रिया होती है ।
  • अगर नाभकीयविखंडन के समय श्रृंखला अभिक्रिया नियंत्रित नहीं किया जाए तो भ्यानक विस्फोट होता है जो परमाणु बम का विस्फोट कहलाता है।
  • अगर नाभकीय विखंडन के समय श्रृंखला अभिक्रिया को नियंत्रित कर लिया जाए तब इसका उपयोग परमाणु रिएक्टर द्वारा विद्युत उत्पादन में होता है ।
  • नाभकीय विखंडन के समय निकलनेवाली ऊर्जा का माप इलेक्ट्रॉन वोल्ट (eV) में किया जाता है।
    1 eV = 1.602 × 10-9 (जूल)
    106 ev = 1 mev (मेगा इलेक्ट्रॉन बोल्ट)
नाभकीय संलयन
  • कुछ विशेष परिस्थिति में जब हल्के तत्व के नाभीक आपस में मिलकर अपेक्षाकृत भारी परमाणु क्रमांक के नाभिक का निर्माण करते हैं तो इसे नाभकीय निर्माण करते हैं, तो इसे नाभकीय संलयन कहते हैं।

  • नाभकीय संलयन हेतु अतिउच्च ताप ( लगभग -4000000°C से अधिक) पर सम्पन्न होती है तथा नाभकीय संलयन में नाभकीय विखंडन के तुलना में अधिक ऊर्जा निकलता है।
  • 1939 में हँस बैथे ने बताया की सूर्य से प्राप्त हो रही वृहत ऊर्जा का स्त्रोत सूर्य के क्रोड में होने वाली नाभकीय संलयन है। हँस बैथे ने बतलाया की सूर्य के क्रोड में हाइड्रोजन के चार नाभीक आपस में मिलकर हिलियम नाभिक बनाता है जिससे पर्याप्त मात्रा में उष्मा ऊर्जा उत्पन्न होती है ।

उष्मा नाभकीय अभिक्रिया (Thermo Nuclear Reaction)

अति उच्च ताप अथवा प्लाज्मा की परिस्थितियों में सम्पन्न होने वाली नाभकीय संलयन की अभिक्रिया को उष्मा नाभकीय अभिक्रिया कहते हैं। सूर्य के क्रोर्ड में होने वाली नाभकीय संलयन उष्मा नाभकीय अभिक्रिया के उदाहरण है।
  • प्लाज्मा पदार्थ की चौथी अवस्था है जिसमें पदर्थ अणु परमाणु में बदलकर पुनः परमाणु इलेक्ट्रॉन एवं धन आवेशित आयन में टूटकर आयनीकृत हो जाते हैं । परन्तु पदार्थ प्लाज्मा स्थिति में भी उदासीन (धन आवेश = ऋण आवेश) रहते हैं। सूर्य, तारों में प्लामा स्थिति पायी जाती है और प्लाज्मा स्थिति में ही नाभकीय संलयन अभिक्रिया सम्पन्न होता है ।
  • नाभकीय संलयन अभिक्रिया व्यवहारिक रूप से सम्पन्न कराना मुश्कील है क्योंकि नाभकीय संलयन अभिक्रिया अत्यधिक ताप की जरूरत होती है और इतनी धिक ताप पृथ्वी पर केवल परमाणु विस्फोट कराकर ही प्राप्त किया जा सकता है।
  • नाभकीय विखंडन से प्राप्त ऊर्जा अनवीकरणीय है तथा इस अभिक्रिया में प्रदूषण अधिक होता है इसके विपरित नाभकीय संलयन प्राप्त ऊर्जा नवीकरणीय है और इसमें नाभकीय विखंडन के तुलना में कम प्रदूषण होता है ।
परमाणु बम
परमाणु बम में निम्नलिखित विशेषता पायी जाती है:-
  • परमाणु बम नाभकीय विखंडन की क्रिया पर आधारित बम है ।
  • इसमें भारी तत्व जैसे— यूरेनियम नेप्चूनियम, प्लूटोनयिम आदि का प्रयोग होता है ।
  • परमाणु बम में हाइड्रोजन बम की तरह उच्चताप और उच्च दाब की जरूरत नहीं होती है।
  • परमाणु बम हाइड्रोजन बम की तुलना में कम खतरनाक है क्योंकि परमाणु बम विस्फोट से प्रतिग्राम कम ऊर्जा निकलती है।
हाइड्रोजन बम
हाइड्रोजन बम में निम्नलिखित विशेषता पायी जाती है-
  1. हाइड्रोजन बम नाभकीय संलयन पर आधारित है।
  2. हाइड्रोजन बम में उच्च ताप और उच्च दाब जैसी पूरी स्थिति की आवश्यकता होती है I
  3. हाइड्रोजन बन हल्कं तत्व- हाइड्रोजन का उपयोग होता है।
  4. हाइड्रोजन बन में हल्के तत्व हाइड्रोजन के ऊपर नामकीय विखंडन वाले तत्व का आवरण रहता है। पहले विखंडन की क्रिया कर उच्च ताप प्राप्त किया जाता है फिर संलयन प्रारंभ होता है और हाइड्रोजन बम विस्फोट होता है।
  5. परमाणु बन के तुलना में हाइड्रोजन में अधिक कर्जी निकलती है।
नाभकीय रिएक्टर (Nuclear Reactor)
  • नामकीय रिएक्टर ऐसा संयंत्र है जिसमें नियंत्रित नामकीय विखण्डन से मुक्त ऊर्जा का इस्तेमाल पानी को माप बनाने में में किया जाता है और नाम को नदद से टरबाइन को घुमाकर विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। 
  • परमाणु रिएक्टर के निम्न भाग होते हैं-
    1. नामकीय ईंधन रिएक्टर में ईंधन के रूम संवर्धित यूरनियन-205 के छड़ का उयोग होता है। संवर्धित यूरनियम -235 में प्राकृतिक यूरेनियम के तुलना में अधिक यूरेनियम होता है। प्राकृतिक यूरेनियम में U-235 की 0.7% होती है जबकि संवर्धित यूरेनियन ने U-235 की मात्रा 2-3% होती है। शेष के रूप में 0-238 होता है जिसका विखंडन नहीं होता है।
    2. नियंत्रक छड़ (Control rods) यह छड़ कैडनियम या ब्रोटॉन का बना होता है जा विखंडन के दौरान निकले अतिरिक्त न्यूट्रॉन को अवशोषित करता है नियंत्रक छड़ को ईंधन वाले छड़ के बीच में घुसाकर रखा जाता है।
    3. मंदक (Moderator) नाभकीय रिएक्टर में नंदक का कान होता है न्यूट्रॉन की गति को कम करना क्योंकि विखंडन के लिए कम बैग वाला न्यूट्रॉन की आवश्यकता होती है। नंदक के नाम में ग्रेफाइट या भारी जल का इस्तमाल होता है।
    4. शीतक अथवा शीतलक (Coolom) निरक्टर में उत्पन्न ऊर्जा को प्राप्त कर जा पदार्थ बाहर निकलता है उसे शीतक कहते हैं। शीतक के रूप में जल, नारीजल या तरल सोडियन का उपयोग होता है।
    5. ऊष्मा परिवर्तक (Heat Exchanger ) शीतक जो ऊर्जा प्राप्त कर बाहर निकलता है उससे पानी को गर्म किया जाता है। पानी को ही उष्मा परिवर्तक कहते हैं। यह एक प्रकार का Bioler है।
    6. मजबूत आवरण (Shieldin) रिएक्टर में नामकीय विकीरण ( B और १) निकलता है अतः इसको बाहर आने से रोकने के लिए रिक्टर को क्रकीट की मोटी दिवार से कॉ जाता है।
    • नानकीय रिएक्टर का इस्तेमाल न सिर्फ विद्युत उत्पन्न करने में बल्कि नामकीय अनुसंधान में, मानव निर्मित समस्थानिक बनाने में भी होता है।
  • नामकीय अभिक्रिया के दौरान नामकीय विकिरन निकलते हैं जो निम्न खतरे उत्पन्न कर सकते हैं-
    1. नामकीय विकिरण से मनुष्य की मृत्यु हो सकती है वे विकलांग हो सकता है।
    2. नामकीय विकिरण के प्रभाव से मनुष्य में अनुवंशिक परिवर्तन नी हो सकता है।
    3. नानकीय विकिरण के प्रभाव ते ननुष्य की आयु घट सकती है।
    4. यूक्रेन के चेनबोल रिएक्टर में 26 अप्रैल, 1986 को दुर्घटना घट चुकी है जिसे 2 लाख लोग प्रभावित हुए थे।
    5. हैरान कर देने वाला तथ्य - झारखंड के जादुगुड़ा क्षेत्र में यूनियन की खान है। यूरेनियम रेडियो एक्टीव है जिससे नामकीय विकिरण निकलते हैं। सर्वे के अनुसार जादुगुड़ा क्षेत्र में विकृत बच्चे जन्म ले रहे हैं और वहाँ के लोगों की आयु घट रही है।
  • नाभकीय अभिक्रिया, रसायनिक अभिक्रिया से निम्न प्रकार से भिन्न है-
    1. रतावनिक अभिक्रिया में परमाणु के बाध्यतान कक्षा के इलेक्ट्रॉन नाग लेते हैं जबकि नामकीय अभिक्रिया में परमाणु के नाभिक ।
    2. रसायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान संरक्षण नियम का पालन होता है जबकि नामकीय अभिक्रिया में द्रव्यमान संरक्षण नियम का पालन नहीं होता है।
    3. रसायनिक अभिक्रिया में नये पदार्थ बनते हैं परमाणु नहीं जबकि नामकीय अभिक्रिया में नये परमाणु बनते हैं।
  • समय-दर- समय नानकीय नौतिकी का विकास किस तरह हुआ इसको जानिए:- (NCERT संस्करण - 2003 के विज्ञान विषय वर्ग - 10 के पेज नं०142 से संकलित)
भौतिकी के महत्वपूर्ण मील के पत्थर
  • 1896:- फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी आन्तवों हेनरी वैकेरल द्वारा रेडियोएक्टिविटी या विघटनामिकता की परिघटना की खोज। 1903 में उन्हें मेरी क्यूरी की नागीदारी में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया।
  • 1897:- ब्रिटिश वैज्ञानिक जे. जे. टॉमसन द्वारा इलेक्ट्रॉन की खोज। इस खेज के लिए उन्हें 1906 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदन किया गया ।
  • 1900:- अर्नेस्ट रदरफोर्ड द्वारा रेडियम से उत्सर्जित किरणों का प्रकारों a-किरणों तथा B -किरणों (दोनों में अधिक वेधनशील) में वर्गीकरण ।
  • 1902:- रदरफोर्ड तथा सॉडी ने रेडियोऐक्टिव-क्षय का सिद्धांत प्रकाशित किया ।
  • 1904:- रदरफोर्ड ने खोज द्वारा यह बताया कि a - किरणें भारी तथा धनावेशित कण हैं। 1908 में, उनके कार्य के लिए, उन्हें रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • 1905:- अल्बर्ट आइंसटीन ने द्रव्य तथा ऊर्जा के रूपांतरण ( E = mc2 ) से संबंधित आपेक्षिकता का विशिष्ट सिद्धांत प्रकाशित किया ।
  • 1911:- रदरफोर्ड द्वारा परमाणु का 'प्लम पुडिंग' (Plum Pudding) मॉडल प्रस्तावित किया गया । मेरी क्यूरी ने दूसरा नोबेल पुरस्कार जीता, इस बार यह रसायन विज्ञान में रेडियम तथा पोलोनियम को वियुक्त करने तथा उनके गुणधर्मों का अन्वेषण करने के लिए था ।
  • 1913:- नील बोहर ने नाभिकीय तथा क्वांटम सिद्धांतों को संयोजित करके परमाणु का बोहर मॉडल प्रस्तावित किया।
  • 1919:- रदरफोर्ड ने प्रथम कृत्रिम प्रेरित नाभिकीय अभिक्रिया प्रस्तुत की । नाइट्रोजन गैस पर a- कणों की बमबारी करके एक ऑक्सीजन का आइसोटोप तथा एक प्रोटॉन उत्पन्न किया गया।
  • 1920:- 'रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन' में अपने भाषण में रदरफोर्ड ने न्यूट्रॉन के अस्तित्व से संबंधित अपना चिंतन प्रस्तुत किया।
  • 1921:- रदरफोर्ड तथा जेम्स चॉडविक ने कार्बन, ऑक्सीजन, लिथियम तथा बेरिलियम के ३ आतरिक्त सभी ज्ञात तत्वों के त्वांतरण का सफल प्रयोग किया।
  • 1925 :- वर्नर हाइजेनबर्ग, मैक्स बॉर्न तथा बाद में इरविन श्रोडिन्गर ने क्वांटम यांत्रिकी का विकास किया। हाइजेनबर्ग को इस योगदान के लिए 1932 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • 1927:- वर्नर हाइजेनबर्ग ने अनिश्चितता - सिद्धांत प्रस्तावित किया जिसके अनुसार किसी कण की स्थिति तथा संवेग तत्क्षण निर्धारित करना संभव नहीं है।
  • 1929:- अर्नेस्ट ओ. लारेंस ने प्रथम साइक्लोट्रॉन की धारणा की कल्पना की । इस मशीन द्वारा प्रोटॉनों जैसे आवेशित कणों की अति उच्च चाल करने में सहायता मिली, जिनके द्वारा नाभिकीय अभिक्रिया कराई जा सकती थी । उन्हें इस खोज के लिए 1939 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कर प्रदान किया गया।
    जॉन कॉकरॉफ्ट तथा ई. टी. एस. वाल्टन ने प्रोटॉन को त्वरित करने के लिए उच्च वोल्टता का उपयोग करके "रैखिक त्वरक” (Linear accelerator) विकसित किया। इसकी सहायता से उन्होंने नाभिकीय अभिक्रियाओं ( परमाण्वीय तत्वांतरण) का अध्ययन किया। इन्हें 1951 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया । 
  • 1931:- हैरोल्ड यूरे ने हाइड्रोजन के आइसोटोप "ड्यूटीरियम' की खोज की, जिसके नाभिक में एक प्रोटॉन व एक न्यूट्रॉन होता है।
  • 1932:- जेम्स चॉडविक द्वारा न्यूट्रॉन की खोज ।
  • 1934:- फ्रेडेरिक तथा आइरीन जोलिऑट-क्यूरी द्वारा कृत्रिम रेडियोऐक्टिवता की खोज ।
    एनरिको फर्मी ने न्यूट्रॉनों से यूरेनियम को किरणित करके प्रथम परायूरेनियम तत्व उत्पन्न किया, परंतु अनजाने ही संसार का प्रथम नाभिकीय विखंडन प्राप्त हुआ ।
    फर्मी को 1938 में परायूरेनियम तत्वों की खोज (वास्तव में, यूरेनियम का विखंडन) के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया ।
  • 1938:- ऑटो हान तथा फ्रिट्ज़ स्ट्रासमान ने न्यूट्रॉनों द्वारा यूरेनियम में उत्पन्न नाभिकीय विखंडन के उत्पाद के रूप में बेरियम की पहचान की और यह प्रदर्शित किया कि न्यूट्रॉन यूरेनियम नाभिक विखंडित होता है।
  • 1939:- हैंस बेथे ने इस तथ्य को मान्यता प्रदान की कि हाइड्रोजन के नाभिकों के ड्यूटीरियम में संलयित होने के परिणामस्वरूप अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। उन्होंने यह विचार प्रस्तुत किया कि प्राथमिक तौर पर सूर्य से निर्गत ऊर्जा उसमें होने वाली संलयन अभिक्रिया के परिणामस्वरूप ही है। उनके इस कार्य के लिए उन्हें 1967 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • 1941:- ग्लेन सीबोर्ग ने परमाणु क्रमांक 94 के नए तत्व की खोज की तथा इस तत्व का नाम प्लूटोनियम रखा गया ।
  • 1942:- एनरिको फर्मी द्वारा शिकागो विश्वविद्यालय में पहली नियंत्रित संयोजित नाभिकीय अभिक्रिया संपादित की गई।
  • 1945:-   जुलाई 16 – संयुक्त राज्य अमेरिका ने सर्वप्रथम आलमोगोरदो, न्यू मेक्सिको पर हमला परमाणु बम विस्फोट किया (ट्रीमटी परीक्षण) ।
    अगस्त 6 - हिरोशिमा, जापान पर "लिटिल बॉय", एक यूरेनियम बम गिराया गया। 80,000 से 140,000 के बीच व्यक्ति मारे गए।
    अगस्त 9 - नागासाकी, जापान पर "फैट मैन" एक प्लूटोनियम बम गिराया गया। लगभग 74,000 व्यक्ति मारे गए।
नाभिकीय शस्त्रों के विकास में महत्वपूर्ण युगांतकारी घटनाएँ
  • 1945:- प्रथम नाभिकीय बम के परीक्षण विस्फोट तथा हिरोशिमा एवं नागासाकी, जापान, पर गिराए गए बमों के विषय में उपरोक्त बॉक्स में वर्णन दिया जा चुका है। 
  • 1946:- जून 30 संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा बिकिनि अटोल पर प्रथम अवस्थलीय प्रस्फोटन |
    दिसंबर 25- सोवियत यूनियन द्वारा मास्को में अपनी प्रथम नाभिकीय श्रृंखला अभिक्रिया संपादित की गई ।
    अगस्त 29 - सोवियत यूनियन ने कजाखस्तान में अपनी प्रथम परमाणु बम, जोइ 1, विस्फोटित किया। इससे 21 किलोटन के तुल्य ऊर्जा उत्पन्न हुई।
  • 1952:- अक्टूबर 3- प्रथम ब्रिटिश परमाणु बम, 'हरीकेन' का आस्ट्रेलिया में परीक्षण किया गया। इससे 25 किलो टन के तुल्य ऊर्जा उत्पन्न हुई।
    अक्टूबर 31 - अमेरिका ने प्रथम ताप नाभिकीय विखंडन युक्ति, माइक का ऐनिवेटॉक अटोल पर विस्फोट युक्ति, माइक का ऐनिवेटॉक अटोल पर विस्फोट किया। इससे 10.4 मेगाटन के तुल्य ऊर्जा उत्पन्न हुई।
  • 1955:- नवंबर 22- सोवियत यूनियन द्वारा प्रथम संलयन युक्ति का परीक्षण किया गया। इससे 1.6 मेगाटन के तुल्य ऊर्जा उत्पन्न हुई ।
  • 1957:- 8- ब्रिटेन के सफल ताप नाभिकीय बम परीक्षण ने 1.3 मेगाटन के तुल्य ऊर्जा दर्शायी ।
  • 1959:- फरवरी 13- प्रथम फ्रांसीसी नाभिकीय परीक्षण सहारा मरूस्थल के रेगाने, अल्जीरिया में संपन्न किया गया। इसमें उत्पन्ऊर्जा 60-70 किलो टन के तुल्य थी । 

अभ्यास प्रश्न

1. X-ray के गुण वैसे ही है जैसे-
(a) α-ray का
(b) β-ray का
(c) γ-ray का
(d) कैथोड -ray का
2. निम्न में कौन सही है-
(a) 1 ev = 1.6 × 10-19 जूल
(b) 1 ev = 3 × 108 जूल
(c) 1 ev = 6.02 × 1023 जूल
(d) 1 ev = 1.6 × 10-12 जूल
3. इलेक्ट्रॉन-वोल्ट मात्रक है-
(a) आवेश का
(b) विभवान्तर का
(c) धारा का
(d) ऊर्जा का
4. परमाणु और न्यूक्लीयस के आकार का अनुपात होता है-
(a) 1000 : 1
(b) 1000000 : 1
(c) 10000 : 1
(d) 100000 : 1
5. किसने सर्वप्रथम पता लगाया की सूर्य से प्राप्त ऊर्जा नाभिकीय संलयन का परिणाम है-
(a) रदरफोर्ड
(b) आइंसटीन
(c) हैंस बैथे
(d) प्रेडरीक सोडी
6. किस किरण का वेग प्रकाश का वेग के बराबर होता है
(a) α-ray
(b) β-ray
(c) γ-ray
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
7. रेडियोसक्रियता खोज हेतु हेनरी वैकेरल को किस वर्ष नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया ?
(a) 1906 ई०
(b) 1908 ई०
(c) 1903 ई०
(d) 1913 ई०
8. α, β तथा γ की वेधन शक्तियाँ अपने अवरोही क्रम में किस क्रम में होती है ?
(a) α, β, γ
(b) γ, β, α
(c) β, α, γ
(d) γ, α, β
9. निम्नलिखित रेडियो तत्वों में से किसका उपयोग मनुष्य शरीर में रक्त प्रवाह की गति के मापन में किया जाता है ।
(a) रेडियो-फॉस्फोरस 
(b) रेडियो-आयोडीन
(c) रेडियो - आयरन
(d) रेडियो - सोडियम
10. रेडियोधर्मी पदार्थ में किस दौरान कोई परिवर्तन (द्रव्यमान या आवेश में) नहीं होता ?
(a) β- उत्सर्जन
(b) γ- उत्सर्जन 
(c) ऑक्सीकरण
(d) α- उत्सर्जन
11. 'हाइड्रोजन बम' (Hydrogen Bomb) विकसित किया गया था-
(a) एडवर्ड टेलर द्वारा
(b) बरनर बॉन ब्रॉन द्वारा
(c) जे. रॉबर्ट ओपनहीमर द्वारा
(d) सैमुअल कोहेन द्वारा
12. हाइड्रोजन बम किस सिद्धांत पर कार्य करता है ?
(a) नियंत्रित विखण्डन अभिक्रिया
(b) अनियंत्रित विखण्डन अभिक्रिया
(c) नियंत्रित संलयन अभिक्रिया
(d) अनियंत्रित संलयन अभिक्रिया
13. रेडिसोधर्मिता नापी जाती है-
(a) गिगर-मूलर काउण्टर
(b) पोलरीमीटर
(c) कैलोरीमीटर
(d) बैरोमीटर 
14. न्यूक्लीय रिएक्टरों में विमंदक और प्रशीतक दोनों की तरह प्रयुक्त होने वाला पदार्थ है-
(a) साधारण पानी 
(b) भारी पानी
(c) द्रव अमोनिया
(d) द्रव हाइड्रोजन
15. नाभिकीय संयंत्रों में ग्रेफाइट (Graphite) का उपयोग किया जाता है-
(a ) ईंधन की तरह
(b) स्नेहक की तरह 
(c) विमंदक की तरह
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
16. निम्नलिखित में से कौन-सा सौर ऊर्जा का स्त्रोत है ?
(a) नाभिकीय विखण्डन 
(b) नाभिकीय संलयन
(c) कृत्रिम रेडियोधर्मिता 
(d) X - किरण उत्सर्जन
17. किस प्रकार की अभिक्रिया से सबसे अधिक हानिकारक विकिरण पैदा होता है ?
(a) संलयन अभिक्रिया
(b) विखंडन अभिक्रिया
(c) रासायनिक अभिक्रिया
(d) प्रकाश रसायनिक अभिक्रिया
18. परमाणु शक्ति संयंत्र किस सिद्धान्त पर काम करता है ? 
(a) विखण्डन
(b) संलयन
(c) तापीय दहन
(d) उपर्युक्त दोनों का संयुक्त प्रभाव
19. परमाणु बम का आविष्कार किसने किया था ?
(a) मैडम क्यूरी
(b) पियरे क्यूरी
(c) ऑटो हान
(d) एल्बर्ट आइन्स्टीन
20. यूरेनियम विखण्डन की सतत प्रक्रिया को जारी रखने के लिए किस कण की जरूरत होती है ?
(a) इलेक्ट्रॉन
(b) प्रोटॉन
(c) न्यूट्रॉन
(d) पॉजिट्रॉन
21. सबसे पहले 'रेडियोसक्रियता' शब्द का प्रयोग किसने किया था ?
(a) हेनरी वेक्वेरेल
(b) मैरी क्यूरी
(c) रदरफोर्ड
(d) डी ब्रोगली
22. रेडियो कार्बन काल निर्धारण किसकी आयु का आकलन करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है ?
(a) मृदा
(b) स्मारक
(c) जीवाश्म
(d) चट्टानें
23. पृथ्वी की आयु का आकलन किया जाता है ? 
(a) यूरेनियम डेटिंग से
(b) कार्बन डेटिंग से
(c) परमाणु घड़ी से
(d) जैविक घड़ी से
24. वह प्रणाली क्या कहली है जो प्रागैतिहासिक पदार्थों का काल निर्धारित करने के लिए विघटनाभिकता (Radioactivity) का प्रयोग करती है ?
(a) रेडियम काल निर्धारण
(b) यूरेनियम काल निर्धारण
(c) कार्बन काल निर्धारण
(d) ड्यूटेरियम काल निर्धारण
25. एक रेडियोएक्टिव पदार्थ की अर्द्ध आयु 4 महीने हैं। इस पदार्थ के तीन चौथाई भाग का क्षय होने में समय लगेगा-
(a) 3 महीने 
(b) 4 महीने
(c) 8 महीने
(d) 12 महीने
26. रेडियोधर्मी पदार्थ का आधा जीवनकाल 70 दिन का है। उसी पदार्थ का एक ग्राम कितने दिन बाद 0.25 ग्राम रह जायेगा ?
(a) 140 दिन
(b) 70 दिन
(c) 210 दिन
(d) 280 दिन
27. विघटनाभिक (रेडियोधर्मी) वस्तुओं को किससे बने पात्र में रखना चाहिए ?
(a) Pb
(b) इस्पात 
(c) Fe
(d) Al
28. निम्नलिखित में से कौन एक रेडियोएक्टिव तत्व नहीं है ?
(a) एस्टेटिन
(b) क्रान्सियम
(c) ट्राइटियम
(d) जर्कोनियम
29. नाभिकीय विखंडन के दौरान श्रृंखला अभिक्रिया को नियंत्रित करने के लिए न्यूट्रॉनों का अवशोषण करने हेतु निम्न में से किसका प्रयोग किया जाता है ?
(a) बोरॉन 
(b) भारी पानी
(c) यूरेनयम
(d) प्लूटोनियम
30. निम्नलिखित में से कौन-सा प्राकृतिक रेडियोसक्रियता नहीं दर्शाता है ?
(a) यूरेनियम
(b) थोरियम
(c) एलुमिनियम 
(d) पोलोनियम
31. किस रेडियोएक्टिव तत्व का नाम उसके खोजकर्ता के देश के नाम पर रखा गया है ?
(a) रेडियम
(b) यूरेनियम
(c) पोलोनियम
(d) पेलेडियम
32. समस्त रेडियोसक्रिय पदार्थ क्षय होने के पश्चात् किसमें अंतिम रूप से बदल जाते हैं ?
(a) कोरेण्डम
(b) सीसा
(c) कैडमियम
(d) जस्ता
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